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अगर आप नोटबंदी के खिलाफ हैं तो आप 'देशद्रोही' हैं !

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 22 नवम्बर, 2016 02:19 PM
  • 22 नवम्बर, 2016 02:19 PM
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नोटबंदी की परेशानियों से जूझते हुए अगर कोई कहता है कि ये फैसला सही नहीं है तो क्या वो देश के खिलाफ हो गया ?

देश में चारों ओर अफरा-तफरी मची हुई है. लोग परेशान हैं. जब भी कोई सरकार कोई फैसला लेती है तो वो जरुरी नहीं कि सभी को पसंद आए. और देश के किसी भी व्यक्ति को उस फैसले का विरोध करने का पूरा अधिकार है. कुछ लोग ऐसा कर भी रहे हैं. मगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के अनुसार जो भी लोग नोटबंदी के इस फैसले के खिलाफ हैं वो देश के खिलाफ हैं, यानी देशद्रोही ही हैं. ये कैसे हो सकता है कि इतने बड़े राज्य का मुख्यमंत्री ऐसी बात कर रहा हो.

'नोटबंदी को लेतकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे लोग देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं'

जब 1978 में भारत सरकार ने 10,000 के नोट का प्रचलन बंद किया. तब क्या विरोध करने वाले देश के खिलाफ काम कर रहे थे. नोटबंदी के चलते जहां भी मौतें हुई हैं उनके लिए सरकार ने अब तक क्या किया? बस सभी लोग इस बात को झुठलाने में लगे हैं कि ऐसी कोई मौत हुई ही नहीं है.

ये भी पढ़ें- आधुनिक युग के शिखंडी और भीष्म पितामह कौन हैं

भारत का लोकतंत्र कहता है कि देश का हर नागरिक अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र है. अगर किसी आम आदमी को ये फैसला सही नहीं लगा, वो परेशान हो रहा है, अस्पताल वाले पुराने नोट नहीं ले रहे हैं. ऐसे में अगर कोई कहता है कि ये फैसला सही नहीं है तो क्या वो देश के खिलाफ हो गया ?

क्या अब ये ही पैमाना रह गया है देश प्रेम बताने का कि जो भी सरकार फैसला ले, उसके साथ ही रहो, अगर आप...

देश में चारों ओर अफरा-तफरी मची हुई है. लोग परेशान हैं. जब भी कोई सरकार कोई फैसला लेती है तो वो जरुरी नहीं कि सभी को पसंद आए. और देश के किसी भी व्यक्ति को उस फैसले का विरोध करने का पूरा अधिकार है. कुछ लोग ऐसा कर भी रहे हैं. मगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के अनुसार जो भी लोग नोटबंदी के इस फैसले के खिलाफ हैं वो देश के खिलाफ हैं, यानी देशद्रोही ही हैं. ये कैसे हो सकता है कि इतने बड़े राज्य का मुख्यमंत्री ऐसी बात कर रहा हो.

'नोटबंदी को लेतकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे लोग देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं'

जब 1978 में भारत सरकार ने 10,000 के नोट का प्रचलन बंद किया. तब क्या विरोध करने वाले देश के खिलाफ काम कर रहे थे. नोटबंदी के चलते जहां भी मौतें हुई हैं उनके लिए सरकार ने अब तक क्या किया? बस सभी लोग इस बात को झुठलाने में लगे हैं कि ऐसी कोई मौत हुई ही नहीं है.

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भारत का लोकतंत्र कहता है कि देश का हर नागरिक अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र है. अगर किसी आम आदमी को ये फैसला सही नहीं लगा, वो परेशान हो रहा है, अस्पताल वाले पुराने नोट नहीं ले रहे हैं. ऐसे में अगर कोई कहता है कि ये फैसला सही नहीं है तो क्या वो देश के खिलाफ हो गया ?

क्या अब ये ही पैमाना रह गया है देश प्रेम बताने का कि जो भी सरकार फैसला ले, उसके साथ ही रहो, अगर आप विरोध करोगे तो आप देशद्रोही करार दिये जाओगे. सोशल मीडिया पर अगर सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोई बोलता है तो कई लोग उसे गंदी-गंदी गालियां देते हैं. यानी कि अब आप अपना विचार भी नहीं रख सकते. ये तो सिधा-सिधा बोलने की आजादी पर ही हमला है .

आप जो कहें वो सही है, आप जो करें वो सही है, अगर आपके फैसले के साथ है तो जनता देशभक्त मगर आपके फैसले के खिलाफ हुई तो देशद्रोही. क्या कहा है महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आप भी पढ़ लीजिये.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा है कि '500 एवं 1000 रुपए के पुराने नोटों का चलन बंद करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे लोग देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं और लोगों को ‘कालेधन के खिलाफ इस निर्णायक लड़ाई में जीत’ हासिल करने के लिए एकजुट होकर आगे आना चाहिए. हम नई आर्थिक आजादी की ओर बढ़ रहे हैं. आर्थिक आजादी की इस जंग में जो व्यक्ति आगामी 50 दिनों तक मोदी जी के साथ खड़ा रहता है, वह इस लड़ाई में एक सिपाही बनेगा और जो प्रधानमंत्री के साथ खड़ा नहीं होता, वह देश के खिलाफ होगा.’

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देखा आपने अगर आपको ये फैसला सही नहीं लगा तो आप देश के खिलाफ हो गए हैं. यानी कि देशद्रोही घोषित कर दिए गए हैं. तो देशभक्तों और देशद्रोहियों आप दोनों को बहुत सारी बधाई.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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