• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

जब महिला आयोग है, तो 'पुरुष आयोग' क्यों नहीं?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 03 सितम्बर, 2018 05:22 PM
  • 03 सितम्बर, 2018 05:22 PM
offline
जब महिलाओं के लिए महिला आयोग है तो पुरुषों के लिए पुरुष आयोग क्यों नहीं होना चाहिए? जब भाजपा के सांसद ने यह बात संसद में कही तो अधिकतर लोगों ने उनका मजाक बनाया, लेकिन इस मामले की गंभीरता कोई नहीं समझा.

जब कभी किसी महिला पर अत्याचार होता है तो सबसे पहले महिला आयोग आवाज उठाता है और उस महिला को न्याय दिलाता है. महिलाओं के अधिकारों के लिए और उन पर होने वाले अत्याचारों के बचाने के लिए तो देश में महिला आयोग है, लेकिन पुरुषों को कौन बचाएगा? क्या पुरुषों पर अत्याचार नहीं होते या फिर कोई महिला गलत नहीं होती? जब महिलाओं के लिए महिला आयोग है तो पुरुषों के लिए पुरुष आयोग क्यों नहीं होना चाहिए? जब भाजपा के सांसद हरिनारायण राजभर ने यह बात 3 अगस्त को संसद में कही तो अधिकतर लोगों ने उनका मजाक बनाया, लेकिन किसी ने भी इस मामले की गंभीरता को समझने की कोशिश नहीं की. वहीं भाजपा के दूसरे सांसद अंशुल वर्मा भी चाहते हैं कि पुरुष आयोग बने, क्योंकि बहुत सी महिलाएं धारा 498-ए (दहेज) का गलत इस्तेमाल कर रही हैं. चलिए हम आपको बताते हैं कि क्यों पुरुष आयोग बनाया जाना जरूरी है.

क्या पुरुषों पर अत्याचार नहीं होते या फिर कोई महिला गलत नहीं होती?

160 पुरुषों ने किया समर्थन

भले ही पहले भाजपा सांसद हरिनारायण पर संसद में लोग हंसे थे, लेकिन आपको बता दें कि अब 160 पुरुषों ने पुरुष आयोग बनाने की उनकी मांग का समर्थन किया है. इन्होंने यूपी के वाराणसी में आकर अपनी तलाकशुदा पत्नियों का पिंडदान किया है, जबकि उनकी पत्नियां जिंदा हैं. उन्होंने एक खास पुजा भी करवाई है, ताकि बुरी यादों से छुटकारा मिल सके. पूरे देश से तलाकशुदा पुरुषों का वाराणसी तक लाने का काम एक एनजीओ 'सेव इंडिया फैमिली फाउंडेशन' ने किया है. खुद राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि हर किसी को अपनी मांग रखने का अधिकार है, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि पुरुष आयोग की कोई जरूरत है. हालांकि, अगर एक नजर आंकड़ों पर डालें तो कुछ और ही तस्वीर सामने आती है.

शादीशुदा पुरुषों की आत्महत्या का आंकड़ा डराता...

जब कभी किसी महिला पर अत्याचार होता है तो सबसे पहले महिला आयोग आवाज उठाता है और उस महिला को न्याय दिलाता है. महिलाओं के अधिकारों के लिए और उन पर होने वाले अत्याचारों के बचाने के लिए तो देश में महिला आयोग है, लेकिन पुरुषों को कौन बचाएगा? क्या पुरुषों पर अत्याचार नहीं होते या फिर कोई महिला गलत नहीं होती? जब महिलाओं के लिए महिला आयोग है तो पुरुषों के लिए पुरुष आयोग क्यों नहीं होना चाहिए? जब भाजपा के सांसद हरिनारायण राजभर ने यह बात 3 अगस्त को संसद में कही तो अधिकतर लोगों ने उनका मजाक बनाया, लेकिन किसी ने भी इस मामले की गंभीरता को समझने की कोशिश नहीं की. वहीं भाजपा के दूसरे सांसद अंशुल वर्मा भी चाहते हैं कि पुरुष आयोग बने, क्योंकि बहुत सी महिलाएं धारा 498-ए (दहेज) का गलत इस्तेमाल कर रही हैं. चलिए हम आपको बताते हैं कि क्यों पुरुष आयोग बनाया जाना जरूरी है.

क्या पुरुषों पर अत्याचार नहीं होते या फिर कोई महिला गलत नहीं होती?

160 पुरुषों ने किया समर्थन

भले ही पहले भाजपा सांसद हरिनारायण पर संसद में लोग हंसे थे, लेकिन आपको बता दें कि अब 160 पुरुषों ने पुरुष आयोग बनाने की उनकी मांग का समर्थन किया है. इन्होंने यूपी के वाराणसी में आकर अपनी तलाकशुदा पत्नियों का पिंडदान किया है, जबकि उनकी पत्नियां जिंदा हैं. उन्होंने एक खास पुजा भी करवाई है, ताकि बुरी यादों से छुटकारा मिल सके. पूरे देश से तलाकशुदा पुरुषों का वाराणसी तक लाने का काम एक एनजीओ 'सेव इंडिया फैमिली फाउंडेशन' ने किया है. खुद राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि हर किसी को अपनी मांग रखने का अधिकार है, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि पुरुष आयोग की कोई जरूरत है. हालांकि, अगर एक नजर आंकड़ों पर डालें तो कुछ और ही तस्वीर सामने आती है.

शादीशुदा पुरुषों की आत्महत्या का आंकड़ा डराता है

अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों को देखा जाए तो 2015 में कुल 91,528 पुरुषों ने आत्महत्या का कदम उठाया था. इनमें शादीशुदा पुरुषों की संख्या लगभग 64,534 है, जबकि 28,344 शादीशुदा महिलाओं ने आत्महत्या की. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार सबसे अधिक लोगों ने आत्महत्या पारिवारिक कारणों के चलते की है, जिनकी संख्या कुल आत्महत्या का करीब 21 फीसदी है. यहां आपको बताते चलें कि 2015 में कुल मिलाकर 1,33,623 आत्महत्याएं दर्ज की गई थीं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 21 फीसदी यानी करीब 25,000 शादीशुदा मर्दों ने तो सिर्फ पारिवारिक कारणों के चलते ही आत्महत्या जैसा कदम उठाया है. पारिवारिक कारणों में पति-पत्नी के बीच होने वाले झगड़े भी शामिल होते हैं.

झूठे रेप के आरोप भी उठाते हैं सवाल

कई बार महिलाएं या युवतियां रेप के झूठे आरोप भी लगा देती हैं. खुद दिल्ली महिला आयोग ने 2014 में एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि पिछले साल यानी 2013 में दर्ज किए रेप के मामलों में से 53 फीसदी झूठे पाए गए. कई मामलों में खुद कोर्ट ने शादी का झांसा देकर रेप करने के आरोपों में महिला के खिलाफ फैसला सुनाया. ऐसा उन मामलों में हुआ, जिनमें महिला पढ़ी-लिखी है. कोर्ट का कहना था कि किसी अनपढ़ महिला को शादी का झांसा देकर रेप किया जा सकता है, लेकिन पढ़ी-लिखी महिलाओं को कोई शादी का झांसा कैसे दे सकता है? कोर्ट ने ऐसे मामलों में ये माना कि दोनों में आपसी सहमति से संबंध बने, लेकिन किसी कारणवश बात शादी तक नहीं पहुंच सकी तो महिला ने रेप का आरोप लगा दिया. इस तरह के मामले भी इस ओर इशारा करते हैं कि महिलाओं की तरह की पुरुषों को भी संरक्षण मिलना चाहिए. उनके सशक्तिकरण के लिए भी पुरुष आयोग होना चाहिए.

अगर संविधान को देखा जाए तो देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं. भले ही वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख या ईसाई हो या फिर किसी भी जाति-धर्म का हो. लेकिन अगर महिलाओं के लिए महिला आयोग है और पुरुषों के लिए पुरुष आयोग नहीं है तो इसे पुरुष समाज के साथ भेदभाव क्यों नहीं माना जाए? महिला सशक्तिकरण की जरूरत थी, इसलिए महिला आयोग बन गया, लेकिन क्या पुरुष सशक्तिकरण की जरूरत नहीं है? कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें महिलाओं ने अपने पति पर दहेज या घरेलू हिंसा के झूठे केस कर दिए हैं. कई पुरुषों पर तो उनकी पत्नियों ने रेप तक के केस दर्ज किए हैं, जिसकी पुष्टि करना लगभग नामुमकिन है. ऐसे में पुरुषों के लिए पुरुष आयोग बनाने में हर्ज ही क्या है?

ये भी पढ़ें-

जेल में बंद होने दौड़े आ रहे हैं लोग, इसके पीछे की वजह काफी दिलचस्प है

प्रिया प्रकाश वारियर की जीत पूरे देश के धार्मिक ठेकेदारों की हार है

बच्चों की चिंताओं को हल्के में लेंगे तो पछताएंगे


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲