• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

विवाहेत्‍तर संबंध बनाम संबंधेत्‍तर विवाह !

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 09 मार्च, 2019 05:44 PM
  • 09 मार्च, 2019 05:06 PM
offline
मद्रास हाईकोर्ट का सवाल है कि किया विवाहेत्तर संबंधों के लिए टीवी सीरियल जिम्मेदार हैं? ये सब कहकर अदालत ने उस बहस को फिर से हवा दी है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में खत्म कर दिया था.

'भारत में विवाह प्रेम, विश्वास, सच्चाई और भरोसे पर आधारित होता है. विवाह को पवित्र माना जाता है, लेकिन यह दिनों दिन डरावना हो रहा है. विवाहेत्तर संबंधों की वजह से परिवार टूटते जा रहे हैं'. यह बात अगर समाज के बीच से उठी होती तो शायद सामान्य लगती. लेकिन ये बात अगर अदालत कहे तो आश्चर्य होता है.

मद्रास हाई कोर्ट ने पिछले 10 सालों में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स, हत्या और किडनैपिंग की बढ़ती घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए केंद्र तथा राज्य सरकार से ये सवाल उठाए हैं कि पता लगाएं कि इन घटनाओं के लिए मेगा टीवी सीरियल और फिल्में जिम्मेदार हैं?

अदालत का कहना है कि- 'विवाहेत्तर संबंध आजकल एक खतरनाक सामाजिक बुराई बन गए हैं. इन्हीं रिश्तों की वजह से मर्डर, किडनैपिंग सहित कई गंभीर अपराध हो रहे हैं. जो दिन ब दिन बढ़ रहे हैं. बेवफा साथी या उसके प्रेमी को खत्म करने के लिए पति-पत्नी हत्याएं कर रहे हैं. साथ ही ऐसे पति-पत्नियों की भी कमी नहीं जो विवाहेत्तर संबंध जारी रखने के लिए अपने जीवनसाथी को ही मार देते हैं.'

अब इस बात पर बहस हो ही जाए कि संबंध मूल हैं या विवाह

टीवी सीरियल्स की वजह से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हो रहे हैं. ये सवाल बेहद बचकाना लगता है. कुछ कुछ वैसा ही जैसे कहा जाता है कि जींस पहनने से रेप होते हैं. टीवी पर आने वाले सीरियल लोगों के मनोरंजन के लिए होते हैं. टीवी को क्यों विवाहेत्तर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार माना जाए. जबकि हमारा इतिहास बता रहा है कि विवाहेत्तर संबंध अभी शुरू नहीं हुए बल्कि सदियों से चल रहे हैं. समाज में संबंध हमेशा से ही ऊपर रहे हैं. विवाह नहीं. विवाहेत्तर संबंधों में विवाह मूल था, जबकि समाज में संबंध मूल रहा है. पोलीगैमी या बहुविवाह तो हमारे समाज का हिस्सा रहा है.

प्राचीन...

'भारत में विवाह प्रेम, विश्वास, सच्चाई और भरोसे पर आधारित होता है. विवाह को पवित्र माना जाता है, लेकिन यह दिनों दिन डरावना हो रहा है. विवाहेत्तर संबंधों की वजह से परिवार टूटते जा रहे हैं'. यह बात अगर समाज के बीच से उठी होती तो शायद सामान्य लगती. लेकिन ये बात अगर अदालत कहे तो आश्चर्य होता है.

मद्रास हाई कोर्ट ने पिछले 10 सालों में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स, हत्या और किडनैपिंग की बढ़ती घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए केंद्र तथा राज्य सरकार से ये सवाल उठाए हैं कि पता लगाएं कि इन घटनाओं के लिए मेगा टीवी सीरियल और फिल्में जिम्मेदार हैं?

अदालत का कहना है कि- 'विवाहेत्तर संबंध आजकल एक खतरनाक सामाजिक बुराई बन गए हैं. इन्हीं रिश्तों की वजह से मर्डर, किडनैपिंग सहित कई गंभीर अपराध हो रहे हैं. जो दिन ब दिन बढ़ रहे हैं. बेवफा साथी या उसके प्रेमी को खत्म करने के लिए पति-पत्नी हत्याएं कर रहे हैं. साथ ही ऐसे पति-पत्नियों की भी कमी नहीं जो विवाहेत्तर संबंध जारी रखने के लिए अपने जीवनसाथी को ही मार देते हैं.'

अब इस बात पर बहस हो ही जाए कि संबंध मूल हैं या विवाह

टीवी सीरियल्स की वजह से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हो रहे हैं. ये सवाल बेहद बचकाना लगता है. कुछ कुछ वैसा ही जैसे कहा जाता है कि जींस पहनने से रेप होते हैं. टीवी पर आने वाले सीरियल लोगों के मनोरंजन के लिए होते हैं. टीवी को क्यों विवाहेत्तर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार माना जाए. जबकि हमारा इतिहास बता रहा है कि विवाहेत्तर संबंध अभी शुरू नहीं हुए बल्कि सदियों से चल रहे हैं. समाज में संबंध हमेशा से ही ऊपर रहे हैं. विवाह नहीं. विवाहेत्तर संबंधों में विवाह मूल था, जबकि समाज में संबंध मूल रहा है. पोलीगैमी या बहुविवाह तो हमारे समाज का हिस्सा रहा है.

प्राचीन काल से ही बहुविवाह के साथ जीता आया है समाज

पौराणिक कथाओं को ले लें, एक राजा की कई-कई रानियां हुआ करती थीं. राजा दशरथ के तीन पत्नियां थीं. अपनी ही तीन चार पहले की पीढ़ी देख लें बहुविवाह देखने का मिल जाएंगे. पत्नी के रहते दूसरी पत्नी ले आने की वजह कई हो सकती थीं. इन संबंधों को सामाजिक करने के लिए इन्हें अलग-अलग नाम भी दिए गए, जैसे गंधर्व विवाह. तथ्य हैं कि मानव समाज के शुरुआत में 80% लोग पॉलीगैमस थे यानी उनके एक से ज्यादा लोगों के साथ संबंध हुआ करते थे. सभ्यता धीरे धीरे बदलती गई और लोग मोनोगैमस होते गए. विज्ञान के पास इसका कोई जवाब नहीं है, हालांकि इसके पीछे कई सिद्धांत दिए गए. खैर मूल में संबंध ही रहे. समाज में और बदलाव आया और मोनोगैमी यानी एक ही व्यक्ति से विवाह को ही आदर्श माना गया. और इसे नियम भी बना दिया गया.

आप कुछ भी कर लें, लेकिन इंसानों के मूल स्वाभाव को बदला नहीं जा सकता. अब मद्रास हाईकोर्ट ने विवाहेत्तर संबंधों पर ये सब कहकर उस बहस को फिर से हवा दी है जो सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में खत्म कर दी थी.

विवाहेत्तर संबंध अब अपराध नहीं, सामाजिक बुराई जरूर हैं

विवाह एक सामाजिक संस्था है, और शादी में रहते हुए किसी और के साथ संबंध रखने को अवैध कहा गया. शादीशुदा स्त्री और पुरुष के बीच संबंध होने पर दोषी पुरुष को ही कहा गया, महिलाओं को नहीं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पूर्णतः निजता का मामला है. स्त्री और पुरुष के बीच में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता, बराबरी जरूरी है. महिला और पुरुषों के अधिकार समान हैं. महिला को समाज की चाहत के हिसाब से सोचने को नहीं कहा जा सकता. विवाहेत्तर संबंध तलाक का आधार तो हो सकते हैं लेकिन ये अपराध नहीं है.

जितने सच विवाह हैं उतनी ही सच हैं विवाहेत्तर संबंध

एक तरफ सुप्रीम कोर्ट महिलाओं को बराबरी देकर विवाहेत्तर संबंधों को वैध करार देता है तो, दूसरी तरफ हाई कोर्ट ये कहता है कि विवाहेत्तर संबंध आजकल एक खतरनाक सामाजिक बुराई बन गए हैं. और इसके लिए टीवी सीरियल को जिम्मेदार बताता है. समाज चाहे कितना भी प्रगति कर ले, कितना ही सुसंस्कृत हो जाए लेकिन अपने प्राकृतिक स्वाभाव को कैसे त्याग सकता है. एक ही साथी के साथ रहना इंसान के लिए भले ही प्राकृतिक न हो, लेकिन हम में से ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि यही सबसे अच्छा है. और इसीलिए पॉलीगैमी या विवाहेत्तर संबंध सच होते हुए भी एक समाजिक बुराई है. जो हमेशा रहेगी.

ये भी पढ़ें-

विवाहेत्तर संबंधों के लिए महिला-पुरूष समान रूप से फ्री!

Adultery Law: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साइड इफेक्ट आने लगे हैं


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲