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पंजाब में ड्रग्स की महामारी के लिए अब केंद्र का सहारा

    • असित जौली
    • Updated: 28 जुलाई, 2018 01:09 PM
  • 28 जुलाई, 2018 01:09 PM
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राज्य सरकार आक्रामक रूप से तस्करों पर लगाम लगाने में जुटी है. लेकिन यह पाकिस्तान और पड़ोसी राज्यों से तस्करी को सक्रिय रूप से रोके बगैर एक असंभव कार्य साबित हो रहा है.

पंजाब में ड्रग्स के बढ़ते प्रकोप और हिरोइन और सिंथेटिक दवाओं से युवाओं की बढ़ती मौतों के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है. पंजाब के मुख्यमंत्री भारत-पाकिस्तान सीमा और पड़ोसी राज्यों में नशीले पदार्थों की तस्करी की जांच करने के लिए एक "राष्ट्रीय नीति" चाहते हैं.

सरकार को इस बात की चेतावनी देते हुए कि ड्रग्स की समस्या ने पंजाब की एक पूरी पीढ़ी के युवाओं के भविष्य को नष्ट कर दिया है, मुख्यमंत्री ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिए एक नई संघीय नीति के माध्यम से प्रभावी उपायों को तैयार करने और आगे बढ़ाने में भारत सरकार से सक्रिय समर्थन मांगा है.

अमरिंदर ने चंडीगढ़ में कहा कि वह बीएसएफ के लिए संशोधित एसओपी के माध्यम से अधिक प्रभावी जांच के लिए मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री जहां अफीम की नियंत्रित खेती की अनुमति है उन संयुक्त राज्यों में वृक्षारोपण पर ताजा प्रतिबंध और कठोर नियंत्रण की भी मांग कर रहे हैं. जनवरी के बाद पंजाब पुलिस ने भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त किए हैं. ये आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में बहुत ही अधिक है. गृह मंत्री को लिखे अपने पत्र में अमरिंदर ने शिकायत की है, "इस संबंध में हमारे द्वारा एकत्रित खुफिया जानकारियां नियमित रूप से बीएसएफ के साथ साझा की जाती हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश, तस्करी बिना रोकटोक के जारी है."

इसके पहले भी भाजपा वाली शिरोमणी अकाली दल सरकार केंद्र की मदद की गुहार लगा चुकी है

इस साल जनवरी से जून तक, छह महीने में, पुलिस, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, बीएसएफ और राज्यों की विशेष टास्क फोर्स ने सामूहिक रूप से 217 किलोग्राम हेरोइन जब्त की है. यह 2017 में जब्त किए गए 193 किलोग्राम के मुकाबले काफी अधिक है. यहां तक कि छह महीने में 1,817 किग्रा...

पंजाब में ड्रग्स के बढ़ते प्रकोप और हिरोइन और सिंथेटिक दवाओं से युवाओं की बढ़ती मौतों के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है. पंजाब के मुख्यमंत्री भारत-पाकिस्तान सीमा और पड़ोसी राज्यों में नशीले पदार्थों की तस्करी की जांच करने के लिए एक "राष्ट्रीय नीति" चाहते हैं.

सरकार को इस बात की चेतावनी देते हुए कि ड्रग्स की समस्या ने पंजाब की एक पूरी पीढ़ी के युवाओं के भविष्य को नष्ट कर दिया है, मुख्यमंत्री ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिए एक नई संघीय नीति के माध्यम से प्रभावी उपायों को तैयार करने और आगे बढ़ाने में भारत सरकार से सक्रिय समर्थन मांगा है.

अमरिंदर ने चंडीगढ़ में कहा कि वह बीएसएफ के लिए संशोधित एसओपी के माध्यम से अधिक प्रभावी जांच के लिए मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री जहां अफीम की नियंत्रित खेती की अनुमति है उन संयुक्त राज्यों में वृक्षारोपण पर ताजा प्रतिबंध और कठोर नियंत्रण की भी मांग कर रहे हैं. जनवरी के बाद पंजाब पुलिस ने भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त किए हैं. ये आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में बहुत ही अधिक है. गृह मंत्री को लिखे अपने पत्र में अमरिंदर ने शिकायत की है, "इस संबंध में हमारे द्वारा एकत्रित खुफिया जानकारियां नियमित रूप से बीएसएफ के साथ साझा की जाती हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश, तस्करी बिना रोकटोक के जारी है."

इसके पहले भी भाजपा वाली शिरोमणी अकाली दल सरकार केंद्र की मदद की गुहार लगा चुकी है

इस साल जनवरी से जून तक, छह महीने में, पुलिस, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, बीएसएफ और राज्यों की विशेष टास्क फोर्स ने सामूहिक रूप से 217 किलोग्राम हेरोइन जब्त की है. यह 2017 में जब्त किए गए 193 किलोग्राम के मुकाबले काफी अधिक है. यहां तक कि छह महीने में 1,817 किग्रा हशिश जब्त हुई है, जो पिछले साल 1,916 किलोग्राम थी.

पंजाब के अधिकारियों का कहना है, जबकि राज्य सरकार आक्रामक रूप से तस्करों पर लगाम लगाने में जुटी है. साथ ही नशे की लत के गिरफ्त में आए लोगों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित कर रही है. लेकिन यह पाकिस्तान और पड़ोसी राज्यों से तस्करी को सक्रिय रूप से रोके बगैर एक असंभव कार्य साबित हो रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा, "हम ड्रग्स के खतरे से लोगों को बचाने की मुहिम जारी रखेंगे. हमें यह महसूस होता है कि भारत सरकार के स्तर पर कुछ उपायों को करने की जरूरत है," विशेष रूप से, पंजाब में पिछली भाजपा के साथ गठबंधन वाली शिरोमणि अकाली दल समेत सरकारें दिल्ली के साथ इसी तरह की चिंताओं को जता चुकी हैं.

इस बीच, पंजाब तस्करी करने वालों की सजा दर में सुधार के लिए एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट) को भी सुधारने वाली है. रिकॉर्ड संख्या में ड्रग्स जब्त करने के बावजूद सजा दर 2015 में 81.4 प्रतिशत से घटकर पिछले वर्ष 72 प्रतिशत हो गई है. 700 से अधिक मामलों में संदिग्धों बरी हो गए. इसके पीछे मुख्य कारण कमजोर जांच और अभियोजन पक्ष रहा.

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