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होली का हुड़दंग और रसूल-ए-पाक की कहानी...

    • आईचौक
    • Updated: 28 फरवरी, 2018 06:22 PM
  • 28 फरवरी, 2018 06:22 PM
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होली में अक्सर बच्चे या यंगस्टर कोई गलती कर देते हैं, जिसे लेकर घर के बड़े आपस में लड़ पड़ते हैं. इस होली मुजफ्फरनगर में ऐसा ना हो, इसलिए पुलिस ने भगवान की शरण में जाने का फैसला किया है. देखिए क्या कर रही है पुलिस.

जब भी होली आती है तो अपने साथ लाती है बहुत सारे रंग. लेकिन कई बार होली के रंग में भंग पड़ते देर नहीं लगती और देखते ही देखते होली का रंग हुड़दंग में बदल जाता है. कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो होली के त्योहार को ढाल बनाकर लोगों के बीच तनाव का माहौल पैदा करने की कोशिश करते हैं. कई बार ये तनाव इतना बढ़ जाता है कि धार्मिक हिंसा का रूप भी ले लेता है. कई बार तो बच्चों की नासमझी भरी गलतियों के चलते ही समझदार लोग भी धर्म के नाम पर आपस में लड़ पड़ते हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर धर्म से जुड़ी हिंसा को सुलगने से पहले ही कैसे रोका जाए? यूपी के मुजफ्फरनगर के एसएसपी इस बार की होली पर ऐसी किसी भी हिंसा से बचने के लिए सीधे भगवान की शरण में जा पहुंचे हैं.

प्रोफेट मुहम्मद का रास्ता अपनाने की अपील

मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने इस होली पर किसी तरह के तनाव और हिंसा से बचने के लिए कुछ पम्पलेट छपवाए हैं. इन पम्पलेट पर प्रोफेट मुहम्मद की एक कहानी छपी है. पम्पलेट के जरिए लोगों से अपील करते हुए लिखा है- 'भाइयों, मैं आप सभी से निवेदन करता हूं कि प्रोफेट मुहम्मद के दिखाए रास्ते को अपनाएं और उस पर चलें.' लोगों से अपील की गई है कि आग को आग से बुझाने की कोशिश न करें, आग को बुझाने के लिए पानी की जरूरत होती है. सभी से कहा गया है कि लोग कुछ भी करने से पहले एक बार सोचें जरूर वरना उनके दिमाग पर शैतान सवार हो जाएगा. अंत में लिखा गया है कि अगर बच्चे या कुछ यंगस्टर कोई गलती कर देते हैं तो आप अपना आपा न खोएं. यह सब हमें होली को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने में मदद करेंगे.

पम्पलेट में क्या है कहानी?

जिस पम्पलेट को लोगों में बांटा जा रहा है उसमें प्रोफेट मुहम्मद के साथ घटी एक घटना का जिक्र है. जिस रास्ते से प्रोफेट मुहम्मद गुजरते थे, उसी रास्ते में एक यहूदी...

जब भी होली आती है तो अपने साथ लाती है बहुत सारे रंग. लेकिन कई बार होली के रंग में भंग पड़ते देर नहीं लगती और देखते ही देखते होली का रंग हुड़दंग में बदल जाता है. कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो होली के त्योहार को ढाल बनाकर लोगों के बीच तनाव का माहौल पैदा करने की कोशिश करते हैं. कई बार ये तनाव इतना बढ़ जाता है कि धार्मिक हिंसा का रूप भी ले लेता है. कई बार तो बच्चों की नासमझी भरी गलतियों के चलते ही समझदार लोग भी धर्म के नाम पर आपस में लड़ पड़ते हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर धर्म से जुड़ी हिंसा को सुलगने से पहले ही कैसे रोका जाए? यूपी के मुजफ्फरनगर के एसएसपी इस बार की होली पर ऐसी किसी भी हिंसा से बचने के लिए सीधे भगवान की शरण में जा पहुंचे हैं.

प्रोफेट मुहम्मद का रास्ता अपनाने की अपील

मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने इस होली पर किसी तरह के तनाव और हिंसा से बचने के लिए कुछ पम्पलेट छपवाए हैं. इन पम्पलेट पर प्रोफेट मुहम्मद की एक कहानी छपी है. पम्पलेट के जरिए लोगों से अपील करते हुए लिखा है- 'भाइयों, मैं आप सभी से निवेदन करता हूं कि प्रोफेट मुहम्मद के दिखाए रास्ते को अपनाएं और उस पर चलें.' लोगों से अपील की गई है कि आग को आग से बुझाने की कोशिश न करें, आग को बुझाने के लिए पानी की जरूरत होती है. सभी से कहा गया है कि लोग कुछ भी करने से पहले एक बार सोचें जरूर वरना उनके दिमाग पर शैतान सवार हो जाएगा. अंत में लिखा गया है कि अगर बच्चे या कुछ यंगस्टर कोई गलती कर देते हैं तो आप अपना आपा न खोएं. यह सब हमें होली को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने में मदद करेंगे.

पम्पलेट में क्या है कहानी?

जिस पम्पलेट को लोगों में बांटा जा रहा है उसमें प्रोफेट मुहम्मद के साथ घटी एक घटना का जिक्र है. जिस रास्ते से प्रोफेट मुहम्मद गुजरते थे, उसी रास्ते में एक यहूदी महिला का घर भी था. जब भी वह वहां से गुजरते थे तो महिला उन पर कूड़ा फेंक देती थी. प्रोफेट उसे नजरअंदाज कर देते थे और कूड़ा झाड़कर वहां से चले जाते थे. एक दिन महिला ने उन पर कूड़ा नहीं फेंका तो उन्होंने आसपास के लोगों से पूछा कि वह महिला कहीं चली गई है क्या? जवाब मिला कि उसकी तबियत बहुत खराब है. यह सुनते ही प्रोफेट मुहम्मद महिला के घर गए और अंदर आने की इजाजत मांगी. उन्होंने महिला से कहा कि आपके घर में कोई नहीं है, आप कहें तो मैं आपके लिए दवा ले आऊं. महिला ने देखा कि यह तो वही शख्स पर जिस पर वह रोज कूड़ा फेंक देती है. महिला को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह रोने लगी और प्रोफेट मुहम्मद के पैरों में गिर गई.

आपको बता दें कि अगस्त और सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर में खतरनाक हिंसा हुई थी, जिसमें करीब 60 लोगों की मौत हो गई थी और 40,000 से भी अधिक लोग इससे प्रभावित हुए थे. हिंसा के नजरिए से मुजफ्फरनगर बेहद ही संवेदनशील जगह है और ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना या हिंसा से निपटने के लिए जो कदम यहां के एसएसपी ने उठाया है, माना जा रहा है कि उसका फायदा जरूर होगा. लोगों पर सख्ती दिखाने के बजाय पुलिस ने प्यार से उन्हें समझाने का यह अहम कदम उठाया है. देखना ये होगा कि लोगों पर पुलिस की इस पहल का क्या असर पड़ता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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