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बेरोजगारी-महंगे शौक! अच्छा भला इंजीनियर वाहन चोरों का बॉस बन गया

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 10 मई, 2018 10:27 PM
  • 10 मई, 2018 10:27 PM
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शार्ट कट के नाम पर आज जिस तरफ पढ़े लिखे युवाओं द्वारा अपराध का रास्ता अपनाया जा रहा है वो जहां एक तरफ सभ्य समाज के लिए खतरा है तो वहीं दूसरी तरफ एक गहरी चिंता का विषय है.

इंजीनियरिंग कर रहे या कर चुके छात्रों को हमेशा ही समाज द्वारा सम्मान की नजरों से देखा गया है. यदि इसके कारण पर गौर करें तो मिलता है कि प्रायः वही छात्र इंजीनियरिंग का चुनाव बतौर करियर करते हैं जो पढ़ाई में अच्छे होते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इंजीनियरिंग करते करते लड़का चोरी में लिप्त हो जाए और ऐसे अपराध कर बैठे जिनको देखकर बड़े बड़े शातिर चोर दांतों तले अंगुली दबा लें. अचरज में पड़ने की जरूरत नहीं है. बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप.

खबर राजधानी दिल्ली से है. दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है. विरोह बहुत ही शातिर तरीके से वाहन चोरी करता था. पांच सदस्यों वाले इस गिरोह का मुखिया इंजीनियरिंग का छात्र संजीव कुमार है. पुलिस की मानें तो अब तक ये गिरोह 100 से ऊपर वाहनों पर अपना हाथ साफ कर चुका है. पुलिस ने गिरोह के सरगना की निशानदेही पर जहां एक तरफ गिरोह के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया तो वहीं 17 लग्जरी गाड़ियां भी बरबाद की हैं. साथ ही पुलिस ने गिरोह के पास से वाहन चोरी में इस्तेमाल होने वाले औजार भी बरामद किये हैं. गिरोह गाड़ियां चोरी करके पंजाब, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सस्ते दामों में उन्हें बेच देता था.

जिस तरह पढ़े लिखे युवा अपराध का रास्ता अपना रहे हैं वो एक सभ्य समाज के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है

गौरतलब है कि जब पुलिस ने गिरोह के सरगना संजीव कुमार को गिरफ्तार किया उस वक़्त वो दिल्ली के संगम विहार इलाके में था और चोरी की स्विफ्ट डिजायर ड्राइव कर रहा था. पुलिस के मुताबिक गाड़ी पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी जिसे देखकर उन्हें शक हुआ और शक के आधार पर युवक से पूछताछ हुई. जांच के दौरान पुलिस को गाड़ी में एक बैग मिला जिसमें इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ईसीएम), लॉक सेट और ड्रिल मशीन रखा हुआ था. जब पुलिस ने इस मामले...

इंजीनियरिंग कर रहे या कर चुके छात्रों को हमेशा ही समाज द्वारा सम्मान की नजरों से देखा गया है. यदि इसके कारण पर गौर करें तो मिलता है कि प्रायः वही छात्र इंजीनियरिंग का चुनाव बतौर करियर करते हैं जो पढ़ाई में अच्छे होते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इंजीनियरिंग करते करते लड़का चोरी में लिप्त हो जाए और ऐसे अपराध कर बैठे जिनको देखकर बड़े बड़े शातिर चोर दांतों तले अंगुली दबा लें. अचरज में पड़ने की जरूरत नहीं है. बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप.

खबर राजधानी दिल्ली से है. दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है. विरोह बहुत ही शातिर तरीके से वाहन चोरी करता था. पांच सदस्यों वाले इस गिरोह का मुखिया इंजीनियरिंग का छात्र संजीव कुमार है. पुलिस की मानें तो अब तक ये गिरोह 100 से ऊपर वाहनों पर अपना हाथ साफ कर चुका है. पुलिस ने गिरोह के सरगना की निशानदेही पर जहां एक तरफ गिरोह के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया तो वहीं 17 लग्जरी गाड़ियां भी बरबाद की हैं. साथ ही पुलिस ने गिरोह के पास से वाहन चोरी में इस्तेमाल होने वाले औजार भी बरामद किये हैं. गिरोह गाड़ियां चोरी करके पंजाब, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सस्ते दामों में उन्हें बेच देता था.

जिस तरह पढ़े लिखे युवा अपराध का रास्ता अपना रहे हैं वो एक सभ्य समाज के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है

गौरतलब है कि जब पुलिस ने गिरोह के सरगना संजीव कुमार को गिरफ्तार किया उस वक़्त वो दिल्ली के संगम विहार इलाके में था और चोरी की स्विफ्ट डिजायर ड्राइव कर रहा था. पुलिस के मुताबिक गाड़ी पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी जिसे देखकर उन्हें शक हुआ और शक के आधार पर युवक से पूछताछ हुई. जांच के दौरान पुलिस को गाड़ी में एक बैग मिला जिसमें इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ईसीएम), लॉक सेट और ड्रिल मशीन रखा हुआ था. जब पुलिस ने इस मामले की गम्भीरता को देखकर सख्ती दिखाई तो युवक ने अपना अपराध कबूला. अभियुक्त संजीव की ही निशानदेही पर पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ा और उनके पास से चोरी की गाड़ियां बरामद कीं.

प्रोफेशनल अंदाज में देते थे चोरी को अंजाम

गिरफ्तार इंजीनियर संजीव के अनुसार चोरी के दौरान वो पहले गाड़ी की खिड़की को तोड़ते थे फिर उनके द्वारा हाई इंटेंसिटी मैगनेट्स और ड्रिल के माध्यम से स्टीयरिंग लॉक को तोड़ा जाता था. इस पूरी प्रक्रिया में गिरोह के एक सदस्य की जिम्मेदारी गाड़ी में मौजूद जीपीएस को निष्क्रिय करना और उसे हटाना था. इसके बाद ये लोग गाड़ी के ईसीएम को बदल देते थे.

शौक पूरा करने के चलते करते थे चोरी

जिस तरह इन युवकों द्वारा चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जाता था उससे ये तो साफ है कि इनका उद्देश्य गाड़ी बेच के महज पैसा कमाना नहीं था. एक ऐसे दौर में जब लोगों का सारा ध्यान अच्छी लाइफ स्टाइल की तरफ है. ये वाहन चोर भी अपने शौक पूरा करने और आलीशान जीवन जीने के लिए चोरी करते थे.

ये अपनेआप में शर्मनाक है कि आज अपराध के मामले में पढ़े लिखे युवाओं की संलिप्तता ज्यादा है

कहीं इस चोरी की एक बड़ी वजह बेरोजगारी तो नहीं

जैसा कि हम बता चुके हैं पकड़े गए अभियुक्त आलिशान जीवन शैली अपनाते हैं. यदि इस बात को आधार बनाए तो मिलता है कि युवक इस बात से परिचित थे कि नौकरी के दम पर वो अपने शौक नहीं पूरे कर सकते. साथ ही जो आज के हालात हैं उनमें रोजगार पाने में इंजीनियर्स को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अतः ये कहना गलत नहीं होगा कि बेरोजगारी की मार से बचने के लिए इन्होंने अपराध का मार्ग चुना और उसे अमली जामा पहनाया.

अपनी ऊर्जा को सही जगह लगाते तो देश को मिलता फायदा

किसी भी देश के लिए उसका युवा एक अनमोल धरोहर होता है. जिस अंदाज में ये लोग चोरी की वारदात को अंजाम देते थे अगर वही शक्ति इन्होंने किसी सही जगह पर लगाई होती तो निश्चित तौर पर इसका फायदा न सिर्फ इन्हें बल्कि सम्पूर्ण समाज और देश को मिलता.

अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि जो लोग सोचते हैं कि वो शार्ट कट का मार्ग अपनाकर अपना जीवन बदल सकते हैं वो इन युवाओं को देखें और इस बात को समझें कि शार्ट कट का अंजाम कभी सुखद नहीं होता. व्यक्ति कामयाब तभी है जब वो अपने विकास के लिए सही तरीके से काम करे और अपराध के मार्ग से उचित दूरी बनाकर चले.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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