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बुजुर्ग माता-पिता का आदर न करने वालों की अक्‍ल ऐसा गांव ही ठिकाने ला सकता है

    • आईचौक
    • Updated: 03 अगस्त, 2016 11:18 PM
  • 03 अगस्त, 2016 11:18 PM
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आजकल बुजुर्ग अपने ही घरों में खुद को अपेक्षित महसूस करते हैं, उनके साथ होने वाली हिंसक घटनाएं भी कम नहीं हैं, लेकिन चीन का एक गांव इस समस्या का हल बता सकता है.

मुझे इतना सताया है मेरे अजीजों ने...

कि जंगल भला लगता है घर अच्छा नहीं लगता.

कुछ भारतीय परिवारों के बुजुर्गों की यही कहानी है. कहने को वो घर के सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं. लेकिन अपने ही घर में वो कितना अपेक्षित महसूस करते हैं उसका सबूत हैं आए दिन बुजुर्गों के साथ अपने ही घर में होने वाली हिंसक घटनाएं. वहीं  देश में ओल्ड एज होम्स की बढ़ती संख्या भी इस ओर इशारा करती है कि भारत के लोग अपने वरिष्ठ सदस्यों का कितना ध्यान रखते हैं.

लेकिन ये खबर शायद इस समस्या का एक हल हो सकती है. चीन का एक गांव, अपने बड़ों का ध्यान न रखने वाले लोगों के नाम उजागर और उन्हें शर्मसार कर रहा है. ऐसे लोगों के नाम और तस्वीरें बोर्ड पर लगाई जाती हैं. उनके अपराध के बारे में लाउडस्पीकर पर प्रचारित करने का भी विचार किया जा रहा है. गांव के ही कुछ लोगों ने जब अपने अपनों के खिलाफ आवाज उठाई कि वो उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते, तब इस गांव में इस नियम को बनाया गया.  

 लोगों के नाम और तस्वीरें बिलबोर्ड्स पर लगाई जाती हैं

भारत की ही तरह चीन में भी अपने माता-पिता की सेवा करना पुण्य का काम माना जाता है. लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है नई पीढी अपने माता-पिता की तरफ ध्यान नहीं दे रही. इसीलिए हुआंगफेंग नाम के इस गांव में, अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से पालन नहीं करने वालों को शर्मसार करने का निर्णय लिया गया.

गांव के मुखिया का कहना है कि पहले उन लोगों को बातचीत के जरिए समझाया जाता है कि वो अपने माता-पिता का ठीक से ध्यान रखें. लेकिन अगर इसके बाद भी उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आता तो...

मुझे इतना सताया है मेरे अजीजों ने...

कि जंगल भला लगता है घर अच्छा नहीं लगता.

कुछ भारतीय परिवारों के बुजुर्गों की यही कहानी है. कहने को वो घर के सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं. लेकिन अपने ही घर में वो कितना अपेक्षित महसूस करते हैं उसका सबूत हैं आए दिन बुजुर्गों के साथ अपने ही घर में होने वाली हिंसक घटनाएं. वहीं  देश में ओल्ड एज होम्स की बढ़ती संख्या भी इस ओर इशारा करती है कि भारत के लोग अपने वरिष्ठ सदस्यों का कितना ध्यान रखते हैं.

लेकिन ये खबर शायद इस समस्या का एक हल हो सकती है. चीन का एक गांव, अपने बड़ों का ध्यान न रखने वाले लोगों के नाम उजागर और उन्हें शर्मसार कर रहा है. ऐसे लोगों के नाम और तस्वीरें बोर्ड पर लगाई जाती हैं. उनके अपराध के बारे में लाउडस्पीकर पर प्रचारित करने का भी विचार किया जा रहा है. गांव के ही कुछ लोगों ने जब अपने अपनों के खिलाफ आवाज उठाई कि वो उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते, तब इस गांव में इस नियम को बनाया गया.  

 लोगों के नाम और तस्वीरें बिलबोर्ड्स पर लगाई जाती हैं

भारत की ही तरह चीन में भी अपने माता-पिता की सेवा करना पुण्य का काम माना जाता है. लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है नई पीढी अपने माता-पिता की तरफ ध्यान नहीं दे रही. इसीलिए हुआंगफेंग नाम के इस गांव में, अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से पालन नहीं करने वालों को शर्मसार करने का निर्णय लिया गया.

गांव के मुखिया का कहना है कि पहले उन लोगों को बातचीत के जरिए समझाया जाता है कि वो अपने माता-पिता का ठीक से ध्यान रखें. लेकिन अगर इसके बाद भी उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आता तो उनका नाम तस्वीर के साथ बिलबोर्ड पर लगा दिया जाता है. साथ ही इस बात की जानकारी भी दी जाती है कि वो कितनी बुरी तरह अपने माता-पिता के साथ पेश आते हैं.

 2050 तक चीन की 30 प्रतिशत आबादी 60 साल के ऊपर हो जाएगी

चीन में कानून है कि वहां के बच्चे अपने बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए बाध्य हैं. 2013 में एक हजार से भी ज्यादा बुजुर्गों ने गुजारे भत्ते के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन बीजिंग ने एक कानून लाकर सभी बुजुर्गों को राहत दी. इस कानून के मुताबिक बच्चे अपने माता-पिता को भावनात्मक सहारा देने और उनसे मिलने आने के लिए बाध्य हैं. शंघाई जो कि एक व्यवसायिक केंद्र है, वहां  ओल्ड एज होम्स में रहने वाले माता-पिता से अगर बच्चे मिलने नहीं आएं तो वो अपने बच्चों पर मुकदमा ठोक सकते हैं. इतने पर भी अगर बच्चे अपने माता पिता से मिलने नहीं जाते तो उसका खामियाजा उन्हें अपने करियर में भुगतना पड़ेगा.

2050 तक चीन की 30 प्रतिशत आबादी 60 साल के ऊपर हो जाएगी. ऐसे में बुजुर्गों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए सरकार के ये फैसले काबिले तारीफ हैं. बुजुर्गों के लिए बनाए गए ऐसे कठोर कानून की जरूरत भारत को भी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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