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केजरीवाल का वह काम जिसकी तारीफ विरोधी भी करेंगे

    • अंकित यादव
    • Updated: 10 दिसम्बर, 2017 11:39 AM
  • 10 दिसम्बर, 2017 11:39 AM
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अपनी राजनीति के शुरूआती और में अरविंद केजरीवाल ने कई बातें कही थीं और उनमें सबसे अहम ये था कि वो हर सूरत में आम आदमी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. मैक्स अस्पताल पर उनकी कार्यवाही को देखें तो लगता है कि वो अपनी बात पर खरे उतर रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल अपने चुनावी भाषणों में हमेशा रैली में आई जनता से कहते हैं कि उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए चंदा दीजिए, ताकि दूसरे दलों की तरह उद्योगपति घरानों और व्यापारियों से चंदा ना लेना पड़े और जिससे बाद में उनके नाजायज दबाव को ना सहना पड़े. दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल पर दिल्ली सरकार की कार्यवाही यह एहसास दिलाती है कि कम से कम यह सरकार सचमुच आम आदमियों के लिए है और आम आदमी के लिए बड़े से बड़े घराने से भी टकराने को तैयार है. दिल्ली सरकार ने बेहद तेजी के साथ इंक्वायरी रिपोर्ट बनाकर अस्पताल के लाइसेंस को रद्द करने का जो कदम लिया है. वह न केवल ऐतिहासिक है बल्कि दूसरे राज्यों के लिए नजीर भी है, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि सरकारें बड़े प्राइवेट घरानों के सामने घुटने टेक देती हैं

केजरीवाल की कार्यप्रणाली देखकर कहा जा सकता है कि वो जनता से किया अपना वादा पूरा कर रहे है

प्राइवेट स्कूलों पर कसी नकेल

केजरीवाल जब अपनी चुनावी भाषणों में प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने, मनमानी फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने, और सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों के बराबर खड़ा करने जैसे वादे करते थे तब यकीन करना मुश्किल था लेकिन 3 साल की सरकार ने काफी हद तक ये करके दिखा दिया है. आज देश में प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने और मनमानी फीस बढ़ोतरी पर कार्यवाही करने पर सबसे आगे जो सरकार खड़ी दिखती है वह दिल्ली की ही सरकार नजर आती है, क्योंकि दिल्ली में रहने वाला हर शख्स जानता है कि यहां पर नर्सरी से लेकर दूसरी क्लासों में एडमिशन तक के लिए अच्छे स्कूलों में लाखों रुपए की डोनेशन देनी पड़ती थी, जहां डोनेशन का खेल खत्म हुआ वही स्कूलों को फीस मनमाने तरीके से बढ़ाने पर भी रोक लगा दी.

प्राइवेट अस्पतालों पर और नकेल कसने की...

अरविंद केजरीवाल अपने चुनावी भाषणों में हमेशा रैली में आई जनता से कहते हैं कि उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए चंदा दीजिए, ताकि दूसरे दलों की तरह उद्योगपति घरानों और व्यापारियों से चंदा ना लेना पड़े और जिससे बाद में उनके नाजायज दबाव को ना सहना पड़े. दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल पर दिल्ली सरकार की कार्यवाही यह एहसास दिलाती है कि कम से कम यह सरकार सचमुच आम आदमियों के लिए है और आम आदमी के लिए बड़े से बड़े घराने से भी टकराने को तैयार है. दिल्ली सरकार ने बेहद तेजी के साथ इंक्वायरी रिपोर्ट बनाकर अस्पताल के लाइसेंस को रद्द करने का जो कदम लिया है. वह न केवल ऐतिहासिक है बल्कि दूसरे राज्यों के लिए नजीर भी है, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि सरकारें बड़े प्राइवेट घरानों के सामने घुटने टेक देती हैं

केजरीवाल की कार्यप्रणाली देखकर कहा जा सकता है कि वो जनता से किया अपना वादा पूरा कर रहे है

प्राइवेट स्कूलों पर कसी नकेल

केजरीवाल जब अपनी चुनावी भाषणों में प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने, मनमानी फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने, और सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों के बराबर खड़ा करने जैसे वादे करते थे तब यकीन करना मुश्किल था लेकिन 3 साल की सरकार ने काफी हद तक ये करके दिखा दिया है. आज देश में प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने और मनमानी फीस बढ़ोतरी पर कार्यवाही करने पर सबसे आगे जो सरकार खड़ी दिखती है वह दिल्ली की ही सरकार नजर आती है, क्योंकि दिल्ली में रहने वाला हर शख्स जानता है कि यहां पर नर्सरी से लेकर दूसरी क्लासों में एडमिशन तक के लिए अच्छे स्कूलों में लाखों रुपए की डोनेशन देनी पड़ती थी, जहां डोनेशन का खेल खत्म हुआ वही स्कूलों को फीस मनमाने तरीके से बढ़ाने पर भी रोक लगा दी.

प्राइवेट अस्पतालों पर और नकेल कसने की जरूरत

हालांकि दिल्ली सरकार सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत कर रही है और यही वजह है कि दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में काफी हद तक इलाज मुफ्त हो गया है, लेकिन अब जरूरत है प्राइवेट अस्पतालो के ऊपर भी लगाम लगाने की, दिल्ली की केजरीवाल सरकार इस काम को करके देश के दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन सकती है.  इस कदम से राजनीतिक लाभ कितना मिलेगा यह तो पता नहीं लेकिन आम जनता की दुआएं जरूर मिलेंगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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