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पुरुषों के साथ रेप पर भारत में कानून कब तक?

    • विनीत कुमार
    • Updated: 06 अक्टूबर, 2015 10:58 AM
  • 06 अक्टूबर, 2015 10:58 AM
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क्या पुरुषों के साथ भी रेप होता है? क्या कोई महिला किसी पुरुष के साथ दुष्कर्म कर सकती है? रेप के मामले में माना यही जाता है कि अपराधी पुरुष ही होगा, पीड़ि‍त नहीं.

क्या पुरुषों के साथ भी रेप होता है? क्या कोई महिला किसी पुरुष के साथ दुष्कर्म कर सकती है? या किसी पुरुष का नाजायज फायदा उठा सकती है? इन सवालों को आप बेवकूफी भरा कह सकते हैं. यह ठीक भी है. दरअसल, कई लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं होंगे कि ऐसा होता है. हमारी सरकार भी ऐसा ही मानती है. जब भी रेप पर बहस होती है. माना यही जाता है कि अपराधी पुरुष ही होगा, पीड़ि‍त नहीं.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश भर में करीब 40 गैरसरकारी संगठन मिल कर एक हेल्पलाइन नंबर चला रहे हैं. यह पुरुषों के लिए है और वे अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं की शिकायत कर मदद की गुहार लगा सकते हैं. पिछले एक साल में 37,000 से ज्यादा कॉल उनके पास आए. कई फोनकॉल फर्जी भी थे. लेकिन फिर भी ऐसे मामलों के एक दिन में औसतन 100 या उससे ज्यादा फोन आते हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा फोन मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों से आए.

भारत में पुरुषों के साथ रेप पर कोई कानून नहीं

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354A, 354B, 354C और 354D के तहत यौन उत्पीड़न, किसी का पीछा करना, घूरना आदि जूर्म हैं. लेकिन कानून के अनुसार इन मामलों में अपराधी पुरुष ही होगा. आईपीसी की धारा-375-जिसमें रेप और उसके खिलाफ कानूनी प्रावधानों की बात कही गई है, वहां भी पुरुषों के साथ रेप होने से जुड़ी कोई बात नहीं कही गई है. ऐसे ही कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून बने हैं लेकिन पुरुषों को यहां भी शामिल नहीं किया गया है. लब्बोलुआब ये कि अगर पुरुष के साथ रेप होता है तो कानून उसे कोई मदद नहीं दे सकता.

दिल्ली में साल-2012 में जब निर्भया कांड हुआ. तब महिलाओं के खिलाफ मामलों में और कड़े कानून बनाने की बात हुई. जस्टिस वर्मा की समिति ने इस दौरान रेप को जेंडर से इतर परिभाषित करने की दिशा में कदम उठाने की पहल की. लेकिन वह पूरी तरह सफल नहीं हो सका. कई विरोध हुए और नए कानून में भी यही कहा गया कि केवल पुरुष ही दुष्कर्म कर सकता है. आईपीसी की...

क्या पुरुषों के साथ भी रेप होता है? क्या कोई महिला किसी पुरुष के साथ दुष्कर्म कर सकती है? या किसी पुरुष का नाजायज फायदा उठा सकती है? इन सवालों को आप बेवकूफी भरा कह सकते हैं. यह ठीक भी है. दरअसल, कई लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं होंगे कि ऐसा होता है. हमारी सरकार भी ऐसा ही मानती है. जब भी रेप पर बहस होती है. माना यही जाता है कि अपराधी पुरुष ही होगा, पीड़ि‍त नहीं.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश भर में करीब 40 गैरसरकारी संगठन मिल कर एक हेल्पलाइन नंबर चला रहे हैं. यह पुरुषों के लिए है और वे अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं की शिकायत कर मदद की गुहार लगा सकते हैं. पिछले एक साल में 37,000 से ज्यादा कॉल उनके पास आए. कई फोनकॉल फर्जी भी थे. लेकिन फिर भी ऐसे मामलों के एक दिन में औसतन 100 या उससे ज्यादा फोन आते हैं. इसमें भी सबसे ज्यादा फोन मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों से आए.

भारत में पुरुषों के साथ रेप पर कोई कानून नहीं

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354A, 354B, 354C और 354D के तहत यौन उत्पीड़न, किसी का पीछा करना, घूरना आदि जूर्म हैं. लेकिन कानून के अनुसार इन मामलों में अपराधी पुरुष ही होगा. आईपीसी की धारा-375-जिसमें रेप और उसके खिलाफ कानूनी प्रावधानों की बात कही गई है, वहां भी पुरुषों के साथ रेप होने से जुड़ी कोई बात नहीं कही गई है. ऐसे ही कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून बने हैं लेकिन पुरुषों को यहां भी शामिल नहीं किया गया है. लब्बोलुआब ये कि अगर पुरुष के साथ रेप होता है तो कानून उसे कोई मदद नहीं दे सकता.

दिल्ली में साल-2012 में जब निर्भया कांड हुआ. तब महिलाओं के खिलाफ मामलों में और कड़े कानून बनाने की बात हुई. जस्टिस वर्मा की समिति ने इस दौरान रेप को जेंडर से इतर परिभाषित करने की दिशा में कदम उठाने की पहल की. लेकिन वह पूरी तरह सफल नहीं हो सका. कई विरोध हुए और नए कानून में भी यही कहा गया कि केवल पुरुष ही दुष्कर्म कर सकता है. आईपीसी की धारा-377 भी इस मामले में ठोस पहल नहीं करती. इसके तहत पुरुष के पुरुष द्वारा रेप पर ही कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

कई देशों में नहीं है पुरुषों के खिलाफ रेप पर कानून

भारत सहित चीन, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, सिंगापुर जैसे कई एशियाई देश हैं जहां पुरुषों के साथ रेप की बात नहीं मानी जाती. अमेरिका ने जरूर 2012 में कानून में बदलाव किया. वहां पीड़ित पुरुष कानून की मदद ले सकते हैं. दरअसल, पुरुष के साथ रेप पर कानून नहीं होने की बड़ी दलील दी जाती है कि इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा. ऐसे कानूनों का गलत फायदा उठाया जाएगा. लेकिन, रेप या पुरुषों के उत्पीड़न से जुड़ी जो नई तस्वीर सामने आ रही है...उसका भी निदान तो निकालना ही होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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