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सागरमाथा की कचरा-गाथा

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 18 जून, 2018 08:06 PM
  • 18 जून, 2018 08:06 PM
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ये हम इंसान ही हैं, जिन्होंने सबसे खूबसूरत और सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर भी कचरे का ढेर बना दिया है. अब सवाल ये है कि इसके लिए हमें अपनी पीठ थपथपानी चाहिए, या शर्म से आंखें झुका लेनी चाहिए?

हम इंसानों ने पूरी दुनिया ही नहीं, बल्कि ब्रह्मांड तक जाकर अपने झंडे गाड़े हैं. बात भले ही धरती की हो या फिर चांद की, हमने हर जगह अपने निशान छोड़े हैं. दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट पर तो हमने इतने निशान छोड़े हैं कि उनका वजन कई टन तक हो गया है. हमारे इन्ही निशानों ने माउंट एवरेस्ट जैसे सबसे ऊंचे पहाड़ पर भी कई टन कचरा जमा कर दिया है. ये हम इंसान ही हैं, जिन्होंने सबसे खूबसूरत और सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर भी कचरे का ढेर बना दिया है. अब सवाल ये है कि इसके लिए हमें अपनी पीठ थपथपानी चाहिए, या शर्म से आंखें झुका लेनी चाहिए?

फख्र करें या शर्मिंदा हों?

जब भी कोई पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करके उसकी चोंटी पर अपना झंडा गाड़ता है तो हर कोई उसकी पीठ थपथपाता है. लेकिन सवाल ये है कि वह शख्स माउंट एवरेस्ट पर कितनी गंदगी फैलाता है, इसका हिसाब कौन करेगा. 18 बार एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके पेम्बा दोरजे शेरपा कहते हैं वो गंदगी आंखों को बहुत चुभती है. दुनिया के सबसे ऊंचे पवर्त के इस 8,848 मीटर लंबे रास्ते में पर्वतारोहियों ने अपने टेंट, खराब हो चुके उपकरण, खाली गैस सिलेंडर जैसी चीजें फेंकी हैं. ये सब मिलाकर इतना ज्यादा कचरा है कि उसका वजन कई टन तक है. एवरेस्ट पर चढ़ने वाले लोगों की संख्या आए दिन बढ़ती ही जा रही है. यानी कचरे का ढेर भी बढ़ता ही जाएगा.

कितना कचरा है एवरेस्ट पर?

सागरमाथा प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार 2017 में नेपाल के पर्वतारोही करीब 25 टन कचरा और 15 टन मानव अपशिष्ट नीचे लाए थे. इसके लिए नेपाल ने एक नियम बनाया था कि एवरेस्ट पर चढ़ने वाली हर को करीब ढाई लाख रुपए जमा करने होंगे. जो पर्वतारोही अपने साथ कम से कम 8 किलो कचरा लाएगा, उसे वह पैसे वापस मिल जाएंगे, वरना उस पर फाइन लगेगा. इस पहल की वजह से बहूत...

हम इंसानों ने पूरी दुनिया ही नहीं, बल्कि ब्रह्मांड तक जाकर अपने झंडे गाड़े हैं. बात भले ही धरती की हो या फिर चांद की, हमने हर जगह अपने निशान छोड़े हैं. दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट पर तो हमने इतने निशान छोड़े हैं कि उनका वजन कई टन तक हो गया है. हमारे इन्ही निशानों ने माउंट एवरेस्ट जैसे सबसे ऊंचे पहाड़ पर भी कई टन कचरा जमा कर दिया है. ये हम इंसान ही हैं, जिन्होंने सबसे खूबसूरत और सबसे ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर भी कचरे का ढेर बना दिया है. अब सवाल ये है कि इसके लिए हमें अपनी पीठ थपथपानी चाहिए, या शर्म से आंखें झुका लेनी चाहिए?

फख्र करें या शर्मिंदा हों?

जब भी कोई पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करके उसकी चोंटी पर अपना झंडा गाड़ता है तो हर कोई उसकी पीठ थपथपाता है. लेकिन सवाल ये है कि वह शख्स माउंट एवरेस्ट पर कितनी गंदगी फैलाता है, इसका हिसाब कौन करेगा. 18 बार एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके पेम्बा दोरजे शेरपा कहते हैं वो गंदगी आंखों को बहुत चुभती है. दुनिया के सबसे ऊंचे पवर्त के इस 8,848 मीटर लंबे रास्ते में पर्वतारोहियों ने अपने टेंट, खराब हो चुके उपकरण, खाली गैस सिलेंडर जैसी चीजें फेंकी हैं. ये सब मिलाकर इतना ज्यादा कचरा है कि उसका वजन कई टन तक है. एवरेस्ट पर चढ़ने वाले लोगों की संख्या आए दिन बढ़ती ही जा रही है. यानी कचरे का ढेर भी बढ़ता ही जाएगा.

कितना कचरा है एवरेस्ट पर?

सागरमाथा प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार 2017 में नेपाल के पर्वतारोही करीब 25 टन कचरा और 15 टन मानव अपशिष्ट नीचे लाए थे. इसके लिए नेपाल ने एक नियम बनाया था कि एवरेस्ट पर चढ़ने वाली हर को करीब ढाई लाख रुपए जमा करने होंगे. जो पर्वतारोही अपने साथ कम से कम 8 किलो कचरा लाएगा, उसे वह पैसे वापस मिल जाएंगे, वरना उस पर फाइन लगेगा. इस पहल की वजह से बहूत सारे कचरे से निजात पाने में कामयाबी मिल सकी. ये तो नहीं कहा जा सकता है कि एवरेस्ट पर कुल कितना कचरा है, लेकिन एवरेस्ट समीटर एसोसिएशन के अनुसार अभी भी एवरेस्ट पर करीब 10 टन कचरा बाकी है.

एवरेस्ट समीटर एसोसिएशन के अनुसार अभी भी एवरेस्ट पर करीब 10 टन कचरा बाकी है.

सबसे खूबसूरत जगह बीमारियों का गढ़ न बन जाए

जिस एवरेस्ट को अभी तक बेहद खूबसूरत माना जाता है, उसका एक बदसूरत चेहरा भी है, जिसे हम इंसानों ने बनाया है. इस पहाड़ पर मानव अपशिष्ट इतना अधिक हो चुका है कि उसकी वजह से बीमारियां फैल सकती हैं. दरअसल, जब भी कोई पर्वतारोही एवरेस्ट पर चढ़ता है तो वह अपने साथ डिस्पोजेबल टॉयलेट बैग ले जाता है. लेकिन कई ऐसे भी होते हैं जो ऐसा नहीं करते और पहाड़ पर खुले में ही शौच कर देते हैं. तापमान बेहद कम होने की वजह से वह मानव अपशिष्ट सड़ कर खत्म नहीं होता और वैसे ही पड़ा रहता है, जो बीमारियों की वजह बन सकता है. नेपाल पर्वतारोहण संघ के अध्यक्ष एंग शेरिंग इस बात की चेतावनी तक दे चुके हैं कि एवरेस्ट पर बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से बीमारियां फैल सकती हैं. इसमें सबसे खतरनाक है मानव अपशिष्ट.

सागरमाथा प्रदूषण नियंत्रण समिति ने कचरा एवरेस्ट से नीचे लाने के लिए जो पहल की थी, उसे जारी रखने की जरूरत है. पर्वतारोहियों पर थोड़ी अधिक निगरानी रखना भी जरूरी है, ताकि इस खूबसूरत जगह को तबाह होने से बचाया जा सके. यूं तो स्वच्छ भारत अभियान माउंट एवरेस्ट तक पहुंच चुका है, लेकिन जब तक हर पर्वतारोही खुद से सफाई को लेकर प्रतिबद्ध नहीं होगा, तब तक एवरेस्ट को साफ नहीं किया जा सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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