"बार बार होने वाला सिरदर्द" को माइग्रेन के नाम से जानते हैं. इसमें सिर के एक तरफ तेज दर्द होता है. अधिकतर मामलों में इसकी वजह से दिखने में दिक्कत होने के साथ साथ उबकाई या मितली भी आती है. विशेषज्ञों के मुताबिक माइग्रेन आपके हेल्थ कंडीशन के बारे में भी बताता है. क्योंकि तेज सिरदर्द का संबंध अक्सर अस्थमा, दिल की बीमारी, डिप्रेशन सहित कई बीमारियों से जुड़ा होता है.
न्यूयॉर्क सिटी के मोन्टफिओर सिरदर्द सेंटर के एमडी डॉ. रिचर्ड लिप्टन कहते हैं- "माइग्रेन के बहुत सामान्य होने के पीछे कारण ये है कि कई चीजों के कारण माइग्रेन हो सकता है और वो चीजें हर इंसान के लिए अलग अलग हो सकती हैं."
चलिए आपको माइग्रेन से जुड़ी 8 हेल्थ कंडीशन के बारे में बताएं-
1- डिप्रेशन:
डॉ. लिप्टन के मुताबिक एपिसोडिक और क्रोनिक माइग्रेन का मतलब ये हो सकता है कि जिन्हें माइग्रेन नहीं है उनकी तुलना में आपके डिप्रेशन के शिकार होने की संभावना दोगुनी है.
तो क्या आप दर्द की वजह से अवसादग्रस्त हो जाते हैं या फिर अवसाद की वजह से आपको माइग्रेन की दिक्कत होने लगती है? डॉ. लिप्टन कहते हैं ये दोनों ही तरीके से हो सकता है.
2- चिंता:
अमेरिकी माइग्रेन फाउंडेशन के मुताबिक माइग्रेन से ग्रसित लोगों में 50 प्रतिशत को चिंता यानी anxiety की भी समस्या होती है. कुछ मौकों पर एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां दोनों ही रोगों के इलाज में कारगर साबित होती हैं. जबकि कुछ लोग अलग अलग उपचारों से स्वस्थ होते हैं. जैसे माइग्रेन के लिए अलग दवाइयां और चिंता के लिए थेरेपी दी जाती है.
ये इलाज हर इंसान के लिए अलग होते हैं इसलिए आपके लिए क्या सही रहेगा ये पता करने के बाद ही दवाईयां...
"बार बार होने वाला सिरदर्द" को माइग्रेन के नाम से जानते हैं. इसमें सिर के एक तरफ तेज दर्द होता है. अधिकतर मामलों में इसकी वजह से दिखने में दिक्कत होने के साथ साथ उबकाई या मितली भी आती है. विशेषज्ञों के मुताबिक माइग्रेन आपके हेल्थ कंडीशन के बारे में भी बताता है. क्योंकि तेज सिरदर्द का संबंध अक्सर अस्थमा, दिल की बीमारी, डिप्रेशन सहित कई बीमारियों से जुड़ा होता है.
न्यूयॉर्क सिटी के मोन्टफिओर सिरदर्द सेंटर के एमडी डॉ. रिचर्ड लिप्टन कहते हैं- "माइग्रेन के बहुत सामान्य होने के पीछे कारण ये है कि कई चीजों के कारण माइग्रेन हो सकता है और वो चीजें हर इंसान के लिए अलग अलग हो सकती हैं."
चलिए आपको माइग्रेन से जुड़ी 8 हेल्थ कंडीशन के बारे में बताएं-
1- डिप्रेशन:
डॉ. लिप्टन के मुताबिक एपिसोडिक और क्रोनिक माइग्रेन का मतलब ये हो सकता है कि जिन्हें माइग्रेन नहीं है उनकी तुलना में आपके डिप्रेशन के शिकार होने की संभावना दोगुनी है.
तो क्या आप दर्द की वजह से अवसादग्रस्त हो जाते हैं या फिर अवसाद की वजह से आपको माइग्रेन की दिक्कत होने लगती है? डॉ. लिप्टन कहते हैं ये दोनों ही तरीके से हो सकता है.
2- चिंता:
अमेरिकी माइग्रेन फाउंडेशन के मुताबिक माइग्रेन से ग्रसित लोगों में 50 प्रतिशत को चिंता यानी anxiety की भी समस्या होती है. कुछ मौकों पर एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां दोनों ही रोगों के इलाज में कारगर साबित होती हैं. जबकि कुछ लोग अलग अलग उपचारों से स्वस्थ होते हैं. जैसे माइग्रेन के लिए अलग दवाइयां और चिंता के लिए थेरेपी दी जाती है.
ये इलाज हर इंसान के लिए अलग होते हैं इसलिए आपके लिए क्या सही रहेगा ये पता करने के बाद ही दवाईयां लें.
3- स्ट्रोक:
विशेषज्ञों ने पाया है कि खुन के थक्के जमने की वजह से आने वाले स्ट्रोक अक्सर माइग्रेन से जुड़े होते हैं. डॉ. लिप्टन कहते हैं- "माइग्रेन, युवा महिलाओं में ज्यादातर पाया जाता है. और पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर स्ट्रोक का खतरा कम होता है. हालांकि रिस्क दोगुना हो जाता है लेकिन फिर भी ये संख्या कम है."
4- मिर्गी (Epilepsy):
दोनों के बीच का संबंध बताते हुए डॉ. लिप्टन कहते हैं- "ये दोनों ही दिमाग के उत्तेजनशीलता से संबंधित बीमारियां हैं जिसमें दिमाग वातावरण से भी प्रभावित हो सकता है और नींद की कमी के कारण भी ग्रस्त हो सकता है. माइग्रेन के कुछ अनुवांशिक लक्षण भी मिर्गी का कारण हो सकते हैं."
5- हृदय संबंधी रोग:
एक और स्टडी ये बताती है कि माइग्रेन से ग्रसित पुरुषों और महिलाओं में हृदय संबंधी रोगों का रिस्क ज्यादा होता है. ये लोगों को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए अच्छा बहाना है. सिर्फ अपने वजन को कंट्रोल ही में रखना काफी नहीं है बल्कि कॉलेस्ट्रोल लेवल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने की जरुरत है.
6- अस्थमा:
हालांकि अस्थमा श्वांस संबंधी रोग है और माइग्रेन तंत्रिका संबंधी समस्या है, लेकिन फिर भी कई मामलों में ये एकदुसरे से जुड़ सकते हैं.
डॉ. लिप्टन बताते हैं- "अस्थमा में सांस की नलियों में सूजन या फिर सिकुड़न हो जाती है. माइग्रेन में दिमाग के ठीक बाहर खून की नलियों में अत्यधिक सूजन आ जाती है."
7- मोटापा:
माइग्रेन से ग्रसित युवाओं को अपने वजन का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बढ़ा हुआ वजन उनके माइग्रेन की समस्या को और बढ़ा सकता है. सबसे बड़ी बात तो ये कि जिनको माइग्रेन की समस्या नहीं है मोटापे के कारण वो भी इसके शिकार हो सकते हैं.
8- दर्द की समस्या:
क्रोनिक गर्दन दर्द, पीठ और कंधे के दर्द के साथ फाइब्रोमाइलेगिया जैसी दर्द की समस्याएं माइग्रेन के कारण होती हैं. हालांकि इस बात का पता नहीं चल पाया है कि आखिर ये समस्याएं एक दुसरे से जुड़ी कैसे हैं.
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