• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

जरूरत के लिए कैश मांगना दहेज नहीं है, बस बात खत्म !

    • आईचौक
    • Updated: 12 जून, 2017 07:34 PM
  • 12 जून, 2017 07:34 PM
offline
मुंबई की अदालत ने दहेज़ के एक मामले को खारिज करते हुए कहा है कि आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए नकदी की मांग करना दहेज की सीमा में नहीं आता है.

हमारे पास ईश्वर का दिया सबकुछ है, आप जो देंगे वो अपनी बेटी को देंगे. आपकी बेटी काली है अब ऐसे ही कोई थोड़े ही न अपना लेगा. लड़की मोटी है साहब मोटा अमाउंट दीजिये तभी मामला मैनेज हो पायगा. हमारा लड़का न्यूयॉर्क में सॉफ्टवेर इंजीनियर है आपकी लड़की आयगी तो वो भी उसके साथ रहेगी, आगे आप समझदार हैं. अरे हम अपने लिए थोड़े ही न मांग रहे हैं ये सब तो आपकी लड़की के ही लिए है. हमारा छोटा लड़का डॉक्टर बनने वाला है हमारी तो सारी सेविंग उसकी पढ़ाई में खर्च हो गयी है अब बस बड़े बेटे के लिए एक ऐसी वधू मिल जाए जो हमको इस बुढ़ापे में कुछ राहत दे सके.

यदि आपके घर में बेटी है और उसकी उम्र विवाह के योग्य है तो अवश्य ही आपने उपरोक्त लिखी बातें कभी न कभी अवश्य ही सुनी होंगी. या ये भी हो सकता है कि यदि आप लड़के वाले हैं तो इनमें से कुछ बातें आपने भी कही होंगी. बात जब विवाह की होती है तो न चाहते हुए भी दहेज का मुद्दा अपने आप ही आ जाता है. कह सकते हैं कि जहां एक ओर दहेज लड़की पक्ष के लिए सामाजिक कुरीति है तो वहीं लड़के पक्ष के लिए एक स्टेटस सिम्बल है.

शायद आपने किस्से कहानियों में पढ़ा हो, एक समय था जब दहेज ही एक विवाह की शान हुआ करता था. बेटी सुख से रहे इस लिए राजा महाराजा अपनी बेटियों के नाम जागीरें और रियासतें लिख देते थे. राजा महाराजाओं के इतर तब भी एक आम आदमी को विवाह के बाद खेत, गाय, भैंस मिल ही जाते थे. धीरे धीरे समय बदला और अब दहेज की बातें आलिशान फ्लैट, लग्जरी कार, सोने-चांदी और हीरे के जेवर, म्यूचुअल फंड्स जैसी चीज़ों पर आकर सिमट गई है.

ज़रुरत के लिए नकद मांगना दहेज़ नहीं है

ये जानते हुए कि दहेज लेना न सिर्फ सामाजिक कुरीति बल्कि कानून की नज़र में भी एक दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद भी लोग आपसी सहमति से दहेज ले रहे हैं और दे रहे हैं और ये क्रम बदस्तूर चला...

हमारे पास ईश्वर का दिया सबकुछ है, आप जो देंगे वो अपनी बेटी को देंगे. आपकी बेटी काली है अब ऐसे ही कोई थोड़े ही न अपना लेगा. लड़की मोटी है साहब मोटा अमाउंट दीजिये तभी मामला मैनेज हो पायगा. हमारा लड़का न्यूयॉर्क में सॉफ्टवेर इंजीनियर है आपकी लड़की आयगी तो वो भी उसके साथ रहेगी, आगे आप समझदार हैं. अरे हम अपने लिए थोड़े ही न मांग रहे हैं ये सब तो आपकी लड़की के ही लिए है. हमारा छोटा लड़का डॉक्टर बनने वाला है हमारी तो सारी सेविंग उसकी पढ़ाई में खर्च हो गयी है अब बस बड़े बेटे के लिए एक ऐसी वधू मिल जाए जो हमको इस बुढ़ापे में कुछ राहत दे सके.

यदि आपके घर में बेटी है और उसकी उम्र विवाह के योग्य है तो अवश्य ही आपने उपरोक्त लिखी बातें कभी न कभी अवश्य ही सुनी होंगी. या ये भी हो सकता है कि यदि आप लड़के वाले हैं तो इनमें से कुछ बातें आपने भी कही होंगी. बात जब विवाह की होती है तो न चाहते हुए भी दहेज का मुद्दा अपने आप ही आ जाता है. कह सकते हैं कि जहां एक ओर दहेज लड़की पक्ष के लिए सामाजिक कुरीति है तो वहीं लड़के पक्ष के लिए एक स्टेटस सिम्बल है.

शायद आपने किस्से कहानियों में पढ़ा हो, एक समय था जब दहेज ही एक विवाह की शान हुआ करता था. बेटी सुख से रहे इस लिए राजा महाराजा अपनी बेटियों के नाम जागीरें और रियासतें लिख देते थे. राजा महाराजाओं के इतर तब भी एक आम आदमी को विवाह के बाद खेत, गाय, भैंस मिल ही जाते थे. धीरे धीरे समय बदला और अब दहेज की बातें आलिशान फ्लैट, लग्जरी कार, सोने-चांदी और हीरे के जेवर, म्यूचुअल फंड्स जैसी चीज़ों पर आकर सिमट गई है.

ज़रुरत के लिए नकद मांगना दहेज़ नहीं है

ये जानते हुए कि दहेज लेना न सिर्फ सामाजिक कुरीति बल्कि कानून की नज़र में भी एक दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद भी लोग आपसी सहमति से दहेज ले रहे हैं और दे रहे हैं और ये क्रम बदस्तूर चला जा रहा है. दहेज जैसी बड़ी सामाजिक कुरीति को लेकर, बीते वर्षों में ऐसे कई मामले हमारे सामने आए हैं जिन्होंने न सिर्फ लोगों को परेशान किया बल्कि वो कोर्ट तक चले गए. जिनमें कुछ मामलों की सुनवाई हुई तो कुछ मामले आज भी हमारी अदालतों में लंबित पड़े हैं.

बहरहाल, दहेज के एक ऐसे ही मामले में हाल में ही कोर्ट ने एक दहेज के आरोपी को बरी करते हुए कहा है कि मामला दहेज़ का नहीं बल्कि जरूरत का है.

मामला मुंबई का है जहां बोरीवली मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा कि आर्थिक परेशानी की स्थिति में या फिर आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए नकदी की मांग करना दहेज की सीमा में नहीं आता है. आपको बताते चलें कि अदालत में आए इस मुकदमें को सबूतों के अभावों में न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया.

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, 'अगर आरोपी ने घरेलू सामान के लिए 5 लाख रुपये मांगे थे,तो भी यह आईपीसी की धारा 498 ए के दायरे में नहीं आता.

साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि कथित क्रूरता के खिलाफ 2 साल बाद एफआईआर दर्ज की गई और इसमें देरी क्यों हुई इसको लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया है. दहेज़ को परिभाषित करते हुए अदालत ने कहा कि दहेज निषेध कानून के तहत दहेज उसे कहते हैं जब शादी से पहले या बाद में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसी तरह की संपत्ति या महंगा सामान दिया जाता है या फिर देने पर सहमति बनती है.

इसके अलावा कोर्ट ने मामले पर ये भी कहा है कि, 'अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश सबूतों से यह साफ नहीं होता कि पति ने दहेज निषेध कानून की धारा-2 के तहत किसी तरह के 'दहेज' की मांग की थी, उसने सिर्फ कुछ घरेलू जरूरतों को पूरी करने के लिए कैश की मांग की थी.

अंत में हम यही कहेंगे कि ये सुनवाई उन लड़के वालों को जरूर राहत देगी जो ये मानते हैं कि ज़रुरत के नाम पर आप वधू पक्ष से कुछ भी मांग सकते हैं और वो बेचारे चुप चाप आपकी मांग पूरी कर देंगे. साथ ही ये खबर उन लड़की वालों के कष्ट का कारण बन सकती है जो बेटी की शादी में सब कुछ लुटा देते हैं मगर लड़के वालों की डिमांड खत्म होने का नाम नहीं लेती. 

ये भी पढ़ें -

वक्‍त बदला, रिवाज बदले तो दहेज मांगने का अंदाज भी बदला

शगुन का एक रुपया भी बदल सकता है समाज

दहेज मांगा तो फेसबुक पर कैंसल की शादी...  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲