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Rape के बाद एक महिला का जीवन किस तरह बदल जाता है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 18 सितम्बर, 2019 08:38 PM
  • 18 सितम्बर, 2019 08:38 PM
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शरीर पर की गई किसी भी जबरदस्ती का असर महिलाओं पर जिस तरह से होता है. उसकी आप कल्पना नहीं कर सकते. बस इतना समझ लीजिए कि रेप सर्वाइवर्स का जीवन सामान्य तो बिल्कुल भी नहीं होता.

असम के डारंग जिले में महिलाओं के साथ पुलिस ने जो क्रूरता की वो आज की सुर्खियों में है. हर कोई स्तब्ध है कि पुलिस महिलाओं के साथ इतनी बर्बरता कैसे कर सकती है. पुलिस एक लड़के की तलाश में थी जो एक लड़की के साथ भाग गया था. लड़के का कोई सुराग नहीं मिलने पर असम पुलिस ने लड़के की तीन बहनों को रात में उनके घर से उठाया और थाने ले जाकर उन्हें बड़ी बेरहमी से प्रताड़ित किया. महिलाओं के मुताबिक- पुलिस ने इनके कपड़े उतरवा दिए, लातों, घूसों डंडों और जूतों से मारा. बुरी तरह टॉर्चर किया गया. पुलिस ने यौन शोषण भी किया, उनके निजी अंगों को छुआ. तीनों में से एक बहन 3 महीने की गर्भवती थी. एक अफसर ने गर्भवती बहन के प्राइवेट पार्ट् में लात मारी. जिससे उसका गर्भपात हो गया. यही नहीं गन पॉइंट पर कोरे कागज पर उनके दस्तखत भी करवाए गए.

इससे एकदम अलग एक और खबर है, जिसने अपनी तरफ ध्यान खींचा है. मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक बत्तीस साल के शख्स ने बलात्कार का दोषी ठहराए जाने और 10 साल की सजा सुनाए जाने के बाद अदालत में ही जज के सामने अपना गला काटने की कोशिश की. तीन साल पहले फेसबुक पर इस शख्स की दोस्ती एक लड़की से हुई. 2016 में उस लड़की ने युवक के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया. वो गिरफ्तार भी हुआ लेकिन जमानत पर रिहा हो गया. अब उसपर आरोप सिद्ध हुए तो सजा हुई. लेकिन इस खबर के बाद वो युवक जो पहले विलेन था अब सहानुभूति का पात्र बन गया है. युवक की हालत गंभीर है लेकिन उसके आत्महत्या के प्रयास से ये साबित नहीं होता कि वो निर्दोष है. अदालत यूं ही किसी को सजा नहीं देती.

मन पर लगे घाव कभी नहीं भरते

इन दोनों ही मामलों में बस एक चीज कॉमन है जिसे इग्नोर नहीं किया जा सकता. वो है महिला और उनके साथ किया गया शोषण. महिलाओं को नग्न करके प्रताड़ित करना, उनके...

असम के डारंग जिले में महिलाओं के साथ पुलिस ने जो क्रूरता की वो आज की सुर्खियों में है. हर कोई स्तब्ध है कि पुलिस महिलाओं के साथ इतनी बर्बरता कैसे कर सकती है. पुलिस एक लड़के की तलाश में थी जो एक लड़की के साथ भाग गया था. लड़के का कोई सुराग नहीं मिलने पर असम पुलिस ने लड़के की तीन बहनों को रात में उनके घर से उठाया और थाने ले जाकर उन्हें बड़ी बेरहमी से प्रताड़ित किया. महिलाओं के मुताबिक- पुलिस ने इनके कपड़े उतरवा दिए, लातों, घूसों डंडों और जूतों से मारा. बुरी तरह टॉर्चर किया गया. पुलिस ने यौन शोषण भी किया, उनके निजी अंगों को छुआ. तीनों में से एक बहन 3 महीने की गर्भवती थी. एक अफसर ने गर्भवती बहन के प्राइवेट पार्ट् में लात मारी. जिससे उसका गर्भपात हो गया. यही नहीं गन पॉइंट पर कोरे कागज पर उनके दस्तखत भी करवाए गए.

इससे एकदम अलग एक और खबर है, जिसने अपनी तरफ ध्यान खींचा है. मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक बत्तीस साल के शख्स ने बलात्कार का दोषी ठहराए जाने और 10 साल की सजा सुनाए जाने के बाद अदालत में ही जज के सामने अपना गला काटने की कोशिश की. तीन साल पहले फेसबुक पर इस शख्स की दोस्ती एक लड़की से हुई. 2016 में उस लड़की ने युवक के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया. वो गिरफ्तार भी हुआ लेकिन जमानत पर रिहा हो गया. अब उसपर आरोप सिद्ध हुए तो सजा हुई. लेकिन इस खबर के बाद वो युवक जो पहले विलेन था अब सहानुभूति का पात्र बन गया है. युवक की हालत गंभीर है लेकिन उसके आत्महत्या के प्रयास से ये साबित नहीं होता कि वो निर्दोष है. अदालत यूं ही किसी को सजा नहीं देती.

मन पर लगे घाव कभी नहीं भरते

इन दोनों ही मामलों में बस एक चीज कॉमन है जिसे इग्नोर नहीं किया जा सकता. वो है महिला और उनके साथ किया गया शोषण. महिलाओं को नग्न करके प्रताड़ित करना, उनके निजी अंगों को छूने को भले ही आप यौन शोषण कहें, लेकिन एक महिला के लिए क्या ये बलात्कार से कम है? दोनों ही मामलों में वजह चाहे जो भी हो, लेकिन असम की तीन बहनों और मध्यप्रदेश की उस लड़की के साथ जो कुछ भी हुआ उसके घाव शरीर से तो मिट जाएंगे लेकिन जेहन से कभी मिट सकेंगे इसमें संदेह है. बलात्कार के मामले लोगों के लिए महज खबरें हैं जिन्हें आज पढ़कर कल भुला दिया जाता है. लेकिन बलात्कार के बाद जिंदा रहने वाली महिलाएं जीवन भर उस दर्द से बाहर नहीं आ पातीं.

शरीर पर की गई किसी भी जबरदस्ती का असर महिलाओं पर जिस तरह से होता है. उसकी आप कल्पना नहीं कर सकते. बस इतना समझ लीजिए कि रेप सर्वाइवर्स का जीवन सामान्य तो बिल्कुल भी नहीं होता.

रेप के बाद किस तरह बदल जाता है एक लड़की का जीवन

मनोवैज्ञानिक परिवर्तन

इंसान के शारीरिक जख्म तो भर जाते हैं लेकिन मन पर लगे जख्म कभी नहीं भरते. बलात्कार भी एक ऐसा ही जख्म है. एक रेप सरवाइवर बलात्कार के बाद बहुत तकलीफ का अनुभव करती है. ये तकलीफ उसे शर्म, अपराध बोध, चिंता, डर, गुस्सा और दुख सभी भावनाओं का मिला जुला रूप होता है. बलात्कार को हमेशा कलंक माना जाता है, इससे हमेशा ही शर्म की भावना जुड़ी होती है. कुछ लोगों में ये भावना समय के साथ कम भी हो सकती है, लेकिन काफी लोग एक लंबे समय तक मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझते रहते हैं.

Rape survivor में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के लक्षण विकसित हो सकते हैं. जैसे- बुरे सपने या बुरे ख्याल आना, बार-बार वही सब सोचना. उन्हें ये भी महसूस हो सकता है कि वो हमेशा ही खतरे में हैं और उन्हें सुरक्षा की जरूरत है. और ये किसी पर भी भरोसा नहीं कर पाते.

सिर्फ PTSD अकेला मानसिक विकार नहीं है जो बलात्कार के बाद हो सकता है. Rape survivors को मेजर डिप्रेशन, generalized anxiety disorder, obsessive-compulsive disorder और eating disorders भी हो सकता है. और ये उन बच्चियों में ज्यादा हबोने की संभावना होती है जिन्होंने बहुत कम उम्र में यौन शोषण झेला हो.

मानसिक, शारीरिक और व्यवहारिक समस्याओं से जूझती हैं रेप पीड़ित महिलाएं

शारीरिक समस्या

बलात्कार सिर्फ मानसिक रूप से ही नहीं शारीरिकत रूप से भी तोड़ देता है. जिन महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया है उनमें pelvic pain, गठिया(arthritis), पाचन संबंधी समस्या, पुराने दर्द, दौरे और माहवारी से पहले बहुत ज्यादा परेशानी महसूस करना आदि परेशानिया हो सकती हैं. और किसी भी तरह की यौन संक्रमित बीमारी का होना भी आश्चर्य की बात नहीं है.

इतनी ही नहीं बलात्कार से प्रजनन संबंधी समस्याएं भी होती हैं.  rape survivors में यौन इच्छा का कम होना और यौन सक्रीयता भी कम हो जाती है. यौन रूप से सक्रीय हों भी तो वो न तो संतुष्ट होती हैं न खुश. बल्कि दर्द, डर और चिंता का अनुभव कर सकती हैं. और इसके लिए बलात्कार की शर्म और अपराध बोध दोनों ही जिम्मेदार होते हैं. बचपन में यौन हमलों का शिकार हुई लड़कियों में यौन संबंधी गंभीर समस्याएं होने की संभावना होती है.

अस्वस्थ व्यवहार

ये भी देखा गया है कि Rape survivors अक्सर जोखिम भरे यौन व्यवहारों में संलग्न हो जाते हैं, जैसे प्रोटेक्शन का इस्तेमाल नहीं करना या फिर कई लोगों के साथ संबंध रखना. इसके अलावा, बलात्कार से होने वाली उस अप्रिय भावना का सामना करने की कोशिश में कई लोग अलग तरह का व्यवहार विकसित कर लेते हैं. जैसे खुद को चोट पहुंचाना. खतरनाक महसूस होने वाली परिस्थितियों से बचने के लिए वो कुछ भी करते हैं. वो टीवी, अखबार के लेख, या यौन शोषण पर चर्चा करने वाले किसी भी बातचीत से से दूर भागते हैं.

पर क्या इन सारी समस्याओं का इलाज है?

बहुत से rape survivors में ये लक्षण समय के साथ-साथ कम हो जाते हैं. हालाँकि, कइयों के लिए ये लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं. लेकिन इसका इलाज संभव है. ऐसे उपचार उपलब्ध हैं जो बलात्कार के बाद विकसित होने वाले इन नकारात्मक लक्षणों को कम करने में काफी सफल हैं. ऐसे दो उपचार हैं. एक्सपोज़र थेरेपी और कॉग्निटिव-प्रोसेसिंग थेरेपी. ये थेरेपी देने वाले चिकित्सक उपलब्ध हैं. लेकिन इन सबके लिए एक उपचार बहुत जरूरी है और वो है 'साथ' और स्वीकार्यता. ऐसे लोग जो उनकी  हिम्मत बढ़ाएं और शर्म और अपराध बोध वाली भावनाओं को उनके दिल से मिटाने में मदद करें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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