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तेलंगाना की एक मां ने 1400 किमी स्कूटी चलाकर जो किया उसे आप क्या कहेंगे?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 अप्रिल, 2020 06:33 PM
  • 12 अप्रिल, 2020 06:33 PM
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लॉक डाउन(Lockdown) के दौरान अपने बेटे को वापस लाने के लिए तेलंगाना (Telangana) की एक मां ने जो किया भले ही वो ममता का सबसे अच्छा उदाहरण हो लेकिन फैसला अब जनता को ही करना है कि महिला ने जो किया वो सही है या फिर गलत.

जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते मौत का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ रहा है. देश में कोरोना वायरस के कुल 6412 मामले सामने आ चुके हैं और 199 लोगों की मौत हो(Coronavirus Death In India) चुकी है. जिस हिसाब से बीमारी फैल रही है, माना यही जा रहा है कि सरकार इस चुनौती को पार लगाने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) की मियाद को आगे बढ़ाएगी. आज भी देश में ऐसे तमाम लोग हैं जो अपने घर वालों से दूर हैं और किसी अन्य स्थान पर फंसे हुए हैं. दक्षिण के तेलंगाना (Telangana) की भी सूरत ए हाल कुछ ऐसी ही है. यहां रज़िया बेगन और उनका बेटा निज़ामुद्दीन भी एक दूसरे से दूर थे. रज़िया बेगम में अपने से दूर रह रहे अपने बेटे को लाने की सोची और इसके लिए उन्होंने जो किया उसपर देश दुनिया से भांति भांति के रिएक्शन आ रहे हैं. रजिया बेगम ने अपनी स्कूटी से 1400 किलोमीटर का सफर तय किया है और वो अपने बेटे को वापस लाने में कामयाब हुई हैं.

लॉक डाउन के दौरान स्कूटी से 1400 किलोमीटर दूर से अपने बेटे को वापस लाती महिला

निश्चित तौर ओर मामला हैरत में डालने वाला है लेकिन ये सच है. देश में कोरोनावायरस की चुनैती को पार लगाने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया है. स्थिति बहुत गंभीर है इसलिए सभी राज्यों की पुलिस भी मुस्तैद है और इसका सख्ती से पालन करवा रही है. ऐसे में तेलंगाना में एक मां का अपनी औलाद की सुरक्षा के प्रति हैरान कर देने वाला रवैया देखने को मिला है, जिसने बेटे को वापस लाने की जिद ठानी और लॉकडाउन को नजरअंदाज करते हुए अपनी स्कूटी पर 1400 किलोमीटर का सफर तय किया और बेटे को वापस लेकर ही घर लौटी.

जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते मौत का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ रहा है. देश में कोरोना वायरस के कुल 6412 मामले सामने आ चुके हैं और 199 लोगों की मौत हो(Coronavirus Death In India) चुकी है. जिस हिसाब से बीमारी फैल रही है, माना यही जा रहा है कि सरकार इस चुनौती को पार लगाने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) की मियाद को आगे बढ़ाएगी. आज भी देश में ऐसे तमाम लोग हैं जो अपने घर वालों से दूर हैं और किसी अन्य स्थान पर फंसे हुए हैं. दक्षिण के तेलंगाना (Telangana) की भी सूरत ए हाल कुछ ऐसी ही है. यहां रज़िया बेगन और उनका बेटा निज़ामुद्दीन भी एक दूसरे से दूर थे. रज़िया बेगम में अपने से दूर रह रहे अपने बेटे को लाने की सोची और इसके लिए उन्होंने जो किया उसपर देश दुनिया से भांति भांति के रिएक्शन आ रहे हैं. रजिया बेगम ने अपनी स्कूटी से 1400 किलोमीटर का सफर तय किया है और वो अपने बेटे को वापस लाने में कामयाब हुई हैं.

लॉक डाउन के दौरान स्कूटी से 1400 किलोमीटर दूर से अपने बेटे को वापस लाती महिला

निश्चित तौर ओर मामला हैरत में डालने वाला है लेकिन ये सच है. देश में कोरोनावायरस की चुनैती को पार लगाने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया है. स्थिति बहुत गंभीर है इसलिए सभी राज्यों की पुलिस भी मुस्तैद है और इसका सख्ती से पालन करवा रही है. ऐसे में तेलंगाना में एक मां का अपनी औलाद की सुरक्षा के प्रति हैरान कर देने वाला रवैया देखने को मिला है, जिसने बेटे को वापस लाने की जिद ठानी और लॉकडाउन को नजरअंदाज करते हुए अपनी स्कूटी पर 1400 किलोमीटर का सफर तय किया और बेटे को वापस लेकर ही घर लौटी.

बताया जा रहा है कि रजिया बेगम नाम की इस महिला ने बीते दिनों ही स्थानीय पुलिस से इजाजत मिलने के बाद स्कूटी से अकेले आंध्र प्रदेश के नेल्लोर की तरफ कूच किया. अपने कारनामे से चर्चा में आई रजिया बेगम ने इस पूरे मामले में बताया है कि, 'एक महिला के लिए छोटे टू-व्हीलर पर ये सफर आसान नहीं था लेकिन बेटे को वापस लाने की मेरी इच्छाशक्ति के आगे ये डर भी गायब हो गया. मैंने रोटी पैक कीं और निकल पड़ी. रात में कोई ट्रैफिक नहीं, सड़क पर कोई लोग नहीं, ये डराता जरूर था लेकिन मैं अपने रुख पर कायम थी.'

बताते चलें कि रजिया हैदराबाद से करीब 200 किलोमीटर दूर निजामाबाद स्थित एक सरकारी स्कूल में कार्यरत हैं. 15 साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी इसलिए वो घर की अकेली कमाने वाली महिला हैं. परिवार में रजिया के अलावा उनके दो बेटे हैं. रजिया का बड़ा बेटा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है. जबकि छोटा बेटा निजामुद्दीन 19 साल का है और पढ़ाई कर रहा है. निजामुद्दीन की इच्छा डॉक्टर बनने की है.

महिला से मिली जानकारी के अनुसार निजामुद्दीन ने 12वीं की परीक्षा पास कर ली है और वह एमबीबीएस एंट्रेस के लिए तैयारी कर रहा है.

गौरतलब है कि निजामुद्दीन बीते 12 मार्च को अपने दोस्त को छोड़ने नेल्लोर के रहमताबाद गया था. वह कुछ दिन उसके साथ रहा. इसी बीच लॉक डाउन की घोषणा हुई और वह फंस गया. वह घर वापस तो आना चाहता था मगर घर आने का कोई जरिये उसके पास नहीं था. ये बात उसने अपनी मां को बताई जिसने उसे वापस लाने का फैसला किया.

रजिया बेगम ने घर से दूर रह रहे अपने बेटे को वापस लाने के लिए पुलिस की मदद ली. पुलिस को भी एक मां की ममता के आगे झुकना पड़ा और उसने परमिशन दे दी. रजिया को कार के मुकाबले स्कूटी से इतना लंबा सफर तय करना ज्यादा सहज लगा और वो स्कूटी निकाल कर अपने बेटे को लेने निकल पड़ी.

साफ़ है कि चाहे वो रजिया हों या कोई और महिला इस तरह का सफर किसी के लिए भी आसान नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि लॉक डाउन के चलते सन्नाटा है लोग अपने घरों पर हैं. मगर चूंकि बात एक मां की ममता की है तो मां अपनी औलाद के लिए कुछ भी कर सकती है. किसी भी सीमा तक जा सकती है.

बहरहाल रजिया बेगम ने जो किया वो कितना सही है या फिर कितना गलत. फैसला हम जनता पर छोड़ देते हैं. जनता ही हमें बताए कि तेलंगाना की इस महिला ने जो किया वो सही है या फिर इसकी आलोचना होनी चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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