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'मुस्‍तफा विवाद' में नाना पाटेकर के बाद फंसा नरभक्षी बाघ

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 जनवरी, 2019 08:23 PM
  • 03 जनवरी, 2019 08:03 PM
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6 लोगों को मारने वाले नरभक्षी बाघ का नाम मुस्तफा रखे जाने से लखीमपुर, उत्तर प्रदेश के मुसलमान आग-बबूला हो गए हैं. आपत्ति ली गई है कि आखिर पैगंबर मोहम्‍मद मुस्‍तफा का नाम एक नरभक्षी बाघ को कैसे दिया जा सकता है.

यूपी के लखीमपुर खीरी के नजदीक पलिया के मुस्तफाबाद गांव में एक बाघ लोगों के बीच आतंक का पर्याय बना हुआ था. बाघ कई लोगों को अपना निवाला बना चुका था. वन विभाग के अधिकारियों ने भी मुस्तैदी दिखाते हुए तत्काल प्रभाव में एक्शन लिया और अलग-अलग टीमें लगाकर इसे पकड़ा. बाघ अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित लखनऊ जू में है. लेकिन, इस बाघ से जुड़ा विवाद खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल, मुस्‍तफाबाद से पकड़े गए इस बाघ का नाम 'मुस्‍तफा' रखने पर मुसलमान काफी नाराज हैं. आपत्ति ये है कि आखिर पैगंबर मोहम्‍मद मुस्‍तफा का नाम एक नरभक्षी बाघ को कैसे दिया जा सकता है.

खीरी एकता परिषद के बैनर के तले सैकड़ों मुसलमानों ने 'मुस्‍तफा' के नाम पर बवाल कर दिया है. तहसील दिवस के उपलक्ष्य में वे लखीमपुर पहुंचे और वहां डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह को ज्ञापन दिया है. लोगों द्वारा दिए गए इस ज्ञापन में इस बात का साफ जिक्र है कि नरभक्षी बाघ का नाम इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हज़रत मुहम्मद मुस्तफा के नाम पर रखा गया है जिससे मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात लगा है. वहीं इस पूरे मामले पर अधिकारियों का तर्क ये है कि चूंकि बाघ को पीलीभीत के मुस्तफाबाद से पकड़ा गया था इसलिए उसे मुस्तफा नाम दिया गया. बाघ के नामकरण का उद्देश्य किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना बिल्कुल नहीं था.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में एक नरभक्षी बाघ का नाम मुस्तफा रखे जाने से लोग नाराज हो गए हैं.

डीएम को दिए गए ज्ञापन में क्षेत्र के मुसलमानों ने 4 वर्षीय बाघ का नाम बदलने की मांग की है. ज्ञात हो कि मुस्तफा को 2016 में खीरी से रेस्कयू करके लखनऊ चिड़ियाघर लाया गया था. नरभक्षी बाघ मुस्तफा के बारे में बताया जाता है कि 2016 में ये लखीमपुर और आस पास के लोगों के लिए किसी...

यूपी के लखीमपुर खीरी के नजदीक पलिया के मुस्तफाबाद गांव में एक बाघ लोगों के बीच आतंक का पर्याय बना हुआ था. बाघ कई लोगों को अपना निवाला बना चुका था. वन विभाग के अधिकारियों ने भी मुस्तैदी दिखाते हुए तत्काल प्रभाव में एक्शन लिया और अलग-अलग टीमें लगाकर इसे पकड़ा. बाघ अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित लखनऊ जू में है. लेकिन, इस बाघ से जुड़ा विवाद खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल, मुस्‍तफाबाद से पकड़े गए इस बाघ का नाम 'मुस्‍तफा' रखने पर मुसलमान काफी नाराज हैं. आपत्ति ये है कि आखिर पैगंबर मोहम्‍मद मुस्‍तफा का नाम एक नरभक्षी बाघ को कैसे दिया जा सकता है.

खीरी एकता परिषद के बैनर के तले सैकड़ों मुसलमानों ने 'मुस्‍तफा' के नाम पर बवाल कर दिया है. तहसील दिवस के उपलक्ष्य में वे लखीमपुर पहुंचे और वहां डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह को ज्ञापन दिया है. लोगों द्वारा दिए गए इस ज्ञापन में इस बात का साफ जिक्र है कि नरभक्षी बाघ का नाम इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हज़रत मुहम्मद मुस्तफा के नाम पर रखा गया है जिससे मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात लगा है. वहीं इस पूरे मामले पर अधिकारियों का तर्क ये है कि चूंकि बाघ को पीलीभीत के मुस्तफाबाद से पकड़ा गया था इसलिए उसे मुस्तफा नाम दिया गया. बाघ के नामकरण का उद्देश्य किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना बिल्कुल नहीं था.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में एक नरभक्षी बाघ का नाम मुस्तफा रखे जाने से लोग नाराज हो गए हैं.

डीएम को दिए गए ज्ञापन में क्षेत्र के मुसलमानों ने 4 वर्षीय बाघ का नाम बदलने की मांग की है. ज्ञात हो कि मुस्तफा को 2016 में खीरी से रेस्कयू करके लखनऊ चिड़ियाघर लाया गया था. नरभक्षी बाघ मुस्तफा के बारे में बताया जाता है कि 2016 में ये लखीमपुर और आस पास के लोगों के लिए किसी आतंक से कम नहीं था. इसने एक तरफ जहां 6 लोगों को मौत के घाट उतारा था तो वहीं दूसरी ओर इसने एक व्यक्ति को गंभीर रूप से घायल किया था.

चूंकि मुस्तफा का स्वाभाव बहुत उग्र था इसलिए चिड़ियाघर में भी इसे पर्यटकों से दूर रखा गया था और जब चिड़ियाघर प्रशासन को यकीन हो गया कि बाघ शांत हो गया है तब इसे क्रिसमस पर दर्शकों से रू-ब-रू कराया गया. लखनऊ के ही चिडि़याघर में एक और बाघ रहता है. उसका नाम है छेदीलाल. इस बाघ की कहानी भी मुस्‍तफा से मिलती-जुलती है. छह बाघ की जान ले चुके इस बाघ को छेदीपुर गांव से पकड़ा गया था, इसलिए उसका नाम 'छेदीलाल' कर दिया गया है.

विवाद ने फिल्‍म के पोस्‍टर पर 'मुस्‍तफा' को बनाया 'गुलाम-ए-मुस्‍तफा'. इसी प्रकार नाना पाटेकर के किरदार का नाम भी बदल दिया गया.

नाना पाटेकर को बनना पड़ा था मुस्‍तफा से गुलाम-ए-मुस्‍तफा

बरसों पहले एक फिल्म आई थी नाना पाटेकर की. फिल्म थी तो एक लव स्टोरी, मगर सारा एक्शन हुआ उसके नाम को लेकर. 1997 में आई इस फिल्‍म का नाम था 'गुलाम-ए-मुस्‍तफा'. दरअसल, फिल्‍म में गैंगस्‍टर की भूमिका निभा रहे नाना पाटेकर का यही नाम था. लेकिन इस फिल्‍म के नाम पर मुस्लिम समाज ने घोर आपत्ति ली. इसे पैगंबर मोहम्‍मद मुस्‍तफा की शान में गुस्‍ताखी करार दिया गया. सवाल उठाए गए कि एक गैंगस्‍टर को मु‍स्‍तफा का नाम देना, और उसका एक बार-डांसर (रवीना टंडन) से इश्‍क दिखाना बिलकुल जायज नहीं है. विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए फिल्‍म के नाम को 'मुस्‍तफा' बदलकर 'गुलाम-ए-मुस्‍तफा' कर दिया गया. अब वही कहानी 22 साल बाद फिर दोहराई गई है. इस बार नाना पाटेकर की जगह एक बाघ है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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