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बिहार- यूपी फ़्लैश फ्लड प्रकृति की चेतावनी है, न सुधरे हम तो परिणाम भयंकर होंगे

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 02 अक्टूबर, 2019 06:38 PM
  • 02 अक्टूबर, 2019 06:38 PM
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उत्तर प्रदेश और बिहार फ़्लैश फ्लड के मद्देनजर चर्चा में है. जिस हिसाब से अब ये दो राज्य बाढ़ की चपेट में आए हैं हमें क्लाइमेट चेंज की तरफ गंभीर हो जाना चाहिए और इसे अनदेखा, अनसुना बिलकुल नहीं करना चाहिए.

वर्तमान में उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश पूर्व में ओडिशा और असम फ़्लैश फ्लड (आकस्मिक बाढ़) की चपेट में है. बात अगर सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार की हो तो हालत कुछ यूं हैं कि फ़्लैश फ्लड के चलते अब तक तकरीबन 109 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग लापता हैं. जिस हिसाब से बारिश हो रही है बताया जा रहा है कि दोनों ही राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए अगले 24 घंटे मुश्किलों भरे होने वाले हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार में बाढ़ के चलते लोगों की जान पर बन आई है. दोनों ही राज्यों में तमाम ऐसे इलाके हैं जहां पानी इतना है कि पूरा यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है जो राहत और बचाव तक में बड़ी बाधा उत्पन्न कर रहा है. साथ ही तमाम शहर ऐसे हैं जहां बाढ़ के चलते बिजली नदारद है. जगह-जगह इतना पानी है और हालात इतने ज्यादा बदतर हैं कि, क्या वायुसेना क्या न NDRF लोगों को बचाना एक टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. मौसम का ये मिजाज दिल दहला देने वाला है. जो स्थान कल तक सूखे की चपेट में थे आज जलमग्न हैं. सवाल ये है कि आखिर क्यों हम प्रकृति का इतना विकराल रूप देख रहे हैं? जवाब बहुत आसन है इसकी एक बड़ी वजह जहां एक तरफ क्लाइमेट चेंज या ये कहें कि जलवायु परिवर्तन है. तो वहीं इसका एक अन्य कारण हमारी वो प्लानिंग है जो हम अपने शहरों को बसाने या फिर जो शहर बस चुके हैं, उनमें जमा हुए पानी के निकास की दिशा में कर रहे हैं.

बिहार और उत्तर प्रदेश में बाढ़ से मची तबाही दिल दहला देने वाली है

जगह जगह आई बाढ़ को देखते हुए हमें इस बात को भली प्रकार समझना होगा कि एक तरफ जहां वनों की कटाई इस बाढ़ के लिए जिम्मेदार है. तो वहीं जिस तरह हमने अपने नालों को पाटकर उनमें आवासीय कालोनियों का निर्माण कर दिया है उसे भी बाढ़ की एक बड़ी वजह माना जा सकता है.

क्या है फ़्लैश फ्लड या...

वर्तमान में उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश पूर्व में ओडिशा और असम फ़्लैश फ्लड (आकस्मिक बाढ़) की चपेट में है. बात अगर सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार की हो तो हालत कुछ यूं हैं कि फ़्लैश फ्लड के चलते अब तक तकरीबन 109 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग लापता हैं. जिस हिसाब से बारिश हो रही है बताया जा रहा है कि दोनों ही राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए अगले 24 घंटे मुश्किलों भरे होने वाले हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार में बाढ़ के चलते लोगों की जान पर बन आई है. दोनों ही राज्यों में तमाम ऐसे इलाके हैं जहां पानी इतना है कि पूरा यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है जो राहत और बचाव तक में बड़ी बाधा उत्पन्न कर रहा है. साथ ही तमाम शहर ऐसे हैं जहां बाढ़ के चलते बिजली नदारद है. जगह-जगह इतना पानी है और हालात इतने ज्यादा बदतर हैं कि, क्या वायुसेना क्या न NDRF लोगों को बचाना एक टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. मौसम का ये मिजाज दिल दहला देने वाला है. जो स्थान कल तक सूखे की चपेट में थे आज जलमग्न हैं. सवाल ये है कि आखिर क्यों हम प्रकृति का इतना विकराल रूप देख रहे हैं? जवाब बहुत आसन है इसकी एक बड़ी वजह जहां एक तरफ क्लाइमेट चेंज या ये कहें कि जलवायु परिवर्तन है. तो वहीं इसका एक अन्य कारण हमारी वो प्लानिंग है जो हम अपने शहरों को बसाने या फिर जो शहर बस चुके हैं, उनमें जमा हुए पानी के निकास की दिशा में कर रहे हैं.

बिहार और उत्तर प्रदेश में बाढ़ से मची तबाही दिल दहला देने वाली है

जगह जगह आई बाढ़ को देखते हुए हमें इस बात को भली प्रकार समझना होगा कि एक तरफ जहां वनों की कटाई इस बाढ़ के लिए जिम्मेदार है. तो वहीं जिस तरह हमने अपने नालों को पाटकर उनमें आवासीय कालोनियों का निर्माण कर दिया है उसे भी बाढ़ की एक बड़ी वजह माना जा सकता है.

क्या है फ़्लैश फ्लड या आकस्मिक बाढ़

बात बाढ़ बल्कि आकस्मिक बाढ़ या फ़्लैश फ्लड पर चल रही है तो हमारे लिए कुछ और समझने से पहले ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर फ़्लैश फ्लड या आकस्मिक बाढ़ है क्या ? तो बता दें कि फ्लैश फ्लड, निचले इलाके में तेजी से पानी भरना है जो छोटी नदियों, सूखी झीलों और डिप्रेशन को प्रभावित करता है.

ये इसलिए खरतनाक है कि क्योंकि कुछ ही घंटों में स्थिति भयावह हो जाती है जिसका सीधा असर लोगों के जान और माल पर होता है जिसे हम वर्तमान में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में अनुभव कर रहे हैं. बात यदि है फ़्लैश फ्लड के कारणों पर हो तो इसकी एक बड़ी वजह जहां एक तरफ आंधी, तूफान, उष्णकटिबंधीय तूफान हैं तो वहीं ग्लेशियरों के पिघलने और बांधों के टूटने को भी इसकी एक बड़ी वजह माना जा रहा है.

इस बाढ़ के जिम्मेदार हम हैं

बिहार और उत्तर प्रदेश में फ़्लैश फ्लड के कारण मचा प्रलय और इस दौरान हुई मौतें हमारे सामने हैं.  इस त्रासदी पर या फिर अब तक देश में जहां जहां भी बाढ़ आई है यदि उस पर गौर करें तो मिलता है कि जहां भी हालात ख़राब हुए हैं उसके जिम्मेदार हम हैं. आज जो प्रकृति में असंतुलन हुआ है उसकी पूरी जिम्मेदारी हमारी हैं.

सवाल होगा कैसे ? तो वनों को लगातार कटाई, नगरों के विस्तार, नालों को पाट दिया जाना, उनपर आवासीय कालोनियों का निर्माण किया जाना वो तमाम वजहें हैं जो ये बताने के लिए काफी हैं कि ये बिन मौसम बरसात और इस बरसात के कारण क्यों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है. कह सकते हैं कि यदि कभी हमने अपने भविष्य को लेकर प्लानिंग की होती तो आज स्थिति इतनी बद से बदतर न होती.

102 साल बाद हुई है सितम्बर में इतनी बारिश

जिस हिसाब से उत्तर प्रदेश और बिहार में बारिश हुई है माना जा रहा है कि ये 102 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब इतनी बारिश हुई है. आपको बताते चलें कि जून-सितम्बर के बीच इस बार जितनी बारिश हुई है वो नार्मल से 9% ज्यादा है. सितम्बर ख़त्म हो गया है. ऐसे में यदि मौसम विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो मिलता है कि सितम्बर माह में इस साल 247.1 mm बारिश हुई है जो सामान्य से 48% ज्यादा है. 1901 के बाद ये तीसरी बार हुआ है जब सितम्बर में इतनी बारिश हुई है.

फ़्लैश फ्लड का पहाड़ों से होते हुए मैदानी इलाकों का सफ़र

अब तक फ़्लैश फ्लड की बातें हमने पहाड़ों पर ही देखि थी मगर अब इसका वहां से निकलकर निचले इलाकों में आना अपने आप में गंभीर है. चाहे पूर्व में आई बाढ़ हो या फिर वर्तमान में बाढ़ के चलते हो रही तबाही यदि इसका अवलोकन किया जाए तो उत्तर प्रदेश और बिहार तक छोड़िये हम राजस्थान, और मध्य प्रदेश को भी बाढ़ के पानी से जलमग्न होते देख चुके हैं. बात इसी साल अगस्त की है.  राजस्थान के कोटा और भरतपुर में भीषण बारिश और उस बारिश के बाद बाढ़ की खबरें हमारे सामने थीं.

भारत का मैप बता रहा है बाढ़ ने कहां कहां कितनी की है तबाही

SDRF की टीमों ने यहां मुस्तैदी दिखाई थी और तब तकरीबन 100 लोगों को, राहत बचाव में लगी टीमों द्वारा सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था. इसी तरह ऐसा ही कुछ मंजर हम मध्य प्रदेश में भी देख चुके हैं. आपको बताते चलें कि मध्य प्रदेश में करीब 45,000 लोग बाढ़ के कारण विस्थापित हुई. सवाल ये है कि जिन भी स्थानों पर बारिश हुई है ये वो स्थान थे जो ढंग की बारिश के लिए तरसते थे और जहां सालों साल सूखा पड़ा रहता था.

उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम नहीं देख रही है फ़्लैश फ्लड

इस साल फ़्लैश फ्लड की शुरुआत केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में हुई. इन राज्यों में आई बाढ़ की जो तस्वीरें मीडिया ने दिखाई थीं उनमें इसकी विभत्सता देखी जा सकती है. इसके बाद गुजरात ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में आई बाढ़ की तस्वीरें देखकर साफ़ हो गया है कि पूरा भारत इसकी चपेट में आया है और जो भी नुकसान हुआ है वो काफी बड़े स्तर पर हुआ है.

प्रकृति के साथ हुई छेड़छाड़ के आएंगे इससे भी बुरे परिणाम

जैसे मौसम ने अपना मिजाज बदला है और जैसे प्राकृतिक आपदाएं हो रही हैं. एक बड़ा वर्ग है जो इस बात को मानता है कि क्लाइमेट चेंज की इस तरह अनदेखी नहीं की जा सकती. यदि हमने इससे सबक नहीं लिया और इसे ऐसे ही अनदेखा और अनसुना किया तो आने वाला वक़्त और ज्यादा दर्दनाक होगा. हम ऐसा बहुत कुछ अनुभव करेंगे जिसकी कल्पना शायद ही हमने कभी की हो. वर्तमान में जो भी हो रहा है या फिर जैसी त्रासदी आ रही है कह सकते हैं कि ये प्रकृति का वो संकेत हैं जिसमें हमें लगातार चेतावनी दी जा रही है और पर्यावरण के प्रति गंभीर होने के लिए आगाह किया जा रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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