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''बोलने का अधिकार मिला है, इसका मतलब ये नहीं कि कुछ भी बोलेंगे''

    • shambhavi iksha
    • Updated: 27 जनवरी, 2023 06:04 PM
  • 25 दिसम्बर, 2022 05:47 PM
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Freedom of Speech and Expression: विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन हाल के दिनों में हमने अपने लाभ के लिए बोलने के अधिकार के दुरुपयोग के कई मामले देखे हैं. वे इसका उपयोग सोशल मीडिया की आड़ में असहिष्णुता फैलाने वाले भद्दे कमेंट किये के लिए कर रहे हैं.

हमारे संविधान के निर्माता ने हमें किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अनुच्छेद 19A के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है, जिसे संविधान निर्माताओं द्वारा महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि इस लेख के पीछे का दर्शन संविधान की प्रस्तावना में निहित है ताकि सभी नागरिक स्वतंत्रता को सुरक्षित रखा जा सके ताकि बिना किसी डर के आप अपने विचारों को रख सके.

विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता वाणिज्यिक भाषण प्रसारण का अधिकार आदि शामिल हैं लेकिन हाल के दिनों में, हमने अपने लाभ के लिए बोलने के अधिकार के दुरुपयोग के कई मामले देखे हैं. वे इसका उपयोग सोशल मीडिया की आड़ में असहिष्णुता फैलाने वाले भद्दे कमेंट किये के लिए कर रहे हैं. हम देख सकते हैं कि हमारे कई राजनेता राहुल गांधी की तरह इसका इस्तेमाल करते हैं.

तवांग विवाद पर ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां हमारे बहादुर सैनिकों की वीरता पर सवाल उठाया गया जैसे कि सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगना. भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन पूरे होने के बाद राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीनी हमारे भारतीय सैनिकों को पीट रहे हैं. चीनी हमारे खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन भारत सरकार सो रही है. क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं है?

यदि आपके पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि सेना से सवाल किया जाए. इस बयान के बाद राहुल गांधी खुद मुश्किल में आ गए. कई राजनीतिक नेताओं और रक्षा विशेषज्ञों ने राहुल के बयान की आलोचना की है. यहां तक ​​कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने भी इस बयान की आलोचना की और सेना का समर्थन किया. यदि राहुल गांधी भूल रहे हैं तो उनके दादा जी नेहरू ही थे जिन्होंने चीन के हाथों अक्साई चिन, तिब्बत को खो दिया था.

कई मामलों में यह पाया कि...

हमारे संविधान के निर्माता ने हमें किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अनुच्छेद 19A के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है, जिसे संविधान निर्माताओं द्वारा महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि इस लेख के पीछे का दर्शन संविधान की प्रस्तावना में निहित है ताकि सभी नागरिक स्वतंत्रता को सुरक्षित रखा जा सके ताकि बिना किसी डर के आप अपने विचारों को रख सके.

विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता वाणिज्यिक भाषण प्रसारण का अधिकार आदि शामिल हैं लेकिन हाल के दिनों में, हमने अपने लाभ के लिए बोलने के अधिकार के दुरुपयोग के कई मामले देखे हैं. वे इसका उपयोग सोशल मीडिया की आड़ में असहिष्णुता फैलाने वाले भद्दे कमेंट किये के लिए कर रहे हैं. हम देख सकते हैं कि हमारे कई राजनेता राहुल गांधी की तरह इसका इस्तेमाल करते हैं.

तवांग विवाद पर ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां हमारे बहादुर सैनिकों की वीरता पर सवाल उठाया गया जैसे कि सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगना. भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन पूरे होने के बाद राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीनी हमारे भारतीय सैनिकों को पीट रहे हैं. चीनी हमारे खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन भारत सरकार सो रही है. क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं है?

यदि आपके पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि सेना से सवाल किया जाए. इस बयान के बाद राहुल गांधी खुद मुश्किल में आ गए. कई राजनीतिक नेताओं और रक्षा विशेषज्ञों ने राहुल के बयान की आलोचना की है. यहां तक ​​कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने भी इस बयान की आलोचना की और सेना का समर्थन किया. यदि राहुल गांधी भूल रहे हैं तो उनके दादा जी नेहरू ही थे जिन्होंने चीन के हाथों अक्साई चिन, तिब्बत को खो दिया था.

कई मामलों में यह पाया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को देश के नेताओं के कठिन समय में चीन की ओर भागने के बजाय चीन से चंदा मिला. प्रसिद्धि और मनोबल गिराने वाली ताकतों को गंदी राजनीति करने के बजाय दीवार की तरह एक साथ खड़ा होना चाहिए. यही समय की जरूरत है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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