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आधार का ये उपयोग, उसकी सारी आलोचनाओं पर पानी डाल देगा

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 07 अक्टूबर, 2018 01:02 PM
  • 07 अक्टूबर, 2018 01:02 PM
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हाल ही में दिल्ली में आधार का इस्तेमाल कर के बहुत से बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया है. आधार का ऐसा इस्तेमाल तो हर किसी को इसकी तारीफों के पुल बांधने पर मजबूर कर ही देगा.

आधार से आपकी प्राइवेसी खतरे में पड़ जाएगी, आधार डेटाबेस से आपके फिंगरप्रिंट चोरी हो सकता हैं... और न जाने क्या-क्या. ये सब तो आप रोज सुनते हैं और बहुत से लोग आधार की आलोचना भी करते हैं. लेकिन आधार का सही इस्तेमाल करते हुए भी बहुत कुछ किया जा सकता है. हाल ही में दिल्ली में आधार का इस्तेमाल कर के बहुत से बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया है. आधार का ऐसा इस्तेमाल तो हर किसी को इसकी तारीफों के पुल बांधने पर मजबूर कर ही देगा.

हाल ही में दिल्ली में आधार का इस्तेमाल कर के बहुत से बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

बच्चों के मिलाया परिवार से

बाल संरक्षण अधिकार के दिल्ली कमीशन के अधिकारियों ने आधार का ऐसा इस्तेमाल किया है कि आधार की आलोचना करने वालों के मुंह पर ताला लग जाएगा. अधिकारियों ने दिल्ली की गलियों से 6 से 14 साल की उम्र के करीब 13 बच्चों को बचाया है. ये बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों से हैं, जो अपने घरों से लापता थे. जब बच्चों के फिंगरप्रिंट लिए गए तो 7 बच्चों के फिंगरप्रिंट आधार डेटाबेस से मैच कर गए और उनके परिवारों का पता लग गया. इसके बाद इन बच्चों को उनके परिवारों से मिला दिया गया.

दिल्ली में हर रोज लापता होते हैं 18 बच्चे

सिर्फ दिल्ली की ही बात करें तो लापता होने वाले 10 में से 6 बच्चों का पता नहीं लग पाता है. Alliance for People's Rights और NGO Child Rights and You (CRY) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 सालों में कुल 26,761 बच्चे सिर्फ दिल्ली में लापता हुए और उनमें से सिर्फ 9,727 बच्चों को ढूंढ़ा जा सका. दिल्ली पुलिस के अनुसार 2015 में रोजाना करीब 22 बच्चे लापता हो जाते थे, लेकिन अब इन आंकड़ों में कमी आई है. 2017 में रोजाना लापता होने वाले बच्चों की संख्या 18 तक आ चुकी है. बहुत से...

आधार से आपकी प्राइवेसी खतरे में पड़ जाएगी, आधार डेटाबेस से आपके फिंगरप्रिंट चोरी हो सकता हैं... और न जाने क्या-क्या. ये सब तो आप रोज सुनते हैं और बहुत से लोग आधार की आलोचना भी करते हैं. लेकिन आधार का सही इस्तेमाल करते हुए भी बहुत कुछ किया जा सकता है. हाल ही में दिल्ली में आधार का इस्तेमाल कर के बहुत से बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया है. आधार का ऐसा इस्तेमाल तो हर किसी को इसकी तारीफों के पुल बांधने पर मजबूर कर ही देगा.

हाल ही में दिल्ली में आधार का इस्तेमाल कर के बहुत से बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

बच्चों के मिलाया परिवार से

बाल संरक्षण अधिकार के दिल्ली कमीशन के अधिकारियों ने आधार का ऐसा इस्तेमाल किया है कि आधार की आलोचना करने वालों के मुंह पर ताला लग जाएगा. अधिकारियों ने दिल्ली की गलियों से 6 से 14 साल की उम्र के करीब 13 बच्चों को बचाया है. ये बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों से हैं, जो अपने घरों से लापता थे. जब बच्चों के फिंगरप्रिंट लिए गए तो 7 बच्चों के फिंगरप्रिंट आधार डेटाबेस से मैच कर गए और उनके परिवारों का पता लग गया. इसके बाद इन बच्चों को उनके परिवारों से मिला दिया गया.

दिल्ली में हर रोज लापता होते हैं 18 बच्चे

सिर्फ दिल्ली की ही बात करें तो लापता होने वाले 10 में से 6 बच्चों का पता नहीं लग पाता है. Alliance for People's Rights और NGO Child Rights and You (CRY) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 सालों में कुल 26,761 बच्चे सिर्फ दिल्ली में लापता हुए और उनमें से सिर्फ 9,727 बच्चों को ढूंढ़ा जा सका. दिल्ली पुलिस के अनुसार 2015 में रोजाना करीब 22 बच्चे लापता हो जाते थे, लेकिन अब इन आंकड़ों में कमी आई है. 2017 में रोजाना लापता होने वाले बच्चों की संख्या 18 तक आ चुकी है. बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो मिल तो जाते हैं, लेकिन ये पता नहीं होता कि उनका परिवार कहां है या उनके माता-पिता कौन हैं. ऐसी जगह पर आधार बेहद काम का साबित होता है.

आधार पर उठते रहे हैं सवाल

अक्सर ही आधार को लेकर सवाल उठते रहते हैं. अक्सर ऐसी खबरें सामने आती हैं, जिनमें लोगों की जानकारियां सार्वजनिक होने की बात होती है. ऐसे में बहुत से लोग आधार को लेकर डरे हुए भी रहते हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसमें किसी व्यक्ति का आधार डेटाबेस सार्वजनिक हुआ हो. यानी आपके फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन की जानकारी आधार डेटाबेस में पूरी तरह से सुरक्षित है.

अभी तक मोदी सरकार आधार से होने वाले फायदे गिनाते हुए दिखती थी, जबकि विपक्ष आलोचना करता था. लेकिन आधार का इस्तेमाल करते हुए बच्चों को अपनों से मिलाना आधार पर उठने वाली हर उंगली को करारा जवाब है. ये बच्चे गलियों में भीख मांगते दिखाई देते थे, लेकिन अब अपने परिवार से मिलने के बाद इनकी जिंदगी बेहतर हो सकेगी. आए दिन किसी न किसी बच्चे के खोने की खबर आती ही है. जरा सोचिए, अगर हर गुमशुदा बच्चे का आधार बना होता तो उसे अपनों के पास पहुंचाना कितना आसान हो जाता.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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