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घर से बाहर जाने पर क्या पत्नियां खुद देंगी कंडोम!

    • करुणेश कैथल
    • Updated: 11 मार्च, 2016 04:57 PM
  • 11 मार्च, 2016 04:57 PM
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भारत की संस्कृति, समाज व कानून सभी एक से ज्यादा यौन संबंध के बिल्कुल खिलाफ हैं. जहां एक तरफ एक से ज्यादा यौन संबंधों को हमारा समाज बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता. वहीं, हमारी संस्कृति भी यही कहती है.

बहुत जल्द ऐसा वक्त आने वाला है जब आप घर से दफ्तर के लिए निकल रहे हों और आपकी पत्नी आपसे पूछे ‘‘वो रख लिया है क्या?’’, पत्नी के ‘‘वो’’ का मतलब भी आप बखूबी समझ रहे होंगे और इधर-उधर निगाह मारते हुए हल्के इशारे से ना या हां कहने की कोशिश करेंगे. अगर आपने ना में जवाब दिया तो आपकी धर्मपत्नी खुद घर में दौड़कर जाएगी और पेपर में लपेटा हुआ एक पैकेट चुपके से आपके हाथ में थमाएगी और उसके बाद वह राहत की सांस लेगी. एक तर्क के अनुसार आने वाले दिनों में ऐसा संभव हो सकता है.

वैसे तो भारत की संस्कृति, समाज व कानून सभी एक से ज्यादा यौन संबंध के बिल्कुल खिलाफ हैं. जहां एक तरफ एक से ज्यादा यौन संबंधों को हमारा समाज बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता. वहीं, हमारी संस्कृति भी यही कहती है. दूसरी तरफ हमारे देश का कानून भी इस तरह के मामले संज्ञान में आने पर सख्त कार्रवाई करता है.

ये भी पढ़ें- क्या वाकई असली मर्द कंडोम नहीं पहनते?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर एक से ज्यादा यौन संबंध रखना किसी भी तरीके से तर्कसंगत नहीं है तो फिर कंडोम के विज्ञापनों में इसे हमेशा साथ रखने का प्रचार-प्रसार क्यों किया जाता है. सरकारी विज्ञापनों में भी अक्सर यही दिखाया जाता है कि कंडोम हमेशा साथ रखें. इसकी जगह कंडोम का इस्तेमाल कब-कब करें इसके बारे में लोगों को जागरूक किया जाना ज्यादा जरूरी है.

जिस तरह से कंडोम के विज्ञापन दिखाए जाते हैं उससे यह लगता है कि यह विज्ञापन आपसे कह रहा हो ‘‘अगर आप घर से बाहर निकल रहे हैं तो कंडोम लेकर निकलें या खरीद कर हमेशा अपने पास रखें, हो सकता है कहीं पर भी आपको यौन संबंध बनाना पड़े और उस समय संक्रमण से बचने के लिए आपके पास कंडोम होना बहुत जरूरी...

बहुत जल्द ऐसा वक्त आने वाला है जब आप घर से दफ्तर के लिए निकल रहे हों और आपकी पत्नी आपसे पूछे ‘‘वो रख लिया है क्या?’’, पत्नी के ‘‘वो’’ का मतलब भी आप बखूबी समझ रहे होंगे और इधर-उधर निगाह मारते हुए हल्के इशारे से ना या हां कहने की कोशिश करेंगे. अगर आपने ना में जवाब दिया तो आपकी धर्मपत्नी खुद घर में दौड़कर जाएगी और पेपर में लपेटा हुआ एक पैकेट चुपके से आपके हाथ में थमाएगी और उसके बाद वह राहत की सांस लेगी. एक तर्क के अनुसार आने वाले दिनों में ऐसा संभव हो सकता है.

वैसे तो भारत की संस्कृति, समाज व कानून सभी एक से ज्यादा यौन संबंध के बिल्कुल खिलाफ हैं. जहां एक तरफ एक से ज्यादा यौन संबंधों को हमारा समाज बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता. वहीं, हमारी संस्कृति भी यही कहती है. दूसरी तरफ हमारे देश का कानून भी इस तरह के मामले संज्ञान में आने पर सख्त कार्रवाई करता है.

ये भी पढ़ें- क्या वाकई असली मर्द कंडोम नहीं पहनते?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर एक से ज्यादा यौन संबंध रखना किसी भी तरीके से तर्कसंगत नहीं है तो फिर कंडोम के विज्ञापनों में इसे हमेशा साथ रखने का प्रचार-प्रसार क्यों किया जाता है. सरकारी विज्ञापनों में भी अक्सर यही दिखाया जाता है कि कंडोम हमेशा साथ रखें. इसकी जगह कंडोम का इस्तेमाल कब-कब करें इसके बारे में लोगों को जागरूक किया जाना ज्यादा जरूरी है.

जिस तरह से कंडोम के विज्ञापन दिखाए जाते हैं उससे यह लगता है कि यह विज्ञापन आपसे कह रहा हो ‘‘अगर आप घर से बाहर निकल रहे हैं तो कंडोम लेकर निकलें या खरीद कर हमेशा अपने पास रखें, हो सकता है कहीं पर भी आपको यौन संबंध बनाना पड़े और उस समय संक्रमण से बचने के लिए आपके पास कंडोम होना बहुत जरूरी है’’. संक्रमण कैसा! संक्रमण से तात्पर्य यह है कि हो सकता है आप जिस महिला से संबंध बनाने जा रहे हों उस महिला के और भी कई पुरूषों के साथ संबंध हो और वो पहले से किसी यौन संक्रमण से ग्रसित हो. यहां आपका सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है. सतर्कता मतलब बगैर कंडोम संबंध न बनाएं.

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कंडोम के ज्यादा से ज्यादा बिक्री के विज्ञापनों से ज्यादा जरूरी है लोगों को इस तरह के गलत लत से बचने के लिए जागरूक करना. नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पत्नियां भी इस बात लेकर आश्वत होगी कि पति अगर घर से बाहर जा रहा है तो कहीं न कहीं, किसी न किसी के साथ यौन संबंध बना सकता है. अगर ऐसा हमारी पत्नियों को लगने लग गया तो निःसंदेह रूमाल की जगह कंडोम का पैकेट ले लेगा. घर से बाहर निकलते ही पत्नियां लंच बाॅक्स और रूमाल के बारे में पूछने की जगह पूछेगी कंडोम रखा कि नहीं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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