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तेजस एक्सप्रेस की होस्टेस की मुस्कान के पीछे छुपी है डरावनी हकीकत !

    • आईचौक
    • Updated: 29 नवम्बर, 2019 11:36 AM
  • 29 नवम्बर, 2019 11:36 AM
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तेजस (Tejas Express) को हवाई जहाज जैसी सुविधाओं की तर्ज पर शुरू किया गया, लेकिन जिन लड़कियों को होस्टेस बनाया गया, उनका सिर्फ शोषण हुआ. क्या रेलवे (IRCTC), क्या सहकर्मी और क्या यात्री, सभी ने इन होस्टेस की जिंदगी में कांटे ही बोए.

दिल्ली से लखनऊ के बीच चली तेजस एक्सप्रेस (Tejas Express) ट्रेन जितनी ग्लैमरस है, इसके अंदर की हकीकत उतनी ही डरावनी. बता दें कि ये देश की पहली ट्रेन हैं, जो आईआरसीटीसी (IRCTC) के बैनर तले प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप के तहत चल रही है. ट्रेन (Railway) की ब्रांडिxग यही कहते हुए की गई थी कि इसमें वर्ल्ड क्लास सुविधाएं होंगी. ट्रेन सामान्य से फास्ट होगी, जो है भी, ट्रेन के अंदर सुविधाएं भी हवाई जहाज वाला फील देंगी, लेकिन इन सबसे इतर इसी ट्रेन से कई ऐसी बातें सामने आ रही हैं, जो इसकी एक डरावनी तस्वीर सामने रख रही हैं. यहां बात हो रही है ट्रेन की होस्टेस की. यात्री इनसे छेड़खानी करते हैं, वीडियो बनाते हैं, सेल्फी खींचते हैं, वहीं रेवले का कर्मचारी भी उनसे बदतमीजी करते हैं. बात यहीं खत्म नहीं होती, खुद रेलवे उनकी सैलरी देर से देता है, 18 घंटे की शिफ्ट करवाता है और यहां तक कि बिना नोटिस के बेवजह नौकरी से भी निकाल देता है.

तेजस एक्सप्रेस को हवाई जहाज जैसी सुविधाओं की तर्ज पर शुरू किया गया था.

इंतजार है बुलेट ट्रेन का और तेजस संभल नहीं रही

वैसे तो भारत का हर शख्स बुलेट ट्रेन का इंतजार कर रहा है. सरकारें भी बुलेट ट्रेन के नाम पर लोगों को खूब लुभा रही हैं, लेकिन मौजूदा हालात पर किसी का कोई कंट्रोल नहीं है. रेलवे की ओर से तेजस को पहली प्राइवेट ट्रेन की तरह प्रोजेक्ट किया गया, इसीलिए इसका किराया भी काफी महंगा रखा गया. ट्रेन लॉन्च करने तक तो ठीक था, लेकिन इसका मेंटेनेंस और फंक्शनिंग तेजस पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं. द प्रिंट में छपी खबर के अनुसार तेजस में भले ही यात्रियों को सुरक्षा मिल रही हो, लेकिन हवाई यात्रा की तर्ज पर तेजस में काम करने वाली होस्टेस को सुरक्षा नहीं मिल रही. क्या यात्री, क्या सहकर्मी और क्या रेलवे, हर कोई उनका शोषण करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा.

दिल्ली से लखनऊ के बीच चली तेजस एक्सप्रेस (Tejas Express) ट्रेन जितनी ग्लैमरस है, इसके अंदर की हकीकत उतनी ही डरावनी. बता दें कि ये देश की पहली ट्रेन हैं, जो आईआरसीटीसी (IRCTC) के बैनर तले प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप के तहत चल रही है. ट्रेन (Railway) की ब्रांडिxग यही कहते हुए की गई थी कि इसमें वर्ल्ड क्लास सुविधाएं होंगी. ट्रेन सामान्य से फास्ट होगी, जो है भी, ट्रेन के अंदर सुविधाएं भी हवाई जहाज वाला फील देंगी, लेकिन इन सबसे इतर इसी ट्रेन से कई ऐसी बातें सामने आ रही हैं, जो इसकी एक डरावनी तस्वीर सामने रख रही हैं. यहां बात हो रही है ट्रेन की होस्टेस की. यात्री इनसे छेड़खानी करते हैं, वीडियो बनाते हैं, सेल्फी खींचते हैं, वहीं रेवले का कर्मचारी भी उनसे बदतमीजी करते हैं. बात यहीं खत्म नहीं होती, खुद रेलवे उनकी सैलरी देर से देता है, 18 घंटे की शिफ्ट करवाता है और यहां तक कि बिना नोटिस के बेवजह नौकरी से भी निकाल देता है.

तेजस एक्सप्रेस को हवाई जहाज जैसी सुविधाओं की तर्ज पर शुरू किया गया था.

इंतजार है बुलेट ट्रेन का और तेजस संभल नहीं रही

वैसे तो भारत का हर शख्स बुलेट ट्रेन का इंतजार कर रहा है. सरकारें भी बुलेट ट्रेन के नाम पर लोगों को खूब लुभा रही हैं, लेकिन मौजूदा हालात पर किसी का कोई कंट्रोल नहीं है. रेलवे की ओर से तेजस को पहली प्राइवेट ट्रेन की तरह प्रोजेक्ट किया गया, इसीलिए इसका किराया भी काफी महंगा रखा गया. ट्रेन लॉन्च करने तक तो ठीक था, लेकिन इसका मेंटेनेंस और फंक्शनिंग तेजस पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं. द प्रिंट में छपी खबर के अनुसार तेजस में भले ही यात्रियों को सुरक्षा मिल रही हो, लेकिन हवाई यात्रा की तर्ज पर तेजस में काम करने वाली होस्टेस को सुरक्षा नहीं मिल रही. क्या यात्री, क्या सहकर्मी और क्या रेलवे, हर कोई उनका शोषण करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा.

4 अक्टूबर को ये ट्रेन चली थी. बताया जा रहा है कि 4 नवंबर तक यानी महीने भर में करीब 20 लोगों को आईआरसीटीसी ने निकाल दिया, हां 30 लोग अभी भी काम कर रहे हैं. दरअसल, दिवाली के लिए कुछ अतिरिक्त बोगियां जोड़ी गई थीं और जैसे ही दिवाली खत्म हुई, लोगों की जरूरत भी खत्म हो गई. रेलवे से इसका जवाब मांग गया तो उन्होंने सारे आरोपों को सिरे से नकार दिया. आईआरसीटीसी का कहना है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसी को नहीं निकाला गया है. अभी और तेजस एक्सप्रेस चलेंगी तो उन्हें वापस बुलाया जाएगा. यानी क्या समझें, दिहाड़ी मजदूर बुलाने की बात हो रही है क्या? होस्टेस को नौकरी पर रखा क्यों था जब निकालना था, जब दूसरी ट्रेन चलती तो रख लेते, किसी को दिक्कत नहीं होती. आईआरसीटीसी ने तो इन लड़कियों के करियर के साथ खिलवाड़ किया है.

18 घंटे की शिफ्ट, काजल ना लगाने पर फाइन !

तेजस में 18 घंटे की शिफ्ट कराई जाती है. ये हम नहीं, ट्रेन की ही वो होस्टेस बता रही हैं, जिन्हें आईआरसीटीसी ने बिना वजह बताए निकाल दिया. वो भी बिना नोटिस के, जबकि अप्वाइंटमेंट लेटर में 1 महीने के नोटिस की बात लिखी हुई है. हद तो तब हो गई जब उन्हें सैलरी भी काफी दिनों बाद दी गई. इतना ही नहीं, आईआरसीटीसी तो चिंदी चोरी पर उतर आया है. काजल नहीं लगाया, लिपस्टिक लगाना भूल गईं तो लाइन 50 रुपए का फाइन दीजिए. मतलब हद है, सुविधा की बात प्लेन जैसी और चिंदी चोरी ऐसी जैसे लेबरों से कोई ठेकेदार पैसे वसूल रहा हो. वैसे आपको इस बात पर हैरानी होनी चाहिए कि तेजस एक्सप्रेस में हवाई जहाज की एयर होस्टेस जैसी होस्टेस तो रख लीं, लेकिन सैलरी मजदूरों वाली दी जा रही है. एक लड़की ने बताया कि उसे 10,500 रुपए सैलरी पर रखा गया है.

हायरिंग करने वाले वेंडर की हकीकत भी जानिए

इनकी हायरिंग आईआरसीटीसी ने नहीं, बल्कि बृन्दावन फूड प्रोडक्ट्स ने की थी. ये रेलवे का वही वेंडर है, जिसके एक विज्ञापन पर बवाल हुआ था. अखबार में इस वेंडर की तरफ से नौकरी के लिए एक विज्ञापन दिया गया था, लेकिन उसमें साफ लिखा था कि सिर्फ अग्रवाल वैश कम्युनिटी के लोग ही आवेदन करें. खबर तो आई थी कि आईआरसीटीसी ने एक्शन लिया है, लेकिन अब तेजस की इतनी बड़ी जिम्मेदारी ऐसी सोच रखने वाली कंपनी को दे दी है तो फिर पता नहीं एक्शन के नाम पर आईआरसीटीसी ने क्या किया. कहा गया था कि एचआर के जिस शख्स ने वह विज्ञापन दिया था, उसे निकाल दिया गया है, लेकिन अब दोबारा वही वेंडर फंसता हुआ दिख रहा है. कोई नहीं, इस एचआर को भी निकाल देंगे और मामला शांत हो जाएगा.

तेजस एक्सप्रेस के लिए हायरिंग करने वाला रेलवे का वेंडर पहले भी विवाद में फंस चुका है.

यात्री भी मुसीबत बन गए हैं

रेलवे ने तो होस्टेस का शोषण किया ही, यात्री भी कुछ कम नहीं हैं. कोई छूने की कोशिश करता है, कोई सेल्फी की जिद करता है, तो कोई वीडियो बनाता है. टिक टॉक पर तो एक होस्टेस का वीडियो वायरल भी हो गया था. चंद पैसे कमाने और करियर बनाने के लिए होस्टेस बनी लड़कियां हर रोज इन सब को अपने चेहरे की मुस्कान में छिपाती हैं. जो इसके खिलाफ शिकायत करती हैं, उन्हें रेलवे निकाल देता है, बेशक बिना वजह बताए और अचानक. हां, बात में ये जरूर कह देता है कि आपका काम अच्छा नहीं था. ऐसे यात्रियों ने तेजस में यात्रा करने के पैसे भले ही जुटा लिए हों, लेकिन तमीज नहीं जुटा पाए. इन होस्टेस की एक शिकायत ये भी है कि उन्हें वेटर भी कहा जाता है. हर बात में रेलवे को भला-बुरा कहने वाले हम यात्रियों को अपने बर्ताव में भी बदलाव लाना होगा. कम से कम बुलेट ट्रेन में बैठकने के लिए तो इतना करना ही होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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