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गोवा की 'मांसाहारी' गायों को देखकर हमें दुख होगा लेकिन ट्रंप को खुशी होगी!

    • प्रभाष कुमार दत्ता
    • Updated: 23 अक्टूबर, 2019 03:24 PM
  • 23 अक्टूबर, 2019 03:24 PM
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गोवा के मंत्री माइकल लोबो ने कहा है कि इन गायों को रेस्टोरेंट आदि के आस-पास चिकन, मछली और अन्य तरह का बचा हुआ मीट फेंका पड़ा मिल जाता है और आसानी से भोजन मिलने के चलते इन गायों ने अपने खाने की आदतों को बदल दिया.

अगर आपने स्कूली किताबों के अलावा गाय के बारे में और कहीं से जानकारी नहीं ली है तो आप भी यही मानते होंगे कि गाय शुद्ध-शाकाहारी होती हैं. लेकिन गायों को नजदीक से देखने वाले आपका ये भ्रम तोड़ देंगे. गाय घास-फूस ही नहीं, बल्कि मीट भी खाती हैं. गोवा में हाल ही में 76 गायों को रेस्क्यू किया गया है, जिससे ये बात सामने आती है कि गायें भी इंसानों की तरह अपने खाने की आदतों को बदलती हैं. ये आदतें सर्वाइवल यानी जिंदा बचे रहने के लिए बदली जाती हैं. इन गायों को गोवा के टूरिस्ट स्पॉट कैलंग्यूट से रेस्क्यू किया गया है और रीहैबिलिटेशन के लिए भेज दिया गया है. गोवा के मंत्री माइकल लोबो ने कहा है कि इन गायों को रेस्टोरेंट आदि के आस-पास चिकन, मछली और अन्य तरह का बचा हुआ मीट फेंका पड़ा मिल जाता है और आसानी से भोजन मिलने के चलते इन गायों ने अपने खाने की आदतों को बदल दिया. जब इन गायों को गोवा की एक गौशाला में रखा गया तो पता चला कि उन्होंने नॉर्मल चारा नहीं खाया. बाद में गौशाला के कर्मचारियों को पता चला कि वह गायें मीट खाना पसंद करती हैं. ये देखकर हैरान हो चुकी गोवा सरकार अब दोबारा उन्हें शाकाहारी बनाने के लिए विशेषज्ञों की मदद ले रही हैं.

गाय घास-फूस ही नहीं, बल्कि मीट भी खाती हैं और गोवा से ऐसी 76 गायों को रेस्क्यू किया गया है.

बंगाल में भी हैं ऐसी गायें

ये पहली बार नहीं है कि मीट खाने वाली गायें सामने आई हैं. 2007 में पश्चिम बंगाल से भी ऐसी ही खबर आई थी, जिसमें कुछ गायों द्वारा जिंदा मुर्गे खाने की खबर थी. ये घटना उत्तरी 24 परगना जिले के चांदपुर में हुई थी. उस समय गायें और मुर्गे एक ही शेड में रखे जाते थे. एक दिन उन्हें पालने वाले किसान ने देखा कि दर्जनों मुर्गे गायब हैं. मुर्गों को क्या हो रहा है ये पता करने के लिए रात में बंदूकधारी गार्ड...

अगर आपने स्कूली किताबों के अलावा गाय के बारे में और कहीं से जानकारी नहीं ली है तो आप भी यही मानते होंगे कि गाय शुद्ध-शाकाहारी होती हैं. लेकिन गायों को नजदीक से देखने वाले आपका ये भ्रम तोड़ देंगे. गाय घास-फूस ही नहीं, बल्कि मीट भी खाती हैं. गोवा में हाल ही में 76 गायों को रेस्क्यू किया गया है, जिससे ये बात सामने आती है कि गायें भी इंसानों की तरह अपने खाने की आदतों को बदलती हैं. ये आदतें सर्वाइवल यानी जिंदा बचे रहने के लिए बदली जाती हैं. इन गायों को गोवा के टूरिस्ट स्पॉट कैलंग्यूट से रेस्क्यू किया गया है और रीहैबिलिटेशन के लिए भेज दिया गया है. गोवा के मंत्री माइकल लोबो ने कहा है कि इन गायों को रेस्टोरेंट आदि के आस-पास चिकन, मछली और अन्य तरह का बचा हुआ मीट फेंका पड़ा मिल जाता है और आसानी से भोजन मिलने के चलते इन गायों ने अपने खाने की आदतों को बदल दिया. जब इन गायों को गोवा की एक गौशाला में रखा गया तो पता चला कि उन्होंने नॉर्मल चारा नहीं खाया. बाद में गौशाला के कर्मचारियों को पता चला कि वह गायें मीट खाना पसंद करती हैं. ये देखकर हैरान हो चुकी गोवा सरकार अब दोबारा उन्हें शाकाहारी बनाने के लिए विशेषज्ञों की मदद ले रही हैं.

गाय घास-फूस ही नहीं, बल्कि मीट भी खाती हैं और गोवा से ऐसी 76 गायों को रेस्क्यू किया गया है.

बंगाल में भी हैं ऐसी गायें

ये पहली बार नहीं है कि मीट खाने वाली गायें सामने आई हैं. 2007 में पश्चिम बंगाल से भी ऐसी ही खबर आई थी, जिसमें कुछ गायों द्वारा जिंदा मुर्गे खाने की खबर थी. ये घटना उत्तरी 24 परगना जिले के चांदपुर में हुई थी. उस समय गायें और मुर्गे एक ही शेड में रखे जाते थे. एक दिन उन्हें पालने वाले किसान ने देखा कि दर्जनों मुर्गे गायब हैं. मुर्गों को क्या हो रहा है ये पता करने के लिए रात में बंदूकधारी गार्ड तैनात किया गया, तब पता चला कि मुर्गों को बछड़े खा रहे थे. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक पशुचिकित्सक के हवाले से कहा था कि गायों के शरीर में कुछ जरूरी मिनरल्स की कमी हो रही है, जिन्हें पूरा करने के लिए वह अपने खाने की आदत में बदलाव कर रही हैं. वैसे भी, गाय पूरी तरह से शाकाहारी नहीं होती हैं, क्योंकि जब भी वह घास चरती हैं तो उस पर चिपके कीड़े-मकौड़ों को वह ना तो झाड़ती हैं ना ही मुंह से बाहर थूक देती हैं, बल्कि सब कुछ खा जाती हैं.

अमेरिका और भाजपा से कनेक्शन

जहां एक ओर गाय को मांस खाते देख हर हिंदू को दुख हो रहा होगा, वहीं दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप को इस बात से खुशी मिल रही होगी. अमेरिका करीब दो दशकों से डेयरी प्रोडक्ट आयात करने के लिए बोल रहा है. भारत ने कल्चरल और धार्मिक बातों का हवाला देते हुए अमेरिका से डेयरी प्रोडक्ट्स के आयात पर बैन लगाया हुआ है. सरकार ने साफ कर दिया कि भारत में गायों की पूजा की जाती है. डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत से करीब 5.6 अरब डॉलर के प्रोडक्ट खरीदने के एग्रीमेंट में यही मांग रखी गई थी कि इस बैन को हटाया जाए.

सबसे पहले इसका जिक्र अटल बिहारी सरकार ने में 2003 में हुआ था, जब ये अनिवार्य किया गया था कि भारत को डेयरी प्रोडक्ट्स बेचने वालों को ये सर्टिफाई करना होगा कि जिन जानवरों से ये प्रोडक्ट मिले हैं, उन्हें मांस नहीं खिलाया गया. आपको बता दें कि अमेरिका में किसान अपनी गायों को मांस भी खिलाते हैं, ताकि उनसे मिलने वाले दूध का उत्पादन और अधिक हो सके. पूरी दुनिया में भारत में सबसे बड़ा मवेशियों का बाजार है, इसलिए अमेरिका अपने डेयरी प्रोडक्ट्स के साथ भारतीय बाजार में एंट्री करने की फिराक में हैं.

2012 में पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने भी साफ किया था कि भारत में गायें शाकाहारी हैं, जबकि अमेरिका में गायों को मांस भी खिलाया जाता है. ऐसे में अगर डोनाल्ड ट्रंप को ये खबर पता चलेगी कि गोवा में गायें मांस खा रही हैं, तो उन्हें खुशी होना तय है और हो सकता है कि वह एक बार फिर अपने डेयरी प्रोडक्ट्स को भारतीय बाजार में बेचने की बात कर दें.

इसके पीछे की वैज्ञानिक वजहें भी जान लें

गायों का मीट खाना सही नहीं है, इसके पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक वजहें भी हैं. ये पाया जा चुका है कि मीट मिला खाना खाकर गायों में मैड काउ डिजीज (Mad Cow Disease) हो गया था. 1990 के दशक में ये बीमारी तेजी से फैली थी और इसकी वजह ये बताई गई थी कि गायों में मीट खिलाया गया, जिसमें जानवरों का दिमाग और उनकी रीढ़ की हड्डी शामिल थी. बहुत से इंसानों ने भी इस बीमारी से ग्रसित गायों का मीट खाया और उन्हें Creuzfeldt-Jakob Disease बीमारी हो गई. उसके बाद ब्रिटेन ने गायों को खिलाने वाले चारे और अन्य चीजों पर रेगुलेशन लगाया और ये तय हुआ कि उन्हें सिर्फ शाकाहारी चीजें ही खिलाई जाएंगी. इसने Mad Cow Disease के मामलों पर रोक लगाई.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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