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IRCTC Railway booking: कोरोना के चलते कैसे बदल जाएगा यात्रा करने का हमारा अंदाज

    • सचिन देव शर्मा
    • Updated: 11 मई, 2020 05:59 PM
  • 11 मई, 2020 05:56 PM
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आईआरसीटीसी (IRCTC) ने ट्रेन बुकिंग (Railway Booking) का ऐलान कर उन लोगों को बड़ी राहत दी है जो एक लंबे समय से अपने अपने घरों में बंद थे. मगर सवाल वही है कि ये सब इतना भी आसान नहीं है अभी भी यात्रियों को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

बीते 48 दिनों से अपने घरों में बंद जनता को एक बड़ी राहत मिली है. आईआरसीटीसी ने ट्रेन बुकिंग (IRCTC Railway Booking) का ऐलान कर दिया है. कोरोना वायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के इस दौर में जो इधर उधर फंसे हुए लोग थे उन्हें इस ऐलान का बेसब्री से इंतजार था. लेकिन भविष्य की ये यात्राएं (Travel) इतनी भी आसान नहीं हैं. जैसा माहौल है ये कहना कहीं से भी ग़लत नहीं है कि आने वाले वक़्त में हमारा यात्रा करने का अंदाज बदल जाएगा. सवाल होगा कैसे? तो बताने से पहले बता दें कि वैश्विक महामारी  COVID-19 ने यात्रा करने के वर्तमान परिदृश्य के साथ-साथ उसके भविष्य को भी बदल कर रख दिया है. सभी लोग इस बात को लेकर संशय में हैं कि आने वाले समय में लोग यात्राएं करेंगे या नहीं. किसी भी देश में कोविड संक्रमण ख़त्म होने के बाद भी लोग यात्राएं करने में संकोच करेंगे क्योंकि जब तक इस संक्रमण (Infection) को ख़त्म करने के लिए कोई वैक्सीन तैयार नहीं हो जाती तब तक विदेशों से इस संक्रमण का देश में आने का खतरा हमेशा बना रहेगा. ऐसा लगता है कि भविष्य की यात्राओं का स्वरूप बदलने वाला है.

यात्राओं को अगर ध्यान से देखा जाए तो किसी भी यात्रा में सामान्यतः पांच फैक्टर होते हैं. पहला डेस्टिनेशन, दूसरा सफ़र, तीसरा रुकने व खाने-पीने की जगह और चौथा लोकल में घूमने के लिए ट्रांसपोर्ट और पांचवा साइट सीइंग. आने वाले समय में लोग इन पांचों चीजों के सुरक्षित विकल्पों का चुनाव करेंगे. लोग विदेश यात्राओं के मुक़ाबले देसी यात्राओं को तवज़्ज़ो देंगे.

रेलवे ने घरों में बंद लोगों को बड़ी रहत देते हुए कोरोना के इस दौर में चाँद ट्रेनें चलने का फैसला किया है

विदेश यात्राएं शायद लोग तब तक ना करें जब तक कोविड - 19 का वैक्सीन बाज़ार में ना आ जाए....

बीते 48 दिनों से अपने घरों में बंद जनता को एक बड़ी राहत मिली है. आईआरसीटीसी ने ट्रेन बुकिंग (IRCTC Railway Booking) का ऐलान कर दिया है. कोरोना वायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के इस दौर में जो इधर उधर फंसे हुए लोग थे उन्हें इस ऐलान का बेसब्री से इंतजार था. लेकिन भविष्य की ये यात्राएं (Travel) इतनी भी आसान नहीं हैं. जैसा माहौल है ये कहना कहीं से भी ग़लत नहीं है कि आने वाले वक़्त में हमारा यात्रा करने का अंदाज बदल जाएगा. सवाल होगा कैसे? तो बताने से पहले बता दें कि वैश्विक महामारी  COVID-19 ने यात्रा करने के वर्तमान परिदृश्य के साथ-साथ उसके भविष्य को भी बदल कर रख दिया है. सभी लोग इस बात को लेकर संशय में हैं कि आने वाले समय में लोग यात्राएं करेंगे या नहीं. किसी भी देश में कोविड संक्रमण ख़त्म होने के बाद भी लोग यात्राएं करने में संकोच करेंगे क्योंकि जब तक इस संक्रमण (Infection) को ख़त्म करने के लिए कोई वैक्सीन तैयार नहीं हो जाती तब तक विदेशों से इस संक्रमण का देश में आने का खतरा हमेशा बना रहेगा. ऐसा लगता है कि भविष्य की यात्राओं का स्वरूप बदलने वाला है.

यात्राओं को अगर ध्यान से देखा जाए तो किसी भी यात्रा में सामान्यतः पांच फैक्टर होते हैं. पहला डेस्टिनेशन, दूसरा सफ़र, तीसरा रुकने व खाने-पीने की जगह और चौथा लोकल में घूमने के लिए ट्रांसपोर्ट और पांचवा साइट सीइंग. आने वाले समय में लोग इन पांचों चीजों के सुरक्षित विकल्पों का चुनाव करेंगे. लोग विदेश यात्राओं के मुक़ाबले देसी यात्राओं को तवज़्ज़ो देंगे.

रेलवे ने घरों में बंद लोगों को बड़ी रहत देते हुए कोरोना के इस दौर में चाँद ट्रेनें चलने का फैसला किया है

विदेश यात्राएं शायद लोग तब तक ना करें जब तक कोविड - 19 का वैक्सीन बाज़ार में ना आ जाए. लेकिन ऐसे में भूटान जैसा देश जहां कोविड केस ना के बराबर हैं, विदेश यात्राओं के शौकीन लोगों के लिए एक विकल्प बन सकता है. यात्राओं में लोग ऐसी जगहों पर जाना पसंद करेंगे जहां वो अपनी गाड़ी से जा सकें या फ़िर उन सुरक्षित दूरस्थ स्थानों पर जहां वो फ्लाइट से जा सकते हैं.

लोग ऐसे डेस्टिनेशन्स को ढूंढेंगे, जहां कोविड-19 केस या तो आए ही नहीं या ना के बराबर आए हैं. अगर वर्तमान आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो पूर्वोत्तर के राज्य इसमें बाज़ी मार ले जा सकते हैं ख़ास तौर से मिज़ोरम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय व सिक्किम. शिलोंग व गैंगटोक जैसे शहर जो पहले से ही पर्यटकों की पसंद रहे हैं, वहां पर लोग ज्यादा जाना पसंद करेंगे.

देश के पश्चिमी भाग में दमन-द्वीप व दादरा-नगर हवेली के शहर सिलवासा और दादरा, अंडमान व निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर, हैवलॉक आइलैंड व गोवा यात्रियों की पसंद बन सकते हैं. हमेशा की तरह हिमाचल व उत्तराखंड भी यात्रियों के लिए देश के उत्तर में एक विकल्प रहेगा. देश के दक्षिण में स्थित केरल यदि तब तक अपने कोविड-19 आंकड़ों को शून्य कर पाया तो दक्षिण में एक विकल्प के रूप में उभर सकता है.

दक्षिण में पुडुचेरी भी एक अच्छे विकल्प के रूप में सामने आ सकता है.अब बात करते हैं ट्रांसपोर्ट की. लोग ऐसे ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करना चाहेंगे जहां पर सोशल डिस्टेनसिंग और हाइजीन मेन्टेन किया जा सके. फ्लाइट के अंदर सोशल डिस्टेनसिंग बना कर रखने के कारण फ्लाइट का टिकेट महंगा होने की संभावना है लेकिन वहीं दूसरी और टूरिस्ट कम होने के कारण होटल्स पर अच्छे डिसकॉउंट्स मिलने की संभावना भी है.

वहीं लोकल टैक्सी भी लोगों को उचित दामों पर मिल सकती है. लोगों को यात्राओं के लिए प्रेरित करने के लिए बस, रेलवे, टैक्सी, एयर पोर्ट्स, रेलवे स्टेशन, एयरलाइन्स कंपनियो, होटल्स, टूरिस्ट स्पॉट्स आदि को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है. उनको लोगों में ये विश्वास जगाना होगा कि उनके साथ यात्रा करना, रहना या घूमने आना सुरक्षित रहेगा.

उसके लिए उन्हें पैसेंजर्स व स्टाफ के लिए फ्लाइट, रेल या बस बोर्ड करने से ठीक पहले सेनिटाइज़ेशन टनल, मास्क, सोशल डिस्टेनसिंग, सेनेटाइजर, वेट वाइप्स, हर फ्लाइट से पहले एयरक्राफ्ट आदि की डिफॉगिंग आदि सुविधाएं पैसेंजर्स को देनी होंगी. इस बात की संभावना ज्यादा लगती है कि एयर ट्रेवल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है क्योंकि एयर ट्रेवल का हाइजीन बाकी साधनों की तुलना में पहले भी बेहतर रह चुका है.

इसी तरह की सुविधाएं होटल्स, रेस्टोरेंट्स, लोकल टैक्सी व टूरिस्ट स्पॉट्स आदि को भी अपने ग्राहकों को देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा. तभी इस कोविड संकट के बाद एक सुरक्षित यात्रा के बारे लोग सोच सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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