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पहले पेग से लेकर मोक्ष प्राप्ती तक.. ये होती है हर पार्टी की 9 स्टेज...

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 18 नवम्बर, 2017 05:54 PM
  • 18 नवम्बर, 2017 05:54 PM
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पहले पेग से लेकर आखिरी तक.. किसी पार्टी में क्या-क्या होता है... ये भी जान लीजिए जनाब...

आजकल पार्टी का मतलब एक ही निकाला जाता है. दारू पीना और मस्ती करना. हर बात पर पार्टी, फेसबुक पोस्ट पर ज्यादा कमेंट आने से लेकर पप्पू के पास होने तक हर बात पर पार्टी की जाती है. वीकएंड मनाने के लिए भी पार्टी होती है. छोटी पार्टी और बड़ी पार्टी भी होती है, लेकिन आखिर इस पार्टी की शुरुआत कैसे होती है और कैसे इसमें रंग भरा जाता है. हर पार्टी का एक तय पैटर्न होता है और इसी क्रम में शायद काम किया जाता है...

1. पहला पेग..

पहला पेग जैसे ही गले के नीचे उतरता है वैसे ही लगता है कि बस दिन की थकान उतर गई और इसके लिए ही ऑफिस के धक्के खाए थे और ट्रैफिक झेला था. चाहें ठंडी बियर हो या फिर आरामदेह विस्की सब बढ़िया है.

2. दूसरा पेग..

'ये जो हल्का-हल्का सुरूर है'.. इस पेग के बाद हल्का-हल्का सुरूर आता है और पूरे दिन की गॉसिप बाहर आती है. अभी तक सिर्फ गॉसिप ही बाहर आ रहा है, लेकिन पार्टी भी अभी बाकी है और रंग चढ़ना भी.

3. तीसरा पेग..

तीसरे पेग के बाद आता है जनाब 'अरे मैं तो अभी ठीक हूं' स्टेज. इस स्टेज में लोग ऐसा दिखाते हैं कि जैसे उन्हें तो इतना पीने से कुछ हुआ ही नहीं, लेकिन अंदर ही अंदर बहुत कुछ चल रहा होता है.

4. चौथा पेग..

चौथा पेग अंदर जाते ही अच्छे-अच्छों की हालत थोड़ी डोलने लगती है. इस पेग के बाद दोस्त पूछते हैं कि...

आजकल पार्टी का मतलब एक ही निकाला जाता है. दारू पीना और मस्ती करना. हर बात पर पार्टी, फेसबुक पोस्ट पर ज्यादा कमेंट आने से लेकर पप्पू के पास होने तक हर बात पर पार्टी की जाती है. वीकएंड मनाने के लिए भी पार्टी होती है. छोटी पार्टी और बड़ी पार्टी भी होती है, लेकिन आखिर इस पार्टी की शुरुआत कैसे होती है और कैसे इसमें रंग भरा जाता है. हर पार्टी का एक तय पैटर्न होता है और इसी क्रम में शायद काम किया जाता है...

1. पहला पेग..

पहला पेग जैसे ही गले के नीचे उतरता है वैसे ही लगता है कि बस दिन की थकान उतर गई और इसके लिए ही ऑफिस के धक्के खाए थे और ट्रैफिक झेला था. चाहें ठंडी बियर हो या फिर आरामदेह विस्की सब बढ़िया है.

2. दूसरा पेग..

'ये जो हल्का-हल्का सुरूर है'.. इस पेग के बाद हल्का-हल्का सुरूर आता है और पूरे दिन की गॉसिप बाहर आती है. अभी तक सिर्फ गॉसिप ही बाहर आ रहा है, लेकिन पार्टी भी अभी बाकी है और रंग चढ़ना भी.

3. तीसरा पेग..

तीसरे पेग के बाद आता है जनाब 'अरे मैं तो अभी ठीक हूं' स्टेज. इस स्टेज में लोग ऐसा दिखाते हैं कि जैसे उन्हें तो इतना पीने से कुछ हुआ ही नहीं, लेकिन अंदर ही अंदर बहुत कुछ चल रहा होता है.

4. चौथा पेग..

चौथा पेग अंदर जाते ही अच्छे-अच्छों की हालत थोड़ी डोलने लगती है. इस पेग के बाद दोस्त पूछते हैं कि क्या आप ठीक हैं? पहला जवाब होता है हां, फिर आता है नहीं और बस फिर क्या सारी भड़ास निकलने लगती है. दो पेग में जो गॉसिप था वो अब भड़ास बन चुका है. चाहें ऑफिस वालों को गाली देना हो या फिर टूटे दिल की दुहाई देना. सब चलता है.

5. पांचवा पेग..

'तू भाई है अपना' ये स्टेज कुछ लोगों के लिए तीसरे पेग के बाद आ जाती है तो कुछ के लिए ये पांचवें पेग तक इंतजार करती है. इस स्टेज पर उमड़ा प्यार किसी का मोहताज नहीं होता. यही वो दौर होता है जब दोस्त भाई बन जाता है.

6. छठवां पेग...

छठवें पेग के बाद आती है 'मुझे सब पता है...' स्टेज. इस स्टेज की खासियत ये है कि इसमें किसी भी सवाल का जवाब तुरंत मिल सकता है और जवाब गलत होने के बावजूद इतने कॉन्फिडेंस से कहा जाता है कि जैसे IAS के टॉपर अपने इंटरव्यू में जवाब दे रहे हों.

7. सातवां पेग..

इस पेग के बाद जो भी पी रहा होता है वो आधिकारिक रूप से टैंकर कह दिया जाता है. यहां किसी शब्द की जगह नहीं रह जाती और डांस ही सब कुछ होता है. मैं शराबी मैं शराबी गाना अति उत्साहित कर देता है. किसी के लिए भी किसी के साथ भी इस पेग के बाद तो बस ऐसा लगता है कि जिंदगी सबसे अच्छी चीज है.

8. मोक्ष..

ये पेग होता है कई लोगों के लिए आखिरी. ये इसपर भी निर्भर करता है कि आप क्या पी रहे हैं, लेकिन चाहें जो भी पी रहे हों इस पेग के बाद सीधे नॉक आउट ही होता है. बहुत कम ऐसे लोग हैं जो इसके बाद भी पीने लायक हालत में रह पाते हैं. या तो इसके बाद बेहोश हो जाते हैं या फिर उल्टियों का गंभीर दौर शुरू हो जाता है. पर ये पेग अपार सुख शांती देता है ऐसा कई लोगों का दावा है.

9. नर्क...

ये है जी पार्टी खत्म होने के बाद का दौर. सिर दर्द, उल्टियां और कई लोगों को डांस के बाद हुआ कमर और हाथ पैर का दर्द भी परेशान करता है. ये तो यकीन मानिए कि दूसरे दिन सोकर उठना पहाड़ तोड़ने से भी ज्यादा मुश्किल होता है और पार्टी के बाद का नर्क बस इंतजार ही कर रहा होता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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