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दिल की बीमारी पुरुषों पर भारी है, और ये बात महिलाओं पर भारी है

    • आईचौक
    • Updated: 01 अक्टूबर, 2019 07:34 PM
  • 01 अक्टूबर, 2019 04:36 PM
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लोगों ने सोच ये बना रखी है कि महिलाओं को दिल की बीमारियां कम होती हैं क्योंकि वो रो देती हैं जबकि पुरुष रोते नहीं. और इसी वजह से लोग महिलाओं की दिल की बीमारियों पर उतना ध्यान नहीं देते. लेकिन इस भ्रम को दूर कर लीजिए.

29 सितंबर को world heart day जहां एक तरफ लोगों को जागरुक करके गया वहीं इस दिन ऐसी जानकारियां भी पता लगीं जिनके बारे में लोग अब तक अजान थे. या यूं कहें कि भ्रम में थे. एक आम भ्रम जो लोगों में दिल की बीमारी को लेकर रहता है वो ये है कि हार्ट अटैक पुरुषों को होते हैं, महिलाओं को नहीं या बहुत कम. लेकिन क्या आपको पता है कि इस गलत धारणा की वजह से महिलाएं हार्ट अटैक से बेवजह मर रही हैं. बेवजह इसलिए क्योंकि इस धारणा की वजह से वो दिल की बीमारी के लक्षण समझ नहीं पातीं और अपने दिल का ख्याल भी कम रखती हैं. ये खुलासा किया है British Heart Foundation की एक रिपोर्ट ने.

दिल की बीमारी महिलाओं की भी जान लेती है

ये रिपोर्ट कई मामलों में गंभीर संदेश देती है-

वैसे तो ये शोध भारत का नहीं है लेकिन बात अगर स्वास्थ्य से जुड़ी हो तो जगह उतनी मायने नहीं रखती. ये रिपोर्ट कहती है-

* 2002-13 के बीच इंग्लैंड और वेल्स में 8000 से ज्यादा महिलाओं की मौत हार्ट अटैक से हुई. क्योंकि उन्हें उतनी देखभाल नहीं मिली जितनी पुरुषों को हार्ट अटैक के दौरान मिलती है.

* इंग्लैंड में हर साल हार्ट अटैक के बाद करीब 35000 महिलाएं अस्पताल लाई जाती हैं. यानी एक दिन में करीब 98 महिलाएं और एक घंटे में 4.

* महिलाओं में इसका पता देर से चलता है और हार्ट अटैक को झेल पाने के लिए उन्हें जल्द उपचार और केयर नहीं मिलती. इसमें मेडिकेशन भी शामिल है जो दूसरा अटैक आने से रोकता है. महिलाएं अपनी दिनचर्या और आदतों में भी कोई बदलाव नहीं लातीं.

* समाज में ये आम धारणा है कि  दिल की बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होती है. और कई डॉक्टर्स ये भी मानते हैं...

29 सितंबर को world heart day जहां एक तरफ लोगों को जागरुक करके गया वहीं इस दिन ऐसी जानकारियां भी पता लगीं जिनके बारे में लोग अब तक अजान थे. या यूं कहें कि भ्रम में थे. एक आम भ्रम जो लोगों में दिल की बीमारी को लेकर रहता है वो ये है कि हार्ट अटैक पुरुषों को होते हैं, महिलाओं को नहीं या बहुत कम. लेकिन क्या आपको पता है कि इस गलत धारणा की वजह से महिलाएं हार्ट अटैक से बेवजह मर रही हैं. बेवजह इसलिए क्योंकि इस धारणा की वजह से वो दिल की बीमारी के लक्षण समझ नहीं पातीं और अपने दिल का ख्याल भी कम रखती हैं. ये खुलासा किया है British Heart Foundation की एक रिपोर्ट ने.

दिल की बीमारी महिलाओं की भी जान लेती है

ये रिपोर्ट कई मामलों में गंभीर संदेश देती है-

वैसे तो ये शोध भारत का नहीं है लेकिन बात अगर स्वास्थ्य से जुड़ी हो तो जगह उतनी मायने नहीं रखती. ये रिपोर्ट कहती है-

* 2002-13 के बीच इंग्लैंड और वेल्स में 8000 से ज्यादा महिलाओं की मौत हार्ट अटैक से हुई. क्योंकि उन्हें उतनी देखभाल नहीं मिली जितनी पुरुषों को हार्ट अटैक के दौरान मिलती है.

* इंग्लैंड में हर साल हार्ट अटैक के बाद करीब 35000 महिलाएं अस्पताल लाई जाती हैं. यानी एक दिन में करीब 98 महिलाएं और एक घंटे में 4.

* महिलाओं में इसका पता देर से चलता है और हार्ट अटैक को झेल पाने के लिए उन्हें जल्द उपचार और केयर नहीं मिलती. इसमें मेडिकेशन भी शामिल है जो दूसरा अटैक आने से रोकता है. महिलाएं अपनी दिनचर्या और आदतों में भी कोई बदलाव नहीं लातीं.

* समाज में ये आम धारणा है कि  दिल की बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होती है. और कई डॉक्टर्स ये भी मानते हैं कि महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग होते हैं.

* पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गलत डायग्नॉसिस की संभावना 50% ज्यादा होती है. और जिस व्यक्ति को गलत तरीके से डायग्नोस किया जाता है उसकी 30 दिनों के बाद मौत होने का जोखिम 70% ज्यादा होता है.

* कम उम्र की महिलाओं को भी हार्ट अटौक होता है जिसे भी गंभीरता से लेने की जरूरत है.

महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक के ये लक्षण समान हैं-

अक्सर यही कहा जाता है कि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण अलग होते हैं और पुरुषों में अलग. लेकिन कुछ लक्षण दोनों में एक समान होते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

* सीने के बीचों-बीच दर्द या असुविधा जो अचानक होती है और खत्म नहीं होती.

* दबाव, जकड़न या निचोड़ने जैसा महसूस होता है.

* दर्द जो आपके बाएं हाथ या दोनों बाहों, या आपकी गर्दन, जबड़े, पीठ या पेट तक जाता हो.

* बीमार महसूस होना, पसीने से तर-बतर होना, सांस लेने में तकलीफ

* अक्सर इस दर्द को हल्के में ले लिया जाता है और समझा जाता है कि ये बदहजमी की वजह से हुआ होगा.

सीने में होने वाले दर्द को हल्के में न लें

भारत में क्या हैं आंकड़े-

ऐसा नहीं है कि ये रिपोर्ट इंग्लैंड की है तो भारतीयों को इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. बल्कि इस रिपोर्ट के बाद हर महिला को अपने दिल को लेकर गंभीर होने की जरूरत है. क्योंकि भारत के आंकड़े भी कम डराने वाले नहीं हैं.

* भारत में हर साल एक करोड़ से ज्यादा लोग दिल की बीमारी से मारे जाते हैं. हृदय रोगों (CVD) के कारण पुरुषों में 20.3% और महिलाओं में 16.9 प्रतिशत मौतें होती हैं.

* पुरुषों की तुलना में मृत्यु दर कम होने के बावजूद, रिपोर्ट्स बताती हैं कि महिलाओं में हृदय रोग संबंधित मौतों का खतरा ज्यादा होता है.

हमारे भारतीय समाज में तो महिलाएं अगर किसी चीज को सबसे कम अहमियत देती हैं तो वो है उनका स्वास्थ्य. ज्यादातर सीने में दर्द को गैस बोलकर नजरंदाज कर दिया जाता है. लोगों ने सोच ये बना रखी है कि महिलाओं को दिल की बीमारियां कम होती हैं क्योंकि वो रो देती हैं जबकि पुरुष रोते नहीं. और इसी वजह से लोग महिलाओं की दिल की बीमारियों पर उतना ध्यान नहीं देते. लेकिन यहां इस समस्या से ज्यादा बड़ी समस्या तो ये हैं कि खुद महिलाएं अपने लिए चिंतित नहीं होतीं. जो और भी गंभीर है. जरूरत है ये आम धारणा बदले की और अपने स्वास्थ और दिल के स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की, क्योंकि दिल के मामले हल्के में नहीं लिए जाते.

ये भी पढ़ें-

दिल की बीमारी होने से पहले शरीर देने लगता है ये 8 संकेत

इस समय होते हैं सबसे ज्यादा हार्ट अटैक !

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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