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सबसे ज्यादा IAS देने वाला राज्य, जो अब है नकलचियों का इलाका

    • जगत सिंह
    • Updated: 26 फरवरी, 2017 03:47 PM
  • 26 फरवरी, 2017 03:47 PM
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बीएसएससी पर्चा लीक, बिहार के नाम एक और कलंक है. एक समय बिहार को सबसे ज्यादा IAS/IPS देने वाला राज्य माना जाता था और लगातार हुए घोटालों के बाद अब लगता है कि ये नकलचियों और घोटालों का राज्य ज्यादा बन गया है.

इस वर्ष बीएसएससी पर्चा लीक का मामला उजागर हुआ है. पर्चा लीक मामले में बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार सहित अन्य पांच आरोपी प्रो. अवधेश कुमार, उनकी पत्नी मंजू देवी (अध्यक्ष की भाभी), अध्यक्ष के भांजे आशीष कुमार, दलाल सज्जाद अहमद और बीएसएससी के आईटी मैनेजर निति रंजन प्रताप को जेल भेज दिया गया है. एक समय बिहार को सबसे ज्यादा IAS/IPS देने वाला राज्य माना जाता था और लगातार हुए घोटालों के बाद अब लगता है कि ये नकलचियों और घोटालों का राज्य ज्यादा बन गया है. तो कैसे हुई इन घोटालों की शुरुआत?

पेपर लीक मामले में आरोपियों को शनिवार को कोर्ट भेजा गया.

1995 में ही पड़ी थी शिक्षा की नींव में दरार...

बिहार में शिक्षा घोटालों का इतिहास नया नहीं है. 1995 के बीएड डिग्री घोटाले के बाद तो इसका सिलसिला चल पड़ा है. बीएसएससी पेपर लीक कांड उसी की ताजा कड़ी है. करीब दो दशक से बिहार में एक के बाद एक शिक्षा घोटाले हुए. बीएड डिग्री घोटाला, कैट पेपर लीक, टीईटी पेपर लीक, इंटर टॉपर घोटाला और अब बीएसएससी पेपर लीक कांड सुर्खियों में है. इन घोटालों की नींव 1995 में बीएड डिग्री घोटाले से पड़ी.

बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार

नजर डालते हैं बिहार के कुछ बहु चर्चित शिक्षा घोटालों पर:

बीएड डिग्री घोटाला : मगध और दरभंगा विश्वविद्यालय के माध्यम से 1995 में उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के बीएड कॉलेजों को मान्यता दी गई. वहां दो से ढाई लाख में बीएड की डिग्री बाटीं जाती थीं. मामले में बिहार निगरानी...

इस वर्ष बीएसएससी पर्चा लीक का मामला उजागर हुआ है. पर्चा लीक मामले में बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार सहित अन्य पांच आरोपी प्रो. अवधेश कुमार, उनकी पत्नी मंजू देवी (अध्यक्ष की भाभी), अध्यक्ष के भांजे आशीष कुमार, दलाल सज्जाद अहमद और बीएसएससी के आईटी मैनेजर निति रंजन प्रताप को जेल भेज दिया गया है. एक समय बिहार को सबसे ज्यादा IAS/IPS देने वाला राज्य माना जाता था और लगातार हुए घोटालों के बाद अब लगता है कि ये नकलचियों और घोटालों का राज्य ज्यादा बन गया है. तो कैसे हुई इन घोटालों की शुरुआत?

पेपर लीक मामले में आरोपियों को शनिवार को कोर्ट भेजा गया.

1995 में ही पड़ी थी शिक्षा की नींव में दरार...

बिहार में शिक्षा घोटालों का इतिहास नया नहीं है. 1995 के बीएड डिग्री घोटाले के बाद तो इसका सिलसिला चल पड़ा है. बीएसएससी पेपर लीक कांड उसी की ताजा कड़ी है. करीब दो दशक से बिहार में एक के बाद एक शिक्षा घोटाले हुए. बीएड डिग्री घोटाला, कैट पेपर लीक, टीईटी पेपर लीक, इंटर टॉपर घोटाला और अब बीएसएससी पेपर लीक कांड सुर्खियों में है. इन घोटालों की नींव 1995 में बीएड डिग्री घोटाले से पड़ी.

बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार

नजर डालते हैं बिहार के कुछ बहु चर्चित शिक्षा घोटालों पर:

बीएड डिग्री घोटाला : मगध और दरभंगा विश्वविद्यालय के माध्यम से 1995 में उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के बीएड कॉलेजों को मान्यता दी गई. वहां दो से ढाई लाख में बीएड की डिग्री बाटीं जाती थीं. मामले में बिहार निगरानी ब्यूरो ने 1999 में छह अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की थी. इस मामले में तत्कालीन शिक्षा मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव को 2000 में जेल जाना पड़ा था, जबकि शिक्षा राज्य मंत्री रहे जीतनराम मांझी को अग्रिम जमानत मिल गई थी.

मेडिकल प्रवेश परीक्षा पेपर लीक : 2002 में मेडिकल प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पेपर लीक मामले में 22 नवंबर 2003 को दिल्ली से डॉ. रंजीत को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. रंजीत डॉन नाम से प्रसिद्ध यह शिक्षा माफिया नालंदा जिले का निवासी है. इस मामले में नालंदा निवासी राजीव की गिरफ्तारी हुई थी. राजीव मुंबई में प्रिंटिंग प्रेस से पेपर लीक करता था. सीबीआई ने मामले में 162 गवाह बनाए, जिसमें 103 की गवाही हो सकी है. यह मामला अंडर ट्रायल है.

2015 में 10वीं की परीक्षा को रद्द कर दिया गया था क्योंकि कुछ इस तरह से नकल की तस्वीरें सामने आई थीं.

शिक्षकों की बहाली : बिहार में शिक्षकों की बहाली में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जांच का आदेश पटना हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2015 को दिया था. 2011 से 2013 के बीच 94 हजार शिक्षकों की बहाली के लिए वैकेंसी निकाली गई थी, जिसमें 40 हजार फर्जी सर्टिफिकेट जांच के दायरे में हैं. 3000 शिक्षकों से इस्तीफा लिया जा चुका है. हालांकि अभी कार्रवाई बाकी है.

टॉपर घोटाले : पिछले वर्ष 2016 सामने आए टॉपर घोटाले ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को एक बार फिर उजागर कर दिया. इस मामले ने खूब तूल पकड़ा. बाद में कई वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी और उस कॉलेज के प्रिंसिपल समेत करीब 30 लोग गिरफ्तार कर लिए गए. री-टेस्ट और इंटरव्यू में रूबी एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाई थी. 12वीं के नतीजों में टॉप करने वाले कुछ छात्रों की पोल खुलने पर हड़कम्प मच गया. टॉपर घोटाले में विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद अभी तक जेल से बाहर नहीं निकल सके हैं. इस मामले में आरोपी उनकी पत्नी और पूर्व विधायक डॉ. ऊषा सिन्हा जेल से बाहर आ चुकी हैं और मास्टरमाइंड बच्चा राय पर आरोप गठन की प्रक्रिया चल रही है.

इसके बाद जून 2016 में बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, 'शिक्षा विभाग राज्य में शिक्षा का स्तर बनाए रखने के लिए 'ऑपरेशन क्लीन अप' शुरू करेगा.

इन तमाम घटनाओं ने कभी बिहार के विश्व गुरु के सम्मान को ठेस पहुचगहने का काम किया है, बीएसएससी इंटर स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक से पहले इस गिरोह के लोग विभिन्न परीक्षाओं में सेटिंग कर नौकरियां लगवाने का धंधा कर रहे थे. इनमें अधिकतर नालंदा के युवक हैं. कभी इसी बिहार में नालंदा, विक्रम शिला जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालय रहे. जिस बिहार ने 3500 वर्ष तक भारतवर्ष पर शासन किया बिहार के सम्मान को उत्कर्ष पर पहुंचाया, महर्षि पतंजलि का महाभाष्य, पाणिनी का अष्टाध्यायी और कौटिल्य का अर्थशास्त्र जैसे अपूर्व ग्रंथ इसी काल के हैं, जहाँ के छात्र अपनी बुद्धी के बल पर देश के सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में और बहुतायत से आईआईटी और मेडिकल की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करते हैं, पिछले एक दशक में बिहार में साक्षरता वृद्धि की दर 17 प्रतिशत होने को रिपोर्ट में शुभ संकेत माना गया है. उसी बिहार की वर्त्तमान शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ शासन तंत्र पर आज गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं में कदाचार के प्रत्येक साल खबरें आती हैं, बिहार की खस्ताहाल शिक्षा व्यवस्था, बार-बार किसी न किसी रूप में सामने आती रहती है.

बीएसएससी पर्चा लीक, बिहार के नाम एक और कलंक है, क्या बिहार अपने दामन पर लगे इस कलंक को जल्द धो पायेगा? ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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