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प्यार में अपनी नस काटने वाले प्रेमी नहीं कातिल भी हो सकते हैं

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 21 सितम्बर, 2018 03:57 PM
  • 21 सितम्बर, 2018 03:57 PM
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लड़कियों के लिए खतरे की बात ये होती है कि उनका हां करना या न करना दोनों ही आशिकों की दरियादिली और उनकी सनक का कारण समझा जाता है, लेकिन असल में दिक्कत तो उन लोगों के दिमाग में होती है जो आशिकी का नाम लेकर कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते हैं.

लोग कहते हैं प्यार में इंसान बावला हो जाता है. इश्क ऐसा होता है कि उसे अच्छे और बुरे का खयाल नहीं रहता. लोग अपने घर और धर्म से बगावत तक कर जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो प्यार का मतलब पागलपन ही समझ लेते हैं. ऐसे न जाने कितने किस्से होंगे जहां प्यार के पागलपन की झलक मिल जाएगी. ऐसा ही एक किस्सा हाल ही में इंदौर में हुआ जहां 6 साल पहले मिले रिजेक्शन को एक सिरफिरा आशिक बर्दाश्त नहीं कर पाया.

इदौंर शहर ने एक लड़की की ऐसी दर्दनाक मौत देखी जिसके बारे में सोचकर रूह कांप उठे. एक लड़की को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वो मॉर्डन लाइफस्टाइल जीने लगी थी. उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वो अपने ऑफिस में काम करने वाले पुरुषों से बातें किया करती थी और उनसे हंस-खेलकर बोल लिया करती थी. सिरफिरे आशिक को तो वो 6 साल पहले ही न कर चुकी थी आखिर उस मासूम को कहां पता था कि उसके साथ क्या हो जाएगा. उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि जब 6 साल पहले 12वीं में पढ़ने वाले उसके क्लासमेट कमलेश साहू के प्यार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

इंदौर में एक लड़की ने लड़की की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि वो मॉर्डन लाइफस्टाइल अपना चुकी थी और लड़के को रिजेक्ट कर चुकी थी.

नस काटने वाले आशिक के बारे में छुपाना इतना ही खतरनाक है..

सुप्रीया जैन, यही नाम था उस 22 साल की लड़की का जो इंदौर की एक मीडिया कंपनी में अकाउंटेंट थी. वो तो नौकरी के साथ पढ़ भी रही थी. सागर से वो कई सपने लेकर इंदौर आई होगी. पर सभी सपने जिंदगी के साथ चले गए. सुप्रीया का क्लासमेट कमलेश साहू जिसने उसे मार ़डाला वो 12वीं में सुप्रीया के लिए हाथ की नस भी काट चुका था. डरकर सुप्रीया ने तो उस समय उसे समझा बुझा दिया, लेकिन उसे क्या मालूम था कि कमलेश स्टॉकर बन जाएगा. 

ये तो एक छोटे से...

लोग कहते हैं प्यार में इंसान बावला हो जाता है. इश्क ऐसा होता है कि उसे अच्छे और बुरे का खयाल नहीं रहता. लोग अपने घर और धर्म से बगावत तक कर जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो प्यार का मतलब पागलपन ही समझ लेते हैं. ऐसे न जाने कितने किस्से होंगे जहां प्यार के पागलपन की झलक मिल जाएगी. ऐसा ही एक किस्सा हाल ही में इंदौर में हुआ जहां 6 साल पहले मिले रिजेक्शन को एक सिरफिरा आशिक बर्दाश्त नहीं कर पाया.

इदौंर शहर ने एक लड़की की ऐसी दर्दनाक मौत देखी जिसके बारे में सोचकर रूह कांप उठे. एक लड़की को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वो मॉर्डन लाइफस्टाइल जीने लगी थी. उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वो अपने ऑफिस में काम करने वाले पुरुषों से बातें किया करती थी और उनसे हंस-खेलकर बोल लिया करती थी. सिरफिरे आशिक को तो वो 6 साल पहले ही न कर चुकी थी आखिर उस मासूम को कहां पता था कि उसके साथ क्या हो जाएगा. उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि जब 6 साल पहले 12वीं में पढ़ने वाले उसके क्लासमेट कमलेश साहू के प्यार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

इंदौर में एक लड़की ने लड़की की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि वो मॉर्डन लाइफस्टाइल अपना चुकी थी और लड़के को रिजेक्ट कर चुकी थी.

नस काटने वाले आशिक के बारे में छुपाना इतना ही खतरनाक है..

सुप्रीया जैन, यही नाम था उस 22 साल की लड़की का जो इंदौर की एक मीडिया कंपनी में अकाउंटेंट थी. वो तो नौकरी के साथ पढ़ भी रही थी. सागर से वो कई सपने लेकर इंदौर आई होगी. पर सभी सपने जिंदगी के साथ चले गए. सुप्रीया का क्लासमेट कमलेश साहू जिसने उसे मार ़डाला वो 12वीं में सुप्रीया के लिए हाथ की नस भी काट चुका था. डरकर सुप्रीया ने तो उस समय उसे समझा बुझा दिया, लेकिन उसे क्या मालूम था कि कमलेश स्टॉकर बन जाएगा. 

ये तो एक छोटे से शहर का एक मामला था. दिल्ली में इसी तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. दिल्ली में जुलाई 2016 में 48 घंटे में तीन महिलाओं को स्टॉकर ने मार डाला था. अगर पुरानी बात न करें और हाल ही की घटना देखें तो कुछ समय पहले ग्रेटर नोएडा में एक स्टॉकर ने एक महिला को मार दिया और खुद को भी घायल कर दिया. इसी तरह मार्च में चेन्नई में एक स्टॉकर ने एक कॉलेज जाने वाली लड़की को मार दिया था. ऐसा ही एक मामला पुणे में सामने आया था जब 35 साल की एक महिला को उसे स्टॉकर ने कुल्हाड़ी से मारने की कोशिश की थी. ऐसे कई किस्से मिल जाएंगे जहां महिलाएं उसी इंसान की मानसिकता का शिकार बनती हैं जिसे वो जानती हैं.

ये सिर्फ हमारे देश की समस्या नहीं बल्कि इसे ग्लोबल समस्या कहा जाए तो गलत नहीं होगा. 2018 की ही एक रिपोर्ट कहती है कि दो सालों में यूके में 49 महिलाओं को उनके स्टॉकर ने ही मारा. इस तरह की घटनाएं तो न जाने कितने देशों के कितने शहरों में होती हैं जहां स्टॉकर ही महिलाओं की मौत का कारण बन जाते हैं.

किस तरह की मानसिकता होती है जिम्मेदार?

पहली बात तो किसी के लिए हद से ज्यादा पागलपन जिसे लोग अक्सर इश्क का नाम दे देते हैं वो इस तरह के मामलों के लिए जिम्मेदार होता है. ठीक-ठीक ये कहना तो शायद मुमकिन नहीं होगा कि किसी स्टॉकर के मन में क्या चल रहा होता है जिस वक्त वो कत्ल जैसे अपराध को करने का सोच लेता है, लेकिन अगर देखा जाए तो किसी भी आम इंसान के स्टॉकर बनने की प्रक्रिया एक जैसी ही होती है. किसी के प्रति दीवानगी. और इसमें जो लोग लड़की को दोष देते हैं वो भी इस तरह की मानसिकता को बढ़ावा ही देते हैं. अगर देखा जाए तो हमारा बॉलीवुड भी हमेशा से ही स्टॉकिंग को ग्लैमराइज करता आया है. बॉलीवुड में ये दिखाया जाता है कि अगर अनिल कपूर छत से कूद गया तो माधुरी दीक्षित उसके प्यार में पड़ जाएगी. बॉलीवुड में हमेशा यही बताया गया है कि लड़की की ना में ही हां छुपी होती है.

इस गलत मानसिकता का ही तो नतीजा है कि इंदौर में ऐसा कांड हो गया और लड़कियां ना करके एसिड अटैक का शिकार हो जाती हैं या फिर जान से हाथ धो बैठती हैं.

अगर इंदौर वाले मामले की ही बात करें तो कमलेश साहू के स्टॉकर बनने का एक पैटर्न था. उससे रिजेक्शन बर्दाश्त नहीं हुआ. 6 साल पहले मिले रिजेक्शन के कारण कमलेश ने शहर छोड़ चुकी सुप्रीया को ढूंढने की कोशिश शुरू कर दी. मिलने पर पिछले 6 महीने से तो कमलेश ने सीए की पढ़ाई छोड़ सिर्फ सुप्रीया को स्टॉक करना शुरू कर दिया था. इसके लिए वो वेटर का काम करने लगा और सुप्रीया के सोशल मीडिया अकाउंट पर हर वक्त नजर रखने लगा. इतना ही नहीं, उसके आधार लिंक से किसी प्रोफेश्नल हैकर की तरह हमेशा उसकी लोकेशन पता कर लेता.

कमलेश ने रोज सुप्रीया को मैसेज करना शुरू कर दिया और उससे कहा कि उसे सुप्रीया का मॉर्डन कपड़े पहनना और लड़कों से बात करना बिलकुल पसंद नहीं. कमलेश ने कहा कि वो भी तो पूरा है भगवान ने उसे पूरा बनाया है फिर सुप्रीया क्यों आखिर उसे पसंद नहीं कर रही है. सुप्रीय मासूम थी, इतना सुनते ही उसने कमलेश को ब्लॉक कर दिया, लेकिन किसी से शिकायत नहीं की. उस लड़की को कहां मालूम था कि कमलेश का पागलपन सिर पर चढ़ जाएगा.

ब्लॉक करने की बात तो वैसे भी सिरफिरे आशिकों को रास नहीं आती तो ऐसे में कमलेश को कहां आती. उसने बस हत्या का प्लान बना लिया. 7 दिन तक हर वक्त सुप्रीया पर नजर रखी और एक शाम जैसे ही सुप्रीया ऑफिस से अपनी कालोनी पहुंची वैसे ही कमलेश ने उसपर चाकू से वार किया. पूरे 38 घाव दिए और सुप्रीया ने अगले दिन अस्पताल में दम तोड़ दिया.

सुप्रीया 6 साल पहले ही कमलेश को रिजेक्ट कर चुकी थी

जरा सोचिए, साथ में पढ़ने वाला क्लासमेट. जिसे 10 साल से भी ज्यादा से जानते हों उसका ऐसा कुछ कर जाना कितना आसान हो जाता है? सुप्रीया अब इस दुनिया में नहीं है और उसे गलती देना भी गलत है, लेकिन बाकी लड़कियां इससे एक सबक जरूर ले सकती हैं.

किसी लड़के का प्रपोज करना और उसके बाद अपनी जान लेने की धमकी देना या हाथ की नस काट लेना कोई आसान बात नहीं है. जो अपनी जान लेने के बारे में सोच सकता है उसके लिए कितना मुश्किल है किसी और की जान लेना?

ये मानसिकता की खामी कही जाए या फिर आसान शब्दों में सनक लेकिन ये इंसानी दिमाग की खराबी जरूर है. खुद को नुकसान पहुंचानी की हद तक किसी से अटैचमेंट ही आगे चलकर एसिड अटैक और इंदौर हत्याकांड जैसे मामले सामने लाता है.

अगर किसी लड़की को लगता है कि उसका कोई स्टॉकर है या फिर उसका कोई आशिक है जो अपने हाथ की नस काट सकता है तो इसके बारे में चुप रहकर हां कर देना या फिर खामोशी से उसे टाल देना सही नहीं है. रांझना फिल्म के एक सीन में धनुष भी सोनम कपूर के लिए अपने हाथ की नस काट लेते हैं. और सोनम रोकर हां कर देती है. पर धनुष आखिर में बन तो स्टॉकर ही जाते हैं न. आखिर उस फिल्म में भी अभय देवल की मौत धनुष के इसी पागलपन की वजह से होती है. भले ही फिल्म में इन सभी बातों को नाटकीय ढंग से दिखाया गया हो, लेकिन क्या वाकई इस ग्लैमराइज किए गए पागलपन के बारे में ध्यान से सोचना नहीं चाहिए?

लड़कियों के लिए खतरे की बात ये होती है कि उनका हां करना या न करना दोनों ही आशिकों की दरियादिली और उनकी सनक का कारण समझा जाता है, लेकिन असल में दिक्कत तो उन लोगों के दिमाग में होती है जो आशिकी का नाम लेकर कुछ भी कर गुजरने की क्षमता रखते हैं. अगर किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ हो रहा है तो उसे घर, परिवार, दोस्त या पुलिस से शिकायत करनी चाहिए और यकीनन अपनी सुरक्षा के बारे में भी सोचना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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