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क्या प्रधानमंत्री के अपमान पर IPC की कोई विशेष धारा लगती है?

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 26 अप्रिल, 2018 06:01 PM
  • 26 अप्रिल, 2018 06:01 PM
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PM खुद यकीनन किसी के खिलाफ केस नहीं करेंगे, लेकिन राष्ट्रीय सेवक होने के कारण उनके पक्ष से जिले की न्याय प्रणाली में से कोई भी उस व्यक्ति के खिलाफ एक्शन ले सकता है. पर आखिर क्या लिखने या बोलने पर हो सकती है जेल?

2019 चुनाव आने वाले हैं और साथ ही सोशल मीडिया पर मीम वायरल होने का सिलसिला भी शुरू होने वाला है. एक से बढ़कर एक कार्टून, तस्वीरें, नरेंद्र मोदी जोक्स सभी शेयर होंगे, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक फेसबुक पोस्ट या फिर वॉट्सएप पर भेजा गया एक मैसेज किस तरह से जेल की हवा खिलवा सकता है?

क्या कहता है कानून?

न्यायपालिका के सामने भारत के सभी नागरिक बराबर हैं और उन्हें समान अधिकार है. पर अगर कोई किसी की बात से ऑफेंड हो जाए तो वो ऑफेंड करने वाले पर मानहानी यानी डीफेमेशन का केस कर सकता है. यहीं अगर PM की बात हो रही है तो PM खुद यकीनन किसी के खिलाफ केस नहीं करेंगे, लेकिन राष्ट्रीय सेवक होने के कारण उनके पक्ष से जिले की न्याय प्रणाली में से कोई भी उस व्यक्ति के खिलाफ एक्शन ले सकता है. खास तौर पर ये व्यंग्यात्मक कार्टून, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली पोस्ट, हिंसक पोस्ट आदि के लिए होता है.

साथ ही अगर पुलिस को किसी तरह से ये लगा कि किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट या किसी अन्य गतिविधी के कारण कोई हिंसा भड़क सकती है तो भी संबंधित इंसान को गिरफ्तार किया जा सकता है. यहां अगर पीएम की बात हो तो मामला काफी गंभीर हो सकता है.

कौन-कौन सी धाराएं लगेंगी?

1. section 499: मानहानि के लिए

इस धारा के अनुसार कोई भी इंसान - बोलते हुए या लिखते हुए या किसी तरह के इशारे करते हुए या फिर किसी मीडिया के इस्तेमाल से ऐसी कोई बात करता है जिससे किसी दूसरे इंसान को कोई तकलीफ हो या उसकी सामाजिक छवि को ठेस पहुंचे तो उसे मानहानि माना जाएगा.

इसमें कुछ अपवाद भी माने गए हैं जिसमें अगर लिखी या कही गई बात सही है और उससे समाज की कोई भलाई हो रही है तो उसे डिफेमेशन नहीं माना जाएगा, लेकिन उसके अलावा और कुछ नहीं. इस...

2019 चुनाव आने वाले हैं और साथ ही सोशल मीडिया पर मीम वायरल होने का सिलसिला भी शुरू होने वाला है. एक से बढ़कर एक कार्टून, तस्वीरें, नरेंद्र मोदी जोक्स सभी शेयर होंगे, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक फेसबुक पोस्ट या फिर वॉट्सएप पर भेजा गया एक मैसेज किस तरह से जेल की हवा खिलवा सकता है?

क्या कहता है कानून?

न्यायपालिका के सामने भारत के सभी नागरिक बराबर हैं और उन्हें समान अधिकार है. पर अगर कोई किसी की बात से ऑफेंड हो जाए तो वो ऑफेंड करने वाले पर मानहानी यानी डीफेमेशन का केस कर सकता है. यहीं अगर PM की बात हो रही है तो PM खुद यकीनन किसी के खिलाफ केस नहीं करेंगे, लेकिन राष्ट्रीय सेवक होने के कारण उनके पक्ष से जिले की न्याय प्रणाली में से कोई भी उस व्यक्ति के खिलाफ एक्शन ले सकता है. खास तौर पर ये व्यंग्यात्मक कार्टून, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली पोस्ट, हिंसक पोस्ट आदि के लिए होता है.

साथ ही अगर पुलिस को किसी तरह से ये लगा कि किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट या किसी अन्य गतिविधी के कारण कोई हिंसा भड़क सकती है तो भी संबंधित इंसान को गिरफ्तार किया जा सकता है. यहां अगर पीएम की बात हो तो मामला काफी गंभीर हो सकता है.

कौन-कौन सी धाराएं लगेंगी?

1. section 499: मानहानि के लिए

इस धारा के अनुसार कोई भी इंसान - बोलते हुए या लिखते हुए या किसी तरह के इशारे करते हुए या फिर किसी मीडिया के इस्तेमाल से ऐसी कोई बात करता है जिससे किसी दूसरे इंसान को कोई तकलीफ हो या उसकी सामाजिक छवि को ठेस पहुंचे तो उसे मानहानि माना जाएगा.

इसमें कुछ अपवाद भी माने गए हैं जिसमें अगर लिखी या कही गई बात सही है और उससे समाज की कोई भलाई हो रही है तो उसे डिफेमेशन नहीं माना जाएगा, लेकिन उसके अलावा और कुछ नहीं. इस सेक्शन के तहत अगर किसी को चार्ज किया गया है तो उसे सेक्शन 500 के तहत दो साल तक की जेल, जुर्माना (केस करने वाले और किस तरह का डिफेमेशन हुआ है इसपर निर्भर करता है.) या फिर दोनों हो सकते हैं.

2. Section 505: अफवाहें फैलाने के लिए

चुनाव आते-आते नेताओं के बारे में अफवाहें भी फैलने लगती हैं. जैसे पीएम की फोटो किसी ने फोटोशॉप कर दी. पीएम के बारे में या भारत के कानून के बारे में कई चीजें लिख दीं या फिर कोई भी अफवाह फैला दी, किसी सैनिक, पुलिस, कानूनी व्यक्ति के बारे में, किसी आम व्यक्ति के बारे में जिससे उसका नुकसान हो, या फिर कोई ऐसी बात जिससे हिंसा बढ़े या फिर वो समाज के हित में न हो तो ये भी डिफेमेशन के तहत आता है. इस सेक्शन के अंतरगत खास तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले लोग, दंगे की मंशा रखने वाले लोग, किसी को भड़काने की कोशिश करने वाले लोग भी आते हैं.

इस सेक्शन के तहत चार्ज लगने पर 3 साल की सज़ा, जुर्माना या दोनों ही लग सकते हैं.

3. Section 294: अभद्रता के लिए

ये सेक्शन अक्सर उन लोगों पर लगाया जाता है जो पब्लिक प्लेस पर गालियों का या अभद्र भाषा या हरकतों का इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह अभद्रता से जुड़े हुए सेक्शन 292 और 293 भी हैं. इस धारा के तहत सिर्फ तभी चार्ज किया जा सकता है अगर कोई घटना पब्लिक प्लेस पर हुई हो. और कोई इससे ऑफेंड हुआ हो. अगर ऐसा हुआ है तो तीन महीने तक की जेल या फिर फाइन या फिर दोनों हो सकते हैं.

खास बात ये है कि अगर कहीं कोई किसी पब्लिक प्लेस में खुद पीएम के खिलाफ कुछ कह रहा है तो सेक्शन 294 के साथ-साथ अन्य धाराओं से भी चार्ज किया जा सकता है, जैसे सेक्शन 294 के साथ-साथ सेक्शन 499 भी लगा दिया जाएगा.

4. Section 66A (IT act 2008) : सोशल मीडिया के लिए

पीएम मोदी, कानून या संसद के डीफेमेशन के नाम पर जो सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं वो इसी सेक्शन के अंतरगत हुई हैं. कारण? ये सोशल मीडिया के लिए बनाया गया एक्ट है जिसके कारण लिखी गई बात बहुत से लोगों तक पहुंच जाती है. इसे असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी से बहुत ज्यादा लोकप्रियता मिली थी. संसद के विवादित कार्टून फेसबुक और अपनी वेबसाइट पर शेयर करने के मामले में असीम त्रिवेदी को गिरफ्तार किया गया था. मेरट के एक जर्नलिस्ट को वॉट्सएप पर पीएम मोदी का अपमानजनक वीडियो शेयर करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

वकील अपार गुप्ता का कहना है कि ये सेक्शन 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने स्क्रैप कर दिया था, लेकिन अभी भी कई जगह इसका इस्तेमाल होता है. इसे पुलिस की लापरवाही कहें या फिर जानकारी की कमी पर ऐसा होता जरूर है.

इस सेक्शन के तहत अनेक केस ऐसे हुए हैं जिसमें पीएम मोदी से जुड़े किसी कमेंट पर किसी पोस्ट पर लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है या फिर समाज का विरोध झेलना पड़ा है.

इन सभी धाराओं में से किसी के तहत भी चार्ज लगाया जा सकता है उन लोगों पर जो पीएम के खिलाफ बोलेंगे. दरअसल, ये आम धाराएं हैं जिनके तहत सिर्फ पीएम ही नहीं लेकिन हिंदुस्तान के बाकी सभी लोगों के लिए भी ऐसा ही कानून है. क्योंकि पीएम खुद किसी की शिकायत नहीं करेंगे इसलिए उनके लिए पुलिस या कोई और ये काम कर सकता है. उदाहरण के तौर पर अगर मुझे किसी के द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ कही बात बुरी लगती है तो मैं आसानी से उसपर केस कर सकती हूं. ये सभी नियम और कानून उन लोगों को जान लेने जरूरी हैं जिन्हें लगता है कि सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल लेने से कुछ नहीं होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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