फ़ेयर एंड लव्ली (Fair and Lovely) के नाम बदल लेने से लोगों की सोच बदल जाएगी क्या? क्या अब काली लड़कियों (Girls) को आराम से दूल्हा मिल जाएगा? क्या सास काली बहू को देख कर कहना छोड़ देगी कि, मेरा ख़ानदान ख़राब हो गया? क्या अब गोरापन (Fairness) बढ़ाने वाली क्रीम्स मार्केट में नहीं उतारी जाएंगी? क्या फ़ेयर एंड लव्ली इकलौती क्रीम थी जो गोरेपन को बेच रही थी. वो जो ऐड आते हैं पार्टी वाला लूक के लिए मेक-अप, काले हैं तो आपके स्किन-टोन से मैच करता हुआ फ़ाउंडेशन सब बिकना बंद हो जाएगा क्या?
वो जो अभिनेत्रियां हैं जो मेक-अप के नाम पर सफ़ेद प्लास्टर पोत कर अवॉर्ड-फ़ंक्शन में जाती हैं और फ़ोटो-शूट करवाती हैं, जिनको आम लड़के-लड़कियां देखते हैं. फिर लड़की उन जैसी बनने का सपना पाल लेती हैं और लड़के उन्हीं जैसी गोरी लड़कियों को बीवी और गर्लफ़्रेंड बनाने की ख़्वाहिश करते हैं क्या वो भी बदल जाएगा?
बॉस, ऐसा है कि नाम कुछ भी रहे जो सोच सदियों से हमारे अंदर बिठा दी गयी है वो यूं ही जाने से रही. आप हमारे पुराने गाने या थोड़ा उससे पहले भी चले जाइए कवियों की कल्पना वाली लड़कियां उठा कर देख लीजिए सब की सब गोरी, चांद जैसी सफ़ेद दिखेंगी. काली लड़कियों के रूप के बारे में बाबा आदम बादम के ज़माने से कुछ लिखा ही नहीं गया है. एकाध छिटपुट इग्ज़ैम्पल को मैं लिखा नहीं मानती. तो जब बीमारी का जड़ इतना गहरा है तो इलाज यूं ही नाम बदल देने भर से नहीं हो जाएगा.
और एक बात ये फ़ेयर एंड लव्ली वाले आज पाप धोने चलें हैं. इनकी...
फ़ेयर एंड लव्ली (Fair and Lovely) के नाम बदल लेने से लोगों की सोच बदल जाएगी क्या? क्या अब काली लड़कियों (Girls) को आराम से दूल्हा मिल जाएगा? क्या सास काली बहू को देख कर कहना छोड़ देगी कि, मेरा ख़ानदान ख़राब हो गया? क्या अब गोरापन (Fairness) बढ़ाने वाली क्रीम्स मार्केट में नहीं उतारी जाएंगी? क्या फ़ेयर एंड लव्ली इकलौती क्रीम थी जो गोरेपन को बेच रही थी. वो जो ऐड आते हैं पार्टी वाला लूक के लिए मेक-अप, काले हैं तो आपके स्किन-टोन से मैच करता हुआ फ़ाउंडेशन सब बिकना बंद हो जाएगा क्या?
वो जो अभिनेत्रियां हैं जो मेक-अप के नाम पर सफ़ेद प्लास्टर पोत कर अवॉर्ड-फ़ंक्शन में जाती हैं और फ़ोटो-शूट करवाती हैं, जिनको आम लड़के-लड़कियां देखते हैं. फिर लड़की उन जैसी बनने का सपना पाल लेती हैं और लड़के उन्हीं जैसी गोरी लड़कियों को बीवी और गर्लफ़्रेंड बनाने की ख़्वाहिश करते हैं क्या वो भी बदल जाएगा?
बॉस, ऐसा है कि नाम कुछ भी रहे जो सोच सदियों से हमारे अंदर बिठा दी गयी है वो यूं ही जाने से रही. आप हमारे पुराने गाने या थोड़ा उससे पहले भी चले जाइए कवियों की कल्पना वाली लड़कियां उठा कर देख लीजिए सब की सब गोरी, चांद जैसी सफ़ेद दिखेंगी. काली लड़कियों के रूप के बारे में बाबा आदम बादम के ज़माने से कुछ लिखा ही नहीं गया है. एकाध छिटपुट इग्ज़ैम्पल को मैं लिखा नहीं मानती. तो जब बीमारी का जड़ इतना गहरा है तो इलाज यूं ही नाम बदल देने भर से नहीं हो जाएगा.
और एक बात ये फ़ेयर एंड लव्ली वाले आज पाप धोने चलें हैं. इनकी वजह से न जाने कितनी लड़कियाँ छली गयी हैं उनका हिसाब कौन देगा? क्या मानसिक ट्रमॉ मैटर नहीं करता?
बाक़ियों की क्या बात करूँ मैंने खुद देखा है अपने किसी बहुत करीबी को जिसका रंग गहरा था तो कितनी मशक़्क़त हुई थी उनकी शादी में. हर आता-जाता शख़्स गोरे होने का नुस्ख़ा बता कर निकल लेता था. कोई कहता था बेसन लगाओ दूध के साथ तो ग़ोरी हो जाओगी तो कोई विको क्रीम तो कोई फ़ेयर एंड लव्ली एडवांस यूज़ करने का मशविरा देता था. आख़िर उनकी शादी हुई जब तो टीचर बनीं उसके बाद मगर एक ऐसे लड़के से जो ख़ुद कमाता नहीं था.
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