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बिना वेजाइना के जन्‍मी इस युवती की कहानी गंभीर संदेश देती है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 23 अगस्त, 2017 06:19 PM
  • 23 अगस्त, 2017 06:19 PM
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हर 4500 महिलाओं में से एक MRKH सिंड्रोम से पीड़ित होती है, जिसकी वजह से उसके प्रजनन अंग ठीक से विकसित नहीं हो पाते. एक पीड़ित महिला इन्हीं महिलाओं के जीवन की शर्मिंदगी से पर्दा उठा रही है, जो अपनी जिंदगी इसी अधूरेपन के साथ जीती हैं.

अगर मैं आपसे ये कहूं कि वो महिला तो है, लेकिन उसके पास वजाइना या योनी नहीं है, तो? जाहिर है आप सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. लेकिन ये सच है और ऐसा होता भी है. एक ऐसा सच जिसे शर्मिंदगी के कारण स्वीकार नहीं किया जाता. लेकिन अपने शरीर की इस असाधारण स्थिति के बारे में एक महिला खुलकर सामने आई है, जो न सिर्फ इस विषय पर बात कर रही है बल्कि अपना जीवन बदल देने वाली सर्जरी की उम्मीद भी कर रही है.

महिला होने के लिए एक महिला का संघर्ष-

एरीजोना की रहने वाली 22 साल की कायली मोट्स का जन्म बिना योनी के हुआ, क्योंकि वो MRKH सिंड्रोम से पीडित थीं. इसका मतलब ये था कि उनके पास न योनी थी, न गर्भाशय और न गर्भाशय ग्रीवा.

22 साल की केयली मोट्स का जन्म बिना योनी के हुआ

कायली को अपनी इस स्थिति के बारे में तब पता चला, जब 18 साल की होने पर भी उसे पीरियड नहीं हुए. उसे शक हुआ और वो डॉक्टर से मिली. उसे और उसके परिवार को यही लगा था कि शायद उसे बाकी लड़कियों की तुलना में थोड़ी देर से पीरियड होंगे. लेकिन जब डॉक्टर ने उसे ये बताया कि उसके शरीर में तो यूटरस या गर्भाशय है ही नहीं, तो उसका दिल टूट गया. अब वो जान गई थी कि वो कभी मां नहीं बन सकेगी. लेकिन फिर भी उसने खुद को ऐसे ही स्वीकार करना शुरू कर दिया.

अपने माता-पिता के साथ केयली

कायली का कहना है- 'स्कूल और कॉलेज में जब लड़कियां पीरियड्स, गर्भावस्था और बच्चों के बारे में बात करतीं, तब उनके साथ रहना काफी मुश्किल होता था. मुझे तो ये भी पता नहीं होता कि पीरियड्स में टैम्पून कहां रखा...

अगर मैं आपसे ये कहूं कि वो महिला तो है, लेकिन उसके पास वजाइना या योनी नहीं है, तो? जाहिर है आप सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. लेकिन ये सच है और ऐसा होता भी है. एक ऐसा सच जिसे शर्मिंदगी के कारण स्वीकार नहीं किया जाता. लेकिन अपने शरीर की इस असाधारण स्थिति के बारे में एक महिला खुलकर सामने आई है, जो न सिर्फ इस विषय पर बात कर रही है बल्कि अपना जीवन बदल देने वाली सर्जरी की उम्मीद भी कर रही है.

महिला होने के लिए एक महिला का संघर्ष-

एरीजोना की रहने वाली 22 साल की कायली मोट्स का जन्म बिना योनी के हुआ, क्योंकि वो MRKH सिंड्रोम से पीडित थीं. इसका मतलब ये था कि उनके पास न योनी थी, न गर्भाशय और न गर्भाशय ग्रीवा.

22 साल की केयली मोट्स का जन्म बिना योनी के हुआ

कायली को अपनी इस स्थिति के बारे में तब पता चला, जब 18 साल की होने पर भी उसे पीरियड नहीं हुए. उसे शक हुआ और वो डॉक्टर से मिली. उसे और उसके परिवार को यही लगा था कि शायद उसे बाकी लड़कियों की तुलना में थोड़ी देर से पीरियड होंगे. लेकिन जब डॉक्टर ने उसे ये बताया कि उसके शरीर में तो यूटरस या गर्भाशय है ही नहीं, तो उसका दिल टूट गया. अब वो जान गई थी कि वो कभी मां नहीं बन सकेगी. लेकिन फिर भी उसने खुद को ऐसे ही स्वीकार करना शुरू कर दिया.

अपने माता-पिता के साथ केयली

कायली का कहना है- 'स्कूल और कॉलेज में जब लड़कियां पीरियड्स, गर्भावस्था और बच्चों के बारे में बात करतीं, तब उनके साथ रहना काफी मुश्किल होता था. मुझे तो ये भी पता नहीं होता कि पीरियड्स में टैम्पून कहां रखा जाता है, दोस्तों को मेरी स्थिति के बारे में पता नहीं था. तो कई बार ऐसी स्थिति भी बनती जब वो मुझसे टैम्पून मांगती और मैं सिर्फ ये कहती कि मेरे पास नहीं है, और मैं चुप हो जाती'.

लोग क्या कहेंगे, होने वाला पति क्या सोचेगा, बॉयफ्रेंड होगा या नहीं...वो इन सवालों से खुद ही जूझती रहती.

पर एक दिन काफी कुछ बदल गया-

अपनी किशोरावस्था तक वो इस डर में जीती रही कि जब लोगों को उसके बारे में पता चलेगा तो वो उसका मजाक उड़ाएंगे. लेकिन उसकी ये सोच तब बदल गई जब वो अपने बॉयफ्रेंड रॉबी से मिली, क्योंकि रॉबी वो शख्स था जिसे न तो केयली के अधूरेपन से कोई फर्क पड़ता था और न ही अपने रिश्ते में सेक्स की कमी से.

केयली का बॉयफ्रेंड रॉबी केयली की सर्जरी के लिए अपनी सैलरी से हर महीने पैसे भी बचा रहा है

कायली कहती हैं- 'वो कभी हमारे रिश्ते में 'सेक्स' पर ध्यान ही नहीं देता, क्योंकि हम कुछ कर ही नहीं सकते जबतक कि मेरे पर योनी नहीं है. पर मैं चाहती हूं कि मैं सर्जरी करवाऊं और फिर हम शादी करें और उसके बाद हमारे बीच शारीरिक संबंध स्थापित हों.'

अब सर्जरी के लिए पैसा इकट्ठा करने की मशक्कत-

कायली की योनी, योनी जैसी दिखाई तो देती है, लेकिन उसमें योनी मार्ग नहीं है, जिसके लिए केयली reconstructive सर्जरी कराना चाहती है ताकि उसके लिए एक योनी बनाई जा सके. उसका कहना है कि 'सर्जरी से मुझे सामान्य महिला जैसा महसूस होगा, और मेरे पास भी वैसे ही अंग होंगे जो बाकी महिलाओं के होते हैं. मेरे शरीर की वो कमी फिर पूरी हो जाएगी'.

सर्जरी के बाद नॉर्मल जिंदगी जीने का ख्वाब देखती हैं केयली

लेकिन कायली सर्जरी के लिए पर्याप्त पैसा इकट्ठा नहीं कर पा रही थीं. उनके मेडिकल इंश्योरेंस में इस सर्जरी को कवर नहीं किया जा रहा है, क्योंकि ये सर्जरी मेडिकल नहीं बल्कि कॉस्मेटिक सर्जरी मानी जा रही है. और किसी भी कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए कोई इंश्योरेंस कंपनी पैसा नहीं देती है. हालांकि इंश्योरेंस वालों की इस ज्यादती पर कायली काफी नाराज भी हैं, वो कहती हैं- 'इश्योंरेंस वाले इसे कॉस्मेटिक या जेंडर सर्जरी मान रहे हैं, मैं इससे आहत हूं. मेरे पार सारे सही क्रोमोजोम्स हैं जो एक महिला में होते हैं इसलिए ये कोई कॉस्मेटिक या जेंडर सर्जरी नहीं है.'

इस सर्जरी के लिए केयली को 15,000 डॉलर की जरूरत थी, जिसके लिए उनकी बहन ने पैसा जुटाने के लिए GoFundMe पेज बनाया. इस अभियान में केयली बहुत खुशनसीब रहीं कि उन्हें उनकी जरूरत से ज्यादा ही मिला, दो ही महीनों में केयली को 417 लोगों की मदद से 19,443 डॉलर मिल चुके हैं, जिसकी वजह से अब उसका ये सपना साकार हो सकेगा.

देखिए केयली की कहानी उन्हीं की जुबानी

क्या कहता है विज्ञान

लोगों के लिए ये भले ही एक अनोखी बात हो कि एक महिला के पास योनी नहीं है. लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मानें तो ऐसा MRKH सिंड्रोम(Mayer-Rokitansky-Küster-Hauser syndrome) की वजह से होता है. और आश्चर्य की बात तो ये है कि ये वो अवस्था है जो हर 4500 नवजात बच्चियों में से एक को प्रभावित करती है. अंदाजा लगाएं तो ये संख्या बहुत ज्यादा है.

यह तब होता है जब, भ्रूण के विकास के दौरान महिला प्रजनन अंग (गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और योनि सहित) ठीक से विकसित नहीं होते. नतीजा ये कि, गर्भाशय और योनी अविकसित या अनुपस्थित हो सकते हैं. इन महिलाओं में आम तौर पर अंडाशय सही काम करता है, उनके पास सामान्य बाह्य जननांगता भी होती है, और इसलिए आमतौर पर इस स्थिति के बारे में तब पता चलता है जब इन महिलाओं को पीरियड नहीं होते.(जैसा कि केयली के साथ हुआ)

हर 4500 बच्चियों में से एक MRKH सिंड्रोम से पीड़ित होती है

इस समस्या को सर्जरी के बिना भी ठीक किया जा सकता है. कई मामलों में वेजाइनल डिलेटर्स (खास तौर पर तैयार किए गए प्लास्टिक के ट्यूब) का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी मदद से उपस्थित वजाइनल टिश्यू का आकार बढ़ाया जाता है. वहीं दूसरा तरीका वजाइनोप्लास्टी है, जिसके तहत मरीज की कोशिकाओं से ही लैब में एक नई वजाइना विकसित की जाती है, जिसे महिलाओं में इंप्लान्ट किया जाता है.

केयली अकेली ऐसी महिला नहीं हैं जो इस सिंड्रोम से पीड़ित हैं, लेकिन हां, वो अकेली ऐसी महिला जरूर बन गई हैं जिन्होंने अपने अधूरेपन को अपनी कमजोरी न समझकर उससे लड़ने की ठानी, और आखिरकार अब वो अपने ख्वाब को पूरा कर पाएंगी. वो भले ही अपने गर्भ में एक बच्चे को पाल न सकें लेकिन सरोगेसी के जरिए मां जरूर बन पाएंगी. इस बेहद निजी विषय को पीड़ित महिलाएं छिपाती हैं, इसपर बात करना तो दूर, वो अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं, ऐसे में हो न हो केयली अपने जैसी तमाम महिलाओं के सामने एक उम्मीद बनकर सामने आई हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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