शरीर का हर अंग अहम होता है और कोई भी बीमारी होने से पहले शरीर के ये अंग ही हमें चेतावनी देते हैं कि आखिर किस हिस्से में समस्या हो रही है. शरीर के वो हिस्से जो आने वाली बीमारी का संकेत देते हैं उनमें से एक हमारे पैर भी होते हैं. डॉक्टर डॉन हार्पर ने एक इंटरव्यू में बताया कि किस तरह से पैर हमारे शरीर की बीमारियों की जानकारी देते हैं. उनका मानना है कि 90 प्रतिशत महिलाओं को अपनी पूरी जिंदगी में पैर से संबंधित कोई न कोई समस्या जरूर होती है.
पैरों का आकार-
एक फ्लैट फ्लोर पर खड़े होइए नंगे पैर. पैर के तलवे में थोड़ी जगह खाली रह जाएगी. ये आर्क की तरह होती है और जिसके पैर में ये आर्क ज्यादा नहीं होती तो ये थोड़ी चिंता की बात है. अगर जन्म के समय से पैर ऐसा ही है तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर ये अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है तो इसके कारण कई हो सकते हैं. एक तो कोई हड्डी अपनी जगह से हिल रही है, ऐसे में उस हड्डी पर असर पड़ेगा और टूटने का भी खतरा है, अर्थराइटिस, कोशिकाओं संबंधी कोई समस्या. अगर किसी को मधुमेह है या फिर मोटापे की समस्या से ग्रसित है, प्रेग्नेंसी या बढ़ती उम्र है तो ऐसे समय में रिस्क बढ़ जाता है.
अगर पैरों में साथ-साथ हल्का दर्द, सूजन या कोई आकार बदला हुआ सा लग रहा है तो यकीनन समस्या बहुत बढ़ सकती है. ऐसे में डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए. ये बहुत ही सीधे कारण से भी हो सकता है. हो सकता है कि गलत जूते या गलत पॉस्चर (खड़े होने या चलने, दौड़ने का तरीका) के कारण भी समस्या बढ़ रही हो और हमें ये समझ नहीं आ रहा...
शरीर का हर अंग अहम होता है और कोई भी बीमारी होने से पहले शरीर के ये अंग ही हमें चेतावनी देते हैं कि आखिर किस हिस्से में समस्या हो रही है. शरीर के वो हिस्से जो आने वाली बीमारी का संकेत देते हैं उनमें से एक हमारे पैर भी होते हैं. डॉक्टर डॉन हार्पर ने एक इंटरव्यू में बताया कि किस तरह से पैर हमारे शरीर की बीमारियों की जानकारी देते हैं. उनका मानना है कि 90 प्रतिशत महिलाओं को अपनी पूरी जिंदगी में पैर से संबंधित कोई न कोई समस्या जरूर होती है.
पैरों का आकार-
एक फ्लैट फ्लोर पर खड़े होइए नंगे पैर. पैर के तलवे में थोड़ी जगह खाली रह जाएगी. ये आर्क की तरह होती है और जिसके पैर में ये आर्क ज्यादा नहीं होती तो ये थोड़ी चिंता की बात है. अगर जन्म के समय से पैर ऐसा ही है तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर ये अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है तो इसके कारण कई हो सकते हैं. एक तो कोई हड्डी अपनी जगह से हिल रही है, ऐसे में उस हड्डी पर असर पड़ेगा और टूटने का भी खतरा है, अर्थराइटिस, कोशिकाओं संबंधी कोई समस्या. अगर किसी को मधुमेह है या फिर मोटापे की समस्या से ग्रसित है, प्रेग्नेंसी या बढ़ती उम्र है तो ऐसे समय में रिस्क बढ़ जाता है.
अगर पैरों में साथ-साथ हल्का दर्द, सूजन या कोई आकार बदला हुआ सा लग रहा है तो यकीनन समस्या बहुत बढ़ सकती है. ऐसे में डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए. ये बहुत ही सीधे कारण से भी हो सकता है. हो सकता है कि गलत जूते या गलत पॉस्चर (खड़े होने या चलने, दौड़ने का तरीका) के कारण भी समस्या बढ़ रही हो और हमें ये समझ नहीं आ रहा हो.
रंग और तापमान-
पैरों का रंग सिर्फ टैनिंग के कारण ही नहीं बदलता बल्कि ये किसी तरह की बीमारी का संकेत भी देता है. अक्सर पैरों का रंग खराब रक्तचाप के कारण होता है. अगर पैर हमेशा से ज्यादा ठंडे या गरम होने लगे हैं या फिर उनका रंग अचानक ज्यादा सफेद, ज्यादा पीला या ज्यादा लाल दिखने लगा है तो ये चिंता की बात है.
पैरों में अगर कोशिकाएं ज्यादा दिखने लगी हैं तो भी डॉक्टर से संपर्क करके एक बार अपनी जांच जरूर करवा लीजिए. हो सकता है कि ये आसानी से गहरे रंग के लोगों को न दिखे, लेकिन अगर ऐसा है तो पैरों के तापमान को देखें. ब्लड सर्कुलेशन की कोई समस्या तो नहीं इसे चेक करने के लिए अपने पैरे के अंगूठे को बहुत जोर से दबाएं. वहां प्रेशर बदलने के कारण रंग बदलेगा और जैसे ही आप अपने अंगूठे को छोड़ेंगे तो जल्दी ही रंग सामान्य हो जाएगा. अगर इसे देर लगती है तो ये मान लीजिए कि बल्ड सर्कुलेशन से जुड़ी कोई समस्या हो रही है. अगर समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है तो ब्लड सर्कुलेशन की कमी गैंगरीन तक भी बढ़ सकती है इसलिए समय रहते इसे चेक करवा लीजिए. इसके अलावा, कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज लेवल भी इस समस्या का कारण हो सकता है.
ऐंठन-
जब शरीर में तरल पदार्थों की कमी होने लगती है तब शरीर की मसल्स ज्यादा आसानी से खराब होने लगते हैं और शरीर में ऐंठन होने लगती है. आम तौर पर पैरों की ऐंठन मसाज करने से, स्ट्रेचिंग आदि से चली जाती है, लेकिन अगर ये खराब ब्लड सर्कुलेशन या शरीर में किसी जरूरी लिक्विड की कमी से हो रहा है तो ये समस्या बढ़ी हुई है और उस समय शरीर की कमी को पूरा करना जरूरी हो जाएगा.
ऐंठन लंबे समय से है और सही आहार, प्रोटीन, विटामिन आदि लेने से भी नहीं जा रही है तो हो सकता है कि कोशिकाओं की कोई समस्या भी हो रही है. ऐसे में डॉक्टरी सलाह लें. वैसे खाने में मैग्नीशियम और पोटैशियम और प्रोटीन से भरपूर डायट लेने से ये समस्या दूर हो जाएगी.
नाखून-
पीले नाखून इसलिए भी हो सकते हैं क्योंकि नेलपॉलिश का अधिक इस्तेमाल किया है. लेकिन अगर नाखूनों में परत बन रही है, रंग ज्यादा गहरा हो रहा है तो किसी तरह से फंगल इन्फेक्शन की समस्या भी हो सकती है. इसकी जांच करवाना ज्यादा जरूरी है. अगर नाखून में कोई खराबी दिख रही है या उसका रंग बाकी नाखूनों से अलग है, अगर दर्द हो रहा है, या नाखून मोटे हो गए हैं तो ये समस्या बड़ी भी हो सकती है. हो सकता है कि किसी तरह की स्किन की बीमारी हो गई हो या फिर कैंसर जैसी बड़ी बीमारी का संकेत भी मिल सकता है. लंग कैंसर का एक लक्षण ये भी है कि नाखून आगे से मुड़ जाते हैं, मोटे हो जाते हैं और उनका रंग बदल जाता है.
एक रिसर्च बताती है कि यूके में 1.4 प्रतिशत स्किन कैंसर के मरीजों के नाखूनों पर बीमारी ने असर डाला है.
सूखी या फटी हुई स्किन-
कुछ लोगों के पैरों की स्किन लगातार फटी हुई दिखती है ऐड़ियों से खून रिसता है और किसी तरह की कोई दवा इनपर असर नहीं करती. ये समस्या है हाइपरकेराटोसिस (hyperkeratosis). बढ़ती उम्र के लोगों को इससे ज्यादा समस्या होती है.
अगर किसी दवा का, किसी मॉइचराइजर का पैरों पर असर नहीं हो रहा है तो ये समस्या हो सकती है. ऐसे में पैरों के कुछ हिस्से बाकी से कड़क भी दिखने लगेंगे. hyperkeratosis में पैरों की स्किन धीरे धीरे मोटी होने लगती है उसमें चाईं, मस्से, खराब टिशू आदि सब समझ आने लगते हैं और ऐसा लंबे समय तक एक ही जैसे पॉश्चर में रहने के कारण हो सकता है, जैसे झुक के चलना, नंगे पैर डौड़ना या चलना आदि.
बढ़ती उम्र के लोगों को ये समस्या ज्यादा होती है क्योंकि उनके टिशू फैटी हो जाते हैं. Athlete's Foot, dermatitis, psoriasis, eczema या keratoderma जैसी कई समस्याओं के कारण ऐसा हो सकता है.
खराब बदबू-
अगर पैरों से बदबू आ रही है तो ये इन्फेक्शन का कारण हो सकता है और ये किसी बड़ी समस्या को न्योता भी दे सकता है. इसके अलावा, पैरों में खुजली, पैरों में सुइयों जैसी चुभन होना, छाले होना, उंगलियों के बीच में सूजन और सूखापन होना आदि ये सब समस्या है. पैरों का इन्फेक्शन कई बार खतरनाक हो सकता है.
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