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आखिर क्यों हमारी शिक्षा व्यवस्था परीक्षा केंद्रित हो गयी है

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 31 मार्च, 2018 05:01 PM
  • 31 मार्च, 2018 05:01 PM
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क्या तीन घंटे की परीक्षा आपकी पूरी समझ का सही मूल्यांकन कर सकती है? क्यों ना कोई ऐसी व्यवस्था विकसित की जाए जिसमें अंकों का आधार आपके पूरे साल की मेहनत और समझ को मिले?

सीबीएसई ने जब से क्लास 10 एवं 12वीं की परीक्षाओं को रद्द किया तब से पूरे देश मे रोष व्याप्त है. जगह-जगह पर छात्र सीबीएसई के इस फैसले के खिलाफ सडकों पर हैं. और हो भी क्यों ना आखिर कुछ लोगों के गुनाहों की सजा लाखों छात्रों को जो भुगतनी पड़ रही है. दरअसल सीबीएसई द्वारा 10वीं की मैथ और 12वीं की इकोनॉमिक्स परीक्षा के प्रश्नपत्र परीक्षा के कुछ घंटे पहले ही सोशल मीडिया पर आ गए थे, ऐसे में सीबीएसई ने इन परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला ले लिया. अब आयोग के फैसले के कारण लाखों विद्यार्थियों को दोबारा इन परीक्षाओं में शामिल होना पड़ेगा.

CBSE के छात्र बोर्ड के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं

दरअसल हमारे शिक्षा मॉडल का ताना बाना ही कुछ ऐसा बना गया है जिसमें परीक्षा आपके साल भर की समझ और मेहनत का आइना होती है, और अगर आप इन परीक्षाओं में बेहतर करते हैं तो परिवार और आस-पड़ोस में आपका ओहदा ऊंचा हो जाता है, वर्ना इसके विपरीत होने की आशंका तो बनी ही रहती है. और खास कर अगर आप दसवीं और बारहवीं की परीक्षा की बात करें तो इनमें बेहतर न कर पाने की स्थिति में यह आपके पूरे करियर को तकलीफ दे सकती है.

इन परीक्षाओं का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि कई बार पूरा परिवार मिलकर बच्चे को इन परीक्षाओं में अच्छे अंक दिलाने के लिए येन-केन-प्रकारेण तरकीब करते नजर आते हैं. इसकी बानगी पहले भी कई बार दिखी और हालिया लीक भी परीक्षा के उसी हव्वे का नतीजा है, जिसमें आपके अंक ही आपके बेहतर भविष्य की दिलासा देते हैं. ऐसी स्थिति में इन परीक्षाओं को लेकर इतना बवाल जायज ही लगता है.

कुछ लोगों के गुनाहों की सजा...

सीबीएसई ने जब से क्लास 10 एवं 12वीं की परीक्षाओं को रद्द किया तब से पूरे देश मे रोष व्याप्त है. जगह-जगह पर छात्र सीबीएसई के इस फैसले के खिलाफ सडकों पर हैं. और हो भी क्यों ना आखिर कुछ लोगों के गुनाहों की सजा लाखों छात्रों को जो भुगतनी पड़ रही है. दरअसल सीबीएसई द्वारा 10वीं की मैथ और 12वीं की इकोनॉमिक्स परीक्षा के प्रश्नपत्र परीक्षा के कुछ घंटे पहले ही सोशल मीडिया पर आ गए थे, ऐसे में सीबीएसई ने इन परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला ले लिया. अब आयोग के फैसले के कारण लाखों विद्यार्थियों को दोबारा इन परीक्षाओं में शामिल होना पड़ेगा.

CBSE के छात्र बोर्ड के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं

दरअसल हमारे शिक्षा मॉडल का ताना बाना ही कुछ ऐसा बना गया है जिसमें परीक्षा आपके साल भर की समझ और मेहनत का आइना होती है, और अगर आप इन परीक्षाओं में बेहतर करते हैं तो परिवार और आस-पड़ोस में आपका ओहदा ऊंचा हो जाता है, वर्ना इसके विपरीत होने की आशंका तो बनी ही रहती है. और खास कर अगर आप दसवीं और बारहवीं की परीक्षा की बात करें तो इनमें बेहतर न कर पाने की स्थिति में यह आपके पूरे करियर को तकलीफ दे सकती है.

इन परीक्षाओं का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि कई बार पूरा परिवार मिलकर बच्चे को इन परीक्षाओं में अच्छे अंक दिलाने के लिए येन-केन-प्रकारेण तरकीब करते नजर आते हैं. इसकी बानगी पहले भी कई बार दिखी और हालिया लीक भी परीक्षा के उसी हव्वे का नतीजा है, जिसमें आपके अंक ही आपके बेहतर भविष्य की दिलासा देते हैं. ऐसी स्थिति में इन परीक्षाओं को लेकर इतना बवाल जायज ही लगता है.

कुछ लोगों के गुनाहों की सजा लाखों छात्रों को भुगतनी पड़ रही है

क्या तीन घंटे की परीक्षा आपकी पूरी समझ का सही मूल्यांकन कर सकती है? क्यों ना कोई ऐसी व्यवस्था विकसित की जाए जिसमें अंकों का आधार आपके पूरे साल की मेहनत और समझ को मिले? हमारी वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में ऐसा कुछ नहीं है, बल्कि अंकों का आधार परीक्षा में आपके प्रदर्शन को ही माना जाता है. हो सकता है कि कोई थोड़ा वक़्त पढ़कर भी अच्छा अंक ले आए और कोई साल भर मेहनत करके भी उन तीन घंटों में किसी कारणवश बेहतर न कर सके. हालांकि हमारी वर्तमान व्यवस्था में ऐसा कोई उपाय नहीं है जिसमें अगर आप तीन घंटों में अच्छा नहीं कर सके तो आपके लिए कोई स्कोप नहीं है.

ऐसी स्थिति में जरुरत है एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था की जो पूरे साल आपका मूल्यांकन कर सके और बेवजह साल के आखिर में परीक्षा का दबाव न बने. तभी हमारे छात्रों के मन से परीक्षा का डर निकलेगा और साथ ही ऐसे छात्रों को बढ़ावा मिलेगा जो पूरे साल संजीदगी से पढाई करते हैं, वनिस्पत उनके जो आखिरी समय में पढाई करते हैं या जो केवल अंक लाने के लिए सही-गलत तरीकों का प्रयोग करते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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