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जीसस शूज़ का धड़ल्ले से बिकना दिखाता है कि सबकी संवेदनशीलता एक जैसी नहीं होती !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 13 अक्टूबर, 2019 06:49 PM
  • 13 अक्टूबर, 2019 06:49 PM
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पवित्र पानी और जीसस के सिंबल वाले जूते की कीमत है 2 लाख रुपए, बावजूद इसके वह हाथों-हाथ बिक गए. ना तो लोगों को इसकी कीमत ज्यादा लगी, ना ही जीसस को देखकर ईसाई धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हुईं.

अमेरिका के ब्रूकलिन की कंपनी नाइकी ने एक खास जूता बनाया है. इसकी खासियत जानने से पहले ये जान लीजिए कि इसकी कीमत करीब 2 लाख रुपए है. यूं तो इसकी कीमत अलग-अलग बता रहे हैं, लेकिन डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक ये जूता 3000 डॉलर का है, यानी करीब 2 लाख रुपए का. ऐसा मत सोचिए कि इसे कोई खरीदेगा या नहीं, क्योंकि सारे जूते हाथों-हाथ बिक चुके हैं. अब जानिए इसकी खासियत. इस जूते की सोल में पवित्र नदी जॉर्डन का पानी भरा है और फीते में जीसस का एक छल्ला लगा है. जी हां, ये सब जूते में है, जिसे लोग पैरों में पहनेंगे. जीसस के छल्ले वाले इन जूतों का हाथों-हाथ बिक जाना एक बात तो साफ कर रहा है कि भगवान के लिए लोगों की संवेदनशीलता अलग-अलग जगह पर अलग-अलग है. अमेरिका में जहां एक ओर जीसस का छल्ला जूते में लगाना लोगों को फैशन का एक तरीका लगता है, वहीं बहुत से लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं.

अमेरिका में जहां एक ओर जीसस का छल्ला जूते में लगाना लोगों को फैशन का एक तरीका लगता है, वहीं बहुत से लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं.

 

किसी ने तुरंत खरीदा जूता, कोई विरोध कर रहा

जीसस शूज को जहां एक ओर कुछ लोगों ने खूब पसंद किया और हाथों-हाथ सारे जूते बिक गए, लेकिन एक ऐसा भी तबका है, जिसे ये पसंद नहीं आया है. यहां एक बात ध्यान रखने की है कि कंपनी ने इस जूते के करीब 2 दर्जन पीस ही बनाए थे और उम्मीद है कि अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद अब कंपनी और जूते बनाएगी. अभी खुलकर कोई इसके खिलाफ सड़कों पर तो नहीं निकला है, लेकिन ट्विटर पर लोगों ने खुलकर अपनी बात लिखना शुरू कर दिया है. कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि इसे बनाने वाली कंपनी शैतान की पूजा करती है. एक अन्य शख्स ने भारत के संदर्भ में पवित्र पानी की तुलना गंगाजल से करते हुए सवाल उठाया है कि अगर इसमें...

अमेरिका के ब्रूकलिन की कंपनी नाइकी ने एक खास जूता बनाया है. इसकी खासियत जानने से पहले ये जान लीजिए कि इसकी कीमत करीब 2 लाख रुपए है. यूं तो इसकी कीमत अलग-अलग बता रहे हैं, लेकिन डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक ये जूता 3000 डॉलर का है, यानी करीब 2 लाख रुपए का. ऐसा मत सोचिए कि इसे कोई खरीदेगा या नहीं, क्योंकि सारे जूते हाथों-हाथ बिक चुके हैं. अब जानिए इसकी खासियत. इस जूते की सोल में पवित्र नदी जॉर्डन का पानी भरा है और फीते में जीसस का एक छल्ला लगा है. जी हां, ये सब जूते में है, जिसे लोग पैरों में पहनेंगे. जीसस के छल्ले वाले इन जूतों का हाथों-हाथ बिक जाना एक बात तो साफ कर रहा है कि भगवान के लिए लोगों की संवेदनशीलता अलग-अलग जगह पर अलग-अलग है. अमेरिका में जहां एक ओर जीसस का छल्ला जूते में लगाना लोगों को फैशन का एक तरीका लगता है, वहीं बहुत से लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं.

अमेरिका में जहां एक ओर जीसस का छल्ला जूते में लगाना लोगों को फैशन का एक तरीका लगता है, वहीं बहुत से लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं.

 

किसी ने तुरंत खरीदा जूता, कोई विरोध कर रहा

जीसस शूज को जहां एक ओर कुछ लोगों ने खूब पसंद किया और हाथों-हाथ सारे जूते बिक गए, लेकिन एक ऐसा भी तबका है, जिसे ये पसंद नहीं आया है. यहां एक बात ध्यान रखने की है कि कंपनी ने इस जूते के करीब 2 दर्जन पीस ही बनाए थे और उम्मीद है कि अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद अब कंपनी और जूते बनाएगी. अभी खुलकर कोई इसके खिलाफ सड़कों पर तो नहीं निकला है, लेकिन ट्विटर पर लोगों ने खुलकर अपनी बात लिखना शुरू कर दिया है. कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि इसे बनाने वाली कंपनी शैतान की पूजा करती है. एक अन्य शख्स ने भारत के संदर्भ में पवित्र पानी की तुलना गंगाजल से करते हुए सवाल उठाया है कि अगर इसमें गंगाजल, गायत्री मंत्र और ओम सिंबल होता तो क्या होता. एक अन्य ने साफ-साफ कह दिया है कि मुझे मेरा सेकुलर जूता चाहिए, उसे किसी धर्म से मत जोड़ो, ना ही किसी धर्म के खिलाफ करो.

भारत में हो चुका है ऐसे जूतों का विरोध

अमेरिका के हवाई की एक कंपनी मायूई वोक ने पिछले साल दिसंबर में एक जूता बनाया था, जिस पर भगवान गणेश की तस्वीर छापी थी. इससे दुनिया भर के हिंदू समुदाय के लोग आहत हुए थे. यहां तक कि अमेरिका के हिंदू समुदाय के लोगों ने तो ये भी मांग कर दी थी कि कंपनी को उनसे माफी मांगनी चाहिए.

अमेरिका की एक कंपनी ने पिछले साल एक जूता बनाया था, जिस पर भगवान गणेश की तस्वीर छापी थी.

इतना ही नहीं, जूतों पर ओम का सिंबल भी छापा जा चुका है, जिसका भी हिंदू समुदाय ने कड़ा विरोध किया था.

जूतों पर ओम का सिंबल भी छापा जा चुका है.मुस्लिम धर्म में तो ऐसे उदाहरण भी नहीं मिलते

इमरान खान ने कहा था कि पश्चिमी देशों में उन्होंने जीसस पर कॉमेडी फिल्म का बनना देखा तो वह हैरान रह गए कि ऐसा कैसे हो सकता है. उन्होंने खुद ही ये कहा था कि इस्लाम में तो ये सोचा भी नहीं जा सकता. वैसे अगर आप भी याद करने की कोशिश करें कि कहीं जूते पर पैगंबर की तस्वीर या कोई मुस्लिम शब्द लिखे गए थे या नहीं, तो यकीनन आपको कुछ याद नहीं आएगा. पेरिस की एक मैगजीन चार्ली एब्दो ने पैगंबर का एक कार्टून छापा था, जिसका विरोध नहीं, बल्कि बदले जैसा लिया गया. उस मैगजीन के ऑफिस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, जिसमें एडिटर समेत 12 लोगों की मौत हो गई थी. आतंकियों ने तो नारे भी लगाए थे कि 'हमने पैगंबर का बदला ले लिया.' पाकिस्तान जैसे देश में तो ईशनिंदा पर मौत की सजा है. अब आप समझ गए होंगे कि जीसस जूते और गणेश जी की तस्वीर वाले जूते जैसे उदाहरण आपको इस्लाम धर्म में क्यों नहीं दिखते.

जान लीजिए जीसस जूते की सारी खासियतें

नाइकी कंपनी के इस जूते का नाम है एयर मैक्स 97 स्नीकर्स. इसकी सोल में पवित्र नदी जॉर्डन का पानी भरा है, जो पारदर्शी सोल में हिलता हुआ भी साफ दिखता है. बताया जा रहा है कि जूते पर बाइबल की आयतें भी लिखी हुई हैं. इसमें मैथ्यू 14:25 जैसी विशेष आयत भी है. इसमें बताया गया है कि ईसा मसीह के रक्त का प्रतिनिधित्व करने के लिए यीशु एक रक्त की बूंद के साथ पानी पर चलते हैं. उस रक्त की बूंद को भी जूते पर दिखाया गया है. देखा जाए तो जूते में नीचे पानी और ऊपर रक्त की बूंद के साथ जीसस को दिखाकर लोगों के मन में एक पूरी तस्वीर बनाने की कोशिश की गई है.

सबकी भावनाएं आहत नहीं होतीं !

जीसस के सिंबल वाले जूते के बिकने से एक बात तो साफ हो जाती है कि अलग-अलग क्षेत्रों और लोगों के रहन-सहन के हिसाब से एक ही चीज से सबकी भावनाएं आहत नहीं होती हैं. यहां बात सिर्फ इलाके ही नहीं, बल्कि धर्म के हिसाब से भी की जा रही है. इसी अमेरिका में अगर किसी हिंदू-देवी देवता की तस्वीर या पैगंबर की तस्वीर जूतों पर छाप दी जाए, तो न सिर्फ दुनियाभर के लोग अपना विरोध दर्ज कराएंगे, बल्कि खुद अमेरिका के हिंदू और मुस्लिम भी ऐसे जूते बनाने वाली कंपनी का विरोध करेगी. वहीं दूसरी ओर जीसस का सिंबल जूतों पर बना दिया गया है, लेकिन ईसाई धर्म की ओर से अभी तक किसी ने खुलकर इसका विरोध नहीं किया है. हो सकता है कि इसमें उन्हें कुछ गलत ना लगता हो, या फिर हो सकता है कि वह दबे स्वर में विरोध कर रहे हों, लेकिन खुलकर सामने नहीं आ रहे. हालांकि, जीसस के सिंबल वाले जूते बिकने से ये तो साफ हो जाता है कि अलग-अलग जगह और धर्म के हिसाब से लोगों की संवेदनशीलता भी अलग-अलग हो जाती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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