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नीरव मोदी छोटी मछली हैं, मिलिए घोटाले के समुद्र की शार्क से!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 20 फरवरी, 2018 07:07 PM
  • 20 फरवरी, 2018 07:07 PM
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घोटाले को लेकर सारा देश माल्या और मोदी जैसे लोगों के विषय में बात कर रहा है. मगर हमें तब आश्चर्य में नहीं पड़ना चाहिए जब हम भविष्य में इन लोगों को बैंकों में की जा रही चोरी को नियंत्रित करने के उपाय बताते और सेमिनार देते देखें.

भारत में घोटालों का होना कोई नया नहीं है, और अगर ये कहें कि आज भारत और घोटाले एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं, तो शायद ये अतिश्योक्ति न हो. इन दिनों देश में घोटाले फिर चर्चा में हैं और कारण है नीरव मोदी और उनके द्वारा किया गया पीएनबी घोटाला. लोन के बाद नीरव विदेश में हैं, ठीक वैसे ही जैसे माल्या. कहा जा सकता है कि उधर "स्वदेशी पैसों" से दोनों "विदेशी धरती" पर खूब मौज मस्ती कर रहे हैं इधर हम लोग उनकी मौज मस्ती से जुड़ी बातें सुन रहे हैं और मुंह बना-बनाकर उन्हें कोस रहे हैं.

पहले किंगफिशर वाले माल्या, फिर नीरव मोदी उसके बाद रोटोमैक पेन वाले कोठारी. इन तीनों के द्वारा किये गए डिफ़ॉल्ट से हमें पता चल गया है कि देश के बैंकों की सुरक्षा और उनकी कार्यप्रणाली में भयंकर फ़ॉल्ट है. बात बैंक सम्बंधित घोटालों की हो रही है. और शायद माल्या, मोदी और कोठारी सरीखों को देखकर हम मान लें कि, उन्होंने जिस तरह बैंकों को चूना लगाया है वो हैरत में डालने वाला है.

बैंकों के धोखाधड़ी के बाद माल्या और मोदी दोनों विदेश में छुपे बैठे हैं

तो अब तक जो लोग माल्या. मोदी और कोठारी के कारनामों के आगे नतमस्तक हो रहे हैं उन्हें अमेरिका के फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल को जानना या उनके बारे में पढ़ना चाहिए. यदि आप पढ़ने लिखने को बोरिंग मानते हैं मगर फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हॉलीवुड निर्देशक 'स्टीवन स्पीलबर्ग' की 'कैच मी इफ यू कैन' देख सकते हैं.

जिसमें बतौर हीरो लियोनार्डो डि कैप्रियो के कारनामों को देखकर आपको पता चल जाएगा कि फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल का इतिहास कितना दिलचस्प था. शायद फिल्म देखने के बाद आप अपने आप ही कह दें कि माल्या, मोदी और कोठारी जैसे लोग तो छोटी मछलियां हैं. घोटालों के समुंद्र की शार्क तो फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल...

भारत में घोटालों का होना कोई नया नहीं है, और अगर ये कहें कि आज भारत और घोटाले एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं, तो शायद ये अतिश्योक्ति न हो. इन दिनों देश में घोटाले फिर चर्चा में हैं और कारण है नीरव मोदी और उनके द्वारा किया गया पीएनबी घोटाला. लोन के बाद नीरव विदेश में हैं, ठीक वैसे ही जैसे माल्या. कहा जा सकता है कि उधर "स्वदेशी पैसों" से दोनों "विदेशी धरती" पर खूब मौज मस्ती कर रहे हैं इधर हम लोग उनकी मौज मस्ती से जुड़ी बातें सुन रहे हैं और मुंह बना-बनाकर उन्हें कोस रहे हैं.

पहले किंगफिशर वाले माल्या, फिर नीरव मोदी उसके बाद रोटोमैक पेन वाले कोठारी. इन तीनों के द्वारा किये गए डिफ़ॉल्ट से हमें पता चल गया है कि देश के बैंकों की सुरक्षा और उनकी कार्यप्रणाली में भयंकर फ़ॉल्ट है. बात बैंक सम्बंधित घोटालों की हो रही है. और शायद माल्या, मोदी और कोठारी सरीखों को देखकर हम मान लें कि, उन्होंने जिस तरह बैंकों को चूना लगाया है वो हैरत में डालने वाला है.

बैंकों के धोखाधड़ी के बाद माल्या और मोदी दोनों विदेश में छुपे बैठे हैं

तो अब तक जो लोग माल्या. मोदी और कोठारी के कारनामों के आगे नतमस्तक हो रहे हैं उन्हें अमेरिका के फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल को जानना या उनके बारे में पढ़ना चाहिए. यदि आप पढ़ने लिखने को बोरिंग मानते हैं मगर फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हॉलीवुड निर्देशक 'स्टीवन स्पीलबर्ग' की 'कैच मी इफ यू कैन' देख सकते हैं.

जिसमें बतौर हीरो लियोनार्डो डि कैप्रियो के कारनामों को देखकर आपको पता चल जाएगा कि फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल का इतिहास कितना दिलचस्प था. शायद फिल्म देखने के बाद आप अपने आप ही कह दें कि माल्या, मोदी और कोठारी जैसे लोग तो छोटी मछलियां हैं. घोटालों के समुंद्र की शार्क तो फ्रैंक जूनियर एबेग्नेल है.

बात आगे बढ़ाने से पहले आपको बता दें कि, सिर्फ 19 साल की उम्र तक आते-आते फ्रैंक ने न सिर्फ अमेरिका के 50 राज्यों और दुनिया के 26 देशों के बैंकों को चुना लगातार ढेरों डॉलर कमाए. बल्कि मुफ्त में दुनिया भर की यात्रा की, तमाम तरह की हाई प्रोफाइल नौकरियों को अंजाम दिया और बला की खूबसूरत महिलाओं को अपनी गर्ल फ्रेंड बनाया. इसे शायद फ्रैंक की काबिलियत ही कहा जाएगा, जिसके चलते फ्रैंक की धोखेबाजी को जानते हुए भी बैंक और एफबीआई फ्रैंक की क्षरण में आए और उससे लोगों द्वारा बैंकों में की जा रही चोरी को रोकने की सलाह मांगी. फ्रैंक ने भी बैंकों और एफबीआई को रहम की निगाह से देखा और इन्हें चोरी से निजात के लिए सेशन दिया मगर उसके लिए 500 डॉलर प्रति सेशन उसूले.

आज भारत के हर नागरिक के सामने फ्रैंक का इतिहास कई मायनों में मनोरंजक है

तो कहां से हुई फ्रैंक द्वारा बैंकों को लूटने की शुरुआत

बात 1964 की है. तब फ्रैंक की उम्र 15 साल की थी. जिस उम्र में हमारे आपके बच्चे 17 और 19 के पहाड़ों में कन्फ्यूज रहते हैं उस उम्र में फ्रैंक ने अपने पहले फ्रॉड को अंजाम दिया. बताया जाता है कि फ्रैंक के पिता ने उसे एक ट्रक और क्रेडिट कार्ड दिया. इनकी मदद से फ्रैंक ने तकरीबन 3400 डॉलर का फ्रॉड किया. फ्रैंक द्वारा फ्रॉड की शुरुआत हो चुकी थी. इसके बाद फ्रैंक ने चेक के जरिए कई सारे फ्रॉड अंजाम दिए.

मैगनेटिक कोड से की चोरी की शुरुआत

फ्रैंक के बारे में मशहूर है कि उसने मैगनेटिक कोड छापना सीखा था. फ्रैंक इन कोड्स को किसी दूसरे की चेक पर डालता और बैंक द्वारा स्कैन करने के बाद उस व्यक्ति के पैसे फ्रैंक के अकाउंट में ट्रांसफर हो जाते.

कह सकते हैं कि फ्रैंक की पहली गिरफ़्तारी उसके इतिहास से भी ज्यादा रोचक है

शौक के चलते की कई सारी नौकरियां

फ्रैंक ने एक छोटी उम्र में बहुत कुछ हासिल किया था. फ्रैंक के बारे में बताया जाता है कि उसने पायलट से लेकर डॉक्टर, वकील और टीचर तक लगभग सभी नौकरियां की हैं. पायलट को लेकर फ्रैंक के बारे में मशहूर है कि फ्रैंक ने पायलट की उम्दा यूनिफॉर्म सिलवाई और एक जाली आईडी कार्ड बनवाया जिसके बल पर उसने 25 लाख लिकोमीटर से अधिक का सफर किया. फ्रैंक जिस देश में जाता उसमें पायलट्स के लिए अरक्षित महंगे होटल में रुकतावहां अय्याशी करता और अपने रुतबे की बदौलत अलग-अलग एयरलाइन्स की एयर होस्टेस से सम्बन्ध बनाता.

फ्रैंक की किताबें के दीवाने हैं दुनिया भर के लोग

फ्रैंक एक डिफॉल्टर थे मगर इसके बावजूद आज दुनिया भर में लोग उनकी काबिलियत का लोहा मानते हैं. प्रायः ये देखा गया है कि मैनेजमेंट के लोग उनसे चीजें और परिस्थितियां मैनेज करना सीखते हैं. कह सकते हैं कि शायद ये लोगों के बीच फ्रैंक की लोकप्रियता ही है जिसके चलते उनपर 'कैच मी इफ यू कैन' नाम की किताब लिखी गयी है. इस किताब के बारे में मशहूर है कि ये किताब दुनिया की बेस्ट सेलर्स किताबों में है. इसके अलावा फ्रैंक खुद भी किताबें लिखते हैं और उनकी किताब लोगों को आश्चर्य में डालती है.

धोखाधड़ी के इतिहास में शायद ही कोई फ्रैंक की बराबरी करने वाला हो

कभी था जालसाज आज लोगों को जालसाजी से बचाता है

अक्सर ही हमनें अपने बड़ों से भ्रष्टाचार को लेकर एक कथन सुना है कि अगर चोर को ही कोतवाल बना दिया जाए तो सोचो परिस्थिति क्या होगी. फ्रैंक का मामला भी कुछ ऐसा ही है. अपने सारे पापों से प्रायश्चित कर आज फ्रैंक लोगों को किसी भी तरह के फ्रॉड से बचाने के लिए एक कम्पनी चलाते हैं. शायद आपको जानकार आश्चर्य हो मगर ये सच है कि आज न सिर्फ कॉर्पोरेट्स बल्कि अमेरिका समेत आस पास के देशों के कई सारे बैंक्स फ्रैंक के क्लाइंट हैं.

15 से 19 साल की उम्र तक आते आते जो फ्रैंक ने किया वो वाकई आश्चर्य में डालने वाला है. फ्रैंक के जीवन और उनकी उपलब्धियों को देखकर शायद ये कहना गलत न हो कि भले ही उन्होंने बड़े बड़े घोटाले किये मगर एक समय बाद उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हुआ इस बीच उन्हें सजा भी हुई और आज वो अपने देश में रहकर लोगों को अपनी सेवा दे रहे हैं और उन्हें भारी फ्रॉड से बचा रहे हैं.

अतः अगर भविष्य में हम नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे लोगों को मैनेजमेंट के किसी संस्थान में या फिर सीबीआई द्वारा आयोजित किसी कांफ्रेंस में फ्रॉड पर भाषण देते और उसे बचाने की बातें करते देखें, तो हमें हैरत नहीं होनी चाहिए कि बैंकों को फॉल्ट मुक्त ऐसे डिफ़ॉल्टर ही करा सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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