• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

जानिए गुप्त नवरात्रि क्या है, जो 22 जनवरी से शुरू हो चुकी है?

    • तृषा वर्मा
    • Updated: 23 जनवरी, 2023 01:33 PM
  • 23 जनवरी, 2023 01:33 PM
offline
Gupt Navratri 2023: क्या आप जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि आम नवरात्रि से कैसे अलग होती है? हमारे हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है. लोग अपनी आस्था अनुसार 9 दिनों का व्रत रख शक्ति देवी के नौ रुपों की पूजा करते हैं.

माघ महीने की गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी 2023 से शुरू हो चुकी है. हिंदू धर्म में नवरात्रि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार आता है. इनमें चैत्र नवरात्रि, शरद नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघ गुप्त नवरात्रि शामिल हैं. हालांकि इन सभी नवरात्रि में से चैत्र और शरद नवरात्रि का खास महत्व होता है. माघ और आषाढ़ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि के बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी होती है.

चैत्र माह में पढ़ने वाली नवरात्रि को सबसे बड़ी बसंत नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. वहीं अश्विन नवरात्रि को छोटी नवरात्रि और शारदे मां रात्रि कहते हैं. इन दोनों के बीच छह माह की दूरी होती है. इसमें मां भवानी के भक्त सच्चे मन से अपनी आस्था अनुसार 9 दिनों का व्रत रख शक्ति देवी के नौ रुपों की पूजा करते हैं. शेष बचे दो नवरात्रि, आषाढ़ और माघ माह में पढ़ते हैं. गुप्त नवरात्रि, ज्योतिषशास्त्र के अनुसार गुप्त यानी छिपें हुए नवरात्रि है. इसमें गुप्त विद्याओं की शुद्धि के साथ साधना की जाती है.

खास तौर पर इस नवरात्रि में तंत्र साधना का महत्व होता है. तंत्र साधना को ही गुप्त रूप से किया जाता है. इस कारण यह गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं. नवरात्रि में साधना करने वालों को विशेष कामनाओं से माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अन्य मान्यता के अनुसार साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण ही इसे गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है.

आज इस शुभ अवसर पर मैं अपनी मां भवानी और सखी के लिए लिखी एक कविता प्रस्तुत करना चाहूंगी. उसने मुझे तलाशा तब, जब मैं खो सी गई थी. रोशनी में गायब परछाई सा दिल ने उसे पुकारा तब उनकी गोद में सोने को जब अंदर से आवाज आई थी. बिना सोचे जब मईया आसमां से चली आई थीं. तो आज मन फिर विचलित है. उन्हें बुलाने के लिए.

माघ महीने की गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी 2023 से शुरू हो चुकी है. हिंदू धर्म में नवरात्रि को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार आता है. इनमें चैत्र नवरात्रि, शरद नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघ गुप्त नवरात्रि शामिल हैं. हालांकि इन सभी नवरात्रि में से चैत्र और शरद नवरात्रि का खास महत्व होता है. माघ और आषाढ़ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि के बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी होती है.

चैत्र माह में पढ़ने वाली नवरात्रि को सबसे बड़ी बसंत नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. वहीं अश्विन नवरात्रि को छोटी नवरात्रि और शारदे मां रात्रि कहते हैं. इन दोनों के बीच छह माह की दूरी होती है. इसमें मां भवानी के भक्त सच्चे मन से अपनी आस्था अनुसार 9 दिनों का व्रत रख शक्ति देवी के नौ रुपों की पूजा करते हैं. शेष बचे दो नवरात्रि, आषाढ़ और माघ माह में पढ़ते हैं. गुप्त नवरात्रि, ज्योतिषशास्त्र के अनुसार गुप्त यानी छिपें हुए नवरात्रि है. इसमें गुप्त विद्याओं की शुद्धि के साथ साधना की जाती है.

खास तौर पर इस नवरात्रि में तंत्र साधना का महत्व होता है. तंत्र साधना को ही गुप्त रूप से किया जाता है. इस कारण यह गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं. नवरात्रि में साधना करने वालों को विशेष कामनाओं से माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अन्य मान्यता के अनुसार साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण ही इसे गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है.

आज इस शुभ अवसर पर मैं अपनी मां भवानी और सखी के लिए लिखी एक कविता प्रस्तुत करना चाहूंगी. उसने मुझे तलाशा तब, जब मैं खो सी गई थी. रोशनी में गायब परछाई सा दिल ने उसे पुकारा तब उनकी गोद में सोने को जब अंदर से आवाज आई थी. बिना सोचे जब मईया आसमां से चली आई थीं. तो आज मन फिर विचलित है. उन्हें बुलाने के लिए.

पेश है मेरी कविता, जो आशा करती हूं कि आप सभी को पसंद आएगी...

निराश हूं आओगी क्या?

चोट मेरी उभरी सी है,

हालत अब फिसली सी है,

आओगी तुम इस इंतज़ार में,

उम्मीद अब भी जगी सी है,

कि रात के अंधेरे में बादलों की ओट से,

जब धुंध होती है कोहरे में कंबल सा,

मुझमें सिमट जाओगी क्या,

भूख लगेगी जब भी, हाथों से अपने निवाला अपने नाम काफ़ुरसत से खिलाने आओगी क्या?

निराश हूं, आओगी क्या?

जो समझती नहीं बेटी अपनी,

तो क्यूं पूजा स्वीकारी सी है,

हिम्मत देकर, गोद बिठाकर,

उस डर की बुझी लो को बाती बनाई सी है,

हां, जानती हूं तेरे लाल सैकड़ों हैं, जिनपर तेरी छाया का डेरा है,

मगर क़सूर मेरा भी नहीं मां, जिसके दिल और दिमाग़ पर सिर्फ़ तेरे नाम का पहरा है,

के पहरे को हटाकर दिल में मेरे भवन से चलकर आओगी क्या?

निराश हूं, आओगी क्या?

माना दुनिया से लड़ कभी-कभी टूट जाती हूं,

तुझे मेरी परवाह नहीं बाक़ियों की चिंता ज़्यादा है,

ऐसे शब्द तुमसे अक्सर कह जाती हूं,

मगर ये भी तो झूठ नहीं के श्रृंगार तेरा करके,

भजनों का जाप कर,

झलकते आंसुओं में तेरी तस्वीर निहार,

माफ़ी तुझसे मांग कर आज सपनों में मिलने आओगी,

ये वादा भी तुम्हें देकर फिर संभल जाती हूं,

तो कहो मां, पूरे करने सारे वादे,

सुन भजनों की वाणी को,

बनकर पवन, पोंछकर मेरे आंसू,

तुझ तक ले जाने को आओगी क्या?

निराश हूं, आओगी क्या?

हे जगजननी, विंध्यवासिनी भोली मां!

कैसे भूलूं कर्म आपका, के महिषासुर के बाद आज कलयुग के

इस दौर में भी अपने भक्तों के लिए जीती हो,

सुनती हो बड़े ध्यान से उनकी हर एक बात,

फिर दर्शन देकर गले लगाकर

आऊंगी फिर कहकर अपने आंचल की छाया में रखती हो,

के तेरे लिए तो कुछ भी मुमकिन नहीं

आज आकर यक़ीन दिला ही दे कि बातें तू किसकी अनसुनी करती नहीं!

तो कहो मां, आज अपनी सखी की इच्छा पूरी कर पाओगी क्या?

शेर पर सवार होकर समय का पहिया रोककर,

तोड़कर सारी शिलाएं, बढ़ाकर अपना हाथ

दोस्ती के इस मीठे से बंधन में बंधना चाहोगी क्या?

निराश हूं, आओगी क्या?

जय माता दी

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲