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फरार हिस्ट्रीशीटर का चैलेंज... कानून के हाथ होते हैं , और अपराधी के पैर!

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 07 फरवरी, 2021 06:59 PM
  • 07 फरवरी, 2021 06:59 PM
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एक कुख्यात हिस्ट्रीशीटर 'खोपड़ी' की इस खुली धमकी के बाद मुंबई पुलिस ने तो उसे धर-दबोचा, लेकिन लाल किले में हुई हिंसा के बाद आरोपियों की तलाश कर रही दिल्ली पुलिस क्या इससे कुछ सीख लेगी? rnफरार आरोपी सरेआम सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर रहे हैं.

'यहां तक ​​कि भगवान भी मुझे नहीं पकड़ सकते, पुलिसवालों के बारे में तो भूल ही जाओ'...ऐसी खुलेआम धमकी एक कुख्यात हिस्ट्रीशीटर ने मुंबई पुलिस को दी. पुलिस की जब इज्जत पर बन आई, तो सक्रिय हो गई. अपने मुखबीरों को अलर्ट किया. इसके बाद लूट की एक बड़ी वारदात अंजाम देने से पहले पुलिस ने उस शातिर बदमाश को धर दबोचा. 'खोपड़ी' नाम से मशहूर इस बदमाश ने एक मुखबिर के जरिए ही मुंबई के आरे थाने के पुलिस अधिकारियों को ये संदेश भिजवाया था. सलाखों के पीछे जाने के बाद अब उसका बयान बदल गया है.

'खोपड़ी' के नाम से कुख्यात इस 26 वर्षीय बदमाश का असली नाम पप्पू हरिश्चंद्र है.

हवालात की हवा खा रहे इस बदमाश से जब पुलिस ने पूछा, 'हां, भाई क्या कहा था तुमने?' इस पर बड़े मासूम ढंग से उसने जवाब दिया, 'भगवान तो कभी मुझे नहीं पकड़ सकते थे, लेकिन मैं पुलिसवालों के बारे में भूल ही गया था.' अपने इलाके में 'खोपड़ी' के नाम से कुख्यात इस 26 वर्षीय बदमाश का असली नाम पप्पू हरिश्चंद्र है. इसके खिलाफ मुंबई के पवई, साकी नाका, एमआईडीसी, आरे आदि पुलिस स्टेशनों में दर्जनों आपराधिक केस दर्ज हैं. यह पिछले कई वर्षों से फरार चल रहा था. लेकिन पुलिस इसे गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी.

पुलिस उप-निरीक्षक उल्हास खोलम ने बताया कि आरोपी साल 2013 से फरार चल रहा था. इसी दौरान उसने हमें एक चुनौती दी. उसने कहा कि भगवान भी उसे पकड़ नहीं सकते. पुलिस के बारे में तो भूल ही जाओ. इस चुनौती के बाद से ही वह हमारे रडार पर था. इसी बीच हमें सूचना मिली की आरोपी बदमाश मुंबई के पॉश इलाके रॉयल पाम के एक घर में डकैती की योजना बना रहा है. सादी वर्दी में पुलिसवालों को वहां तैनात कर दिया गया. बदमाश जैसे ही वहां पहुंचा पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से देसी कारतूस और तमंचे मिले...

'यहां तक ​​कि भगवान भी मुझे नहीं पकड़ सकते, पुलिसवालों के बारे में तो भूल ही जाओ'...ऐसी खुलेआम धमकी एक कुख्यात हिस्ट्रीशीटर ने मुंबई पुलिस को दी. पुलिस की जब इज्जत पर बन आई, तो सक्रिय हो गई. अपने मुखबीरों को अलर्ट किया. इसके बाद लूट की एक बड़ी वारदात अंजाम देने से पहले पुलिस ने उस शातिर बदमाश को धर दबोचा. 'खोपड़ी' नाम से मशहूर इस बदमाश ने एक मुखबिर के जरिए ही मुंबई के आरे थाने के पुलिस अधिकारियों को ये संदेश भिजवाया था. सलाखों के पीछे जाने के बाद अब उसका बयान बदल गया है.

'खोपड़ी' के नाम से कुख्यात इस 26 वर्षीय बदमाश का असली नाम पप्पू हरिश्चंद्र है.

हवालात की हवा खा रहे इस बदमाश से जब पुलिस ने पूछा, 'हां, भाई क्या कहा था तुमने?' इस पर बड़े मासूम ढंग से उसने जवाब दिया, 'भगवान तो कभी मुझे नहीं पकड़ सकते थे, लेकिन मैं पुलिसवालों के बारे में भूल ही गया था.' अपने इलाके में 'खोपड़ी' के नाम से कुख्यात इस 26 वर्षीय बदमाश का असली नाम पप्पू हरिश्चंद्र है. इसके खिलाफ मुंबई के पवई, साकी नाका, एमआईडीसी, आरे आदि पुलिस स्टेशनों में दर्जनों आपराधिक केस दर्ज हैं. यह पिछले कई वर्षों से फरार चल रहा था. लेकिन पुलिस इसे गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी.

पुलिस उप-निरीक्षक उल्हास खोलम ने बताया कि आरोपी साल 2013 से फरार चल रहा था. इसी दौरान उसने हमें एक चुनौती दी. उसने कहा कि भगवान भी उसे पकड़ नहीं सकते. पुलिस के बारे में तो भूल ही जाओ. इस चुनौती के बाद से ही वह हमारे रडार पर था. इसी बीच हमें सूचना मिली की आरोपी बदमाश मुंबई के पॉश इलाके रॉयल पाम के एक घर में डकैती की योजना बना रहा है. सादी वर्दी में पुलिसवालों को वहां तैनात कर दिया गया. बदमाश जैसे ही वहां पहुंचा पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से देसी कारतूस और तमंचे मिले हैं.

मुंबई की इस घटना से एक बात तो साफ हो जाती है कि पुलिस जब चाहे तब अपराध और अपराधी को नियंत्रण में कर सकती है. लेकिन उसके हाथ 'जेब' में होते हैं. जबतक की हाईकमान से आदेश नहीं आता पुलिस के हाथ जेब से बाहर नहीं निकलते. कुछ ऐसा ही इनदिनों किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद से देखने को मिल रहा है. सरेआम कुछ अराजक तत्वों ने दिल्ली के लाल किले पर उपद्रव किया. वहां गैर-कानूनी ढंग से धर्म विशेष का झंडा फहराया, लेकिन पुलिस इस मामले में अभी तक केवल केस दर्ज करके जांच ही कर रही है.

अराजक तत्वों और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर अभी तक उनके खिलाफ ईनाम ही घोषित किया गया है. सभी आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. 26 जनवरी को हुई इस घटना के बाद से ही पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है. इस बीच एक आरोपी दीप सिद्धू लगातार अपनी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा है. पहले उसने किसान नेताओं को धमकी दी और अब एक इमोशनल वीडियो शेयर करके खुद को बेगुनाह बता रहा है. एक आरोपी लक्खा सिधाना तो सिंघु बॉर्डर पर भी पहुंच गया, लेकिन पुलिस को कोई सूचना नहीं थी.

सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करके लक्खा सिधाना ने पंजाब के लोगों से अपील की है कि छह फरवरी के प्रस्तावित चक्का जाम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें. वह किसानों से आंदोलन को तेज करने की बात भी कर रहा है. यहां तक कि उसने किसान नेताओं से मांग की है कि किसी भी हाल में पीछे न हटें. सरकार सभी हथकंडे अपना रही है किसान आंदोलन को खत्म करने की, लेकिन किसान डटे रहेंगे. उसने किसानों से एकता बनाए रखने की अपील की है. यह सबकुछ सोशल मीडिया पर सरेआम हो रहा है. लेकिन पुलिस को किसी की कोई खोज-खबर नहीं है.

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने लाल किले में हुई हिंसा में शामिल 12 आरोपियों की तस्वीर जारी की है. सभी 12 आरोपियों की पहचान हो गई है. बताया जा रहा है कि सभी आरोपी पंजाब और यूपी के रहने वाले हैं. हालांकि, इस मामले में पंजाब के पटियाला के तीन किसानों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें गांव लखोमाजरा का किसान हरविंदर सिंह, गांव कसियाना का किसान अजयपाल और समाना के नजदीकी गांव घंगरौली का रहने वाला किसान रजिंदर सिंह शामिल हैं. लेकिन ये वो लोग जिनके खिलाफ गंभीर मामले पहले से दर्ज नहीं है. वहीं, हिस्ट्रीशीटर अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.

एक कहावत अक्सर कही और सुनी जाती है, 'कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं.' लेकिन कानून की ये पहुंच किस काम की है, जब देश के खिलाफ द्रोह करने वाले लोग खुलेआम घूम रहे हों. सरेआम सोशल मीडिया पर अपने वीडियो बनाकर डाल रहे हों. अपनी बातों से लोगों को उकसा रहे हों. हमारी पुलिस ट्विटर पर शेयर किए एक किसी डाक्यूमेंट्स को बनाने वाले के खिलाफ केस दर्ज करके उसकी जांच और तलाश करने में व्यस्त है. जब देश के अंदर बैठे आरोपियों तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पा रहे, तो विदेश में बैठे किसी अपराधी तक कैसे पहुंच पाएंगे. जबकि विजय माल्या और नीरव मोदी का उदाहरण हमारे सामने है.





इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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