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आगरा विश्वविद्यालय मामले में CBI ने कसा शिकंजा

    • रजनीश कुमार सक्सेना
    • Updated: 20 जनवरी, 2023 08:41 PM
  • 20 जनवरी, 2023 08:41 PM
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केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने आगरा स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय मामले में अपनी प्राथमिक जांच पूरी कर ली है.

कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति विनय पाठक और इस मामले से जुड़े अन्य सभी लोगों को सीबीआई नोटिस भेजकर बयान दर्ज करेगी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स से मिले सबूतों के आधार पर सीबीई इस मामले से जुड़ें सभी आरोपियों, वादी और गवाहों को बुलाकर पूछताछ करेगी.

इस मामले से जुड़े सभी साक्ष्यों की 103 पन्नों की फाइल एसटीएफ ने सीबीआई को सौंप दी है

शुरुआती जांच में कर्मचारियों को बुलाया जाएगा

विश्वविद्यालय मामले की जांच की शुरुआत आगरा के डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को बुलाकर की जायेगी. आपको बता दें कि कुलपति विनय पाठक पर उनके कार्यकाल के दौरान आगरा विश्वविद्यालय में कराए गए कार्यों को लेकर कमीशनखोरी के आरोप लगे थे. कुछ समय बाद वे डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त पद पर रहे और इस समय वर्तमान में कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर कार्यरत हैं. इस मामले के संदर्भ में इन दोनों संस्थानों के कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी, क्योंकि इस दौरान भी कुलपति विनय पाठक पर आरोप लगते रहे हैं.

डेविड मारियो ने मुकदमा दर्ज कराया

इस मामलें में डेविड मारियो ने लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में कुलपति विनय पाठक के खिलाफ 29 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोप में यह कहा गया था कि कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय में काम कराने के बाद भुगतान के समय 15 प्रतिशत कमीशन वसूला गया. इस दौरान उ.प्र. एसटीएफ को इस मामले की जिम्मेदारी सौंपी गई. एसटीएफ अपनी जांच पूरी कर पाती इससे पहले प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. जिसके बाद सीबीआई ने 6 जनवरी 2023 से इस मामले में जुड़े सभी...

कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति विनय पाठक और इस मामले से जुड़े अन्य सभी लोगों को सीबीआई नोटिस भेजकर बयान दर्ज करेगी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स से मिले सबूतों के आधार पर सीबीई इस मामले से जुड़ें सभी आरोपियों, वादी और गवाहों को बुलाकर पूछताछ करेगी.

इस मामले से जुड़े सभी साक्ष्यों की 103 पन्नों की फाइल एसटीएफ ने सीबीआई को सौंप दी है

शुरुआती जांच में कर्मचारियों को बुलाया जाएगा

विश्वविद्यालय मामले की जांच की शुरुआत आगरा के डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को बुलाकर की जायेगी. आपको बता दें कि कुलपति विनय पाठक पर उनके कार्यकाल के दौरान आगरा विश्वविद्यालय में कराए गए कार्यों को लेकर कमीशनखोरी के आरोप लगे थे. कुछ समय बाद वे डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त पद पर रहे और इस समय वर्तमान में कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर कार्यरत हैं. इस मामले के संदर्भ में इन दोनों संस्थानों के कर्मचारियों से भी पूछताछ होगी, क्योंकि इस दौरान भी कुलपति विनय पाठक पर आरोप लगते रहे हैं.

डेविड मारियो ने मुकदमा दर्ज कराया

इस मामलें में डेविड मारियो ने लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में कुलपति विनय पाठक के खिलाफ 29 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोप में यह कहा गया था कि कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय में काम कराने के बाद भुगतान के समय 15 प्रतिशत कमीशन वसूला गया. इस दौरान उ.प्र. एसटीएफ को इस मामले की जिम्मेदारी सौंपी गई. एसटीएफ अपनी जांच पूरी कर पाती इससे पहले प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. जिसके बाद सीबीआई ने 6 जनवरी 2023 से इस मामले में जुड़े सभी साक्ष्यों को लेकर जांच शुरु कर दी हैं.

पूरा मामला आखिर है क्या?

29 अक्टूबर को लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में कानपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति विनय पाठक और उनके अन्य करीबियों के विरुद्ध आगरा विश्वविद्यालय के दौरान कंम्पनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के एबज में कमीशन वसूलने के खिलाफ कंम्पनी के एमडी एंड सीईओ डेविड मारियो के मुकदमा दर्ज कराया था. इस पूरे प्रकरण में उ.प्र. एसटीएफ की टीम ने कई तथ्य जुटाए थे. जिसके बाद प्रदेश सरकार की शिफारिश पर इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया.

इस मामले से जुड़े सभी साक्ष्यों की 103 पन्नों की फाइल एसटीएफ ने सीबीआई को सौंप दी है. सीबीआई ने अपनी प्रारम्भिक जांच पूरी कर ली है. जिसके बाद सीबीआई की टीम दिल्ली वापस लौट गई हैं. जहां पर टीम प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट के बारें में आला अधिकारियों को जानकारी देगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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