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अब अंतिम संस्कार भी ईवेंट मैनेजमेंट कंपनियों के जिम्मे !

    • आईचौक
    • Updated: 02 मई, 2017 08:55 PM
  • 02 मई, 2017 08:55 PM
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केरल में अंत्येष्टि अब एक नितांत पारिवारिक मामले से बदलकर कस्टमाइज़ कार्यक्रम का रूप ले चुकी है जिसमें थीम इवेंट से लेकर ड्रेस कोड तक फॉलो किए जा रहे हैं.

एर्नाकुलम के एक प्रसिद्ध वकील को जब पता लगा कि उनके अंतिम नजदीक हैं तो उन्होंने अपने ही अंतिम संस्कार की योजना बनानी शुरु कर दी. अपने कॉफेन के लिए उन्होंने सफेद लिली को सेलेक्ट किया, रिश्तेदारों के लिए कब्रिस्तान में ब्रू कॉफ़ी और नेयाप्पम (एक तरह का तला हुआ भोजन) और निरानाम राजन द्वारा गाए हुए काठप्रसंगम (संगीत के जरिए कहानी सुनाना) की व्यवस्था करना चाहते थे. हर एक चीज को परफेक्ट होना था.

हॉस्पीटल के एक कमरे में मृत्यु शय्या पर लेटकर वकील साहब एक इवेंट मैनेजर के साथ अपनी इस प्लानिंग को डिस्कस कर रहे थे और उनके बेटा और बेटी इस तैयारी के गवाह बन सारी घटना देख रहे थे. और जब वकील साहब का अंत आया तो कॉफेन से लेकर कॉफी तक की उनकी हर ख्वाहिश को पूरा किया गया.

अंतिम संस्कार को भी बनाएं ग्रैंड

केरल में अंत्येष्टि अब एक नितांत पारिवारिक मामले से बदलकर कस्टमाइज़ कार्यक्रम का रूप ले चुकी है जिसमें थीम इवेंट से लेकर ड्रेस कोड तक फॉलो किए जा रहे हैं. समृद्धि और सुविधा के इस कॉकटेल ने फ्यूनेरल इवेंट मैनेजमेंट की मांग बढ़ा दी है. ये प्रथा खासकर केरल के मध्य भाग के एनआरआई परिवारों के बीच खासी प्रचलित है जिन्हें अक्सर किसी प्रियजन के अंतिम संस्कार के लिए घर आना पड़ता है.

अंतिम संस्कार का प्रबंध करने में अपनी चुनौतियां हैं. एर्नाकुलम स्थित एक्जीक्यूटिव इवेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर राजू कन्नमपुझा बताते हैं- 'जब हम किसी अंतिम संस्कार का काम हाथ में लेते हैं तो ये सुनिश्चित करते हैं कि करीबी रिश्तेदारों को किसी भी चीज के बारे में चिंता करने की ज़रूरत ना पड़े. ये अंतिम कुछ घंटे लोगों के लिए भावनात्मक रूप से बहुत ही कठिन समय होते हैं. इस वक्त अंतिम संस्कार में जरुरी चीजों के लिए परेशान होना कोई भी नहीं चाहेगा. वहीं हमारे लिए एक तरह से ये समय के...

एर्नाकुलम के एक प्रसिद्ध वकील को जब पता लगा कि उनके अंतिम नजदीक हैं तो उन्होंने अपने ही अंतिम संस्कार की योजना बनानी शुरु कर दी. अपने कॉफेन के लिए उन्होंने सफेद लिली को सेलेक्ट किया, रिश्तेदारों के लिए कब्रिस्तान में ब्रू कॉफ़ी और नेयाप्पम (एक तरह का तला हुआ भोजन) और निरानाम राजन द्वारा गाए हुए काठप्रसंगम (संगीत के जरिए कहानी सुनाना) की व्यवस्था करना चाहते थे. हर एक चीज को परफेक्ट होना था.

हॉस्पीटल के एक कमरे में मृत्यु शय्या पर लेटकर वकील साहब एक इवेंट मैनेजर के साथ अपनी इस प्लानिंग को डिस्कस कर रहे थे और उनके बेटा और बेटी इस तैयारी के गवाह बन सारी घटना देख रहे थे. और जब वकील साहब का अंत आया तो कॉफेन से लेकर कॉफी तक की उनकी हर ख्वाहिश को पूरा किया गया.

अंतिम संस्कार को भी बनाएं ग्रैंड

केरल में अंत्येष्टि अब एक नितांत पारिवारिक मामले से बदलकर कस्टमाइज़ कार्यक्रम का रूप ले चुकी है जिसमें थीम इवेंट से लेकर ड्रेस कोड तक फॉलो किए जा रहे हैं. समृद्धि और सुविधा के इस कॉकटेल ने फ्यूनेरल इवेंट मैनेजमेंट की मांग बढ़ा दी है. ये प्रथा खासकर केरल के मध्य भाग के एनआरआई परिवारों के बीच खासी प्रचलित है जिन्हें अक्सर किसी प्रियजन के अंतिम संस्कार के लिए घर आना पड़ता है.

अंतिम संस्कार का प्रबंध करने में अपनी चुनौतियां हैं. एर्नाकुलम स्थित एक्जीक्यूटिव इवेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर राजू कन्नमपुझा बताते हैं- 'जब हम किसी अंतिम संस्कार का काम हाथ में लेते हैं तो ये सुनिश्चित करते हैं कि करीबी रिश्तेदारों को किसी भी चीज के बारे में चिंता करने की ज़रूरत ना पड़े. ये अंतिम कुछ घंटे लोगों के लिए भावनात्मक रूप से बहुत ही कठिन समय होते हैं. इस वक्त अंतिम संस्कार में जरुरी चीजों के लिए परेशान होना कोई भी नहीं चाहेगा. वहीं हमारे लिए एक तरह से ये समय के खिलाफ लड़ाई होती है. शादियों की तरह इसमें कोई एडवांस प्लानिंग नहीं होती है लेकिन फिर भी हमें समय पर अपना काम करके देना होता है.'

केरल में एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी अपने द्वारा दिए जा रहे अंतिम संस्कार की सेवाओं का प्रचार सादे वेबपेज पर करती है जिसके किनारे में फूल छपे हैं. कंपनी की टैगलाइन कहती है, 'हम सदैव आपके लिए खड़े रहेंगे'. इस कंपनी के कार्यों की सूची बहुत लंबी है. मोबाइल मॉर्च्यूरी से लेकर, एम्बुलेंस, चर्च, गाना बजानेवाले, लाइट और साउण्ड तक की सुविधा ये प्रदान करते हैं. इतना ही नहीं ड्रेस कोड, गानों, दिवंगत के सम्मान में स्पीच और विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों के लिए वेबकास्ट की भी मांग की जाती है. 'एक परिवार ने अंतिम संस्कार के लिए ड्रेस कोड में काले कपड़े पर जोर दिया. वो चाहते थे कि रिश्तेदारों के जब तक कपड़े सिलकर तैयार होते हैं तबतक लाश को मोबाइल मॉर्च्यूरी में रखा जाए.'

केरल में हो रही नई शुरुआत

कभी-कभी अंतिम संस्कार इवेंट में कभी-कभी सालों से बंद पड़े घर की साफ-सफाई कराना भी पड़ता है क्योंकि मृतक की आखिरी इच्छा इस घर में कुछ समय बीताने की थी. इसलिए इनका अंतिम संस्कार इसी घर से होगा और रिश्तेदार श्रद्धांजलि देने के लिए आएंगे- जैसे डिमांड भी होते हैं. रिश्तेदारों के लिए फेसबुक और व्हॉट्सएप पर लगातार अपडेट पोस्ट किए जाते हैं. दिशा-निर्देशों के साथ गूगल मैप को बड़े जंक्शनों और गलियों में चिपकाया जाता है.

समय के साथ हर चीज बदल रही है. रिश्तों के साथ इसे निभाने का तरीका से लेकर किसी के मरने को शोक मनाना भी. समय की कमी के लिहाज से देखें तो फ्यूनेरल मैनेजमेंट एक अच्छा विक्लप हो सकता है लेकिन भारत के पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए भावनात्मक तौर पर इसे शायद बहुत से लोग स्वीकार नहीं कर पाएं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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