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रजनीकांत से कम नहीं हैं रजनी पंडित !

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 03 जुलाई, 2017 02:57 PM
  • 03 जुलाई, 2017 02:57 PM
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रजनी भारत की पहली महिला प्राइवेट जासूस हैं जिन्हें लेडी शेरलॉक होम्स भी कहा जाता है. इनकी कहानी भी इस प्रोफेशन की तरह ही काफी रोमांचित करने वाली है.

बात अगर जासूसों की हो तो जेहन में कुछ गिने चुने नाम ही आते हैं, शेरलॉक होम्स, जेम्स बोन्ड, व्योमकेश बख्शी वगैरह, पर क्या आप रजनी पंडित को जानते हैं? रजनी भारत की पहली महिला प्राइवेट जासूस हैं जिन्हें लेडी शेरलॉक होम्स भी कहा जाता है. इनकी कहानी भी इस प्रोफेशन की तरह ही काफी रोमांचित करने वाली है.   

भारत की पहली महिला जासूस, रजनी पंडित

रजनी आज 51 साल की हैं और जब 1991 में उन्होंने अपनी एजेन्सी की शुरुआत की थी तो वो केवल 25 साल की थीं. आज उनकी टीम में 20 लोग हैं, और अब तक ये 75,000 केस सॉल्व कर चुकी हैं, जिसके लिए उन्हें 57 अवार्ड भी मिल चुके हैं.

कैसे हुई शुरुआत -

रजनी कहती हैं कि उन्होंने जासूसी को अपना करियर बनाने का प्लान नहीं किया था. वो तब कॉलेज में थीं जब खोजबीन करने में उनकी रुचि जागी, और वही उनके जीवन का पहला केस भी था. उन्हें उनकी मित्र का बदला हुआ व्यवहार बहुत परेशान कर रहा था. थोड़े दिन उसपर निगाह रखने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी दोस्त गलत संगत में पड़ गई थी जिसके बारे में उसके माता-पिता को पता नहीं था. रजनी ने उपनी दोस्त के परिजनों का उसके बारे में बताया, और उसे गलत संगत से छुड़वाया. तब उस दोस्त के पिता ने रजनी से पूछा कि क्या वो जासूस हैं, और तभी उनके दिमाग में जासूस बनने का ख्याल आया.

रजनी पंडित अब तक 75000 केस सॉल्व कर चुकी हैं.

मध्यम परिवार में पली बढ़ी रजनी ने जब अपनी एजेंसी खोलनी चाही तो उन्हें उनके पिता का सहयोग नहीं मिला, उनका कहना था कि ये पेशा लड़कियों के लिए ठीक नहीं है....

बात अगर जासूसों की हो तो जेहन में कुछ गिने चुने नाम ही आते हैं, शेरलॉक होम्स, जेम्स बोन्ड, व्योमकेश बख्शी वगैरह, पर क्या आप रजनी पंडित को जानते हैं? रजनी भारत की पहली महिला प्राइवेट जासूस हैं जिन्हें लेडी शेरलॉक होम्स भी कहा जाता है. इनकी कहानी भी इस प्रोफेशन की तरह ही काफी रोमांचित करने वाली है.   

भारत की पहली महिला जासूस, रजनी पंडित

रजनी आज 51 साल की हैं और जब 1991 में उन्होंने अपनी एजेन्सी की शुरुआत की थी तो वो केवल 25 साल की थीं. आज उनकी टीम में 20 लोग हैं, और अब तक ये 75,000 केस सॉल्व कर चुकी हैं, जिसके लिए उन्हें 57 अवार्ड भी मिल चुके हैं.

कैसे हुई शुरुआत -

रजनी कहती हैं कि उन्होंने जासूसी को अपना करियर बनाने का प्लान नहीं किया था. वो तब कॉलेज में थीं जब खोजबीन करने में उनकी रुचि जागी, और वही उनके जीवन का पहला केस भी था. उन्हें उनकी मित्र का बदला हुआ व्यवहार बहुत परेशान कर रहा था. थोड़े दिन उसपर निगाह रखने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी दोस्त गलत संगत में पड़ गई थी जिसके बारे में उसके माता-पिता को पता नहीं था. रजनी ने उपनी दोस्त के परिजनों का उसके बारे में बताया, और उसे गलत संगत से छुड़वाया. तब उस दोस्त के पिता ने रजनी से पूछा कि क्या वो जासूस हैं, और तभी उनके दिमाग में जासूस बनने का ख्याल आया.

रजनी पंडित अब तक 75000 केस सॉल्व कर चुकी हैं.

मध्यम परिवार में पली बढ़ी रजनी ने जब अपनी एजेंसी खोलनी चाही तो उन्हें उनके पिता का सहयोग नहीं मिला, उनका कहना था कि ये पेशा लड़कियों के लिए ठीक नहीं है. लेकिन मां ने उनका साथ दिया और पिता से कहा कि उसे जो करना है करने दिया जाए.

रजनी कहती हैं 'मुझे अहसास हुआ कि अगर हम अपने आस-पास देखें तो आपको कई घरों में बहुत सी समस्याएं और रहस्य दिखाई देंगे. वो समस्याएं जिन्हें लोग खुद सुलझा नहीं सकते और जिसके लिए उन्हें बाहरी मदद की जरूरत होती है. उनके पास सबूत नहीं होते और उन्हें पता भी नहीं होती कि उन्हें कहां जाना है. और तब एक जासूस की जरूरत सामने आती है.'

देखिए वीडियो और समझिए किस तरह का काम करती हैं रजनी

यादगार केस -

अवैध संबंधों के चलते एक महिला ने अपने दोनों बेटों और पति का कत्ल किया था, लेकिन उसका सबूत नहीं था. पता लगाने के लिए रजनी उस महिला के घर में नौकर बनकर कई दिनों तक रहीं और उस महिला का भरोसा जीता. इसी बीच उसका प्रेमी वहां आया जिसे वो हर हाल में पकड़वाना चाहती थीं क्योंकि असली कातिल वहीं था. लेकिन तब न तो उनके पास मोबाइल था और न ही घर से बाहर निकले की कोई सूरत. फिर उन्होंने तुरंत चाकू से अपने पैर की उंगली में घाव किया और खून देखकर महिला ने उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाने के लिए कहा, रजनी बाहर निकलीं और तुरंत पुलिस को खबर की और वो इंसान 20 मिनट में पकड़ा गया.

ऐसे कई केस उन्होंने सॉल्व किए. ये पेशा ही ऐसा है कि सामने रहकर आप सच्चाई नहीं जान सकते. इसलिए रजनी को कई बार अपनी पहचान बदलकर रहना पड़ा. केस सॉल्व करने के लिए वो जो जो भी कर सकती थीं उन्होंने किया. वो कभी नौकरानी बनीं, कभी नेत्रहीन बनीं, गर्भवती और सब्जी बेचने वाली महिला का भी किरदार भी निभाया, और केस सॉल्व किया.   

कई बार भेस बदलकर खोजबीन करनी पड़ती है

महिलाओं के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं-

रजनी का कहना है कि आजकल जासूसों का काम पहले की तरह मुश्किल नहीं रह गया है, वजह है आजकल के मडर्न गैजेट्स, जैसे अब पहले से बेहतर रिकॉर्डर्स और स्पाई कैमरे उपलब्ध हैं. रजनी कहती हैं 'अगर आप कुछ करना चाहते हैं, तो आपको करना चाहिए. अगर आप उसे लेकर उत्साहित हैं तो उसे करने में कोई शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए. आत्मविश्वास, साहस और हठ- वो चीजें हैं जो आपके साथ हमेशा चलती हैं. इनके साथ, महिलाएं वो सबकुछ कर सकती हैं जो वो चाहती हैं.'

तो क्षेत्र कोई भी हो, अगर महिलाएं चाहें तो कुछ भी कर सकती हैं. भले ही रजनी पंडित जैसे नाम जासूसी के क्षेत्र में कम या न के बराबर हैं, पर अगर एक भी नाम है तो वो हजारों लड़कियों को प्रेरणा देने के लिए काफी है.

(ये कहानी #BossWomen का हिस्सा है- ये भारत की कुछ खास महिलाओं पर बनाई गई एक वीडियो सीरीज़ है, जिसे The Better India और History Channel लोगों तक पहुंचा रहे हैं.)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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