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सांस्कृतिक चोला बदलने के कवायद

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 17 जून, 2017 01:34 PM
  • 17 जून, 2017 01:34 PM
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केंद्र सरकार देश को संस्कारी बनाने की मुहीम में जुट गई है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दीक्षांत समारोह में गाउन पहनने से इनकार कर दिया और फिरंगियों की पोशाक यानी गाउन पहनने के नियम को ही बदल डाला.

भारत को दुनिया में अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है. हाल के दिनों में ये बातें होती रहती थीं कि भारत से संस्कारों का लोप हो रहा है. मगर लगता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार फिर से देश को संस्कारी बनाने की मुहीम में जुट गई है. हालांकि केंद्र के कई फैसले किसी तुगलकी फरमान की तरह प्रतीत होते हैं, जिसके लिए केंद्र सरकार की कई बार किरकिरी भी हुई है. हालांकि अपनी संस्कृति को अपनाने में बुराई भी तो नहीं हैं.

संस्कृति की बात हो और उत्तराखंड उसमें पीछे रहे ऐसा नहीं हो सकता, तभी तो सोमवार को देहरादून की यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के दीक्षांत समारोह में पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समारोह की फिरंगियों वाली पोशाक यानी गाउन पहनने से इनकार कर दिया. जबकि मंच पर मौजूद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, राज्यपाल डॉ. केके पाल, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत आदि पोशाक पहने हुए थे. उन्होंने उपाधि लेने वाले छात्रों और मंचासीन पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आखिर कब तक हम फिरंगियों की निशानी वाली ड्रेस पहनकर इसे अपनी शान समझते रहेंगे, उन्होंने छात्रों से दीक्षा समारोह में स्वदेशी पोशाक पहनने के लिए कहा. साथ ही एलान कर दिया कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बनेगा, जहां दीक्षांत समारोह में छात्र, अतिथि सभी स्वदेशी पोशाक में नजर आएंगे.

दीक्षांत समारोह में अब इस तरह की पारंपरिक पोषाक में दिखाई देंगे छात्र-छात्राएं

बदल डाली फिरंगियों की पोशाक

जब छोटा भाई उत्तराखंड यह सब कर रहा हो तो बड़ा भाई पीछे कैसे रहा सकता है, सो उत्तर प्रदेश में भी वही हुआ. आईआईटी कानपुर का 50वां दीक्षांत समारोह हुआ. पहली बार आईआईटी कानपुर के छात्रों ने कुर्ता और पायजामा पहनकर...

भारत को दुनिया में अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है. हाल के दिनों में ये बातें होती रहती थीं कि भारत से संस्कारों का लोप हो रहा है. मगर लगता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार फिर से देश को संस्कारी बनाने की मुहीम में जुट गई है. हालांकि केंद्र के कई फैसले किसी तुगलकी फरमान की तरह प्रतीत होते हैं, जिसके लिए केंद्र सरकार की कई बार किरकिरी भी हुई है. हालांकि अपनी संस्कृति को अपनाने में बुराई भी तो नहीं हैं.

संस्कृति की बात हो और उत्तराखंड उसमें पीछे रहे ऐसा नहीं हो सकता, तभी तो सोमवार को देहरादून की यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के दीक्षांत समारोह में पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समारोह की फिरंगियों वाली पोशाक यानी गाउन पहनने से इनकार कर दिया. जबकि मंच पर मौजूद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, राज्यपाल डॉ. केके पाल, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत आदि पोशाक पहने हुए थे. उन्होंने उपाधि लेने वाले छात्रों और मंचासीन पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आखिर कब तक हम फिरंगियों की निशानी वाली ड्रेस पहनकर इसे अपनी शान समझते रहेंगे, उन्होंने छात्रों से दीक्षा समारोह में स्वदेशी पोशाक पहनने के लिए कहा. साथ ही एलान कर दिया कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बनेगा, जहां दीक्षांत समारोह में छात्र, अतिथि सभी स्वदेशी पोशाक में नजर आएंगे.

दीक्षांत समारोह में अब इस तरह की पारंपरिक पोषाक में दिखाई देंगे छात्र-छात्राएं

बदल डाली फिरंगियों की पोशाक

जब छोटा भाई उत्तराखंड यह सब कर रहा हो तो बड़ा भाई पीछे कैसे रहा सकता है, सो उत्तर प्रदेश में भी वही हुआ. आईआईटी कानपुर का 50वां दीक्षांत समारोह हुआ. पहली बार आईआईटी कानपुर के छात्रों ने कुर्ता और पायजामा पहनकर और छात्राओं ने सलवार और सूट पहनकर डिग्री ली.

IIT कानपुर हुआ संस्कारी

स्वस्थ बच्चा पाने के लिए गर्भावस्था के दौरान मांसाहार व शारीरिक संबंध न बनाने की सलाह

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को सलाह के लिए 'मदर ऐंड चाइल्ड केयर' नाम की एक बुकलेट जारी की. बुकलेट में स्वस्थ बच्चा पाने के लिए मांसाहार न करने और गर्भावस्था के दौरान शारीरिक संबंध न बनाने की सलाह दी गई. सुझाव दिया गया है कि महिलाएं गर्भावस्था के दौरान महान लोगों की कहानी सुनें, गुस्सा न करें और बुरे लोगों की संगत से दूर रहें.

खादी अपनाओ

गुजरात विश्वविद्यालय के बाद खादी ने अब आईआईटी बॉम्बे में जगह बनाई है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे ने भी अपने दीक्षांत समारोह की पोशाक के लिए खादी का चयन किया है. एक बयान में कहा गया है कि खादी हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है और विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना भरने के लिए उन्होंने खादी को अपनाने का फैसला किया गया है.

संस्कारी बच्चे पैदा करने की मुहीम

हाल ही में आरएसएस की स्वास्थ्य इकाई ‘आरोग्य भारती’ ने बच्चों को गर्भ में ही सुपर बेबी बनाने का दावा किया है. इसके लिए कोलकाता में बाकायदा दो दिन का 'गर्भ संस्कार' वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें कहा गया 'उत्तम संतति' के जरिए हमारा खास मकसद समर्थ भारत का निर्माण करना है और इस प्रक्रिया से अब तक 450 बच्चे जन्म ले चुके हैं. हमारी कोशिश है कि 2020 तक भारत में इस प्रॉसेस से हजारों संतान पैदा हों.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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