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लू लगने से इंसानी जिंदगी क्या पेड़ के पीले पत्तों जैसी झड़ जाएगी!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 16 जून, 2019 08:07 PM
  • 16 जून, 2019 08:07 PM
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पहले ही बिहार में चमकी बुखार से करीब 84 बच्चों की मौत हो चुकी है और अब भीषण गर्मी में लू लगने से मरने वालों की तादात तेजी से बढ़ती जा रही है. लू की चपेट में आकर करीब 70 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है.

हर गुजरते दिन के साथ गर्मी का रूप विकराल होता जा रहा है. यूं तो पूरा देश ही गर्मी की मार झेल रहा है, लेकिन बिहार में गर्मी लोगों के लिए काल बन चुकी है. अभी पहले ही बिहार में चमकी बुखार से करीब 84 बच्चों की मौत हो चुकी है और अब भीषण गर्मी में लू लगने से मरने वालों की तादात तेजी से बढ़ती जा रही है. लू की चपेट में आकर करीब 70 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है. वैसे लू की बात प्राथमिक रूप से कही जा रही है, अभी इसकी जांच के बाद लोगों की मौत की असल वजह का पता चल सकेगा.

गर्मी तो हर साल ही विकराल बन जाती है, लेकिन इतनी भयानक गर्मी कि लोगों की मौत हो जाए, ऐसा कम ही सुनने को मिलता है. जिस तरह अस्पतालों में एक के बाद एक लगातार लोग मरते लगे, वहां मौजूद लोगों में अफरा तफरी मच गई. जैसे अचानक एक ही दिन में लू से 70 लोग मारे गए हैं, वह प्रशासनिक इंतजामों पर भी सवालिया निशान लगाता है. यहां सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर अस्पताल में पहुंच जाने के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा क्यों नहीं सके? नीतीश सरकार ने फिलहाल तो लू की वजह से मरे लोगों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है, लेकिन इस मामले की जांच के बाद कुछ नए पहलू भी सामने आ सकते हैं.

लू की चपेट में आकर बिहार में करीब 70 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है.

रोजी रोटी कमाने के चक्कर में जान गंवा दी

मरने वाले लोगों में अधिकतर ऐसे लोग हैं, जो बेहद ही गरीब तबके हैं. यानी भयंकर गर्मी और लू में रोजी रोटी कमाने गए बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. मौत की एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते शुरुआत में ये लोग अस्पताल नहीं गए हों और जब स्थिति बिगड़ने लगी हो तो अस्पताल गए हों.

हर गुजरते दिन के साथ गर्मी का रूप विकराल होता जा रहा है. यूं तो पूरा देश ही गर्मी की मार झेल रहा है, लेकिन बिहार में गर्मी लोगों के लिए काल बन चुकी है. अभी पहले ही बिहार में चमकी बुखार से करीब 84 बच्चों की मौत हो चुकी है और अब भीषण गर्मी में लू लगने से मरने वालों की तादात तेजी से बढ़ती जा रही है. लू की चपेट में आकर करीब 70 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है. वैसे लू की बात प्राथमिक रूप से कही जा रही है, अभी इसकी जांच के बाद लोगों की मौत की असल वजह का पता चल सकेगा.

गर्मी तो हर साल ही विकराल बन जाती है, लेकिन इतनी भयानक गर्मी कि लोगों की मौत हो जाए, ऐसा कम ही सुनने को मिलता है. जिस तरह अस्पतालों में एक के बाद एक लगातार लोग मरते लगे, वहां मौजूद लोगों में अफरा तफरी मच गई. जैसे अचानक एक ही दिन में लू से 70 लोग मारे गए हैं, वह प्रशासनिक इंतजामों पर भी सवालिया निशान लगाता है. यहां सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर अस्पताल में पहुंच जाने के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा क्यों नहीं सके? नीतीश सरकार ने फिलहाल तो लू की वजह से मरे लोगों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है, लेकिन इस मामले की जांच के बाद कुछ नए पहलू भी सामने आ सकते हैं.

लू की चपेट में आकर बिहार में करीब 70 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है.

रोजी रोटी कमाने के चक्कर में जान गंवा दी

मरने वाले लोगों में अधिकतर ऐसे लोग हैं, जो बेहद ही गरीब तबके हैं. यानी भयंकर गर्मी और लू में रोजी रोटी कमाने गए बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. मौत की एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते शुरुआत में ये लोग अस्पताल नहीं गए हों और जब स्थिति बिगड़ने लगी हो तो अस्पताल गए हों.

अस्पतालों में नाकाफी इंतजाम

खबर ये भी है कि औरंगाबाद के सदर अस्पताल में एक ओर चीख-पुकार मची हुई थी, वहीं दूसरी ओर अस्पताल की इमरजेंसी सेवा महज एक डॉक्टर के भरोसे छोड़ी गई थी. बताया जा रहा है कि एक रात में वहां 40-50 मरीजों का इलाज हुआ, जिनमें से आधे से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया. अगर वाकई स्थिति ऐसी है तो ये साफ हो जाता है कि एक ही रात में इतने अधिक लोग क्यों अपनी जान गंवा बैठे. आखिर एक ही डॉक्टर कैसे इतने सारे मरीजों का इलाज कर सकता है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जांच में अस्पतालों की लापरवाही भी उजागर होगी, या फिर सारा दोष लू के मत्थे ही मढ़ा जाएगा. लू लगने की सूरत में मरीज को तत्काल एसी की जरूरत होती है, लेकिन अस्पतालों में गए मरीजों को वो भी सुविधा नहीं मिल सकी. हालात, इतने खराब थे कि अस्पताल में बर्फ की सिल्लियां तक मंगानी पड़ीं, मरीजों की छाती पर बर्फ तक रगड़ी गई, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद लू का प्रकोप 70 जिंदगियां निगल चुका है.

गर्मी ने तोड़ा 52 सालों का रिकॉर्ड

शनिवार को बिहार की राजधानी पटना में पारा 46 डिग्री तक पहुंच गया, जो पिछले 52 सालों का सबसे अधिक तापमान है. यानी पटना में गर्मी ने पिछले 52 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. तो क्या इतनी अधिक गर्मी हो जाने की वजह से ही लोगों की मौत हो गई? इस तरह दिल्ली में तो तापमान 48 डिग्री तक छू चुका है. बिहार के अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि लोगों की मौत लू लगने से हुई है. उनका कहना है कि मरीजों को लू लगने के बाद हाई फीवर हुआ, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. औरंगाबाद के प्रभारी डीएम सह डीडीसी घनश्याम मीणा ने घटना पर दुख जताते हुए कहा है कि इतने सारे लोगों के एक साथ मारे जाने की जांच होगी. अब इस जांच के बाद क्या निकलकर सामने आता है, ये देखना दिलचस्प होगा.

दवा को असर करने का भी नहीं मिला टाइम

गया के मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों ने जो बताया, वो सुनकर आप समझ सकते हैं कि लोगों की स्थिति कितनी बिगड़ चुकी थी. डॉक्टरों के अनुसार दवा को असर करने में कम से कम एक घंटा लगता है, लेकिन मरीजों की हालत इतनी खराब थी कि वह एक घंटे भी जिंदा नहीं रह सके. बताया जा रहा है कि लोगों के शरीर का तापमान 102-108 डिग्री तक पहुंचा हुआ था, जो लगातार बढ़ता ही जा रहा था. ये देखकर डॉक्टर भी हैरान थे. गया के अलावा औरंगाबाद के सदर अस्पताल से भी डॉक्टरों ने कुछ ऐसी ही जानकारी दी.

लू लगने पर शरीर देता है ये संकेत

अगर किसी को लू लग जाए तो समस्या बड़ी होने से पहले ही शरीर कुछ संकेत देता है, जिन्हें समझकर दिक्कत बढ़ने से पहले खुद को संभाला जा सकता है. लू लगने के शुरुआती संकेत ये होते हैं कि आपको सिरदर्द होगा, बेचैनी होगी, चक्कर आएंगे, कमजोरी महसूस होगी, चिड़चिड़ाहट होगी, बहुत प्यास लगेगी और पसीना भी खूब बहेगा. लगातार बह रहे पसीने से शरीर से नमक की मात्रा भी लगातार कम होती जाएगी, जिसकी वजह से ऐंठन शुरू हो सकती है, जो जानलेवा साबित हो सकता है.

आपको बता दें कि हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेंटिग्रेट होता है, लेकिन अगर ये 40.5 डिग्री सेंटिग्रेट से अधिक हो जाए शरीर के अंग काम करना बंद करने लगते हैं. इसका सीधा असर लिवर, किडनी, मसल्स, दिल और हमारे तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम पर पड़ने लगता है. इसकी वजह से मरीज कोमा मे जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है.

लू से बचने का क्या है तरीका?

सबसे जरूरी है पानी पीते रहना. जैसे ही शरीर का तापमान 37 डिग्री से अधिक होता है, वैसे ही शरीर से पसीना निकलता है, जो हमारी त्वचा को गीला कर कर उसका तापमान वापस कम करता है. ऐसे में आपके शरीर से पानी लगातार निकलता है. अगर इस स्थिति में पानी नहीं पिया जाए तो एक वक्त आएगा जब शरीर में पानी की कमी हो जाएगी और व्यक्ति डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाएगा. इसके बाद शरीर का तापमान भी निंयत्रित नहीं हो पाएगा, जो बढ़ने लगेगा. अगर ये तापमान 40.5 डिग्री से ऊपर गया तो धीरे-धीरे शरीर के एक-एक अंग काम करना बंद कर देंगे और व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

यहां ये बात तो साफ है कि लू का जानलेवा असर तब होता है, जब शरीर का तापमान 40.5 डिग्री से ऊपर चला जाए. ऐसे में अगर लू का कोई संकेत शरीर में दिखे तो तुरंत किसी ठंडी जगह पर जाएं, ताकि शरीर का तापमान नीचे आ सके. अगर मुमकिन हो तो एयरकंडिशनिंग का सहारा लें. ध्यान रहे, अगर ऐसा लगता है कि इन सब के बावजूद राहत नहीं मिल रही है तो तुरंत अस्पताल जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें. ऐसी स्थिति में लापरवाही का मतलब है जिंदगी खतरे में डालना.

बिहार के मामले में जिन लोगों की लू से मौत हुई है, उनमें अधिकतर गरीब तबके हैं. हो सकता है कि पैसों की दिक्कत के चलते वह शुरुआत में ही अस्पताल ना गए हों या फिर लू के संकेतों और इसके दुष्परिणामों को समझ ना सके हों. खैर, लू से मौत होना भी अचानक होने वाली घटना नहीं है, लेकिन बिहार में अचानक एक ही दिन में 70 लोगों को मौत हो गई, जो स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी सवालिया निशान है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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