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हिंदुस्तान में ISIS का पहला हमला महज शुरुआत है !

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 09 मार्च, 2017 02:44 PM
  • 09 मार्च, 2017 02:44 PM
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आईएसआईएस अब हिंदुस्तान में पैर पसार चुका है. मगर कोई आतंकी सीरिया से लड़ने नहीं आया. ये हमारे ही देश के वो गद्दार हैं जो पैसे के लिये या उस बुरी सोच के लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार बैठे हैं.

पिछले 2 सालों में ISIS के कई आतंकियों की खबर आती रही है, कि आतंकी लड़ने के लिये भारत से सीधे सिरिया जा रहे हैं. करीब 45 से ज्यादा ऐसे आतंकी पकड़े गए जिनका सीधा संपर्क सीरिया से था. आंतकियों में कंप्यूटर इंजीनियर से लेकर एक महिला तक, हर कोई गिरफ्तार हुआ.

हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले 2 सालों में आंतकियों की साजिश को नाकाम किया और देश के अलग-अलग राज्यों से इन्हें ढूंढ निकाला. मगर आईएसआईएस ने आखिरकार भारत में पहला हमला कर ही दिया.

इसका मकसद करीब 1400 साल पहले सऊदी अरब में जो खलीफा राज या इस्लामिक राज कायम किया गया था, उसे दोबारा स्थापित करना है. मगर जो नौजवान इसमें शामिल हो रहे हैं, क्या वो इसी राज को दोबारा स्थापित करने के लिये लड़ रहे हैं? या फिर विश्व का सबसे ताकतवर या सबसे ज्यादा पैसे वाला आतंकी संगठन आईएसआईएस जो युवाओं को इतना पैसा देता है कि युवा सोचता है कि क्यों न इसमें शामिल होकर पैसा कमाया जाए.

जरुर नहीं कि इसमें शामिल होने वाला हर शख्स आईएसआईएस की विचारधारा से सहमत हो. पर जो भी हो, लखनऊ और मध्य प्रदेश के हमले ने हिंदुस्तान को सोचने पर मजबूर कर दिया है. देश में पहले ही कई आईएसआई एजेंट पकड़े जा चुके हैं जो कि भारत में तबाही की साजिश कर रहे थे.

पिछले एक साल से कश्मीर की जो स्थिति है वो सारे विश्व के सामने है. 100 से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं. कश्मीर में भी आईएसआईएस के झंडे लहराते हुए युवाओं को देखा गया था.

मगर क्या वाकई ये कश्मीर के युवा आईएसआईएस में शामिल हो गए तो जरा सोचिये अभी तक तो कश्मीर में युवा सेना पर पत्थर बरसाते हैं. मगर जब आईएसआईएस उन्हें ऐसे आधिनुक हथियार लड़ने के लिए देगा तो क्या स्थिति होगी.

हमारे देश के युवा सिर्फ कॉलेजों में नारेबाजी कर देश भक्ति करने में लगे हुए हैं. गुरमेहर जो कि शहीद की बेटी...

पिछले 2 सालों में ISIS के कई आतंकियों की खबर आती रही है, कि आतंकी लड़ने के लिये भारत से सीधे सिरिया जा रहे हैं. करीब 45 से ज्यादा ऐसे आतंकी पकड़े गए जिनका सीधा संपर्क सीरिया से था. आंतकियों में कंप्यूटर इंजीनियर से लेकर एक महिला तक, हर कोई गिरफ्तार हुआ.

हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले 2 सालों में आंतकियों की साजिश को नाकाम किया और देश के अलग-अलग राज्यों से इन्हें ढूंढ निकाला. मगर आईएसआईएस ने आखिरकार भारत में पहला हमला कर ही दिया.

इसका मकसद करीब 1400 साल पहले सऊदी अरब में जो खलीफा राज या इस्लामिक राज कायम किया गया था, उसे दोबारा स्थापित करना है. मगर जो नौजवान इसमें शामिल हो रहे हैं, क्या वो इसी राज को दोबारा स्थापित करने के लिये लड़ रहे हैं? या फिर विश्व का सबसे ताकतवर या सबसे ज्यादा पैसे वाला आतंकी संगठन आईएसआईएस जो युवाओं को इतना पैसा देता है कि युवा सोचता है कि क्यों न इसमें शामिल होकर पैसा कमाया जाए.

जरुर नहीं कि इसमें शामिल होने वाला हर शख्स आईएसआईएस की विचारधारा से सहमत हो. पर जो भी हो, लखनऊ और मध्य प्रदेश के हमले ने हिंदुस्तान को सोचने पर मजबूर कर दिया है. देश में पहले ही कई आईएसआई एजेंट पकड़े जा चुके हैं जो कि भारत में तबाही की साजिश कर रहे थे.

पिछले एक साल से कश्मीर की जो स्थिति है वो सारे विश्व के सामने है. 100 से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं. कश्मीर में भी आईएसआईएस के झंडे लहराते हुए युवाओं को देखा गया था.

मगर क्या वाकई ये कश्मीर के युवा आईएसआईएस में शामिल हो गए तो जरा सोचिये अभी तक तो कश्मीर में युवा सेना पर पत्थर बरसाते हैं. मगर जब आईएसआईएस उन्हें ऐसे आधिनुक हथियार लड़ने के लिए देगा तो क्या स्थिति होगी.

हमारे देश के युवा सिर्फ कॉलेजों में नारेबाजी कर देश भक्ति करने में लगे हुए हैं. गुरमेहर जो कि शहीद की बेटी है, कहती है वॉर नहीं होनी चाहीये किसी भी देश के बीच. मगर ये युद्ध जो देश में रहने वाले लोग अपने ही देश के खिलाफ लड़ रहे हैं उसका क्या?

आईएसआईएस अब हिंदुस्तान में पैर पसार चुका है. मगर कोई आतंकी सीरिया से लड़ने नहीं आया. ये हमारे ही देश के वो गद्दार हैं जो पैसे के लिये या उस बुरी सोच के लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार बैठे हैं.

आईएसआईएस के 13 आतंकियों का पता अब तक नहीं लगा है, उनकी तलाश जारी है. मगर देश में इन लोगों को रोकना बहुत जरुरी है, वरना देश को बहुत हानि हो सकती है क्योंकि देश को जितना खतरा सीरिया में बैठे उस आतंकी से नहीं है उससे कई ज्यादा खतरा हमारे देश में रह रहें उन गद्दारों से है .

फिलहाल देश के हर शख्स को चौकन्ना रहने की जरुरत है. किसी पर भी शक होने पर पुलिस को सूचना दें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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