• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

कमलनाथ की सबसे बड़ी नाकामी इस किसान की आत्महत्या ही तो है!

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 23 दिसम्बर, 2018 06:10 PM
  • 23 दिसम्बर, 2018 06:10 PM
offline
कमलनाथ सरकार की सबसे बड़ी नाकामी यही हो सकती है कि किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए जो कर्ज माफी की गई उससे दुखी होकर एक किसान ने आत्महत्या कर ली.

कांग्रेस का विधानसभा चुनावों के लिए सबसे बड़ा वादा था कि किसानों के कर्ज को माफ किया जाएगा और नतीजे में किसानों की आत्महत्याएं कम हो जाएंगी.  राहुल गांधी ने कहा था कि महज 10 दिन के अंदर ही कर्ज माफ कर दिए जाएंगे और अन्नदाताओं को राहत मिलेगी. ऐसा हुआ भी और मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने सीएम बनने के बाद सबसे पहले उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जिसमें राज्य के किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ करने की बात लिखी हुई थी. लोगों को लगा कि कमलनाथ सरकार वाकई बहुत तेज़ काम करेगी, लेकिन कुछ ही समय में इंटरनेट पर उन शर्तों की बात होने लगी जो इस दस्तावेज में थीं.

किसानों को कर्ज माफी के लिए कई मापदंडों से गुजरना था और ये नियम कई किसानों के लिए निराशा ही लेकर आए. शायद यही कारण है कि मध्यप्रदेश में किसानों की कर्ज माफी के फैसले के कुछ ही दिनों के अंदर एक किसान ने आत्महत्या कर ली. मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में रहने वाले एक किसान ने पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली.

45 साल के जौन सिंह इस बात से बेहद निराश थे कि उनका नाम कर्ज माफी की लिस्ट में नहीं था.

कमलनाथ के फैसले के बाद भी किसानों की आत्महत्या का सिलसिला नहीं रुका

क्यों नहीं आ सका नाम?

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए सबसे बड़ा झटका ये था कि कर्ज माफी के लिए लोन की तारीख निर्धारित कर दी गई थी. केवल उन किसानों के लोन ही माफ होने थे जो 31 मार्च 2018 तक लिए गए हैं. उसके बाद किसी का भी लोन माफ नहीं होना था. इन शर्तों के आने के बाद पूर्व मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये भी कहा था कि किसानों के लिए समय सीमा निर्धारित करना सही नहीं है.

जौन सिंह ने बैंक से तीन लाख का लोन लिया था और इसे लेने की तारीख 31 मार्च ही थी. सरकारी आदेश के मुताबिक कर्ज माफी 35 लाख किसानों की मदद...

कांग्रेस का विधानसभा चुनावों के लिए सबसे बड़ा वादा था कि किसानों के कर्ज को माफ किया जाएगा और नतीजे में किसानों की आत्महत्याएं कम हो जाएंगी.  राहुल गांधी ने कहा था कि महज 10 दिन के अंदर ही कर्ज माफ कर दिए जाएंगे और अन्नदाताओं को राहत मिलेगी. ऐसा हुआ भी और मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने सीएम बनने के बाद सबसे पहले उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जिसमें राज्य के किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ करने की बात लिखी हुई थी. लोगों को लगा कि कमलनाथ सरकार वाकई बहुत तेज़ काम करेगी, लेकिन कुछ ही समय में इंटरनेट पर उन शर्तों की बात होने लगी जो इस दस्तावेज में थीं.

किसानों को कर्ज माफी के लिए कई मापदंडों से गुजरना था और ये नियम कई किसानों के लिए निराशा ही लेकर आए. शायद यही कारण है कि मध्यप्रदेश में किसानों की कर्ज माफी के फैसले के कुछ ही दिनों के अंदर एक किसान ने आत्महत्या कर ली. मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में रहने वाले एक किसान ने पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली.

45 साल के जौन सिंह इस बात से बेहद निराश थे कि उनका नाम कर्ज माफी की लिस्ट में नहीं था.

कमलनाथ के फैसले के बाद भी किसानों की आत्महत्या का सिलसिला नहीं रुका

क्यों नहीं आ सका नाम?

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए सबसे बड़ा झटका ये था कि कर्ज माफी के लिए लोन की तारीख निर्धारित कर दी गई थी. केवल उन किसानों के लोन ही माफ होने थे जो 31 मार्च 2018 तक लिए गए हैं. उसके बाद किसी का भी लोन माफ नहीं होना था. इन शर्तों के आने के बाद पूर्व मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये भी कहा था कि किसानों के लिए समय सीमा निर्धारित करना सही नहीं है.

जौन सिंह ने बैंक से तीन लाख का लोन लिया था और इसे लेने की तारीख 31 मार्च ही थी. सरकारी आदेश के मुताबिक कर्ज माफी 35 लाख किसानों की मदद करने वाली थी जिन्होंने 2 लाख तक का लोन राष्ट्रीय या को-ऑपरेटिव बैंकों से लिया था. पर जौन सिंह के किस्से में तारीख का मामला फंस गया.

जौन सिंह जैसे ही कई किसान ऐसे हैं जिन्हें निराशा हुई है क्योंकि उन्होंने लोन 31 मार्च के बाद लिया है.

क्यों तारीख तय करना सही नहीं?

दरअसल, कर्ज माफी से सिर्फ उन्हीं किसानों को फायदा मिलता जिन्होंने खेती के लिए शॉर्ट टर्म लोन लिया था. यानी सिर्फ फसल के लिए. वो किसान जिन्होंने खेती के उपकरण खरीदने के लिए, किसी सिंचाई यंत्र को लगाने के लिए, गाय या बैल खरीदने के लिए लोन लिया था उन्हें ये नहीं मिलता. जो भी किसान खेती के लिए कर्ज लेते हैं वो अक्सर फसल के लगाने के पहले लेते हैं. मार्च के बाद आए खेती के सीजन में कई किसानों ने इसलिए लोन लिया होगा ताकि वो सर्दियों के लिए फसल लगा सकें. ऐसे में उन किसानों को फायदा नहीं मिलेगा. और कर्ज माफी से कई वंछित रह जाएंगे.

जौन सिंह के मामले में यहां एक हताश किसान की बात हो रही है, लेकिन उन हज़ारों किसानों का क्या जो कर्ज माफी की घोषणा सुनकर खुश तो हुए थे, लेकिन शर्तें सुनकर मायूस हो गए. जिन किसानों से वादा करके कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है उन किसानों के लिए कर्ज माफी की ये शर्तें बेहद निराशाजनक हैं.

मध्य प्रदेश में कर्ज माफी की शर्तें यहां पढ़ें

सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ में भी कर्ज माफी को लेकर कई शर्तें रखी गई हैं जो किसानों को निराश कर रही हैं.

छत्तीसगढ़ में कर्ज माफी की शर्तें यहां पढ़ें

कांग्रेस का कर्ज माफी का वादा लगता तो बेहद लुभावना है, लेकिन इसकी असलियत कर्नाटक के किसान भी समझ जाएंगे. कर्नाटक में कांग्रेस और जेडी(एस) की सरकार को आए 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ 800 किसानों को ही वहां हुई कर्जमाफी का फायदा मिला है. जब्कि सरकार ने कहा था कि 45 लाख किसानों को फायदा होगा.

कांग्रेस-जेडी(एस) की गठबंधंन सरकार आने के बाद से ही 250 किसानों ने कर्नाटक में आत्महत्या कर ली है. डेक्कन क्रॉनिकल की एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक की नव-गठित सरकार ने किसानों से जो वादा किया था न तो वो पूरा हुआ और न ही किसानों की आत्महत्या का सिलसिला कम हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक करीब 250 किसानों ने पिछले 6 महीने में आत्महत्या की है. हालांकि, एग्रिकल्चर डिपार्टमेंट के सूत्रों का कहना है कि ये बता पाना मुश्किल है कि ये आत्महत्याएं कर्ज के कारण हुई हैं या किसी और कारण से, लेकिन असलियत तो ये है कि कांग्रेस और जेडी(एस) की सरकार किसानों की आत्महत्या रोक पाने में असमर्थ है. आत्महत्याओं का सिलसिला दक्षिणी कर्नाटक में ज्यादा है.

अब कर्ज माफी का वादा पूरा करने के कुछ ही दिनों में जहां किसान आत्महत्या का सिलसिला शुरू हो गया है तो ये कहना गलत नहीं होगा कि कमलनाथ सरकार के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती है वो अभी भी बाकी है.

ये भी पढ़ें-

जसदण विधानसभा चुनाव में बीजेपी से ज्यादा कुंवरजी बावलिया की जीत हुई है

कांग्रेस के कर्ज माफी के वादे की असलियत तो कर्नाटक के किसान ही जानते हैं!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲