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Coronavirus Epidemic : 'कमांडो-डॉक्टर्स' को देश का सलाम!

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 11 अप्रिल, 2020 07:18 PM
  • 11 अप्रिल, 2020 07:18 PM
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कोरोना वायरस (Corona virus )आज न सिर्फ देश के आम आदमियों को प्रभावित कर रहा है बल्कि ये डॉक्टर्स (Doctors) और पैरा मेडिकल स्टाफ की भी जान ले रहा है. ये एक ऐसा वक़्त है जब हमें सैनिकों के अलावा डॉक्टर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ को भी नमन और वंदन करना चाहिए.

इस तथ्य से तो हम सब भलीभांति परिचित हैं कि मातृभूमि की सेवा करने से बेहतर कोई कार्य नहीं है. इसी विचार के साथ ही प्रत्येक सैनिक भी सेना में भर्ती होता है और अंतिम तक अपने देश के लिए लड़ता है. ऐसे ही एक युवा जांबाज़ पैराट्रूपर अमित कुमार (Paratrooper Amit) की 14 अप्रैल को शादी होने वाली थी लेकिन कोरोना पेंडैमिक (Coronavirus Pandemic) के कारण, उन्होंने अपनी शादी अक्टूबर तक स्थगित कर दी और जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में ड्यूटी पर चले गए. उत्तरी कश्मीर के जुमगुंड क्षेत्र में भारतीय सीमाओं में घुसपैठ करने वाले पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान उनके शरीर पर 15 गोलियां लगीं पर शहीद होने से पहले उन्होंने दो आतंकवादियों को मार गिराया. शहीद अमित कुमार, भारत के 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक सदस्यों में से एक थे. इस मिशन में उनके साथ भारतीय विशेष बल के चार अन्य बहादुर सैनिक भी थे. हम इन पांचों एसएफ सैनिकों के अदम्य साहस को सलाम करते हैं. यह देश और देशवासियों की सेवा करने के लिए उनका बलिदान और निस्वार्थ जुनून ही है जो हमें सुरक्षित और निश्चिन्तता भरे जीवन का आनंद लेने की अनुमति देता है.

अभी हाल में ही जिस तरह सेना के जवानों पर हमला हुआ पूरा देश दंग रह गया

एक तरफ़ देश की सीमाओं पर दुश्मन को ललकारते हमारे ये वीर जवान तैनात हैं तो वहीं इन सीमाओं के भीतर देशवासियों की रक्षा की जिम्मेदारी इन दिनों हमारे डॉक्टर्स ने संभाल रखी है. तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भी इनका आत्मविश्वास नहीं डगमगाया है. जब-जब लॉकडाउन के इस संक्रमण काल पर विजय की बात होगी तब-तब Coronavirus पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले हमारे इन 'कमांडो-डॉक्टर्स' की चर्चा होगी।

शहीद डॉक्टर

गुरुवार 8 अप्रैल को इंदौर में फॅमिली फिजिशियन डॉ....

इस तथ्य से तो हम सब भलीभांति परिचित हैं कि मातृभूमि की सेवा करने से बेहतर कोई कार्य नहीं है. इसी विचार के साथ ही प्रत्येक सैनिक भी सेना में भर्ती होता है और अंतिम तक अपने देश के लिए लड़ता है. ऐसे ही एक युवा जांबाज़ पैराट्रूपर अमित कुमार (Paratrooper Amit) की 14 अप्रैल को शादी होने वाली थी लेकिन कोरोना पेंडैमिक (Coronavirus Pandemic) के कारण, उन्होंने अपनी शादी अक्टूबर तक स्थगित कर दी और जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में ड्यूटी पर चले गए. उत्तरी कश्मीर के जुमगुंड क्षेत्र में भारतीय सीमाओं में घुसपैठ करने वाले पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान उनके शरीर पर 15 गोलियां लगीं पर शहीद होने से पहले उन्होंने दो आतंकवादियों को मार गिराया. शहीद अमित कुमार, भारत के 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक सदस्यों में से एक थे. इस मिशन में उनके साथ भारतीय विशेष बल के चार अन्य बहादुर सैनिक भी थे. हम इन पांचों एसएफ सैनिकों के अदम्य साहस को सलाम करते हैं. यह देश और देशवासियों की सेवा करने के लिए उनका बलिदान और निस्वार्थ जुनून ही है जो हमें सुरक्षित और निश्चिन्तता भरे जीवन का आनंद लेने की अनुमति देता है.

अभी हाल में ही जिस तरह सेना के जवानों पर हमला हुआ पूरा देश दंग रह गया

एक तरफ़ देश की सीमाओं पर दुश्मन को ललकारते हमारे ये वीर जवान तैनात हैं तो वहीं इन सीमाओं के भीतर देशवासियों की रक्षा की जिम्मेदारी इन दिनों हमारे डॉक्टर्स ने संभाल रखी है. तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भी इनका आत्मविश्वास नहीं डगमगाया है. जब-जब लॉकडाउन के इस संक्रमण काल पर विजय की बात होगी तब-तब Coronavirus पर सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले हमारे इन 'कमांडो-डॉक्टर्स' की चर्चा होगी।

शहीद डॉक्टर

गुरुवार 8 अप्रैल को इंदौर में फॅमिली फिजिशियन डॉ. शत्रुघ्न पंजवानी की घातक कोरोनावायरस के कारण मृत्यु हो गई. कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका तीन हॉस्पिटल्स में इलाज़ चला लेकिन मृत्यु पर किसका वश है! डॉ. पंजवानी की मृत्यु के साथ, देश ने फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच अपना पहला कमांडो खो दिया है. डॉ. पंजवानी के बारे में पता चला है कि वे मुसीबत के इस दौर में झुग्गियों में रहने वाले लोगों को इलाज दे रहे थे. उन्हें संक्रमण कहां से हुआ, यह तो पता नहीं लेकिन उन अंतिम संस्कार का क्षण भावुक कर देने वाला था. दरअसल, डॉ पंजवानी के तीन बेटे हैंं और तीनों ऑस्ट्रलिया में रहते हैं. पिता केे अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए ही दी.  

सिर्फ आम आदमी नहीं बल्कि डॉक्टर्स भी कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं

इस बीच इटारसी, होशंगाबाद के एक डॉक्टर हेड़ा भी COVID-19 पॉजिटिव निकले हैं. उन्हें और उनके स्टाफ को आइसोलेशन में रखा गया है. भोपाल में भी स्वास्थ्य सुविधाओं में कार्यरत कई और फिजिशियन इस संक्रमण का शिकार हुए हैं.

वायरस से युद्ध में घायल होते डॉक्टर

इस पोस्ट के लिखे जाने तक भारत में 50 से भी अधिक डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ Covid -19 पॉजिटिव निकले हैं, इस ख़बर ने यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री को बेहद चिंता में डाल दिया है. कहा जा रहा है कि PPE (personal protective equipment) की संख्या में कमी के कारण ही डॉक्टर्स इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.

डॉक्टरों को यह संक्रमण मरीजों के इलाज़ के दौरान हुआ या अन्य किसी बाहरी स्त्रोत से; इसकी जांच चल रही है. साथ ही बड़े पैमाने पर PPE बनाने का काम भी जारी है.

29 मार्च को, कर्नल-रैंक वाले भारतीय सेना के डॉक्टर, कोलकाता के आर्मी कमांड अस्पताल में Covid -19 पॉजिटिव पाए गए.

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दिल्ली स्थित चीफ़ मेडिकल ऑफिसर को भी 1 अप्रैल को हरियाणा के झज्जर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया है.

AIIMS दिल्ली के रेसीडेंट डॉक्टर और उनकी 9 माह गर्भवती पत्नी भी इसी वायरस की चपेट में हैं.

इन सभी केसेस में आइसोलेशन और क्वेरेंटाइन सम्बन्धी गाइडलाइन्स का पूरा पालन किया गया है.

बंकर में डॉक्टर

भोपाल, मध्यप्रदेश के जे.पी. हॉस्पिटल के डॉ. सचिन नायक ने तो कार को ही अपना घर बना लिया है. वे अपनी पत्नी और बच्चे को संक्रमित होने की आशंका से बचाने के लिए बीते सप्ताह से ऐसा कर रहे हैं. यहाँ तक कि उन्होंने अपनी कार भी हॉस्पिटल के पास ही पार्क की है इसमें रोजमर्रा की वस्तुओं और कुछ पुस्तकें के साथ वे समय काट रहे हैं. डॉ. सचिन के इस क़दम की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रशंसा की है और इसे अनुकरणीय बताया है.

भोपाल के डॉ. सचिन नायक पिछले कई दिनों से अपने कार में ही रह रहे हैं ताकि उनसे किसी और को संक्रमण न हो.

एहसान फ़रामोशी के शिकार डॉक्टर्स

एक तरफ तो हमारे डॉक्टर्स जान हथेली पर रख हमारी रक्षा में जुटे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर इस बुरे वक़्त में भी नफ़रतों के सौदागर अपना गन्दा खेल खेलने से बाज़ नहीं आते. इंदौर के टाट पट्टी बाखल एरिया में बीते बुधवार कोरोनो वायरस के चलते स्क्रीनिंग करने को गई मेडिकल टीम पर स्थानीय लोगों ने पत्थरबाज़ी की. इस घटना में कई डॉक्टर्स को चोटें आई हैं. लेकिन फिर भी अगले ही दिन डॉ. तृप्ति और उनकी टीम इसी क्षेत्र में अपना कर्तव्य निभाने में पुनः जुट गई.

इंदौर में डॉक्टर्स पर हमला करते लोग

डॉ. तृप्ति का कहना है कि 'हम हार नहीं मानेंगे!' उसी टीम की डॉ. ज़ाकिया सईद भी कहती हैं कि 'हमें चोटें अवश्य लगी हैं पर हमें बिना भयभीत हुए अपना काम करना है.' बाद में स्थानीय लोगों ने इस कृत्य के लिए माफ़ी मांगी, साथ ही यह भी कहा कि 'ये घटना कुछ भटके हुए युवाओं द्वारा अंजाम दी गई थी.'

इसी बीच एक ख़बर दक्षिण दिल्ली के गुलमोहर एन्क्लेव से भी आई है जहाँ एक इंटीरियर डिज़ाइनर को दो महिला डॉक्टर्स के साथ छेड़छाड़, मारपीट और धमकी देने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया है. यह पूरा वाक़या सोशल डिस्टैन्सिंग की बात से शुरू हुआ था जिसने बाद में अलग रुख़ ले लिया.

निजामुद्दीन मरकज से निकले तब्लीगियों द्वारा अभद्रता के कई किस्से भी इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्ख़ियों में चल ही रहे हैं.

AIIMS, भोपाल के दो डॉक्टर्स अपनी शिफ्ट पूरी करके बीते बुधवार रात घर जा रहे थे. उनके अनुसार, एम्स के गेट नंबर 1 के पास गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका और उनकी पहचान पूछी. डॉक्टरों ने पुलिस को बताया कि पूरी बात बताने और पहचान पत्र दिखाने के बाद भी पुलिसकर्मियों ने उन्हें अपमानजनक शब्द कहे और लाठियों से पीटा. इससे जूनियर डॉक्टर ,डॉ. रितुपर्णा के पैर में और डॉ. युवराज सिंह को हाथ में चोट लगी.

सोशल मीडिया पर गुजरात के सूरत शहर का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति को एक महिला डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार करते देखा जा सकता है. ड्यूटी से लौटी इस डॉक्टर को देख पड़ोसी ने उसे बिल्डिंग से चले जाने को कह, धक्का दिया और भला-बुरा कहा.

डॉक्टरों पर कोरोना वायरस फैलाने के आरोप लगाते हुए ऐसे कई मामले रोज़ाना सामने आ रहे हैं. घटनाओं को मद्देनज़र रखते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को कहा कि "डॉक्टरों, पैरामेडिक्स और हेल्थकेयर कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव, दुर्व्यवहार एवं किसी भी तरह की अभद्रता करने वालों के खिलाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.'

कठिन समय में यह इस देश की विडम्बना ही कही जायेगी कि कुछ लोगों द्वारा इंसानियत के मसीहा हमारे इन रक्षकों को भक्षक की तरह ट्रीट किया जा रहा है. देश के गुनहगारों से बस इतनी ही गुज़ारिश है कि अगली बार किसी भी डॉक्टर को कोसने से पहले सौ बार ख़ुद को बताइयेगा कि जब आम जनता घरों में बंद एवं भयभीत हो, वायरस से बचने के उपाय सोच हलकान हो रही थी, उसी समय ये डॉक्टर्स संक्रमण के हजार खतरों के बावजूद भी इस Covid -19 से युद्धरत थे.

जब हम वातानुकूलित कमरों में चैन की नींद सो रहे थे, उस समय ये डॉक्टर्स खुले आसमान के नीचे, कार के अन्दर या किसी बेंच पर जैसे-तैसे सिमटकर थकन मिटा पाने की नाक़ाम कोशिशें कर रहे थे. ये भी हमारे वीर सैनिकों की तरह ही अपने घरों में इसलिए न आ सके कि इन्हें आपकी फ़िक्र थी! ये हमारा कर्तव्य है कि इन्हें धन्यवाद कहा जाए.

सभी 'कमांडो-डॉक्टर्स' को देशवासियों का सलाम शुक्रिया!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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