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नायाब तस्वीरें: सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले ज़िन्दगी के रक्षक भी हैं

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 13 जनवरी, 2019 07:05 PM
  • 13 जनवरी, 2019 06:52 PM
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एक अनजान ठिकाने पर ली गई ये असाधारण तस्वीरें हमारे उन बहादुर सैनिकों की हैं, जो आसमान से दुश्मन पर मौत बनकर गिरते हैं और जरूरतमंदों के लिए फरिश्ते भी बनते हैं.

आप रात में चैन से सोते हैं तो उसका श्रेय किसी को देते हैं? भगवान को? माता-पिता को? परिवार को? नौकरी को? किस्मत को? पर इसका थोड़ा सा श्रेय उन जवानों को भी जाना चाहिए जो सरहद पर खड़े होकर हमारे चैन से सोने का इंतजाम करते हैं. सेना में हमारे जवानों की जिंदगी आम नहीं होती. उनसे जुड़ा कुछ भी आम नहीं होता. एक तरफ अपने परिवार को छोड़ वो अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर दुश्मनों से लड़ते हैं तो दूसरी तरफ किसी भी आपदा के वक्त शहरों के बीच आकर हमारे और आपके जैसे कई परिवारों की रक्षा करते हैं. इसी जीवन को अपनी तस्वीरों की मदद से दिखाने की कोशिश की है फोटोग्राफर अर्जुन मेनन ने.

पैराट्रूपर ट्रेनिंग के दौरान भारतीय सैनिक

अर्जुन ने अपनी सीरीज The Extraordinay में बताया है कि ये जवान सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक या पाकिस्तान और चीन से जंग नहीं करते बल्कि जरूरत पड़ने पर घर-घर जाकर हर उस इंसान की मदद करने की कोशिश करते हैं जिसे मदद की जरूरत है.

एक रेस्क्यू ऑपरेशन ट्रेनिंग के दौरान भारतीय सैनिक.

सेना की अपनी बात ही निराली है. आर्मी, नेवी, एयरफोर्स में कार्यरत न जाने कितने ही जवान हैं जो हर रोज़ अपनी जान खतरे में डालते हैं. क्या कभी सोचा है कि इनकी जिंदगी के कितने पहलू हो सकते हैं? जवानों की जिंदगी में झांकती तस्वीरें शायद इस पहलू पर थोड़ी रौशनी डाल सकें.

आप रात में चैन से सोते हैं तो उसका श्रेय किसी को देते हैं? भगवान को? माता-पिता को? परिवार को? नौकरी को? किस्मत को? पर इसका थोड़ा सा श्रेय उन जवानों को भी जाना चाहिए जो सरहद पर खड़े होकर हमारे चैन से सोने का इंतजाम करते हैं. सेना में हमारे जवानों की जिंदगी आम नहीं होती. उनसे जुड़ा कुछ भी आम नहीं होता. एक तरफ अपने परिवार को छोड़ वो अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर दुश्मनों से लड़ते हैं तो दूसरी तरफ किसी भी आपदा के वक्त शहरों के बीच आकर हमारे और आपके जैसे कई परिवारों की रक्षा करते हैं. इसी जीवन को अपनी तस्वीरों की मदद से दिखाने की कोशिश की है फोटोग्राफर अर्जुन मेनन ने.

पैराट्रूपर ट्रेनिंग के दौरान भारतीय सैनिक

अर्जुन ने अपनी सीरीज The Extraordinay में बताया है कि ये जवान सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक या पाकिस्तान और चीन से जंग नहीं करते बल्कि जरूरत पड़ने पर घर-घर जाकर हर उस इंसान की मदद करने की कोशिश करते हैं जिसे मदद की जरूरत है.

एक रेस्क्यू ऑपरेशन ट्रेनिंग के दौरान भारतीय सैनिक.

सेना की अपनी बात ही निराली है. आर्मी, नेवी, एयरफोर्स में कार्यरत न जाने कितने ही जवान हैं जो हर रोज़ अपनी जान खतरे में डालते हैं. क्या कभी सोचा है कि इनकी जिंदगी के कितने पहलू हो सकते हैं? जवानों की जिंदगी में झांकती तस्वीरें शायद इस पहलू पर थोड़ी रौशनी डाल सकें.

दुर्गम इलाकों में पहाड़ों के बीच भी सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन होते हैं.

ये तस्वीरें एक तरह से एक बेटे की श्रद्धांजलि ही हैं जो अपने शहीद पिता और उनके जैसे जांबाज सैनिकों की जिंदगी की उस अनछुई सच्चाई को दिखाने की कोशिश कर रहा है जिन्हें आम लोग नहीं देख पाते. सैनिक सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं रहते, वो आम लोगों के बीच भी रहते हैं. केरल की बाढ़ से लेकर शिलॉन्ग की बर्फबारी में फंसे 2500 सैलानियों को सुरक्षित बचाकर निकालने तक सैनिक ही तो हैं जो अपनी जिंदगी को जीते हैं.

सेना का हेलिकॉप्टर ये नहीं देखता कि दिन हो रहा है या रात.

सैनिकों की जिंदगी दिखाने के पीछे की असल कहानी...

ये तस्वीरें हैं शहीद लेफ्टिनेंट जनरल जी. वी. मेनन को एक श्रद्धांजलि जो अपनी ड्यूटी करते हुए 16 साल पहले एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मारे गए. अब उनका बेटा अर्जुन मेनन अपने पिता की जिंदगी पर रौशनी डाल रहा है.

नाइट विजन गॉगल्स का इस्तेमाल करता एक पायलट

अर्जुन मेनन अपनी खास सीरीज The Extraordinary के अंतरगत सैनिकों की जिंदगी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. अर्जुन की प्रेरणा उनके पिता ही हैं. शहीद लेफ्टिनेंट जनरल जी. वी. मेनन इंडियन आर्मी में पायलट थे. बचपन से ही अर्जुन अपने पिता को सबसे बड़ा हीरो मानते थे. बड़े हेलिकॉप्टर उड़ाते हुए, पृथ्वी के कुछ सबसे दुर्गम इलाकों में लोगों की मदद करते हुए, पैराट्रूपर से कूदते हुए, कॉम्बैट ट्रेनिंग लेते हुए वो अपने पिता की कल्पना कर सकते थे. ये रोज़ाना का काम था.

रेतीला बवंडर हो या बर्फीला तूफान ये सैनिक बिना मौसम की चिंता किए अपना काम करते हैं.

बचपन में अर्जुन का फेवरेट कार्टून भी "G.I Joe" था, लेकिन ये सोचना भी दिलचस्प था कि उनके पिता खुद उस कार्टून से भी ज्यादा खतरनाक स्टंट रोज़ करते हैं. उससे भी ज्यादा खतरनाक परिस्थितियों में अपने देश के लिए लड़ते हैं. पर सैनिकों के लिए ये बड़ी बात नहीं होती है.

पैराट्रूपर का इस्तेमाल कर सैनिक आसमान से फरिश्तों की तरह उतरते हैं.

अर्जुन चाहते थे कि वो इन सैनिकों के जीवन को दिखाएं. एक अलग प्रोजेक्ट जो इनकी मेहनत और बहादुरी को दिखाए.

मेहनत सिर्फ तस्वीरें खींचने में नहीं इस सपने को हकीकत बनाने में भी लगी..

अर्जुन खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें इतनी बेहतरीन उपलब्धि मिली और ये मौका दिया गया कि वो ऐसी फोटोग्राफी कर सकें. पर मेहनत तो सेना के करीब जाने की भी थी. iChowk.in की टीम से बात करते समय अर्जुन ने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से लेकर इंडियन आर्मी तक पहुंचने में उन्हें 6-8 महीने का समय लगा. एक के बाद एक धीरे-धीरे पड़ाव पार किए और इस फोटोशूट की परमीशन ली. अर्जुन ने इस प्रोजेक्ट को शूट करने में 21 दिन का समय लगाया और इसे महाराष्ट्रा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में शूट किया गया.

कई बार सैनिकों को अनजाने खतरों का सामना भी करना पड़ता है.

ये तस्वीरें आर्मी की कॉम्बैट ट्रेनिंग और रेस्क्यू ऑपरेशन की ट्रेनिंग के दौरान की हैं. हिमालय की चट्टानों से लेकर राजस्थान के रेतीले टीलों तक में बिना किसी चूक सेना के जवान अपने काम को बड़ी तत्परता से पूरा करते हैं.

तस्वीरों के सहारे देना चाहते हैं प्रेरणा..

अर्जुन का मकसद सिर्फ अपने पिता की श्रद्धांजलि ही नहीं बल्कि देश के जवानों के सेना की तरफ आकर्षित करना भी है. पायलट, मेडिक, इंजीनियर, टेक्नीशियन, जवान, ऑफिसर आदि बहुत सी ऐसी पोस्ट हैं जो इंडियन आर्मी में खाली हैं. मौजूदा समय में आर्मी में बहुत ही कम रिक्रूटमेंट हो रहे हैं. सेना में 52000 सैनिकों की कमी है और अकेले अधिकारियों की ही 7600 पोस्ट खाली हैं.

ये सैनिक अपनी जिंदगी हर रोज़ दांव पर लगाते हैं ताकि हम सुरक्षित रह सकें.

अर्जुन चाहते हैं कि वो अपनी सीरीज के जरिए लोगों को प्रेरणा दे सकें. अर्जुन कभी-कभी सोचते हैं कि उनके पिता अगर ये तस्वीरें देखते तो क्या कहते.

सैनिक प्रकृति के खूबसूरत पर खतरनाक रूप को बेहद करीब से देखते हैं.

ये एक सोच ही तो है जिसमें एक पति के प्रति सम्मान बेटे की जिंदगी को नई दिशा दे रहा है. ये आर्मी सीरीज बेहद खास है क्योंकि न सिर्फ इसमें एक बेहतीन कहानी है बल्कि असल जिंदगी से जुड़ी हुई भी है.

अंत में अर्जुन मेनन और शहीद लेफ्टिनेंट जनरल जी.वी.मेनन की एक तस्वीर जो दिखाती है कि वाकई अर्जुन किस हद तक अपने पिता से जुड़े हुए थे.

उम्मीद है अर्जुन की ये सीरीज ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगी और कैमरा लेंस की मदद से आर्मी के जीवन को दिखाने की अर्जुन की ये कोशिश अपने सही अंजाम तक पहुंच पाएगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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