• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

मुम्बई, जिसे ब्रिटेन को पुर्तगाल ने दहेज में दिया था

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 11 जनवरी, 2019 02:02 PM
  • 29 नवम्बर, 2018 12:13 PM
offline
मुंबई की कहानी बहुत रोचक है क्योंकि सदी दर सदी इसमें बदलाव होते गए और ये शहर भारत के लिए हर सदी में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता चला गया. पर सबसे बड़ा बदलाव आया था पुर्तगालों के आने के बाद. जब बॉम्बे दहेज में अंग्रेजों को दे दिया गया.

मुंबई की कहानी भी अपने आप में बड़ी दिलचस्प है. हमारे देश का वो फाइनेंशियल कैपिटल जिसे मायानगरी कहा जाता है. जहां नौकरी पाने के लिए लोग लाखों की तादात में पलायन करते हैं, जिसे देश का एक ऐसा शहर कहा जाता है जहां सपने सच होते हैं. द्वीपों की शक्ल में बना ये शहर असल में नया नहीं है. इसकी सभ्यता इतनी पुरानी है कि आप सोच भी नहीं सकते. दूसरी सदी में भी इसके होने का प्रमाण मिलता है जब मौर्य साम्राज्य में इस द्वीपों के समूह में हिंदुओं और बौद्ध मान्यताओं के लोगों को बसाया गया था.

मुंबई की कहानी बहुत रोचक है क्योंकि सदी दर सदी इसमें बदलाव होते गए और ये शहर भारत के लिए हर सदी में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता चला गया. पर सबसे बड़ा बदलाव आया था पुर्तगालों के आने के बाद.

1534 तक मुगलों की कब्जा पूरे भारत में था और हुमायूं के बढ़ते कद के कारण गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह को डर लगा और वो उपाय खोजने लगे ताकि किसी तरह से मुगलों को दूर रखा जाए. 9वीं सदी से ही मुंबई के द्वीप गुजराती परिवार के पास थे. उसी डर के कारण बहादुर शाह ने पुर्तगालियों के साथ एक संधी की. वो संधी थी बेसिन की संधि (Treaty of Bassein) जो दिसंबर 1534 में हुई थी. इसका मतलब था कि बॉम्बे के 7 द्वीप जो बेसिन शहर के करीब थे (अब बेसिन को वसई कहा जाता है जो मुंबई का ही हिस्सा है.) वो पुर्तगालियों के अंतरगत आ जाएंगे. यही थी मुंबई के बनने की शुरुआत.

क्या हुआ पुर्तगालों के आने के बाद, कैसे दिया गया नाम बॉम्बे?

1534 में पुर्तगालों ने मुंबई द्वीपों को अपने कब्जे में लिया. तब तक भी ये एक शहर नहीं बना था बल्कि कई द्वीपों का समूह था. पुर्तगाली लोग इस शहर में एक ट्रेडिंग सेंटर या फैक्ट्री बनाना चाहते थे. पुर्तगाली इस शहर को बॉम बाहिया (Bom bahia) कहते थे जिसका मतलब था 'the good bay' (एक अच्छी खाड़ी). इसी शब्द को अपभ्रंश कर अंग्रेजों ने कहना शुरू किया बॉम्बे और ऐसे मिला उन द्वीपों के समूह को अपना सबसे प्रचलित नाम बॉम्बे.

मुंबई की कहानी भी अपने आप में बड़ी दिलचस्प है. हमारे देश का वो फाइनेंशियल कैपिटल जिसे मायानगरी कहा जाता है. जहां नौकरी पाने के लिए लोग लाखों की तादात में पलायन करते हैं, जिसे देश का एक ऐसा शहर कहा जाता है जहां सपने सच होते हैं. द्वीपों की शक्ल में बना ये शहर असल में नया नहीं है. इसकी सभ्यता इतनी पुरानी है कि आप सोच भी नहीं सकते. दूसरी सदी में भी इसके होने का प्रमाण मिलता है जब मौर्य साम्राज्य में इस द्वीपों के समूह में हिंदुओं और बौद्ध मान्यताओं के लोगों को बसाया गया था.

मुंबई की कहानी बहुत रोचक है क्योंकि सदी दर सदी इसमें बदलाव होते गए और ये शहर भारत के लिए हर सदी में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता चला गया. पर सबसे बड़ा बदलाव आया था पुर्तगालों के आने के बाद.

1534 तक मुगलों की कब्जा पूरे भारत में था और हुमायूं के बढ़ते कद के कारण गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह को डर लगा और वो उपाय खोजने लगे ताकि किसी तरह से मुगलों को दूर रखा जाए. 9वीं सदी से ही मुंबई के द्वीप गुजराती परिवार के पास थे. उसी डर के कारण बहादुर शाह ने पुर्तगालियों के साथ एक संधी की. वो संधी थी बेसिन की संधि (Treaty of Bassein) जो दिसंबर 1534 में हुई थी. इसका मतलब था कि बॉम्बे के 7 द्वीप जो बेसिन शहर के करीब थे (अब बेसिन को वसई कहा जाता है जो मुंबई का ही हिस्सा है.) वो पुर्तगालियों के अंतरगत आ जाएंगे. यही थी मुंबई के बनने की शुरुआत.

क्या हुआ पुर्तगालों के आने के बाद, कैसे दिया गया नाम बॉम्बे?

1534 में पुर्तगालों ने मुंबई द्वीपों को अपने कब्जे में लिया. तब तक भी ये एक शहर नहीं बना था बल्कि कई द्वीपों का समूह था. पुर्तगाली लोग इस शहर में एक ट्रेडिंग सेंटर या फैक्ट्री बनाना चाहते थे. पुर्तगाली इस शहर को बॉम बाहिया (Bom bahia) कहते थे जिसका मतलब था 'the good bay' (एक अच्छी खाड़ी). इसी शब्द को अपभ्रंश कर अंग्रेजों ने कहना शुरू किया बॉम्बे और ऐसे मिला उन द्वीपों के समूह को अपना सबसे प्रचलित नाम बॉम्बे.

बॉम्बे की संरक्षित डच फैक्ट्री (पुर्तगालियों की फैक्ट्री) जिसका अब ये हाल है.

1626 तक यानी 100 सालों से भी कम समय में ये द्वीपों का समूह एक बड़ा शहर बन चुका था. यहां से कई चीजों का आयात निर्यात किया जाता था और ये एक ऐसा शहर बन गया था जहां बड़े महलों से लेकर आम आबादी के लिए पक्के घरों तक सब कुछ था. जहाज बनाने के लिए एक यार्ड भी बन गया था. गोदाम, किला, मठ आदि सब कुछ.

अंग्रेजों को कैसे मिल गया मुंबई?

1626 में पहली बार अंग्रेजों ने मुंबई की तरफ रुख किया. हालांकि, पुर्तगालियों के साथ 1612 में भी अंग्रेजों ने जंग लड़ी थी, लेकिन मुंबई काफी हद तक सुरक्षित था. तब अंग्रेजों और पुर्तगालियों के बीच जंग चल रही थी और अंग्रेजों ने ये सुना था कि बॉम्बे नाम की जगह पर पुर्तगाली अपने जहाजों की मरम्मत करते हैं. अंग्रेजों ने हमला किया और पुर्तागिलों के दो नए जहाज जला दिए लेकिन फिर भी कई जहाज नहीं मिले और अंग्रेजी सैनिकों ने वहां की बिल्डिंगों में आग लगा दी. फिर भी वो खाली हाथ ही वापस गए.

क्रॉफोर्ड मार्केट मुंबई जो अंग्रेजों के काल में बनाया गया था.

क्योंकि बॉम्बे गहरे पानी का पोर्ट था इसलिए वहां बड़े जहाज आसानी से आ सकते थे. इसलिए ये तार्कित तौर पर बहुत अहम था. इस द्वीपों के समूह को पाने के लिए अंग्रेजों ने बहुत महनत की, लेकिन क्योंकि मुंबई पर किसी भी रास्ते से जमीनी हमला नहीं किया जा सकता था तो ऐसे में अंग्रेजों को रुकना पड़ा.

दहेज में दे दिया गया था बॉम्बे..

आखिर अंग्रेज किसी बाहरी तौर पर बॉम्बे पर कब्जा नहीं कर पाए, लेकिन उन्हें बॉम्बे बड़ी आसानी से मिल गया. बॉम्बे पर अंग्रेजों की नजरें बहुत पहले से थीं, लेकिन वो किसी भी हाल में उसे ले नहीं पाए, लेकिन 1652 में सूरत काउंसिल ऑफ ब्रिटिश अम्पायर ने अंग्रेजों से कहा कि वो बॉम्बे को पुर्तगाल से खरीद लें. बहुत कुछ हुआ उस दौर में, लेकिन महज 9 सालों के अंदर ब्रिटेन के चार्ल्स II की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी कैथरीन से हो गई. 11 मई 1661 को बॉम्बे के 7 द्वीप ब्रिटेन को दहेज में दे दिए गए.

पर इस कस्बे पर चार्ल्स ज्यादा दिन तक राज नहीं कर पाए. वो विवाद से बचना चाहते थे और तब चार्ल्स ने बॉम्बे ईस्ट इंडिया कंपनी को महज 10 पाउंड सोना सालाना के किराए पर दे दिया. और ऐसे मुंबई में आई ईस्ट इंडिया कंपनी.

हालांकि, ईस्ट इंडिया कंपनी के लोगों के लिए ये जगह अनुकूल नहीं थी. अधिकतर यूरोपियन मानते थे कि इस जगह आने के बाद तीन साल के अंदर उनकी मृत्यू हो जाएगी. वहां दो मॉनसून देखने के बाद लोग तीसरा नहीं देख पाते थे. जो बच्चे पैदा होते थे उनमें से भी 20 में से 1 ही बच पाता था और जो पुरुष वहां रहते थे उन्हें लोकल महिलाओं के साथ शादी करने को कहा गया. हालांकि, इंग्लैंड से भी महिलाओं को भेजा गया. धीरे-धीरे वो लोग बॉम्बे के साथ हो लिए.

पर मुगलों ने किया हमला..

अंग्रेजों ने मुगलों के कई जहाज 1688 में अपने कब्जे में लेकर बॉम्बे हार्बर में छुपा लिए थे. उसके बाद फरवरी 1689 में मुगलों ने बॉम्बे पर हमला कर दिया और तब जो लोग भी किले के बाहर रहते थे वो शरण मांगने किले तक पहुंचे. उस समय कंपनी को खासा नुकसान हुआ. इस लड़ाई के बाद मुगलों से अंग्रेजों ने संधी कर ली लेकिन मुंबई की आबादी बहुत घट गई और वो वापस अपने पहले वाले हाल पर चला गया.

धीरे-धीरे मुंबई ने फिर अपनी रफ्तार पकड़ी और एक बार फिर वहां से व्यापार शुरू हुआ. 1853 में मुंबई में रेलवे लाइन आई और शहर के दलदल जो द्वीपों को अलग करते थे उन्हें भर दिया गया और मुंबई को एक बड़ा द्वीप बना दिया गया. जो रेलवे लाइन आई थी वो मुंबई से थाणे तक के लिए ही थी. कंट्रोल बनाए रखने के लिए मुंबई में कई सरकारी बिल्डिंग बनाई गई जो अभी भी साउथ बॉम्बे में हैं. इनमें से दो हैं बॉम्बे मुनिसिपल कॉर्पोरेशन की बिल्डिंग और सीएसटी टर्मिनल (जो पहले विक्टोरिया टर्मिनल था)

विक्टोरिया टर्मिनल और बॉम्बे मुनिसिपल कॉर्पोरेशन की बिल्डिंग.

ये शहर अपनी रफ्तार से बढ़ता गया. 1864 तक यहां 816,562 लोग रहते थे और 1991 तक यानी 130 सालों में ये संख्या 1 करोड़ तक पहुंच गई. 1995 में ये शहर बॉम्बे से बदलकर मुंबई हुआ जो कि मुंबा देवी के नाम पर था. ये मछुआरों की देवी थी जो मुंबई में शुरुआत से रहा करते थे.

ये भी पढ़ें-

अनोखा शहर जहां दो महीने का दिन होता है और 1.5 महीने की रात

दुनिया का सबसे सुदूर शहर, जहां तक कोई सड़क नहीं जाती


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲