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पुरुषों से ज्यादा बीमार रहती हैं महिलाएं, क्योंकि..

    • आईचौक
    • Updated: 27 मई, 2018 08:05 PM
  • 26 अप्रिल, 2016 03:54 PM
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एक सर्वे के मुताबिक जीवनशैली के कारण हो रही बीमारियां पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा बढ़ रही हैं. आश्चर्य की बात है कि ये महिलाएं युवा हैं जिनकी उम्र 18 से 35 साल है.

स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहने के बावजूद भी हम बीमारियों से बच नहीं पाते. और इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी जीवनशैली. जीवनशैली में हो रहे बदलावों के कारण बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. और खास बात ये कि ये बीमारियां पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में तेजी से बढ़ रही हैं. 

हाल ही में ऑन लाइन फार्मेसी स्टोर 'केयर ऑन गो' ने एक सर्वे किया जिसमें 6 महीने तक देश के कई महानगरों बैंगलुरू, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली एनसीआर में ऑन लाइन दवाओं के आर्डर का रिकार्ड रखा गया. सर्वे में उन लोगों का भी रिकार्ड रखा गया जो कुछ खास बीमारियों से संबंधित दवाओं का लगातार आर्डर कर रहे हैं. इसी के आधार पर कुछ चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. 

 68% कामकाजी महिलाएं जीवन शैली की वजह से इन बीमारियों से पीड़ित रहती हैं

ये भी पढ़ें- कामकाजी महिलाओं के पीरियड्स को लेकर अनोखी पहल!

सर्वे के नतीजे- 

- पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में जीवनशैली से जुडी बीमारियां तेजी से बढ रही हैं.

- महानगरों में रहने वाली 18 से 35 साल की महिलाएं हाइपरटेंशन, आर्थराइटिस, कमर दर्द, मोटापे, डायबिटीज और थायराइड जैसी बीमारियों से जूझ रही हैं.

- 40 फीसदी दवाएं जीवनशैली से संबंधित बीमारियों के लिए आर्डर की जा रही हैं.

- सबसे ज्यादा ऑर्डर हाइपरटेंशन और आर्थराइटिस की...

स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहने के बावजूद भी हम बीमारियों से बच नहीं पाते. और इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी जीवनशैली. जीवनशैली में हो रहे बदलावों के कारण बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. और खास बात ये कि ये बीमारियां पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में तेजी से बढ़ रही हैं. 

हाल ही में ऑन लाइन फार्मेसी स्टोर 'केयर ऑन गो' ने एक सर्वे किया जिसमें 6 महीने तक देश के कई महानगरों बैंगलुरू, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली एनसीआर में ऑन लाइन दवाओं के आर्डर का रिकार्ड रखा गया. सर्वे में उन लोगों का भी रिकार्ड रखा गया जो कुछ खास बीमारियों से संबंधित दवाओं का लगातार आर्डर कर रहे हैं. इसी के आधार पर कुछ चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. 

 68% कामकाजी महिलाएं जीवन शैली की वजह से इन बीमारियों से पीड़ित रहती हैं

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सर्वे के नतीजे- 

- पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में जीवनशैली से जुडी बीमारियां तेजी से बढ रही हैं.

- महानगरों में रहने वाली 18 से 35 साल की महिलाएं हाइपरटेंशन, आर्थराइटिस, कमर दर्द, मोटापे, डायबिटीज और थायराइड जैसी बीमारियों से जूझ रही हैं.

- 40 फीसदी दवाएं जीवनशैली से संबंधित बीमारियों के लिए आर्डर की जा रही हैं.

- सबसे ज्यादा ऑर्डर हाइपरटेंशन और आर्थराइटिस की दवाओं के लिए किया गया. इन दोनों बीमारियों से महिलाएं और पुरुष दोनों पीड़ित हैं. कुल दवाओं को 12.24 % ऑर्डर हाइपरटेंशन की दवाओं के लिए हुआ और जबकि अर्थराइटिस के लिए 8.54% दवाओं का आर्डर किया गया.

- तीसरे और चौथे नंबर पर कॉलेस्ट्रोल और डायबिटीज की समस्या पाई गई.

क्यों महिलाएं पुरुषों से ज्यादा बीमार रहती हैं-

विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाएं पुरूषों के मुकाबले ज्यादा बीमारियों का शिकार बनती हैं, उसके कई कारण हो सकते हैं.

- अभी भी बहुत सी महिलाएं घरों में रहती हैं, धूप में कम निकलने के कारण विटामिन डी उन तक नहीं पहुंच पाता. शरीर में कैलशियम संग्रहित करने के लिए विटामिन डी का होना बहुत जरूरी है, जिसकी कमी से महिलाओं में अर्थराइटिस यानी उनके जोडों में दर्द, हड्डियों में दर्द, कमर में लगातार दर्द रहने की समस्या ज्यादा देखी जाती है.

- जैनेटिकली भी पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की मांसपेशियां और हडियां ज्यादा मजबूत नहीं देखी जाती हैं. नई खोज बताती हैं कि विटामिन डी की कमी होने से डायबीटीज की भी समस्या बढ़ जाती है.

- कम सोना और व्यायाम न करना भी इन समस्याओं को और बढ़ा देते हैं.

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केयर ऑन गो के इस सर्वे का मुख्य उद्देशय लाइफ स्टाइल से जुडी बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है, क्योंकि हम उस देश में रहते हैं जो अब डायबिटीज की कैपिटल कहा जाने लगा है, जहां हर साल करीब 5.8 मिलियन लोगों की मौत दिल, फेफड़े, स्ट्रोक, केंसर और डायबिटीज से हो जाती है. जहां के 14-15% लोग अर्थराइटिस के पीड़ित हैं. जहां 68% कामकाजी महिलाएं जीवन शैली की वजह से बीमार हैं. जहां इन बीमारियों से पीड़ित चार में से एक व्यक्ति शायद ही 70 साल की उम्र तक पहुंच पाए. तो ऐसे देश के लोग चाहे पुरुष हो या महिलाएं, अगर जीवनशैली ऐसी ही है तो अपने लिए सोचना शुरू कर दें.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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