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समाज

रेप हुआ तो क्या ये पांच बच्चियां अभागी हो गईं?

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 14 सितम्बर, 2016 07:19 PM
  • 14 सितम्बर, 2016 07:19 PM
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9 साल की एक बच्ची से खुद उसके पिता ने बलात्कार किया. अब उसकी मां रोजाना उसे 'वेश्या' कहती है और पिता के जेल जाने के लिए उसे ही कसूरवार कहती है. पढि़ए ऐसी बच्चियों के बारे में. उनके साथ जो हुआ, उसमें उन्‍हें अभागा क्‍यों माना जाए ?

भारत में रेप बहुत ही सामान्य सा शब्द है. लेकिन इसके बाद पीड़िताओं पर जो भी बीतता है वो जरा भी सामान्य नहीं होता. खबरों में हमें एक दरिंदे की दरिंदगी तो दिखाई देती है, लेकिन उस पीड़ा को हम कभी समझ नहीं सकेंगे जो भोगने वाले के मन पर और उसके पूरे परिवार पर बीतती है, खासतौर पर जब वो कम उम्र की छोटी बच्चियां हों.

ऐसी ही बलात्कार भोगी पांच बच्चियों की कहानियों को डेली मेल ने साझा किया जिसे सबके सामने लाना जरूरी है. इन बच्चियों (इनके नाम बदल दिए गए हैं) की दास्तान मन को झकझोर देने के लिए काफी हैं.

7 साल की हो चुकी दीप्ति, तब केवल 4 साल की थी जब उसके पड़ोसी ने उसका बलात्कार किया था. मां बाजार गई थीं, पिता नहा रहे थे और दीप्ति छत पर खेल रही थी. मौका पाते ही पड़ोसी ने उसे दबोच लिया. पिता नहा कर आए तो दीप्ति से पूछा कि उसकी पैंट गीली क्यों है, तब दीप्ति ने सब बताया.

 4 साल की उम्र में हुई रेप की शिकार

पुलिस को खबर की गई, परिजनों ने दीप्ति के लिए चिकित्सा सुविधा की मांग की. लेकिन अफसरों ने कहा- 'आपकी बेटी स्वस्थ लग रही है, हमें जांच के लिए केवल उसकी पैंट की जरूरत है'.

अपराध की गंभीरत को दरकिनार करते हुए समाज ने बलात्कारी का साथ दिया क्योंकि वो अपने परिवार का इकलौता पुरुष सदस्य था, अगर उसे जेल हो जाती तो परिवार चलाने वाला कोई नहीं होता.

भारत में रेप बहुत ही सामान्य सा शब्द है. लेकिन इसके बाद पीड़िताओं पर जो भी बीतता है वो जरा भी सामान्य नहीं होता. खबरों में हमें एक दरिंदे की दरिंदगी तो दिखाई देती है, लेकिन उस पीड़ा को हम कभी समझ नहीं सकेंगे जो भोगने वाले के मन पर और उसके पूरे परिवार पर बीतती है, खासतौर पर जब वो कम उम्र की छोटी बच्चियां हों.

ऐसी ही बलात्कार भोगी पांच बच्चियों की कहानियों को डेली मेल ने साझा किया जिसे सबके सामने लाना जरूरी है. इन बच्चियों (इनके नाम बदल दिए गए हैं) की दास्तान मन को झकझोर देने के लिए काफी हैं.

7 साल की हो चुकी दीप्ति, तब केवल 4 साल की थी जब उसके पड़ोसी ने उसका बलात्कार किया था. मां बाजार गई थीं, पिता नहा रहे थे और दीप्ति छत पर खेल रही थी. मौका पाते ही पड़ोसी ने उसे दबोच लिया. पिता नहा कर आए तो दीप्ति से पूछा कि उसकी पैंट गीली क्यों है, तब दीप्ति ने सब बताया.

 4 साल की उम्र में हुई रेप की शिकार

पुलिस को खबर की गई, परिजनों ने दीप्ति के लिए चिकित्सा सुविधा की मांग की. लेकिन अफसरों ने कहा- 'आपकी बेटी स्वस्थ लग रही है, हमें जांच के लिए केवल उसकी पैंट की जरूरत है'.

अपराध की गंभीरत को दरकिनार करते हुए समाज ने बलात्कारी का साथ दिया क्योंकि वो अपने परिवार का इकलौता पुरुष सदस्य था, अगर उसे जेल हो जाती तो परिवार चलाने वाला कोई नहीं होता.

  समाज बलात्कारी के साथ था क्योंकि वो अपने परिवार का इकलौता पुरुष सदस्य था

वो 18 महीने जेल में रहा, अब बेल पर बाहर है. बाहर आकर दीप्ति के परिवारवालों को केस वापस लेने के लिए 80 हजार रुपए की पेशकश की. रेप के बाद 15 दिनों तक दीप्ति स्कूल नहीं गई क्योंकि रास्ते में उसे लोग धमकाते थे कि अगर केस वापस नहीं लिया तो उसके भाई पर हमला कर देंगे.

परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है

गीतांजलि अभी 9 साल की है, सालों तक उसका 30 साल का पिता उसका यौन शोषण करता रहा. पिछले साल पिता ने बच्ची का बलात्कार कर दिया. उसे और उसकी मां को धमकाया भी कि अगर किसी को कुछ बताया तो लोहे की छड़ों से पीटूंगा.

जन्म देने वाले पिता ने ही इज्जत से खेला

आश्चर्य की बात थी कि गीतांजलि की मां ने बेटी को ही दोषी ठहराया, वो चाहती हैं कि पति जेल से बाहर आ जाए. मां का कहना है- 'जब वो बाहर आएंगे वो वादा करेंगे कि वो गीतांजलि का शोषण नहीं करेंगे, इसमें गीतांजलि की भी तो गलती है. जब वो बीमार होती, तो उसे बिस्तर में ही रहना चाहिए था न, वो इधर उधर घूम रही होगी, बचपना दिखा रही होगी तो पति ने उसे देखा होगा. मैंने कहा था उसे कि पिता से दूर रहा कर. जब उसने दरवाजा बंद किया होगा तो उसे भी तो चिल्लाना चाहिए था. उसने मुझे कुछ नहीं बताया'.

 मां भी बेटी को ही कुसूरवार मानती है

मां का ये भी कहना है कि पति अक्सर उसे जमीन पर सुलाते थे और खुद बिस्तर पर गीतांजलि के साथ सोते थे. गीतांजलि के दादा को जब इस बात की खबर लगी तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और पिता को गिरफ्तार किया गया.

 दादा का मानना है कि अगर उन्होंने केस वापस लिया तो पिता की हिम्मत और बढ़ेगी

लेकिन तब से पूरा परिवार और पूरा गांव दादा पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे हैं, क्योंकि वो अगर जेल में रहा तो उसके बाद परिवार की देखभाल कौन करेगा. गांववाले गीतांजलि को ताने देते हैं कि 'तुम्हारे भविष्य का क्या होगा, तुझसे शादी कौन करेगा, मां का क्या होगा'.

गीतांजलि को बुरा लगता है, वो जानती है कि पिता बाहर आएंगे तो पैसा ज्यादा आएगा और घर अच्छे से चलेगा. लेकिन बेचारी की मां रोजाना उसे 'वेश्या' कहती है और पिता के जेल जाने के लिए उसे ही कसूरवार कहती है.

गीतांजलि की मां उसे 'वेश्या' कहती है 

3 महीने पहले 8 साल की सदफ का गांव के एक डॉक्टर ने रेप किया. वो मिठाई लाने बाजार गई थी, तभी करीब 50 साल के उस डॉक्टर ने सदफ को अपने क्लीनिक में खींच लिया और उसके साथ बलात्कार किया. वो बदहवास होकर सड़क पर दौड़ी और बेहोश हो गई. परिवार ने उसे खून से लथपथ पाया.

 बाजार जाते वक्त डॉक्टर ने क्लीनिक में खींचा और रेप किया

वो लोग पुलिस के पास गए लेकिन वहां अफसरों ने केस दर्ज करने से मना कर दिया. वो समझौता करने पर जोर दे रहे थे क्योंकि डॉक्टर केस वापस लेने का दो लाख दे रहा था. सदफ के परिवारवालों ने पैसे नहीं लिए. रेप के पांच दिन बाद तक भी सदफ की खून रुक नहीं रहा था, उसे अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे थे.

 पुलिस ने समझौता करने पर जोर दिया

सदफ की हालत बदतर हो गई थी, उसे घर से बाहर निकलन में भी डर लगता था. उसने स्कूल भी जाना बंद कर दिया. बलात्कार से पहले उसे स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता था, वो बड़ी होकर इंगलिश की टीचर बनना चाहती थी.

बड़ी होकर इंगलिश की टीचर बनना चाहती थी सदफ

उसे अपनी दोस्त निशा के साथ खेलना भी पसंद था, लेकिन 3 महीने से उसने उसे देखा तक नहीं. सदफ के चाचा को कचहरी तक जाने और वकील की फीस देने के लिए दो लोन लेने पड़े हैं. वो दिहाड़ी मजदूर हैं और जब भी उन्हें कचहरी जाना होता है उन्हें अपने काम से छुट्टी लेनी होती है.

 कचहरी तक जाने और वकील की फीस देने के लिए लोन लेना पड़ा

5 साल की निर्मला का उसकी मां के मालिक ने रेप किया, जब उसे पड़ोस की दुकान से कुछ लाने के लिए भेजा गया. रास्ते में एक आदमी उसके पास आया और उसे टॉफियों का लालच दिया.

 टॉफियों का लालच देकर 5 साल की बच्ची के साथ रेप किया

वो उसे अपार्टमेंट के पीछे ले गया और उसका रेप किया. उसके अंदर एक पेन भी डाल दिया और उसे वहीं नग्न अवस्था में खून से लथपथ छोड़ दिया. निर्मला की दो सर्जरी करनी पड़ी, और तीन महीने वो अस्पताल में रही. दो सप्ताह के बाद आरोपी पकड़ा गया.

 परिवार को घर छोड़ना पड़ा

लेकिन निर्मला के परिवार पर भी केस वापस लेने का दवाब बनाया जा रहा है. परिवार ने घर बदल लिया क्योंकि पड़ोसी बलात्कारी के हमदर्द थे औऱ यही कहते कि 'अब तो लड़की की जिंदगी बर्बाद हो गई, अब तुम क्या करोगे'.

 पड़ोसी भी बलात्कारी के पक्षधर थे

15 साल की प्रियंका का पिछले साल उसके पड़ोसी ने बलात्कार किया. वो काफी दिनों से उसे परेशान कर रहा था और एक दिन वो कुछ दोस्तों के साथ आया, उसे मारने की धमकी दी औऱ उसे उठा ले गए. एक दोस्त के घर ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया.

जान से मारने की धमकी देकर किडनेप और बलात्कार किया

10 दिनों तक पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया. और जब किया तो दो दिनों तक प्रियंका को थाने में ही बैठाकर रखा जब तक कि उसने ये नहीं कबूल लिया कि वो अपनी मर्जी से उसके साथ गई थी. लड़का धनी और रसूखदार परिवार से है. अब गांववाले मानते हैं कि लड़की अपनी मर्जी से लड़के के साथ गई थी इसलिए वो भी बराबर की दोषी है.

 पुलिस ने जबरदस्ती कबूल करवाया कि वो अपनी मर्जी से लड़के के साथ गई

रेप के बाद भी लड़के ने उसे परेशान करना बंद नहीं किया, धमकियां मलती रहीं कि अगर कहीं दिखाई दिए तो बहन को उठा लेगें और पिता को मार देंगे. हाल ही में बलात्कारी और उसके साथियों ने प्रियंका के पिता को सड़क चलते बहुत मारा. लड़की की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, दो सप्ताह पहले प्रियंका की शादी एक 22 साल के लड़के से करा दी गई.

 सुरक्षा को ध्यान में रखकर प्रियंका की शादी करवा दी गई

प्रियंका को भी यही लगता है कि उसकी शादी करके दूसरे गांव चली जाएगी तो वो सुरक्षित रहेगी. उसके पति को रेप के बारे में कुछ पता नहीं है. शादी के बाद भी बलात्कारी ने प्रियंका को खत लिखकर धमका रहा है कि वो उसके नए परिवार को रेप के बारे में बता देगा और उसकी शादी तुड़वा देगा. प्रियंका का कहना है- 'मुझे गुस्सा आता है. अब मुझमें कुछ भी ते नहीं बचा'

 शादी के बाद भी धमका रहा है बलात्कारी

ये कहानियां समाज का विकृत चेहरा दिखाती हैं, और ये भी कि हमारे भीतर ही छुपा है बलात्कार जैसी घटनाओं को बढ़ावा देने वाला समाज. हम ही अपराधी हैं और हम ही अपराधियों को बचाने वाले भी. बच्चियों पर होने वाले ये अपराध तभी रुकेंगे जब उनके खिलाफ आवाज घर, परिवार और समाज के भीतर से ही उठेगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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