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Covaxine vs Covishield: कोरोना वैक्सीन बनाने वालों में जंग देखना ही बाकी रह गया था!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 08 जनवरी, 2021 07:51 PM
  • 08 जनवरी, 2021 07:51 PM
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कोरोना की वैक्सीन मामले में भारत की तारीफ ख़ुद WHO ने की है. अब इसे विडंबना कहा जाए या कुछ और भले ही 'मेड इन इंडिया' मार्का वैक्सीन आने में अभी वक़्त हो. मगर विवादों की शुरुआत हो गयी है. कोरोना की कौन सी वैक्सीन बेहतर है? इस सवाल पर Covaxine vs Covishield एक दूसरे के आमने सामने हैं और एक से एक दिलचस्प तर्क निकल कर सामने आ रहे हैं.

भले ही लोग 'एडजस्ट' कर चुके हों, मगर पूरी दुनिया की तरह आज भी भारत में कोरोना वायरस महामारी का ख़तरा बना हुआ है. बीते एक साल में जैसे मंजर की गवाह हमारी निगाहें बनीं कह सकते हैं कि कोरोना ने हमें कोरोना के चलते न केवल हमने अपनों को खोया बल्कि लोगों की नौकरियां गईं, लोग पलायन को मजबूर हुए और बीमारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई. दुनिया की तर्ज पर भारत ने भी जल्द से जल्द इस महामारी की वैक्सीन का निर्माण कर मानवता की सेवा करने के लिए एड़ी से लेकर चोटी का जोर लगा दिया है. कोरोना की वैक्सीन मामले में भारत के प्रयास कुछ ऐसे हैं जिनकी तारीफ ख़ुद WHO ने की है. अब इसे विडंबना कहा जाए या कुछ और भले ही 'मेड इन इंडिया' मार्का वैक्सीन आने में अभी वक़्त हो मगर विवादों की शुरुआत हो गयी है. कोरोना की कौन सी वैक्सीन बेहतर है? इस सवाल पर Covaxine vs Covishield एक दूसरे के आमने सामने, एक दूसरे के मुकाबिल है और एक से एक दिलचस्प तर्क निकल कर सामने आ रहे हैं. ध्यान रहे कि क्या समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव और क्या कांग्रेस. नेताओं के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर जुबानी जंग जारी थी, ये जंग अभी खत्म भी नहीं हुई है कि अब इसी जंग में वैक्सीन बनाने वालों ने अपनी हाजिरी लगाकर पूरी प्रकिया को खासा दिलचस्प बना दिया है.

कोवैक्सीन के चेयरमैन कृष्णा इल्ला ने वैक्सीन पर जारी विवादों पर अपना पक्ष रख बहस को विराम दे दिया है

ध्यान रहे कि वैक्सीन मामले में विवादों की शुरुआत उस वक़्त हुई जब भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को emergency usage की मंजूरी मिली. भारत बायोटेक को ये मंजूरी मिलना भर था लोगों ने सवालों की झड़ी लगा दी. कोई इसके प्रभाव पर अपने तर्क दे रहा है तो कहीं बहस का मुद्दा ये है कि क्या ये वैक्सीन कारगर है और कोरोना को...

भले ही लोग 'एडजस्ट' कर चुके हों, मगर पूरी दुनिया की तरह आज भी भारत में कोरोना वायरस महामारी का ख़तरा बना हुआ है. बीते एक साल में जैसे मंजर की गवाह हमारी निगाहें बनीं कह सकते हैं कि कोरोना ने हमें कोरोना के चलते न केवल हमने अपनों को खोया बल्कि लोगों की नौकरियां गईं, लोग पलायन को मजबूर हुए और बीमारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई. दुनिया की तर्ज पर भारत ने भी जल्द से जल्द इस महामारी की वैक्सीन का निर्माण कर मानवता की सेवा करने के लिए एड़ी से लेकर चोटी का जोर लगा दिया है. कोरोना की वैक्सीन मामले में भारत के प्रयास कुछ ऐसे हैं जिनकी तारीफ ख़ुद WHO ने की है. अब इसे विडंबना कहा जाए या कुछ और भले ही 'मेड इन इंडिया' मार्का वैक्सीन आने में अभी वक़्त हो मगर विवादों की शुरुआत हो गयी है. कोरोना की कौन सी वैक्सीन बेहतर है? इस सवाल पर Covaxine vs Covishield एक दूसरे के आमने सामने, एक दूसरे के मुकाबिल है और एक से एक दिलचस्प तर्क निकल कर सामने आ रहे हैं. ध्यान रहे कि क्या समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव और क्या कांग्रेस. नेताओं के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर जुबानी जंग जारी थी, ये जंग अभी खत्म भी नहीं हुई है कि अब इसी जंग में वैक्सीन बनाने वालों ने अपनी हाजिरी लगाकर पूरी प्रकिया को खासा दिलचस्प बना दिया है.

कोवैक्सीन के चेयरमैन कृष्णा इल्ला ने वैक्सीन पर जारी विवादों पर अपना पक्ष रख बहस को विराम दे दिया है

ध्यान रहे कि वैक्सीन मामले में विवादों की शुरुआत उस वक़्त हुई जब भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को emergency usage की मंजूरी मिली. भारत बायोटेक को ये मंजूरी मिलना भर था लोगों ने सवालों की झड़ी लगा दी. कोई इसके प्रभाव पर अपने तर्क दे रहा है तो कहीं बहस का मुद्दा ये है कि क्या ये वैक्सीन कारगर है और कोरोना को नियंत्रित कर पाएगी? को वैक्सीन को लेकर सवालों की लंबी फेहरिस्त है. भारत बायोटेक अभी मौजूदा सवालों के जवाब तलाश भी नहीं पाया था ऐसे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला ने उसे पानी बता दिया है. सीरम की इन बातों ने भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा इल्ला को बुरी तरह से आहत किया है.

इल्ला ने अपनी और Covaxine की सफाई देते हुए कहा है कि हम एक ग्लोबल कंपनी हैं और हमारे ऊपर ऐसे आरोप नहीं लगाने चाहिए कि हम क्लिनिकल अनुसंधान नहीं जानते. चूंकि इल्ला की कंपनी और उनके प्रोडक्ट पर एक के बाद एक गंभीर आरोप लगे हैं, अपने आलोचकों पर पलटवार करते हुए कृष्णा इल्ला ने कहा कि उनके फर्म ने 200 फीसदी ईमानदार क्लीनिकल परीक्षण किए हैं.कृष्णा इल्ला ने खेला 'राष्ट्रवाद' और मेड इन इंडिया वाला कार्ड तमाम तरह के आरोपों पर अपना पक्ष रखते हुए कृष्णा इल्ला ने ऑनलाइन पत्रकार वार्ता की है और कहा है कि उनकी कंपनी का सुरक्षित और प्रभावी टीके के उत्पादन करने का एक रिकार्ड है और वह सभी आंकड़ों को लेकर पारदर्शी है.

इल्ला के अनुसार,'हम न केवल भारत में क्लीनिकल परीक्षण कर रहे हैं,बल्कि हमने ब्रिटेन सहित 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल परीक्षण किये हैं. इसके बाद इल्ला ने राष्ट्रवाद और मेड इन इंडिया वाला कार्ड खेलते हुए कहा कि कई लोग सिर्फ भारतीय कंपनियों पर निशाना साधने के लिए अलग तरह से बातें कर रहे हैं. यह हमारे लिए सही नहीं है.'

आरोपों के जवाब देने के लिए मांगा 7 दिन का समय

जैसा कि हम बता चुके है कोवैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक पर सवालों की झड़ी लगी है. इन सवालों ने चेयरमैन इल्ला को भी अचंभित किया है. उन्होंने कहा है कि कोवैक्सीन ने कई वायरल प्रोटीन के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के साथ एक उत्कृष्ट सुरक्षा डेटा उत्पन्न किये हैं. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उनकी कंपनी ने 200 प्रतिशत ईमानदार क्लीनिकल परीक्षण किये हैं. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा है कि, 'मुझे एक सप्ताह का समय दें, मैं आपको पुष्ट आंकड़े दूंगा. आरोपों का खंडन करते हुए इल्ला ने ये भी कहा कि 'हम केवल एक भारतीय कंपनी नहीं बल्कि वास्तव में एक वैश्विक कंपनी हैं.लोगों को यह आरोप नहीं लगाना चाहिए कि हम क्लीनिकल अनुसंधान नहीं जानते.'

सीरम इंस्टिट्यूट के पूनावाला को घेरते नजर आए कृष्णा

क्योंकि अदार पूनावाला ने Covaxine को पानी बताया था इसलिए इस बात ने इल्ला को बहुत आहत किया है. पूनावाला का नाम लिए बिना इल्ला ने कहा कि हम 200% ईमानदार क्लीनिकल ट्रायल करते हैं और बावजूद इसके निशाना बनाए जाते हैं. अगर मैं गलत हूं तो मुझे बतायें. कुछ कंपनियों ने मुझे पानी की तरह बताया है.

पूनावाला के क्या कहने पर हुई थी विवादों की शुरुआत

बात बीते दिनों की है. भारत बायोटेक तमाम तरह के आरोप प्रत्यारोपों का सामना कर रहा था. ठीक हुई वक़्त सीरम के अदार पूनावाला ने ये कहकर विवादों की आग में घी डाल दिया था कि फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के अतिरिक्त कोरोना वैक्सीन के नाम पर जो कुछ बन रहा है वो पानी है. पूनावाला के बयान पर फौरन ही भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा इल्ला ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी और तर्क दिया था कि भारत बायोटेक की वैक्सीन फाइजर की वैक्सीन से किसी भी लिहाज से कमतर नहीं है.

कोवैक्सीन को लेकर कम नहीं हुई है राजनीति

जिस वक्त ये खबर आई कि स्वदेशी के अंतर्गत कोरोना वैक्सीन के निर्माण की जिम्मेदारी भारत बायोटेक को मिली है कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसकी शान में खूब कसीदे पढ़े. वहीं बात अगर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं जैसे आनंद शर्मा, जयराम रमेश और शशि थरूर की हो तो वो लोग इससे संतुष्ट नहीं थे. कहा गया था कि यह समय से पहले है जिसके दूरगामी परिणाम हानिकारक होंगे. वहीं अन्य दलों ने भी Covaxine को लेकर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दी थी जिसे सुनना भारत बायोटेक और इल्ला दोनों के लिए सुगम नहीं है.

बहरहाल एक ऐसे समय में जब कोवैक्सीन की 2 करोड़ डोज बनकर तैयार हों और दवा को लेकर राजनीति और विवाद अपने चरम पर हों, इल्ला इससे इतनी जल्दी पिंड नहीं छुड़ा सकते. बाकी जैसा मिजाज सदियों से एक देश के रूप में हमारा रहा है. चीज बनती बाद में है उसके नफा और नुकसान या ये कहें कि लूपहोल्स पहले ही बता दिए जाते हैं. खैर जैसे हालात हैं कोवैक्सीन, कृष्णा इल्ला और भारत बायोटेक का ईश्वर ही मालिक है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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