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वक्‍त बदला, रिवाज बदले तो दहेज मांगने का अंदाज भी बदला

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 29 दिसम्बर, 2016 02:02 PM
  • 29 दिसम्बर, 2016 02:02 PM
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दहेज मांगना खराब लगता है. लेकिन फोकट का रुपया किसे अच्‍छा नहीं लगता. इस लिए दहेज मांगने का अंदाजा थोड़ा बदल रहा है. दहेज लेने वाले थोड़े सोशल हो गए हैं, नए तरीकों से इस प्रथा को जिंदा रखे हुए हैं.

'मेरा देश महान और 100 में से 99 बेइमान!' ये कहावत कहां से आई ये तो पता नहीं, लेकिन इतना जरूर पता है कि ये बचपन से हम सुनते आ रहे हैं. भारत में बेइमानी और जुगाड़ दोनों ही कितने प्रचलित हैं इसके बारे में किसी को बताने की तो जरूरत है नहीं. शायद यही वजह है कि इतने कानून और नियम बनने के बाद भी किसी ना किसी तरह से लोग दहेज ले ही लेते हैं. आखिर हो भी क्यों ना, सालों पुरानी जो है ये परमपरा. आखिर भारतीय संस्कृति नाम की भी कोई चीज होती है ना. इस प्रथा को बचाना तो जरूरी है. हालांकि, अब दहेज लेने वाले थोड़े सोशल हो गए हैं, नए तरीकों से इस प्रथा को जिंदा रखे हुए हैं.

ताजा किस्सा है बैंगलुरु का जहां दहेज के नाम पर तो कुछ नहीं बोला गया, लेकिन लड़की के घरवालों से हनीमून के पैसे मांग लिए गए. शादी के खर्च और महंगे तोहफों के बाद 5 लाख की डिमांड बेटे और बहू के हनीमून के लिए की गई.

 बीवी हो ना हो हनीमून ट्रिप तो जरूरी है भाई साहब

भारत के अजीबोगरीब दहेज के मामले-

- भोपाल की एक साइकॉलिजिस्ट ने महिला थाने में रिपोर्ट लिखवाई कि उसके पतिदेव जो दुबई में किसी कंपनी में काम करते हैं उससे 10 लाख रुपए कैश और एक फरारी कार की मांग कर रहे हैं. उनकी फरारी की दीवानगी इतनी है कि दुलहन का कहना है कि फरारी की इतनी दीवानगी है पति शादी के दूसरे दिन से ही उससे फरारी की मांग करने लगे थे.

ये भी पढ़ें- क्या आप अपने पति से प्यार कर पाएंगी अगर वो साड़ी...

'मेरा देश महान और 100 में से 99 बेइमान!' ये कहावत कहां से आई ये तो पता नहीं, लेकिन इतना जरूर पता है कि ये बचपन से हम सुनते आ रहे हैं. भारत में बेइमानी और जुगाड़ दोनों ही कितने प्रचलित हैं इसके बारे में किसी को बताने की तो जरूरत है नहीं. शायद यही वजह है कि इतने कानून और नियम बनने के बाद भी किसी ना किसी तरह से लोग दहेज ले ही लेते हैं. आखिर हो भी क्यों ना, सालों पुरानी जो है ये परमपरा. आखिर भारतीय संस्कृति नाम की भी कोई चीज होती है ना. इस प्रथा को बचाना तो जरूरी है. हालांकि, अब दहेज लेने वाले थोड़े सोशल हो गए हैं, नए तरीकों से इस प्रथा को जिंदा रखे हुए हैं.

ताजा किस्सा है बैंगलुरु का जहां दहेज के नाम पर तो कुछ नहीं बोला गया, लेकिन लड़की के घरवालों से हनीमून के पैसे मांग लिए गए. शादी के खर्च और महंगे तोहफों के बाद 5 लाख की डिमांड बेटे और बहू के हनीमून के लिए की गई.

 बीवी हो ना हो हनीमून ट्रिप तो जरूरी है भाई साहब

भारत के अजीबोगरीब दहेज के मामले-

- भोपाल की एक साइकॉलिजिस्ट ने महिला थाने में रिपोर्ट लिखवाई कि उसके पतिदेव जो दुबई में किसी कंपनी में काम करते हैं उससे 10 लाख रुपए कैश और एक फरारी कार की मांग कर रहे हैं. उनकी फरारी की दीवानगी इतनी है कि दुलहन का कहना है कि फरारी की इतनी दीवानगी है पति शादी के दूसरे दिन से ही उससे फरारी की मांग करने लगे थे.

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- quora के एक यूजर ने जब पूछा कि लोगों द्वारा सबसे खतरनाक दहेज के केस कौन से सुने गए हैं तो इसमें एक का जवाब कि लड़के वालों ने कहा कि हमे दहेज में कुछ नहीं चाहिए बस आप अपनी छोटी बेटी की शादी भी हमारे छोटे बेटे से कर दीजिए. देखी लोगों की स्मार्टनेस एक शादी के खर्च में दो ब्याह और दहेज में लड़की की बहन ही मांग ली. जैसे एक साबुन की टिकिया के दाम में दूसरी मुफ्त.

- पिछले साल की एक खबर है जिसमें एक लड़की की शादी सिर्फ इसलिए टूट गई क्योंकि लड़के ने अपने और अपने परिवार के लिए लेटेस्ट आईफोन मांग लिए थे.

अब भारत में लोग जुगाड़ू हैं तो यकीनन उनके दहेज मांगने का तरीका भी कुछ अलग ही होगा. हालांकि, ये किस्से तो पुराने हैं, लेकिन अब जब मोदी जी ने नोटबंदी की घोषणा कर ही दी है तो लगता है कि ऐसे अनोखे दहेज के मामले सामने आएंगे. फ्लिपकार्ट या स्नैपडील की बंपर सेल का फायदा पूरा इंडिया उठा रहा है तो दहेज लेने वाले क्यों ना उठाएं. नोटबंदी के बाद अब दहेज भी डिजिटल हो ही जाना चाहिए. अब देखिए ना नोटबंदी ने एक शादी तोड़ दी. नोएडा में रहने वाले एक लड़के ने जगतपुरी में रहने वाली अपनी मंगेतर से सिर्फ इसलिए शादी तोड़ दी क्योंकि नोटबंदी के समय उसकी दहेज की मांग पूरी नहीं हो पाती.

अगर दहेज भी हो गया डिजिटल-

जहां पूरा इंडिया डिजिटल हो रहा है, चोर डिजिटल हो रहे हैं वहां दहेज लेने वाले भी डिजिटल हो गए तो जरा सोचिए कि कैसी-कैसी डिमांड रखी जाएगी.

अगर ऐसा हुआ तो लोग शायद पेटीएम और मोबिक्विक पर कैश मांगेंगे. एक साथ ऑनलाइन ट्रांसफर में तो टैक्स लगने लगेगा तो परिवार के अलग-अलग सदस्यों के अकाउंट में पैसे मंगवाए जाएंगे. घर के फर्नीचर की जगह होम शॉप 18, या हायपर सिटी का गिफ्ट कार्ड भी मांगा जा सकता है. कुछ समझदार लोग शायद दहेज में समधियों का क्रेडिट और डेबिट कार्ड ही मांग लें.

 शायद कुछ दिनों में दहेज के लिए भी अलग से सेविंग्स अकाउंट खोलना पड़े

आए दिन ऐसे किस्से सुनने में आते हैं कि किसी लड़की को दहेज के कारण अपनी जान गवानी पड़ी या फिर प्रताड़ना झेलनी पड़ी. गुंजा देवी का मामला जानते हैं आप जिसमें उस महिला को तीन साल तक ससुराल वालों ने बाथरूम में बंद कर दिया था. जब आखिरकार उन्हें कैद से निकाला गया तब तक उनकी हालत ऐसी हो चुकी थी कि ना ही किसी को पहचान पाती, ना देख पातीं ना ही कुछ सही खा पातीं.

ऐसा ही एक केस गीतांजली गर्ग का केस था जिसमें पति पूर्व जज होने के बाद भी करोड़ों का दहेज ले चुका था. इसके बाद भी लगातार गीतांजली को परेशान किया जाता रहा और अंत वही हुआ जिसका सबको डर था.

राजस्थान के एक केस में एक महिला के साथ गर वालों ने गैंगरेप सिर्फ इसलिए किया क्योंकि वो दहेज की मांग पूरी नहीं कर पा रही थी और इतने से जब उनका जी नहीं भरा तब उसके माथे और हाथ पर गालियां गुदवा दीं. ऐसे ना जाने कई किस्से हैं जो दहेज को लेकर लोगों का दुख बताते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं कि हर बार लड़कियां हीं फसती हैं कई बार झूठा दहेज का केस भी लगाया जाता है.

रहिमन इस संसार में भांती-भांती के लोग...

हरियाणा खाप पंचायत के पैरोडी ट्विटर अकाउंट ने दहेज लोभियों के लिए एक बहुत ही अच्छा ट्वीट किया था.

ये भी पढ़ें- कितनी सहज तैयारी है एक विभत्‍स गैंगरेप की

ये ट्वीट भले ही पुराना हो, लेकिन जो व्यंग्य इसमें किया गया है वो शायद अब तक कम ही लोग समझ पाए हों. जनाब आप लड़की ले रहे हैं तो फिर उसके साथ जेब खर्च लेने की क्या जरूरत है. अगर आपको लड़की लेने पर उसके खर्च के लिए पैसा चाहिए और आप वो भी उठा पाने की क्षमता नहीं रखते हैं तो क्या जरूरत है अपने बेटों की शादी करने की और अगर करनी भी है तो नौकरी वाली लड़की ले आइए. प्रॉबलम सॉल्व्ड. पर जो भी हो कृपया कर दहेज की मांग रखकर खुद को छोटा मत दिखाइए. चाहें वो फोन हो, या महंगे होटल में रिसेप्शन या फिर हनीमून पैकेज चाहें कुछ भी हो ये मांग गलत है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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