• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

इंदौर का नौजवान, 5 हजार की नौकरी से लंदन के डिप्टी मेयर

    • सईद अंसारी
    • Updated: 03 जुलाई, 2016 07:03 PM
  • 03 जुलाई, 2016 07:03 PM
offline
लंदन के नए डेप्युटी मेयर बने राजेश अग्रवाल का जन्म इंदौर में हुआ था, महज 39 वर्ष की उम्र में यह कामयाबी पाकर राजेश ने देश के युवाओं के लिए बेहतरीन मिसाल की है, जानिए उनके सफर के बारे में...

बात साल 2000 की है, इंदौर के एक इंजीनियर पिता और टीचर मां का 22 साल का बेटा बीबीए पास कर नौकरी खोज रहा था लेकिन कामयाबी उसे मिल नहीं रही थी. नौकरी तो दूर थी लेकिन मेहनत भरपूर थी. चंद महीनों बाद किस्मत ने साथ दिया और इंदौर से कोसों दूर चण्डीगढ़ में बात बन गई. तनख्वाह ज्‍यादा नहीं थी. सिर्फ 5 हजार रूपए. लेकिन सुकून इस बात का था कि अब वह बेरोजगार नहीं रहा. नौकरी के साथ साथ वो पढ़ाई भी करता रहा - बगैर रूके बगैर थके. उसने एमबीए भी कर लिया.

वक्त के पन्ने पलटें तो आज 16 बाद साल वही नौजवान दुनिया की सु‍र्खियों में है. लंदन का डिप्टी मेयर और सिर्फ 39 साल की उम्र में दो बड़ी कंपनियों का रौबदार मालिक भी. राजेश अग्रवाल. उसकी एक कंपनी तो लंदन की 100 बड़ी कंपनियों में शुमार है. नौ करोड़ पौंड की उसकी दूसरी कंपनी को संडे टाइम्स की सूची में जगह मिल चुकी है. वह लंदन के सबसे सफल और अमीर अप्रवासियों में से एक है. करीब 16 या 17 साल में इतनी तरक्की. कारोबार जगत में अपना सिक्का जमाने के बाद इस इंदौरी युवा ने किया है यह बहुत बड़ा कमाल. और एक इंदौरी होने और इस परिवार से जुड़ा होने के नाते मैं राजेश की इस संघर्ष यात्रा का गवाह हूं.

राजेश अग्रवाल ऐसे समय में लंदन के डिप्टी मेयर बने हैं जब ब्रिटेन आर्थिक संकट से जूझ रहा है. उसकी अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है और हजारों नौकरियों पर संकट है. विकास की रफ्तार थमी हुई है. कारोबारी जगत दुविधा के दौर से दो-चार हो रहा है. ब्रिटेन के ईयू से निकलने के बाद लंदन का डिप्टी मेयर बनना राजेश अग्रवाल के लिए और भी चुनौतीपूर्ण है. लंदन में कारोबारी जगत की आशंकाओं को दूर करना राजेश अग्रवाल के सामने सबसे टफ टास्क भी है.

लंदन के कारोबारी खासकर भारतीय समुदाय अपने वित्तीय हितों को लेकर काफी चिंतित हैं और राजेश अग्रवाल से तमाम उम्मीद लगाए बैठे हैं. राजेश एक बड़े बिजनेसमैन हैं इसलिए कारोबार जगत की उनसे उम्मीदें जायज हैं. लंदन के प्राचीन और बेहद खूबसूरत शहर की विविधता को बनाए रखने की चुनौती भी उनके सामने होगी...

बात साल 2000 की है, इंदौर के एक इंजीनियर पिता और टीचर मां का 22 साल का बेटा बीबीए पास कर नौकरी खोज रहा था लेकिन कामयाबी उसे मिल नहीं रही थी. नौकरी तो दूर थी लेकिन मेहनत भरपूर थी. चंद महीनों बाद किस्मत ने साथ दिया और इंदौर से कोसों दूर चण्डीगढ़ में बात बन गई. तनख्वाह ज्‍यादा नहीं थी. सिर्फ 5 हजार रूपए. लेकिन सुकून इस बात का था कि अब वह बेरोजगार नहीं रहा. नौकरी के साथ साथ वो पढ़ाई भी करता रहा - बगैर रूके बगैर थके. उसने एमबीए भी कर लिया.

वक्त के पन्ने पलटें तो आज 16 बाद साल वही नौजवान दुनिया की सु‍र्खियों में है. लंदन का डिप्टी मेयर और सिर्फ 39 साल की उम्र में दो बड़ी कंपनियों का रौबदार मालिक भी. राजेश अग्रवाल. उसकी एक कंपनी तो लंदन की 100 बड़ी कंपनियों में शुमार है. नौ करोड़ पौंड की उसकी दूसरी कंपनी को संडे टाइम्स की सूची में जगह मिल चुकी है. वह लंदन के सबसे सफल और अमीर अप्रवासियों में से एक है. करीब 16 या 17 साल में इतनी तरक्की. कारोबार जगत में अपना सिक्का जमाने के बाद इस इंदौरी युवा ने किया है यह बहुत बड़ा कमाल. और एक इंदौरी होने और इस परिवार से जुड़ा होने के नाते मैं राजेश की इस संघर्ष यात्रा का गवाह हूं.

राजेश अग्रवाल ऐसे समय में लंदन के डिप्टी मेयर बने हैं जब ब्रिटेन आर्थिक संकट से जूझ रहा है. उसकी अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है और हजारों नौकरियों पर संकट है. विकास की रफ्तार थमी हुई है. कारोबारी जगत दुविधा के दौर से दो-चार हो रहा है. ब्रिटेन के ईयू से निकलने के बाद लंदन का डिप्टी मेयर बनना राजेश अग्रवाल के लिए और भी चुनौतीपूर्ण है. लंदन में कारोबारी जगत की आशंकाओं को दूर करना राजेश अग्रवाल के सामने सबसे टफ टास्क भी है.

लंदन के कारोबारी खासकर भारतीय समुदाय अपने वित्तीय हितों को लेकर काफी चिंतित हैं और राजेश अग्रवाल से तमाम उम्मीद लगाए बैठे हैं. राजेश एक बड़े बिजनेसमैन हैं इसलिए कारोबार जगत की उनसे उम्मीदें जायज हैं. लंदन के प्राचीन और बेहद खूबसूरत शहर की विविधता को बनाए रखने की चुनौती भी उनके सामने होगी क्योंकि आज लंदन ना सिर्फ यूरोप का बड़ा आर्थिक केंद्र बन गया है बल्कि इस शहर में जबरदस्त कलात्मकता की छटा चारों ओर बिखरी पड़ी है. लंदन तेजी से बढ़ता शहर है तो जाहिर है ऐसे में कई समस्याएं सर उठाएंगी तो राजेश की एक जिम्मेदारी उनसे निपटना भी होगी.

भारतीय मूल के राजेश अग्रवाल को लंदन का डेप्युटी मेयर नियुक्त किया गया है

लंदन में हिंसा भी होती है. कई बार वजह अमीरी गरीबी भी होती है एक दूसरे के लिए लोगों के दिलों में नफरत के किस्से कहानी भी लंदन में सुनाई देते हैं. राजेश अग्रवाल के लिए चुनौतियां अपार हैं तो मौका उससे कहीं बड़ा और उन्हें कहीं आगे ले जाने वाला. निजी तौर पर देखें तो राजेश बेहद सरल, सौम्य व्यक्ति हैं. जबरदस्त कारोबारी समझ रखने वाले राजेश से जब मिलो तो आम इंदौरी से ज्यादा कुछ नहीं लगते.

लंदन के सबसे अमीर लोगों में शुमार होने वाले राजेश इंदौर के राजबाड़े पर पोहे कचोरी, जलेबी उतने ही शौक से खाते हैं जितने मन से एक आम इंदौरी हर शाम या रात राजबाड़े पर पोहे खाते हुए पाया जाता है. दो बड़ी कंपनियों की जिम्मेदारी संभालने वाले बेहद व्यस्त रहने वाले राजेश जब भी लंदन से इंदौर आते हैं अपने दोस्तों से मिलने के लिए बेचैन रहते हैं. उनके साथ घूमते-फिरते हैं. खाते-पीते हैं. आप राजेश को स्कूटर, मोटर साइकिल पर घूमते हुए देख सकते हैं तो वह किसी से मिलने जाने के लिए राजेश ऑटो रिक्शा लेने में जरा भी नहीं हिचकिचाते. देखकर आप यकीन नहीं कर सकेंगे कि इतने सादे तरीके से घूम रहा ये शख्स अरबों की कंपनी का मालिक है. वैसे बड़े भाई योगेश अग्रवाल को शुरू से छोटे भाई राजेश की प्रतिभा और योग्यता का अहसास था.

योगेश हमेशा कहा करते थे कि राजेश बहुत बड़ा आदमी बनेगा. राजेश ने अपने कदम हमेशा जमीन पर जमाए रखे. धन-दौलत, मान-सम्मान को कभी राजेश ने घमंड नहीं बनने दिया. मां से मिले संस्कारों को राजेश अपनी धरोहर मानते हैं. लेकिन सीधे-सादे राजेश का लक्ष्य हमेशा बड़ा रहा. राजेश दृड़निश्चयी हैं. मशहूर शायर आलोक श्रीवास्तव के इस शेर में राजेश की सोच को यूं पेश किया जा सकता है-

तुम सोच रहे हो बस बादल की उड़ानों तकमेरी तो निगाहें हैं सूरज के ठिकानों तक

...तो ऑल द बेस्ट राजेश.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲